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प्रेषक : हर्ष
हाय,
मेरा नाम हर्ष है, मैं इंदौर में रहता हूँ, गूगल पर सर्च करते करते मुझे अन्तर्वासना का पता चला ! सच्ची कहानियाँ पढ़कर बहुत अच्छा लगा। मैं भी अपना अनुभव अन्तर्वासना में भेजना चाहता था पर कैसे भेजा जाता है यह आता नहीं था। इसीलिए गुरूजी से सलाह ली।
अब मैं आपको अपनी आप बीती बताने जा रहा हूँ, बिल्कुल सच्ची कहानी है आप मानो या न मानो !
घटना आठ साल पुरानी है, जब मैं ग्वालियर में रहता था, मेरी दीदी की शादी पक्की हुई थी। तब हमारी मुलाकात उस व्यक्ति से हुई जो रिश्ते में मेरी दीदी के जेठ लगते हैं, धीरे धीरे हमारी जान पहचान उनसे बढ़ने लगी।
मेरी और मेरे जीजू की खूब पटती है। (मेरी दीदी के जेठ मेरे जीजू लगते हैं ) गर्मियों के दिन थे, मैं स्कूल से सीधा जीजू के घर गया। वे सो रहे थे तो मैं उन्हें परेशान करने लगा तो जीजू ने मुझे पकड़ कर लिटा लिया और मुझे कहने लगे- काश ! तू मेरी साली होती !
तो मैंने बात काटते हुए कहा- साली होता तो क्या करते ?
तो उन्होंने कहा- मौका मिलने दे, फिर बताऊंगा !
ऐसे ही दिन कटते गए। एक दिन की बात है, दीदी अपने गाँव गई थी। जीजू ने मुझे फ़ोन कर कहा- रात को घर पर खाना खायेंगे ! आ जाना !
रात करीब दस बजे मैं जीजू के घर गया, वे ड्यूटी से आ चुके थे। फ़िर हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद जीजू नहाने चले गये, मुझे नींद आ रही थी तो मैं बिस्तर पर लेटा था इतने में जीजू नहा कर आ चुके थे उन्होंने सिर्फ़ पायजामा पहना हुआ था, वो भी पानी में गीला था तो उनके लंड का उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मुझे अचानक कुछ होने लगा था जीजू ने फ़िर हाथ पैर में तेल लगाया और मेरे बगल में लेट गए।
वो मुझसे सेक्सी बातें कर रहे थे, मेरे लंड में अकड़न होने लगी थी। तभी जीजू ने मुझे अपनी तरफ़ खीच लिया और मेरे होठों पे अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगे। मुझे अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद मैं भी उन्हें चूमने लगा तो उनकी हिम्मत बढ़ गई। उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पैन्ट में डाल दिया। फ़िर मेरे लंड को आगे पीछे करने लगे, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था !
करीब पन्द्रह मिनट तक हम ऐसा ही करते रहे। फ़िर जीजू ने अपना पायजामा उतार दिया और मुझसे मेरे कपड़े उतारने को कहने लगे। पर मैंने कहा- मुझे शरम आ रही है।
तो उन्होंने ख़ुद मेरे कपड़े उतारे। हम दोनों पूरे नंगे बेड पर लेटे थे। जीजू ने मुझे उनका लंड चूसने को कहा तो मैंने मना कर दिया क्योंकि मैंने कभी पहले ऐसा नही किया था। जीजू ने मुझे जोर न देते हुए मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
मुझे पता नहीं क्या हो रहा था। जीजू मेरे पूरे शरीर में किस कर रहे थे। उन्होंने मेरी गांड के छेद में अपनी जीभ भी डाली। मैं सेक्स में डूबा जा रहा था। मेरे मुँह से अजीब सी आवाजें आ रही थी। अचानक जीजू उठे और कमरे की लाईट जला दी। मेरी नज़र जीजू के लंड पर पड़ी तो मेरी आँखे खुली रह गई क्योंकि उनका लंड करीब दस इंच लंबा और चार इंच मोटा था।
जीजू ने मुझे जोर दिया तो मैंने उनका लंड थोड़ा सा मुँह में लिया क्योंकि लंड मोटा होने की वजह से अन्दर नहीं जा रहा था। जीजू ने मुझे कुत्ते के पोज में किया और मेरी गांड के छेद को चाटने लगे। मैं अपने लंड को दबाने के सिवा कुछ नही कर पा रहा था।
फ़िर जीजू ने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और कहा- थोड़ा दर्द होगा, डरना मत !
इतना कहते ही उन्होंने इतना जोर का धक्का मारा कि मेरे मुँह से बहुत जोर से चीख निकल गई। जीजू में जल्दी से मेरा मुँह दबाया और मेरे होंठों को अपने होंठों से जोड़कर चूसने लगे। मेरी गांड से खून बह रहा था तो उन्होंने मेरी गाण्ड से लण्ड निकाल लिया और मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगे। धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और अचानक मेरे लंड से चिपचिपी धार निकली तो जीजू ने उसे पूरा पी लिया।
पूछने पर बताया- यही जब औरत की चूत में जाता है तो बच्चा होता है !
तो मैंने उनसे पूछा- टेस्ट कैसा है?
तो उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह दिया और कहा- धीरे धीरे आगे पीछे कर ! अच्छा लगेगा !
करीब पाँच मिनट बाद उन्होंने मेरा सर जोर से अपने लंड पे दबाया और जोर की धार मेरे मुंह में मारी, नमकीन सा टेस्ट लगा पर पूरा मुँह उनके लंड के वीर्य से भर गया। जीजू ने कहा- पी जा ! अच्छा लगेगा !
तो मैं पूरा का पूरा पी गया। फ़िर हम रात को करीब तीन बजे नंगे ही सो गए।
आगे पढ़िये कि कैसे इंदौर में मुझे लंड लेने की आदत पड़ी, कैसे आर्मी के एक आदमी ने मुझे चोदा।
मेरी अगली कहानी की प्रतीक्षा कीजिए।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करना।
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