This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मैं 35 साल का मस्त जवान हूँ और मेरा लण्ड चोदने के लिए तड़पता रहता है। बीवी को चोद-चोद कर ये अब कुछ नया चाहता है। हमारे घर में पार्ट-टाईम नौकरानियाँ काम करतीं हैं। लेकिन कोई भी सुन्दर नहीं थी। बीवी बड़ी होशियार थी। सब काली-कलूटी और भद्दी-भद्दी चुन-चुनकर रखती थी। जानती थी ना कि मेरे मियाँ को चूत का बड़ा शौक है।
आख़िर में जब कोई नहीं मिली तो एक को रखना ही पड़ा – जो कि 19-20 साल की मस्त जवान कुँवारी लड़की थी। साँवला रंग था और क्या यौवन! सुन्दर ऐसी की देख कर ही लण्ड खड़ा हो जाए। मम्मे ऐसे गोल-गोल और निकलते हुए कि ब्लाउज़ में समाते ही नहीं।
बस मैं मौके की तलाश में था क्योंकि चोदने के लिए एकदम मस्त चीज़ थी। सोच-सोच कर मैंने कई बार मुट्ठ भी मारी। बहुत ज़ोरों की तमन्ना थी कब मौक़ा मिले और कब मैं उसके बुर में अपना लंड घुसा दूँ। वह भी पैनी निगाहों से मुझे देखती रहती थी। और मैं उसके बदन को चोरी-चोरी नापता रहता था। मन-ही-मन उसे कई बार नंगा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत को कई बार सोच-सोच कर मेरा लंड गीला हो जाता था और खड़ा होकर फड़फड़ा रहा होता। हाथ मचलते रहते कब उसकी गोल-गोल चूचियों को दबाऊँ।
एक बार चाय लेते समय जब मैंने उसे छुआ तो मानों करंट सा लग गया और वो शरमाती हुई खिलखिला पड़ी और भाग गई। मैंने मन-ही-मन कहा मौका आने दे, मेरी मधु रानी ! तुझे खूब चोदूँगा। लण्ड तेरी चिकनी बुर में डाल कर भूल जाऊँगा। चूची को चूस-चूस कर प्यास बुझाऊँगा और दबा-दबा कर मज़े लूँगा, होठों को तो खा ही जाऊँगा। मधु उसका प्यारा सा नाम था।
कहते हैं उसके घर में देर है पर अन्धेर नहीं। एक दिन मेरी बीवी ने कहा- मैं मायके जा रही हूँ, मधु आएगी तो घर का काम करवा लेना।
रविवार का दिन था। बच्चे भी बीवी के साथ चले गए। और मेरे लंड महाराज तो उछल पड़े। मौका चूकने वाला नहीं था। लेकिन शुरू कैसे करें। कहीं चिल्लाने लगी तो? गुस्सा हो गई तो? दोस्तों, तुम यह जान लो कि लड़कियाँ कितनी ही शर्माएँ, लेकिन दिल में उनकी इच्छा रहती है कि कोई उन्हें छेड़े या चोदे।।
मैंने मधु को बुलाया और उसे देखते हुए कहा, “मधु, तुम कपड़े इतने कम क्यों पहनती हो?” वो बोली, “बाबूजी, इतनी पैसे कहां कि चोली ख़रीद सकूँ ! आप दिलवाएँगे?” मैंने कहा, “दिलवा तो मैं दूँगा। लेकिन पहले बता कि क्या आज तक किसी ने तुझे छेड़ा है।” उसने जवाब दिया, “नहीं साहब।”
मैंने कहा, “इसका मतलब तू एकदम कुँवारी है।” “जी साहब।” “अगर मैं कहूँ कि तू मुझे बहुत अच्छी लगती है, तो तू नाराज़ तो नहीं होगी?” “नाराज़ क्यों होऊँगी साहब। आप तो बहुत अच्छे हो।”
बस यही उसका सिग्नल था मेरे लिए। मैंने हिम्मत रख कर पूछा, “अगर मैं तुम्हे थोड़ा प्यार करूँ तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?”
अपने पैर की उँगलियों को ज़मीन पर रगड़ती हुई वह बोली, “आप तो बड़े वो हो साहब।” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा, “अच्छा, अपनी आँखें बन्द कर ले, और अभी खोलना नहीं।”
उसने आँखें बन्द कीं और हल्के से मुँह ऊपर की तरफ कर लिया। मैंने कहा – बेटा लोहा गरम हैं, मार दे हथौड़ा। आहिस्ता से पहले मैंने उसके गालों को अपने हाथों में लिया और फिर रख दिए अपने होंठ उसके होठों पर। हाय, क्या गज़ब की लड़की थी। क्या स्वाद था। दुनिया की कोई भी शराब उसका मुक़ाबला नहीं कर सकती थी। ऐसा नशा छाया कि सब्र के सारे बाँध टूट गए। मेरे होठों ने कस कर उसके होठों को चूसा और चूसते ही रहे। मेरे दोनों हाथों ने ज़ोर से उसके बदन को दबोच लिया। मेरी जीभ उसकी जीभ का स्वाद लेने लगी। इस दौरान उसने कुछ नहीं कहा। बस मज़ा लेती रही। अचानक उसने आँखों खोलीं और बोली, “साहबजी, बस, कोई देख लेगा।”
मैंने कहा, “मधु, अब तो मत रोको मुझे। सिर्फ एक बार।” “एक बार, क्या साहब?” मैंने उसके कान के पास जाकर कहा, “चुदवाएगी? एक बार बुर में लंड घुसवाएगी? देख मना मत करना। कितनी सुन्दर है तू।”
यह कहकर मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और दाहिने हाथ से उसकी बाईं चूची को दबाने लगा। मुँह से मैं उसके गालों पर, गले पर, होठों पर, और हर जगह चूमने लगा… पागलों की तरह। क्या चूची थी, मानों सख्त संतरे। दबाओ तो छिटक-छिटक जाएँ। उफ्फ, मलाई थी पूरी की पूरी।
मधु ने जवाब दिया, “साहबजी, मैंने ये सब कभी नहीं किया। मुझे शरम आ रही है।”
उखड़ी साँसों से मैंने कहा, “हाय मेरी जान मधु, बस इतना बता, अच्छा लगा या नहीं। मज़ा आ रहा है कि नहीं? मेरा तो लण्ड बेताब है जानेमन। और मत तड़पा।”
“साहबजी, जो करना है जल्दी करो, कोई आ जाएगा तो?”
बस मैंने उसके फूल जैसे बदन को उठाया और बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया। कस कर चूमते हुए मैंने उसके कपड़ों को उतारा। फिर अपने कपड़े भी जल्दी से उतारे। ७” मेरा लण्ड फड़फड़ाते हुए बाहर निकला। देखकर उसकी आँखें बन्द हो गईं। बोली, “हाय, ये क्या है? ये तो बहुत बड़ा है।”
“पकड़ ले इसे मेरी जान।” कहते हुए मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया।
उसके बदन को पहली बार नंगा देखकर तो लंड ज़ोर से उछलने लगा।
चूची ऐसी मस्त थी कि पूछो मत। चूत पर बाल इतने अच्छे लग रहे थे कि मेरे हाथ उसकी तरफ बढ़ ही गए।
क्या गरम चूत थी। उँगली आहिस्ता से अन्दर घुसाई। रस बह रहा था और उसकी बुर गीली हो गई थी।
गुलाबी-गुलाबी बुर को उँगलियों से अलग किया, और मैंने अपना लंड आहिस्ता से घुसाया।
हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे। मुँह से उसके होठों को मैं चूस रहा था।
“आह, साहबजी, आहिस्ता, लग रहा है।” “मधु, मज़ा आ रहा है?” “साहबजी, जल्दी करिए ना जो भी करना है।”
“हाँ मेरी जान, बोल क्या करूँ?” “डालिए ना। कुछ करिए ना।” “मधु, बोल क्या करूँ।” कहते हुए मैंने लंड को थोड़ा और घुसाया। “अपना ये डाल दीजिए।” “बोल ना, कहाँ डालूँ मेरी जान, क्या डालूँ।” “आप ही बोलिए ना साहबजी, आप अच्छा बोलते हैं।”
“अच्छा, ये मेरा लंड तेरी चिकनी और प्यारी बुर में घुस गया। और अब ये तुझे चोदेगा।” “चोदिए ना, साहबजी।”
उसके मुँह से सुनकर तो लंड और भी मस्त हो गया। “हाय मधु, क्या बुर है तेरी, क्या चूची है तेरी। कहाँ छुपा कर रखा था इतने दिन। पहले क्यों नहीं चुदवाया।”
“साहबजी, अपका भी लंड बहुत मज़ेदार है। बस चोद दीजिए जल्दी से।” और उसने अपनी चूतड़ों को ऊपर उठा लिया।
अब मैंने उसकी दाहिनी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। एक हाथ से दूसरी चूची को दबाते हुए, मसलते हुए, मैं उछल उछल कर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। जन्नत का मज़ा आ रहा था।
ऐसा लग रहा था बस चोदता ही रहूँ, चोदती ही रहूँ इस प्यारी-प्यारी चूत को। मेरा लंड ज़ोर-ज़ोर से उसकी गुलाबी गीली गरम-गरम बुर को चोद रहा था।
“हाय मधु, चोद रहा है ना। बोल मेरी जान, बोल।”
“हाँ साहब, चोद रहा है। बहुत मज़ा आ रहा है। साहब आप बहुत अच्छा चोदते हैं। साहब, ये मेरी बुर आपके लंड के लिए ही बनी है। है ना साहब। साहब, चूची ज़ोर से दबाइए। साहब, ओओओहह, मज़ा आ गया, ओओओ ओओहह हहह।”
अचानक, हम दोनों साथ-साथ ही झड़े। मैंने अपना सारा रस उसकी प्यारी-प्यारी बुर में घोल दिया।
हाय क्या बुर थी। क्या लड़की थी, गरम-गरम हलवा। नहीं उससे भी ज़्यादा स्वादिष्ट। मैंने पूछा, “मधु, तेरा महीना कब हुआ था री?”
शर्माते हुए बोली, “परसों ही खतम हुआ। आप बड़े वो हैं, यह भी कोई पूछता है?”
बाहों में भर कर होठों को चूमते हुए, चूचियों को दबाते हुए मैंने कहा, “मेरी जान, चुदवाते-चुदवाते सब सीख जाएगी।”
एकदम सुरक्षित था। गर्भवती होने का कोई मौक़ा नहीं था अभी।
दोस्तों, कह नहीं सकता, दूसरी बार जब उसे चोदा, तो पहली बार से ज्यादा मज़ा आया। क्योंकि लंड भी देर से झड़ा। चूत उसकी गीली थी।
चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी साली।
उसकी चूचियों को तो मसल-मसल कर और चूस-चूस कर निचोड़ ही दिया मैंने। जाने फिर कब मौक़ा मिले।
आज इसका बुर चूस ही लो।
बुर का स्वाद तो इतना मज़ेदार था कि किसी भी शराब में ऐसा नशा नहीं। चोदते समय तो मैंने उसके होठों को खा ही लिया।
“ये मज़ा ले मेरे लंड का मेरी जान। तोरी बुर में मेरा लंड – उसकी को चुदाई कहते हैं मधु। कहाँ छुपा रखा था ये चूत जानी।”कहते हुए मैं बस चोद रहा था और मज़ा लूट रहा था।
“चोद दीजिए साहबजी, चोद दीजिए। मेरी बुर को चोद दीजिए।” कह-कह कर चुदवा रही थी मेरी मधु।
दोस्तो, चुदाई तो खत्म हुई लेकिन मन नहीं भरा। उसे दबोचते हुए मैंने कहा, “मधु, मौका निकाल कर चुदवाती रहना। तेरी बुर का दीवानी है यह लंड। मालामाल कर दूँगा जानेमन।”
यह कह कर मैंने उसे 500 रूपये दिए और चूमते हुए, मसलते हुए रूख़सत किया।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000