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प्रेषक : पटेल राज
मेरा नाम पटेल राज है। मैं अहमदाबाद (गुजरात) का रहने वाला हूँ। मैं अभी २० साल का हूँ। मैं अन्तर्वासना पर लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ।
मुझे सारी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी। ये सब पढ़ने के बाद मुझे मेरी कहानी लिखने का मन किया सो मैं लिख रहा हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी गर्ल फ़्रेन्ड की है, जब हम पढ़ते थे।
शिवानी उसी साल हमारे वर्ग में नई-नई आई थी। मैं सीधा-साधा सा लड़का था। पर पढ़ने-लिखने में अपने वर्ग में सबसे तेज था। शिवानी भी पढ़ाई के मामले में बहुत अच्छी थी। जल्द ही हम दोनों में दोस्ती हो गई।
अब मैंने उसे अलग नजरों से देखना शुरू कर दिया था। शायद वह मेरी नजरों की भाषा समझ रही थी। हम दोनों एक दूसरे से मिलने जुलने लगे थे। वह जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी। जब भी मैं उसके उभरे संतरे जैसे चूचियों को देखता था तो मेरे मन में एक ही ख्याल आता था कि अभी जाकर उनका सारा रस निकालकर पी जाऊं। स्कर्ट पहने हुए उसकी कमर एवं जांघों को देखकर मुंह में पानी आ जाता था। वह कभी भी अपने होंठो पर लिपस्टिक नहीं लगाती थी, फिर भी उसके होंठ गुलाबी लगते थे। हर वक्त उसके होंठों को चूसने का दिल करता था।
एक दिन मैंने हिम्मत जुटा कर उसे लंच ब्रेक में अलग ले जाकर उसे कह दिया- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।
पहले वह घबराई पर कुछ सेकंड के बाद वह मुस्कुराते हुए वहां से भाग गई। मैं समझ गया कि “लड़की हँसी मतलब फँसी”। फिर क्या था हम दोनों एक दूसरे को चोरी-चोरी नजरों से देखने लगे। मौका मिलते ही उसकी गोल छोटी-छोटी चूचियों को दबा देता। इसी तरह कई महीने गुजर गए। बस चुदाई के मौके की तलाश कर रहा था। कभी-कभी वह अपने सहेलियों के साथ मेरे घर पर भी आ जाती थी।
एक दिन अच्छा मौका मिला, पापा रोज की तरह अपने काम पर और मम्मी और बहन मेरी बुआ के घर चली गई थी। इत्तेफाक से वह रविवार का दिन था। मैंने उसे बहाने से बुलाया। वह अकेले ही मेरे घर आई। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मैं उसे देखकर सुन्न रह गया। उसने गुलाबी सूट पहन रखा था, जिसमें वह बहुत सुंदर लग रही थी। वह मुझे देखकर हँसी और घर के अन्दर आ गई। कुछ देर बाद हम दोनों मेरे बेडरूम में एक ही बेड पर लेटकर फ़िल्म देखने लगे।
फिर मेरे मन में एक शरारत सूझी, मैंने उठकर एक सेक्सी फ़िल्म लगा दी। जिसमे एक सुहागरात का सीन आ रहा था। वह पेट के बल लेट कर फ़िल्म देखने लगी। जिससे उसकी चुचियां बेड पर दब रही थी। फिर मुझे ऐसा महसूस हुआ कि फ़िल्म देखकर उसे भी कुछ हो रहा था।
अचानक उसने मुझसे पूछ लिया- तुमने यह सब किया है कभी?
मैंने अनजान बन कर पूछा- क्या ?
उसने कहा- यही जो इस वक्त टीवी में दिख रहा है।
मैंने कहा- नहीं ! जो कि सही था।
मैंने पूछा- क्या तुमने ?
वह शरमाते हुए बोली- नहीं।
फिर मैं थोड़ा हिम्मत करके बोला- चलो आज हम दोनों करके देखते हैं।
यह सुनकर वह उठ कर बैठ गई और बोली- मैं तो ऐसे ही कह रही थी, नहीं, यह सब ठीक नहीं है।
मैंने कहा- तो सीखेंगे कब ?
वह बोली- नहीं, इसमें बहुत दर्द होता है।
मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता ?
वह बताने लगी कि उसकी सहेली ने बताया था जब उसकी शादी हुई थी।
फिर मैंने कहा- शुरू में थोड़ा दर्द होता है, फिर बहुत मजा आता है, मैंने किताब में पढ़ा था।
उसने कहा- तुम बहुत गंदे हो, कहकर सर को झुका लिया।
बस फ़िर क्या था, मैंने आगे बढ़कर उसके हाथों को चूम लिया, फिर उसके गुलाबी और कोमल होंठों को अपने होंठों से सटाया तो उसकी गर्म साँसे महसूस हुई जोकि काफी तेज चल रही थी। उसके होंठों को करीब १० मिनट तक चूसता रहा। वह भी अपनी जीभ मेरे मुंह में डालकर चाट रही थी। फिर मेरे हाथ उसके सर पर से सरक कर उसके चूचियों पर आ गए। जब मैंने उसकी चूचियों को हाथों से दबाया तो वह सिसिया कर बोली- नहीं राज, आज नहीं ! आज मुझे बहुत डर लग रहा है।
मैंने उसकी एक न सुनी और धीरे धीरे उसके सू्ट को खोलने लगा। कुछ देर बाद उसके बदन पर केवल पैंटी और छोटी सी ब्रा ही बच गई। फिर मैंने उसके गले पर चूमते हुए उसके पीछे जाकर ब्रा के हुक खोल दिए। वाह, क्या नज़ारा था। वह मेरे सामने लगभग नंगी खड़ी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं इसके साथ क्या करूँ।
वह केवल सर झुकाए खड़ी थी। फिर मैं आगे जाकर उसके चूचियों को धीरे धीरे मसलने लगा जिस कारण उसकी छोटी सी निप्पल कड़ी लगने लगी थी। उसके निप्पल को अपने जीभ से चाटने लगा जिससे उसके मुंह से सी……सी….की आवाजें आने लगी थी। मैं समझ गया कि अब वह गरम होने लगी है।
फिर अचानक मैंने उसके हाथ अपने 8 इंच खड़े लण्ड पर महसूस किया जो उसे पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी। मैंने फट से अपने पैंट और अंडरवियर खोल दिया। वह मेरे लण्ड को आगे पीछे कर रही थी और मैं उसके चूचियों को बारी बारी से कुत्ते की तरह चाट रहा थ। फिर मैंने उसे घुटने के बल बैठाया और अपने लण्ड को चाटने को कहा। पहले तो उसने मना कर दिया पर मेरे जोर देने पर अपने कोमल होंठ मेरे लण्ड पर रख दिए। फिर धीरे धीरे उसे अपने मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। पहली बार कोई मेरे लण्ड को अपने मुंह से चाट रही थी। मानो एक अजीब सी दुनिया में अपने आपको महसूस कर रहा था।
धीरे धीरे उसकी स्पीड बढ़ रही थी। एक समय ऐसा लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने फट से लण्ड को बाहर निकाला और शिवानी को बेड पर लेटा कर उसके पैंटी को खोल दिया। उसके बिना बाल वाले चिकनी चूत को देखकर मैं बेकाबू हो गया। मैंने उसके बूर पर हाथ फेरते हुए एक ऊँगली बूर में डाल दिया। जिससे उसके सिसकारियां निकल पड़ी। धीरे धीरे उसकी बूर से पानी निकलना शुरू हो गया। मैं अपना मुंह उसकी बूर पर रखकर चाटने लगा। कभी कभी अपने जीभ उसके बूर में भी डाल देता जिससे वह चीख पड़ती।
करीब १५ मिनट यह काम चलता रहा। अबतक तो मेरा लण्ड गर्म होने जैसा हो गया था। अब मैं उठा और उसके गांड के नीचे एक तकिया रखकर उसके ऊपर आ गया। अपनी ऊँगली को ३ बार अन्दर बाहर किया। फिर लण्ड को बूर के पास ले जाकर अन्दर डालने की कोशिश की पर नाकाम रहा। अगली बार फिर से कोशिश की तो थोड़ा सा लण्ड बूर में जा सका जिससे उसकी चीख निकल गई।
नहीं.. नहीं…. प्लीज…. बाहर….. निकालो की आवाज़ करने लगी। और करती भी क्या मेरा शेर 8″ लम्बा जो था। मैंने फट से अपना हाथ उसके मुंह पर रख दिया। कुछ सेकंड के बाद जोरदार धक्के के साथ उसकी बूर की झिल्ली को फाड़ते हुए मेरा लण्ड उसकी बूर में पूरा के पूरा समां गया। जिससे उसकी भयानक चीख निकली पर मुंह बंद होने के कारण आवाज़ घर के बाहर नहीं जा सकी।
वह एक बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी और मुझे धक्का देने की कोशिश करने लगी। मैंने उसे जोरदार मजबूती से पकड़ रखा था जिसके कारण वह नाकाम रही। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। कुछ समय के बाद उसकी तड़प में कमी आई तो मैंने मोर्चा संभाला और शोट लगना शुरू कर दिया। अभी भी उसकी बूर बहुत टाइट थी जिस कारण मैं लण्ड को आसानी से अन्दर-बाहर नहीं कर पा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई चीज मेरे लण्ड को चारों ओर से कसे हुए थी। मैंने महसूस किया कि कोई गर्म सी चीज मेरे लण्ड को जला रही है। जब मैंने देखा तो सु्न्न रह गया।
मैंने देखा मेरे लण्ड के चारों ओर से बूर में से खून निकल रहा था। मैंने डर कर लण्ड को बाहर निकाल लिया तो शिवानी ने कहा- यह क्या कर रहे हो। प्लीज उसे अन्दर डालो और पेलो। वह बार बार कहने लगी- चोदो ! प्लीज़ चोदो, जल्दी चोदो।
मैंने अपना लण्ड फिर से संभाला और जोर से धक्का लगा कर पूरा लण्ड बूर में डाल दिया। जिससे उसकी चीख निकली पर वह दर्द को सहन कर रही थी। बस पागलों की तरह कह रही थी –फक मी, फक मी, प्लीज चोदो, और जोर से चोदो राज। काम ओन और जोर से।
मैंने भी धक्का लगाना तेज कर दिया था। उसकी आवाजें साफ साफ नहीं निकल रही थी। चूंकि हम दोनों की यह पहली चुदाई थी इसलिए हम दोनों जल्द ही झड़ गए थे। मैंने अपना सारा माल उसकी बूर में ही डाल दिया था। मैं पूरी तरह से थक गया था सो उसकी चूचियों पर सर रखकर लेट गया था। करीब ३० मिनट के बाद हम दोनों उठे पर शिवानी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैंने उसे सहारा देकर बाथरूम में ले जाकर नहलाया और ख़ुद भी नहाया।
बाथरूम में अपने बूर और मेरे लण्ड पर लगा खून देखकर शिवानी चौंक गई। फिर मैंने उसे समझाया कि यह तेरी बूर का खून है। क्योंकि तुमने पहली बार सेक्स किया है। पहली बार सेक्स करने पर खून निकलता है। अब तुम्हारी बूर का रास्ता खुल गया है। जब वह बाथरूम से आई तो बेड पर खून देखकर बोली- इतना सारा खून !
फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए। हम दोनों करीब २ घंटे तक बात करते रहे और खाना खाया। जब वह कुछ नोर्मल हुई तो अपने घर चली गई। इसके बाद २ बार और शिवानी की चोदाई कर चुका हूँ। अभी हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ रहे हैं। शिवानी की और कई सहेलियों को मैंने मेरे 8″ के मजे दिए हैं।
मैं जब भी नेट पर कहानियाँ पढ़ता हूँ तो मुझे वह दिन याद आ जाता है। वह दिन मैं कभी नहीं भूल सकता।
यह कहानी आपको कैसी लगी प्लीज लिखिए ! मुझे आपके प्यार का बेसब्री से इन्तेजार रहेगा !
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