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मेरी उमर ३५ साल है और मेरी बीवी ३२ साल की है, मेरा साला २८ और उसकी बीवी २४ साल की है।
यह बात उन दिनों की है जब हम उनके मकान के पास में ही रहते थे। एक दिन मैं सुबह ९ बजे के करीब उनके यहाँ गया किसी काम से, मैंने
दरवाजे की घंटी बजाई मगर बहुत देर तक कोई भी नहीं आया। दुबारा घंटी बजाई तो मेरे साले की बीवी जिसका नाम अनीता (नाम बदल दिया है) ने दरवाजा खोला और अपना ग़ाऊन झाड़ने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी जी?
बोली- कुछ नहीं ऐसे ही !
उसका ग़ाऊन इतना पारदर्शी था कि उसमें से उसकी टांगें और उसके बीच की दरार साफ़ दिख रही थी। ऐसा लग रहा था कि वो अपनी झांटें साफ़ कर रही थी और उसके मुम्मे, वो तो साफ़ ही दिख रहे थे। मैं तो मस्त होकर उसके मुम्मे और कभी उसकी टांगें जिसमें से उसकी चूत को देखने की कोशिश कर रहा था और इधर मेरी पैंट में मेरा ८” लंबा लौड़ा फनफना रहा था, उसको काबू में करना मेरे बस की बात नहीं रही थी।
वो चाय बनाने किचन में थी और उजाले में उसकी टांगें साफ़ दिख रही थी। मैं पानी के बहाने किचन में गया और पानी लेने लगा, मगर नज़र तो उसकी गांड पर थी। वाह! क्या मस्त गांड दिख रही थी ! मन कर रहा था कि अभी अपना लौड़ा लगा दूँ उसकी गांड में!
मगर नहीं !
वो एकदम पीछे मुड़ी और बोली- क्या देख रहे हो जीजाजी?
मैं एकदम सकपका गया और वोला- कुछ नहीं !
शरमाओ मत जीजाजी ! सच सच बताओ क्या देख रहे थे ! कभी दीदी की नहीं देखी क्या?
अब क्या था, उसको मैंने अपनी बाँहों में ले लिया और बोला- मेरी जान झांटें साफ़ कर रही थी ना ! बोलो ना !
अब वो भी बेशरम होने लगी थी, बोली- क्या बताऊँ, तुम्हारे साले साहिब तो करते नहीं, मुझे ही करनी पड़ती हैं और मेरे लौड़े पर पैंट पर हाथ फिराने लगी।
अब क्या था, “जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी” वाली कहावत चरितार्थ होने लगी और आग दोनों तरफ़ लगी थी। मैंने उसको जकड़ लिया अपनी बाहों में और होंटों पर होंट लगा दिए और जबान उसके मुँह में दे दी।
वाह, क्या नज़ारा था !
मैंने धीरे से उसका ग़ाऊन उसके शरीर से हटा दिया।
वाह क्या मस्त बदन था !
देखते ही मेरा लौड़ा तो फड़कने लगा और उसने धीरे से मुझे कहा- जानू ! अपनी पैंट भी तो खोल दो ना ! देखो क्या हाल हो रहा है इसका !
मैंने कहा- जानेमन आज इसको तो तुम ही खोलोगी और देखो धीरे से खोलना नहीं तो तुमको मार ही देगा !
और उसने धीरे से मेरी पैंट खोल डाली- अह्ह्ह, क्या फनफना रहा था !
मस्त लौड़ा देखते ही लौड़े को प्यार से सहलाने लगी और बोली- आओ अंदर चलते हैं ! और मुझे बेडरूम में ले आई और फ़र्श पर बैठ कर प्यार से मेरे लौड़े से खेलने लगी।
मैंने कहा- मेरी जान ले लो इसको मुँह में !
और इतना कहते ही उसने लौड़े को मुह में ले लिया। वो प्यार से लौड़े की चुसाई कर रही थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था।
बहन की लौड़ी मजे से लौड़ा चूस रही रही है ! -मैंने कहा।
मेरी जान अपनी भी चुसवाओगी या नहीं?
बोली- मैं लौड़ा चूसती हूँ और तुम मेरी सफ़ाचट चूत चाटो ! बहुत दिन हो गए हैं चटवाए हुए ! अंदर तक चाट डालो इसको और मस्त कर दो जीजाजी आज तो !
क्या दीदी की चूत चाटते हो आप?
क्यों नहीं मेरी जान ! उसको तो चटवाए बिना चुदाई में मजा ही नहीं आता !
मैं उसकी चूत चाट रहा था और वोह मेरा लौड़ा !
थोड़ी देर में बोली- राजा ! अब डाल भी दो इसको चूत में और पेल दो चूत को और कर दो मस्त, बहुत दिनों से तुम्हारा लौड़ा लेने की इच्छा हो रही थी। कभी कभी हमें भी चोद दिया करो जीजा जी ! हमें पता है अपनी साली को चोदते ही हो !
रानी ! अब कहा है तुमने ! क्या बात है ! चुदाई के तो हम मास्टर हैं, जब कहोगी तब चुदाई कर देंगे !
और मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत के मुँह पर लगाया और लगा चुदाई करने !
वो अ ऽऽ आऽऽ ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- जोर से ! आज मजा आया है बहुत दिनों में !
और वो झड़ गई और मेरा जूस उसके मुम्मों पर निकल गया।
दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी !
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