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आज मैं आपको अपना असली xxxi अनुभव सुनाने जा रहा हूँ उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आयेगा।
मेरा नाम रोहित है और मेरठ में रहता हूँ। यह जून के शुरू की बात है। तब मेरी परीक्षाएँ ख़त्म हो चुकी थी। मेरी इंग्लिश की मैडम बहुत सेक्सी हैं, उनका नाम शगुफ्ता है। वे अट्ठाईस वर्ष की हैं। उनका कद सवा पाँच फ़ीट, कसा शरीर है, उनकी चूचियाँ बहुत बढ़िया हैं और वो कपड़े भी ऐसे पहनती कि उसके जिस्म का कुछ हिस्सा नज़र आता, क्लास में आती उसके चुचूक खड़े होते थे। कसी कमीज़ पहनती और ब्रा भी कसी, तो चुचूक खड़े होने की वजह अपने निशान उस पर बना लेते। फिर पढ़ाई तो भाड़ ही में जानी थी। मैं रोज़ ख्यालों में उसके साथ प्यार करता।
खैर मैं इंग्लिश पेपर लेकर उसके घर पेपर पर विचार-विमर्श करने गया। कितनी खूबसूरत लग रही थी शलवार-कमीज़ में। उसकी कमीज़ थोड़ी छोटी थी। उनके घर में इतना शोर नहीं था। लगता था जैसे कोई भी न हो। उनके पति आर्मी में हैं, वो शायद कहीं गए हुए हों।
उन्होंने मुझ से कहा- मैं किताब लाती हूँ फिर देखते हैं कि तुम्हारा पेपर कैसा हुआ।
उन्होंने मुझे अपने कमरे से आवाज़ दी और कहा- यहाँ आ जाओ। मैं चला गया।
किताब ऊपर वाली शेल्फ़ पर पड़ी थी कमरे में। उफ़ क्या सीन था- मैडम किताब को लेने के लिए ऊपर होतीं और उनकी शर्ट भी ऊँची हो जाती, उनकी कमर नज़र आती। मेरा तो उसी वक़्त खड़ा हो गया। मैं उनके पास गया और मैंने मजाक करते हुए कहा- मैडम, मैं आप को उठाता हूँ, आप किताब उतार लें।
और जो उत्तर मुझे मिला उसकी मुझे बिल्कुल भी आशा नहीं थी। उन्होंने कहा- हाँ! ठीक है! मुझे तुम ऊपर उठाओ। मैंने जल्दी में जवाब दिया- जी मैडम! उन्होंने कहा- ठीक है आज मैं तुम्हारा जोर देखूं!
मैं तो चाहता ही यह था। मैं मान गया।
मैडम काफ़ी भारी थी मगर मैंने उन्हें उठा ही लिया। उनकी गांड मेरी पेट से लग रही थी, वो अभी किताब को ऊपर ढूंढ रही थी कि मुझसे पूछने लगी कि थके तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं!
मैंने उसे थोड़ा सा नीचे किया और उसकी गांड अब मेरे खड़े हुए लंड के साथ लगने लगी। उसने कुछ भी नहीं कहा। इससे लग रहा था कि मेरी बरसों की खवाहिश पूरी होने जा रही है।
मैंने पूछा- मैडम, किताब मिली या नहीं? उसने कहा- सबर करो!
मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उनकी कमीज़ के नीचे ले जाना शुरू किया। उनको लगा कि मैं थक गया हूँ और वो फिसल रही हैं।
खैर मैडम को लगने लगा कि मेरा लंड तो बस मेरी चड्डी फाड़ने लगा था।
उन्होंने फ़ौरन मुझे कहा- तुम मुझे उतार दो! मैंने उन्हें जल्दी उसे उतार दिया। उफ्फ्फ! उनके खड़े चुचूक देखकर मेरे अन्दर करंट आ रहा था।
उन्होंने कहा- किताब नहीं मिल रही! मैं तुम्हारे लिए कुछ पीने को लाती हूँ! फिर ऐसे ही पेपर देख लेंगे। मैं कहा- ओ के!
वो किचन में चली गई। मैं अब कमरे में अकेला था। मैंने अपने लंड को जल्दी हाथ लगाया और दबाया ताकि जल्दी ही मुठ निकले और मुझसे मैडम के साथ कोई ग़लती न हो जाये।
मैं अभी अपना लण्ड दबा ही रहा था कि मैडम शरबत लेकर आई। वो कब रसोई से निकली, कुछ पता नहीं चला।
उन्होंने मुझे लंड दबाते देख लिया, मैंने जल्दी अपने लंड पर से हाथ उठा लिया। किसी हद तक मैं भी चाहता था कि मैडम मुझे देखे।
वो एकदम से डर गई। मैडम ने मुस्कुराते हुए पूछा- यह क्या कर रहे थे? मैंने कहा- कुछ नहीं!
वैसे मैं भी कुछ खिसिया गया था। मैंने शरबत लिया और वो दरवाज़े की तरफ बढ़ी और दरवाज़ा बंद कर दिया।
मैंने हैरान होकर उन्हें देखा, उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरे पास आ कर बैठ गई। वो इतना पास बैठी कि मैं दूर नहीं हो सकता था। मैंने उनकी आँखों में देखा तो ऐसे लग रहा था कि अब वो सेक्स की तलाश में हैं। मैंने उनको छूना चाहा लेकिन डर रहा था।
उसके बाद उन्होंने मुझसे पेपर लिया और फेंक दिया और पूछा- तुमने पहले कभी किया है? मैंने पूछा- क्या? उन्होंने कहा- अंजान मत बनो!
मैं दिल ही दिल में खुश हुआ और उन्हें जवाब दिया- जी हाँ! एक बार! उन्होंने पूछा- x, xx या xxxi मैंने जानबूझ कर उनसे पूछा- इनका मतलब क्या है? उन्होंने कहा- सिर्फ चूमा-चाटी, मसलना-रगड़ना या सब-कुछ? मैंने फ़ौरन जवाब दिया- जी मैडम!
मुझसे बिल्कुल भी कण्ट्रोल न हुआ और मैंने उन्हें जल्दी से दोनों हाथों से पकड़ा और सोफे पर लिटा दिया और अधीर हो कर होंठों को चूमने लगा। उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और मैं गर्म हो गया। फ़िर फ्रेंच किस भी की। मेरा लण्ड तो पूरा सख्त हो गया।
उन्होंने मेरे मुँह पर बहुत चुम्बन लिए। उनके मम्मे तो शर्ट में भी थोड़े थोड़े नज़र आ रहे थे। वो भी गरम हो गए और मेरी चूमा-चाटी उन्हें और गरम करती गई। उन्होंने सोफा सख्ती से पकड़ लिया और मुझे करने दिया जो मैं करना चाहता था। मैंने उनकी शर्ट उतारी और अपनी भी। वो इतनी गरम हो चुकी थी कि लाल हो रही थी। मैंने उनकी सलवार उतारी और उनके बड़े बड़े चूतड़ों को दबाने लगा।
मेरा लंड भी गरम था और उसकी चूत भी गरम थी। बस मैंने उसकी ब्रा पीछे से खोली और उतार कर फेंक दी, मैडम के चुचे जैसे आजाद हो गए हों और ज्यादा खड़े हो गए। मैंने उनके चूचों को बहुत ज्यादा दबाया और चूसा। उफ्फ्फ! वे इतने स्वादिष्ट थे।
मैंने शर्ट-पैंट पहनी हुई थी। मैंने अपनी पैंट उतारी और अंडरवियर भी! और कहा- मैडम! प्लीज़ उल्टी हो जाएँ।
उन्होंने मुझसे कहा- चोदोगे मुझे? मैंने कहा- अब कण्ट्रोल नहीं होता।
उनके मम्मे सोफे पर दब गए और मैं और अपना धैर्य खोते हुए मैडम की कमर पर चूमने लगा, उनकी कमर पर हाथ फेरा, उन्हें मजा आया। मैं उनकी कमर पर लेट गया और मेरा लंड उनकी योनि से छू गया। फ़िर सीधा करके उनके चुचूकों को चूसना शुरू किया और पैरों को ऊपर की ओर कर दिया और अपना लंड उनकी चूत में डाला।
क्या तंग योनि था। फिर भी मैंने आसानी से अंदर किया, थोड़ा गया और उन्हें मजा आया। वो आह ऽऽ.. ओह ऽऽ.. औरऽऽ और ऽऽ जैसी आवाजें निकाल रही थी। मैंने और जोर लगाया और पूरा लंड अन्दर डाल दिया, वो चीखी लेकिन उन्होंने मुझे नहीं रोका। मैंने अब अंदर-बाहर, अंदर-बाहर करना शुरू किया।
मैंने उन्हें 20-25 मिनट चोदा, मेरा वीर्य निकल आया और मैडम का भी .. उफ्फ्फ्फ़ क्या दिन था । मैंने सोचा भी न था।
मैडम ने मुझे कहा- अब तुम चूचों के बीच में डालो!
अपना लंड मैंने चूचों के बीच में रख कर आगे-पीछे किया। मुझे बहुत मजा आया। मैंने उनके पूरे जिस्म पर चूमा-चाटी की और फिर कपड़े पहने।
फ़िर एक जोरदार चुम्मा लेकर पूछा- मैडम आप चाहती हैं कि मैं फिर आऊँ? मैडम ने कहा- हाँ! मुझे अपना फोन नंबर दो! जब घर पे कोई नहीं होगा तो तुम्हें बुलाऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है । मगर उन्होंने यह भी कहा- तुम मुझे फोन नहीं करोगे! मैंने कहा- ठीक है!
मैंने अपना मोबाइल नंबर दिया। अब तक मैं उनके साथ तीन दफा कर चुका हूँ।
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