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मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा, बाहर भाभी हैं, वो सब संभाल लेंगी। लेकिन तेरी चूत का भूत नहीं भागा तो सारे शरीर में फ़ुंसियाँ हो जाएँगी और तू रंडी भी नहीं बन पायेगी, तुझे भीख मांगनी पड़ेगी।
मैं बातें करते करते जोर जोर से उसकी चूत का दाना रगड़ रहा था। वो गरम हुए जा रही थी। सोना का मन चुदने का कर रहा था लेकिन वो डर रही थी।
मैंने उसे अपनी तरफ मोड़ा और बोला- डरो नहीं ! मैं किसी को नहीं बताउँगा कि मैंने तुम्हारी चुदाई की है ! और कल मैं तो जा ही रहा हूँ ! भाभी किसी से कुछ नहीं कहेंगी, उन्हें तो पता ही नहीं चलेगा कि मैंने लण्ड डालकर तुम्हारी चूत का भूत भगाया है।
मेरा ८ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लण्ड देखकर सोना बोली- आपका तो लण्ड बहुत अच्छा है ! थोड़ा धीरे धीरे चोदना मुझे !
मैं बोला- चिंता न करो, मैं शरीफ आदमी हूँ ! मैं तुम्हारी चूत नहीं चोद रहा ! मैं तो अपना लण्ड तुम्हारी चूत में डालकर तुम्हारे चूत के भूत की पिटाई करूंगा। तू यहाँ फर्श पर लेट ! मैं तेरी चूत के भूत की पिटाई करता हूँ। साला मेरे लण्ड से जब पिटेगा तब उसे पता चलेगा कि गाँव की सीधी-साधी भाभियों की चूत को परेशान करने का मतलब क्या होता है !
सोना की चूत के पास एक फुंसी हो रही थी जो अब सूख रही थी। मैंने उस पर उँगली रखते हुए कहा- ओह ! यह तो बहुत बड़ी हो रही है !अगर आज तुम्हारी चूत से भूत नहीं भगाया गया तो २-३ दिन बाद तो तुम बैठ भी नहीं पाती ! अब तुम प्यार से चुदवाओगी तो भूत फिर कभी नहीं तंग करेगा। चलो, जमीन पर लेट जाओ और अपनी दोनों टांगें चोड़ी करके चूत खोलो, जब मैं तुम्हरी चूत चोदूं तो तुम गांड हिला हिला कर चुदवाना ! जिससे कि तुम्हारी चूत का भूत जल्दी भाग जायेगा !
सोना जमीन पर लेट गई, उसने अपनी टाँगे चौड़ी करके ऊपर की तरफ उठा दीं। मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया। मैंने सोना की एक टांग उठाई और अपने कंधे पर रखकर लण्ड उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया। सोना के मुँह से उई आह आह की आवाजें निकलने लगी। मैंने लण्ड को एक झटका दिया, लण्ड उसकी चूत के अंदर घुस गया। सोना ने काफी लम्बे समय के बाद चूत में लण्ड खाया था इसलिए वो चुदाई के आनंद में खो गई और शर्मीली सोना चिल्ला रही थी- आह उह्ह ! चोदो ! और चोदो ! बड़ा मज़ा आया !
मैं उसके ऊपर झुक गया। उसने मुझे चिपका लिया मेरे होंठ उसके होठों को छू रहे थे। उसने अपनी टाँगे मेरे पीछे लगा ली थी सोना चिल्ला रही थी- राजा, आज २ महीने बाद चुद रही हूँ ! तुम्हारा लण्ड बहुत अच्छा है, जोर से मारो ! मेरी फाड़ो ! मेरी चूत जल्दी फाड़ो !
सोना अपनी गांड जोरों से हिला रही थी। अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा था, साथ साथ बोलता जा रहा था- आज तेरी चूत के भूत को मारकर ही छोड़ूंगा ! हरामी भूत साला मेरे लण्ड पर अधमरा सा चिपका है ! कुत्ते को तेरे मुँह में खिलाउंगा ! इस हरामी ने तेरी चूत को तंग कर रखा है !
सोना मुझसे चिपक कर चुदाई का मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने अपना ढेर सा वीर्य सोना की चूत में छोड़ दिया। सोना मुझसे कस कर चिपक गई और बोली- बहुत मज़ा आया राजा !
सोना मस्तिया गई, बोली- बहुत मज़ा आया ! ऐसा लग रहा है जैसे कि भूत मर गया !
मैंने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। लण्ड झड़ा हुआ था, उस पर वीर्य में नहाया हुआ था। मैं सोना से बोला- देख यह है मारा हुआ भूत ! साले को मुँह में पी ! इसने तुझे बहुत तंग कर रखा था !
सोना बोली- मुझे शर्म आती है !
मैंने कहा- तू यह काली पट्टी बांध ! इसको बांधने पर दूसरे भूत की आवाजें भी सुनाई देंगी, जो कमरे में घूम रहा है।
मैंने अपना काला रुमाल निकल कर उसके आँखों पर पट्टी बाँध दी। फिर बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर रमेश को अंदर बाथरूम में बुला लिया।
रमेश फुसफुसाया, बोला- इतनी देर से क्यों ?
मैं बोला- चुप रह ! और मैंने उसको आँख मार दी चुप रहने के लिए !
रमेश कपड़े उतारने लगा। मैंने सोना के मुँह के आगे अपना लण्ड रख दिया और कहा- ले चूस रानी ! पहले वाले भूत का खून पी ! इस भूत का खून बहुत मीठा होता है ! सोना ने अपना मुँह खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में डाल लिया और उसे लपालप चूसने लगी।
सोना जमीन पर बैठकर मेरा लण्ड चूस रही थी, लण्ड फिर खड़ा होने लगा था। सोना के हाव भाव से पता चल रहा था कि वो मस्ती में नहा रही है। मैंने सोना की कमर पकड़ कर उसे घोड़ी बना दिया और बोला- अभी जो दूसरा भूत हवा में घूम रहा है वो तुम्हें तंग करने की कोशिश करेगा, उसको और मारना है !
मैंने रमेश को आँख मारी और सोना जो घोड़ी बनी थी उसकी चूत चोदने को इशारों इशारों में कहा। रमेश ने उसको कमर से पकड़ लिया और अपना लण्ड उसकी चूत में एक झटके से पेल दिया। सोना ने मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया और बोली- अरे यह क्या हुआ?
मैं बोला- तुम आराम से मेरा लण्ड चूसो ! यह दूसरा वाला भूत तुम्हारी चूत में घुस गया है ! इसको मैं थोड़ी देर में ठीक करता हूँ !
रमेश उसे अब अच्छी तरह से चोद रहा था। सोना के मुँह में मैंने दुबारा लण्ड डाल दिया था। अब वो मुंह में लौड़ा चूस रही थी और चूत में रमेश का लौड़ा डलवा रही थी। रमेश बीच बीच में उसके संतरे भी मसल रहा था। इस समय सोना चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी। मैंने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया और रमेश के पास जाकर उसके कान में कुछ बातें कहीं। रमेश अब चूत में लण्ड डालकर चुपचाप खड़ा हो गया।
सोना बोली- भूत ने चोदना छोड़ दिया, लेकिन चूत में घुसा हुआ है ! राजेश भैया आप इसकी अपने लण्ड से पिटाई करो ना !
मैंने अब रमेश को हटा दिया और सोना की चूत में अपना लौड़ा दुबारा से पेल दिया। अब मैं जोर जोर से चिल्ला रहा था- क्यों सोना भाभी को तंग करता है, हरामी, साले !
उधर रमेश सोना के मुँह की तरफ खड़ा होकर उसकी चूचियां दबा रहा था। मैं बोला- साला चूत छोड़कर अब चुचियों में घुस गया? चिंता न कर तेरी आज जान लेकर ही छोड़ूंगा।
मैंने कहा- भाभी ! मुँह खोलो ! यह मेरे मन्त्र से तुम्हारे मुँह में घुसेगा ! इसे काटना नहीं ! सिर्फ जैसे मेरा लौड़ा चूस रही थीं, वैसे ही इसे चूसना ! ५ मिनट के अंदर मैं इस भूत को मार दूंगा।
रमेश ने लौड़ा अब सोना भाभी के मुँह में डाल दिया था, अब सोना की चुदाई एक बार फिर मुँह और चूत में चलनी शुरू हो गई थी।
५ मिनट तक मैं और रमेश सोना भाभी की पिलाई करते रहे। इसके बाद मैंने सोना की चूत में अपना वीर्ये छोड़ दिया। अब रमेश ने लौड़ा निकल लिया था और और सोना की चूत में डाल दिया था। ६-७ धक्के मारने के बाद रमेश का भी वीर्य भी सोना की चूत में गिर गया। सोना की चूत लबालब वीर्य से भर गई थी। रमेश बहुत खुश था, अब वो दरवाजे से बाहर चला गया।
रमेश के जाने के बाद मैंने भाभी की पट्टी खोल दी और बोला- अब आपके दोनों भूत मर गए हैं।
सोना पट्टी खुलते ही मुझसे चिपक गई और बोली- भैया जी, आज आपने जो मेरी चूत को मज़ा दिया है, मैं कभी नहीं भूल पाउंगी। आप जब भी गाँव आयें तो मेरी चूत जरूर मारना ! मेरी चूत आपका हमेशा इंतजार करेगी।
सोना मुझसे कस कर चिपक गई सोना और मेरा बदन पूरी तरह से एक दूसरे में मिला हुआ था। मैं एक अजीब सा सुख महसूस कर रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने सोना को अलग किया और बोला- चलो बाहर चलते हैं !
हम दोनों कपड़े पहनने लगे, सोना बोली- भाई साहब ! भूत लण्ड की तरह होता है, आज पता चला !
मैंने कहा- भूत किसी भी रूप में रह सकता है बस वो दिखता नहीं है, महसूस हो सकता है। इसलिए जब तुम्हारी आँखें बंद थी तो तुम मेरे मंत्रों के कारण भूत को महसूस कर रही थी कि भूत तुम्हारी चूत चोद रहा है !
मैंने उसको तुम्हारे मुँह में भी घुसाया था। सोना ने हामी में सर हिला दिया। अब मैं और सोना बाहर आ गए। बाहर रोमा भाभी मुस्करा रही थीं, उन्होंने सोना के चूतड़ों पर हाथ फेरते हुआ कहा- क्यों भाई भाई साहब ने चूत में से भूत भगा दिया न?
सोना मुस्करा दी और बोली- हाँ भाईसाहब ने बहुत अच्छा भूत भगाया। अब मेरी चूत भूत फ्री है।
सोना अपने घर चली गई। मैंने रमेश ने और रोमा ने खाना खाया। रोमा भाभी ने मुझे और रमेश को दूध पीने को दिया।
मैंने रमेश से कहा- तू जाकर अब भाभी को चोद ! हमें कल सुबह ७ बजे की बस पकड़नी है और भाभी को मस्त चोदियो ! सोना और बसंती को तूने चोद दिया ! भाभी की चूत खाली पड़ी है ! पूरी रात लण्ड डाले रखियो वरना भाभी किसी और से चुदवाने लगेंगी।
रमेश मुस्करा कर कमरे की तरफ जाने लगा, मैंने कहा- रमेश भाभी से कहना एक गिलास पानी मेरे कमरे में रख दें। रमेश अब अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद रोमा भाभी मेरे कमरे में पानी का गिलास लेकर आई। उनके ब्लाऊज़ के सारे हुक खुल थे। भाभी बोली- ३ बजे रात को तुम्हें जगा दूँगी, एक बार तुम्हारे लण्ड से अपनी गांड और मरवानी है मुझे !
और उन्होंने मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लण्ड पर हाथ फेर दिया। मैंने भी उनकी दोनों चूचियां खुले ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर मसल दीं। रात को तीन बजे उन्होंने बाथरूम की तरफ से प्रवेश कर मुझे जगा दिया और बाथरूम में जाकर मेरे से जमकर अपनी गांड सुबह ५ बजे तक मरवाई। इसके बाद हम लोग फिर अपने कमरे में चले गए।
सुबह ६ बजे मैं और रमेश खेतों में घूमने गए जहाँ बसंती और उसकी भाभी ने हमारे लण्ड मस्त होकर चूसे। चूँकि हम लोगों को ७ बजे बस पकड़नी थी, इसलिए हमने बसंती और उसकी भाभी की चूत नहीं चोदी और मैंने वादा किया कि अगली बार जब आऊँगा तो बसंती की चूत जरूर चोदूंगा।
६:३० बजे नाश्ता करके मैं और रमेश शहर की तरफ चल दिए। पूरे रास्ते में रमेश की तारीफ़ करता रहा कि उसने सोना भाभी जैसी औरत की चूत मुझे दिलाई। रमेश भी मेरे भूत भगाने की कला से काफी प्रभावित था। हम लोग ने महीने में एक बार गाँव आने का प्लान पक्का कर लिया था। मुझे उम्मीद थी कि गोँव की बची हुई भाभियाँ भी धीरे धीरे मुझसे अपनी चूत का भूत भगवाएंगी।
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