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प्रेषक : जीत शर्मा
मेरा नाम जीत है। मैं बहुत समय से अन्तर्वासना की कहानियों को पढ़ता आया हूँ। आज मुझे भी अपना एक किस्सा याद आ गया जो मैं यहाँ लिख रहा हूँ।
याद रखिये कि यह एक सच्ची बात है।
सबसे पहले मैं आपको अपना परिचय देता हूँ- नाम जीत, उम्र २९ साल, कद पांच फ़ुट नौ इंच, गुजरात के जामनगर का रहने वाला हूँ। मेरे घर में तीन ही लोग रहते हैं। मेरे घर के सामने एक परिवार रहता था उसके घर में भी तीन ही लोग रहते थे। लेकिन वो क्या भाभी थी, उसकी उम्र करीबन ३८ की होगी, क्या फिगर था ! देखते ही लण्ड झट से खड़ा हो जाए ! वो पहले से ही शौकीन और सेक्सी मिजाज की थी।
एक दिन उसके पति के साथ एक दुर्घटना हो गई और वो विधवा हो गई। मुझे बहुत ही दुख हुआ। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।
एक दिन जब मैं सुबह ऑफिस जा रहा था तो वो अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी। मैंने थोड़ी देर उससे बात की और उसका सेल नंबर ले लिया।
फिर दो दिन बाद मैंने उसे फ़ोन किया, थोड़ी बहुत इधर-उधर की बात की और फिर सीधे मतलब की बात पर आ गया। मैंने कहा- भाभी ! आप जानती हो कि मैंने आपका फ़ोन नंबर क्यों लिया है? उसने कहा- हाँ !
मैं चौंक गया, मैंने कहा- आपको पता है कि मुझे आपसे क्या काम है?
उसने हंसते हुए कहा- देवर को भाभी से और क्या काम होगा !
मेरा तो लण्ड झट से खड़ा हो गया, तो मैंने कहा- कब प्रोग्राम रखना है?
उसने कहा- अभी मेरा बेटा घर आया हुआ है, जब वो वापस अपने बोर्डिंग स्कूल में चला जायेगा, तब कुछ रखेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
कुछ दिनों के बाद उसका बेटा वापस चला गया। मैंने उसे फ़ोन किया और कहा कि आज चुदाई का प्रोग्राम रखते हैं।
वो थोड़ा हिचकिचाई और थोड़ी आनाकानी करने लगी। मेरे घर उस दिन कोई नहीं था, मैंने उसे कहा- मैं आपके घर आ रहा हूँ।
उसने कहा- ठीक है।
फिर मैं उसके घर गया, मेरा लण्ड तना हुआ था, जींस से उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मैं उसके घर पहुँचा, वो खाना बना रही थी। हमने थोड़ी देर बात की, मैंने उसे पूछा कि वो अपनी जवानी की प्यास कैसे बुझाती है?
उसने बड़े प्यार से कहा कि वो उंगली-मैथुन कर लेती है। हमने थोड़ी बहुत ऐसी ही बातें कीं। उसकी नज़र मेरे लण्ड पर पड़ी, वो बोली- काफी बड़ा लगता है?
मैंने कहा- खुद ही देख लो !
उसने कहा- अभी नहीं ! मैं खाना खाने के बाद तुमको बुलाती हूं।
मैंने कहा- ठीक है।
फ़िर मैं वहाँ से वापस अपने घर आ गया और उसके फ़ोन का इंतजार करने लगा।
मैं एक बात बता दूँ कि मेरा लण्ड बहुत जल्द ही खड़ा हो जाता है और उसमें से काफी सारा पानी निकलता रहता है, इसलिए मैं कई बार अपने लण्ड पे प्लास्टिक की थैली बांध देता हूँ। उसदिन भी मैंने ऐसा ही किया। फिर थोड़ी देर के बाद उसका फ़ोन आया, मैं झट से उसके घर गया। दरवाज़ा खुला था। मैंने अंदर जाते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। फिर हम दोनों उसके ऊपर के कमरे में चले गए।ऊपर जाते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैंने उसके होटों को चूम लिया। हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके बायें स्तन पर लगाया और उसे मसलने लगा। उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी- आह……आह…..
मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे लगाया और उसकी गांड मसलने लगा। उसने उस दिन नाईट ड्रेस पहना हुआ था। मैं नीचे झुका और उसका ड्रेस नीचे से ऊपर किया और उतार दिया। वाह ! क्या गोरा बदन था उसका ! अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और पेंटी में थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसके स्तनों पर लगाये और मसलने लगा। फिर मैं नीचे झुका, मैंने उसकी पेंटी पर अपना मुँह लगाया और उसकी चूत को पेन्टी के ऊपर से चाटने लगा। वो सिसकियाँ लेने लगी।
फिर मैंने उसको पूरी नंगी कर डाली ! वाह, क्या चूत थी उसकी ! उस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने कहा- भाभी, आज ही सफाई की लगती है?
उसने कहा- पहले कभी किसी औरत को नंगा देखा है?
मैंने कहा- नहीं ! और यह सच भी था।
अब उसकी बारी थी, उसने मेरा टीशर्ट उतारा, मेरे पैंट उतारी और धीरे धीरे करके मुझे बिलकुल नंगा कर दिया और मेरे लण्ड को देख कर तो वो खुश हो गई, बोली- यह तो मेरे पति के लण्ड से दोगुना है। उसने तुंरत ही मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी। मेरा लण्ड और भी बड़ा हो गया।
मैंने उसे कहा- अब बस करो, वर्ना मेरा पानी तुम्हारे मुँह में ही छुट जायेगा।
उसने मेरी बात पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया, और फिर होना किया था…..आह…आह….ऊह… मेरे लण्ड का सारा पानी उसके मुँह में ही छुट गया और वो सारा का सारा पानी पी गई और मेरे लण्ड को बिल्कुल साफ़ कर दिया, मुझसे पूछा- मजा आया?
मैंने कहा- भाभी, कसम से बहुत मजा आया ! इतना मजा तो मुठ मारने में भी नहीं आता !
वो बोली- अब मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- भाभी, थोड़ी देर ठहरो, मेरा लण्ड अभी खड़ा हो जायेगा !
फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाया और अपनी जुबान से उसकी चूत चाटने लगा, आह…आह…आह…और …थोड़ा और…..
मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और उसे अंदर-बाहर करने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसके स्तन दबाने लगा। वो जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी। उसकी सिसकियाँ सुन कर मेरा लण्ड फिर से लकड़ी की तरह तन गया और उसका ध्यान उस पर गया, बोली अब किसी की राह देख रहे हो? जल्दी से मुझे चोदो और मेरी चूत फाड़ डालो !
मैंने उसके दोनों पैर को उठाकर अपने कंधे की तरफ ले गया और धीरे धीरे से अपना लण्ड उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा, पर दो तीन बार नाकाम हो गया। फिर उसने अपने हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मैंने धीरे से धक्का लगाया, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया। वाह ! क्या अहसास था ! लगा जैसे स्वर्ग में आ गया !
उसके मुँह से ऊह ….ओउच …निकलने लगा, बोली- थोड़ा और धक्का लगाओ !
मैंने फिर से धक्का लगाया और मेरा पूरा लण्ड उसकी गीली चूत में चला गया। मैं थोड़ी देर ऐसे ही बना रहा और उसके स्तन चाटता रहा। अब वो थोड़ी सामान्य हो गई थी, मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
…..ऊह…..ऊह….आह….अआछ….ओउच….और …और….और….
मैं भी चिल्लाने लगा- ले रंडी ले ! लेती जा, तेरी माँ का भोसड़ा मारूँ….लेती जा !
ये सुनकर वो और भी कामुक हो गई और सामने से धक्के मारने लगी….आ आ आ आ ……आह….आह……..
हम ऐसे ही दस मिनट तक धक्के लगाते रहे। फिर वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ और एक जोर की चीख के साथ वो झड़ गई।
अब मेरी बारी थी, मैंने भी कहा- भेनचोद ! मैं भी अब अपना पानी निकालने वाला हूँ, बोल कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- मेरी चूत में ही निकाल दो !
और मेरे एक जोरदार जटके से मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया। फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसके होटों को चूमने लगा। फिर मैं उसकी बाईं ओर सो गया। हम दोनों बिस्तर पर बिल्कुल नंगे अपने पैरों को फ़ैलाए हुए सो रहे थे।
करीब आधे घंटे के बाद वो बोली- अभी और कुछ करने की तमन्ना है?
मैंने कहा- जानेमन ! अभी तो बहुत कुछ करना है !
वो खड़ी होकर किचन में चली गई, बिलकुल नंगी ! पीछे से उसकी गाण्ड बहुत खूबसूरत लग रही थी। वो किचन से दो गिलास दूध के ले आई। मैंने कहा- अरे यार दूध ही पिलाना था तो इन दो बड़े-बड़े चूचों से पिला लेती !
वो हंस पड़ी, हम दोनों ने दूध पी लिया, फिर दोनों सोफे पर बैठ गए, दोनों बिलकुल नंगे ! मैं उसे किस कर रहा था और एक हाथ से उसके स्तन दबा रहा था। थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा। फिर मैंने कहा- और एक राउंड हो जाए?
उसने कहा- क्यूँ नहीं !
मैंने कहा- अब थोड़ा सा अलग राउंड !
उसने कहा- क्या?
मैं उसके ड्रेसिंग-टेबल पर गया और वहां से तेल की बोतल उठाई। वो समझ गई, बोली- देखो जरा ध्यान से ! मुझे डर लगता है !
मैंने कहा- जान कुछ नहीं होगा ! तुम बस घूम जाओ !
हम वापस बिस्तर पर आ गये, वो कुतिया स्टाइल में हो गई। मैंने थोड़ा सा तेल निकाल कर उसकी गांड में लगाया, और थोड़ा तेल ऊँगली अंदर डाल कर गांड के अंदर भी लगाया, बोली- बहुत मजा आरहा है।
मैंने कहा- साली, अभी तो शुरुआत है। थोड़ी देर उसकी गांड की मालिश करके थोड़ा सा तेल मैंने अपने लण्ड पर भी लगाया।
मैंने कहा- तैयार हो ?
बोली- हाँ ! लेकिन ज़रा धीरे से !
मैंने अपने लण्ड को उसकी गांड पर लगाया और एक जोरदार का झटका लगाया और अपने पूरा लण्ड उसकी गांड में घुसा दिया, वो जोर से चीख पड़ी- आ….आ….आ…..अबे भड़वे धीरे से …
थोड़ी देर उसको आराम देकर मैंने झटके लगाने शुरू कर दिये।
अब उसे भी मजा आने लगा था- आह…आह….आह….ऊह…ऊह…..ऊह…ऊह….
दस मिनट तक झटके मारता रहा और फिर अपना सारा पानी उसकी गांड में ही उडेल दिया, उसकी गांड से अपना लण्ड निकाल कर मैं बिस्तर पर लेट गया पर अभी ही उसकी गांड उपर की ओर ही रखी हुई थी, फिर धीरे धीरे से उसने अपनी गांड नीचे कर ली और वैसे ही सो गई।
उसकी गांड बहुत दर्द कर रही थी, हम एक घंटे तक सोए रहे।
फिर मेरी आँख खुली, मैंने उसे उठाया और कहा- मैं अब चलता हूँ, तू भी खड़ी हो !
वो खड़ी तो हो गई पर ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, जैसे तैसे उसने अपने कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहने, फिर मैं अपने घर वापस आ गया।
दोस्तो, अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो मुझे मेल जरुर करें…
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