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मेरी नोनवेज सेक्स स्टोरी में अब तक आपने पढ़ा कि दो जिगोलो के साथ मजा करते हुए मेरी चूत गीली हो चुकी थी, बीयर का नशा भी छाने लगा था और मैं अब मजे के मूड में आने लगी थी.
मैंने अब दूसरी सिगरेट पैकेट से निकाली सुलगाई और लंबा कश लेकर हसन से कहा- सुनो तुम सिर्फ चड्डी पहन कर नाचो.
हसन ने नाचते हुए ही अपने कपड़ों को एक अदा के साथ उतारना शुरू कर दिया.
अब आगे:
कुछ ही देर में हसन का सुडौल निर्वस्त्र बदन उजागर हो गया. हसन के शरीर पर मेरे कहे अनुसार सिर्फ ब्रीफ बाकी रह गई थी, जो उसने सफेद रंग की ब्रांडेड पहन रखी थी.
अब मेरी नजर हसन की ब्रीफ पर जाकर अटक गई. ब्रीफ के अन्दर ही उसका अकड़ा हुआ लंड बड़ा भयानक आकार का लग रहा था. शरीर में फोर पैक के हल्के निशान ध्यान देने पर दिख रहे थे. कंधे चढ़े हुए थे और शरीर एकदम चिकना लग रहा था.
मैंने ब्रीफ के ऊपर और पेट के नीचे देखकर झांटों की जानकारी लेनी चाही, तो लगा कि लंड और गोलियां झांट रहित एकदम साफ़ ही मिलेंगी.
माहौल आहिस्ते ही सही, पर गर्म होने लगा था. ये बात तो आप लोग जानते ही होंगे कि जो जल्दी गर्म होता है, वो जल्दी ठंडा भी होता है. जो देर से गर्म होता है, वो देर से ठंडा होता है.
मेरा ध्यान हसन पर था और पता नहीं कब रजत मेरी मालिश करते हुए मेरी जांघों तक पहुंचने लगा. अब तक मेरे मुँह से स्वतः ही सिसकारियां फूटने लगी थीं. मैं हसन की ब्रीफ को देखकर सोचने लगी कि रजत की ब्रीफ के ऊपर का नजारा कैसा होगा.
अब मैंने रजत को नाचने के लिए कह दिया और हसन को पैर दबाने के काम में लगा दिया. रजत शुरू से ही नाचते हुए कपड़े उतारने लगा. मुझे रजत की हर हरकत में अनुभव नजर आ रहा था. उसका शरीर काला जरूर था, पर बहुत ही सुडौल और चिकना था. उसके बदन में एक चमक थी, जो मुझे बड़ा ही आकर्षित कर रही थी.
रजत ने लाल रंग की ब्रांडेड ब्रीफ पहन रखी थी और उसका लंड ब्रीफ के अन्दर ही हसन से भी बड़ा लग रहा था.
मैंने फिर परमीत को देखा, तो वह संजय का लंड चूसने में व्यस्त थी. संजय और परमीत दोनों पूरे कपड़ों में थे और संजय ने पेंट की जिप खोलकर लंड बाहर निकाल रखा था. परमीत मजे से लंड चूस रही थी. परमीत ने वन पीस वाला शॉर्ट पहन रखा था, तो उसे कपड़े कमर तक चढ़ गए थे, जिससे संजय ने उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया था.
उनको सेक्स में लीन देखकर मेरे मन की ज्वाला और तेजी से भभकने लगी.
अब तक हसन के हाथों ने मेरे जिस्म को सहलाकर और भी ज्यादा गर्म कर दिया था. हसन ने मेरी गोरी टांगों को दो तीन बार चूम भी लिया, जिस पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
जब मुझे थोड़ी मस्ती चढ़ने लगी तो मैंने रजत को कहा- जा जाकर गाना बदल दो और आवाज तेज कर दो.
इस पर परमीत का ध्यान हमारी ओर आ गया. शायद दोनों ही उसी समय एक बार झड़ चुके थे.
परमीत ने चिल्ला कर कहा- वाहह कमीनी … ऐसा ऐश करना तूने कहां से सीखा? मैंने भी कहा- क्या तुझे जलन हो रही है रे कुतिया … आ जा तू भी ऐश कर ले … साली तुझे किसने रोका है.
मेरी बात पर संजय और परमीत हंसते हुए मेरे पास आ गए. मैं सिंगल सीट सोफे पर बैठी थी. वो मेरे बगल में आकर डबल सीट सोफे पर बैठ गए.
करीब आते ही संजय ने मेरी खुली टांगें देखीं, तो एक बार सहला दीं. फिर सहलाते हुए उसने जोरों की आह भरी.
अब तक मुझे तीन मर्द सहला चुके थे, ऊपर से मैं प्यासी भी थी और बीयर का नशा हो रहा था. अब मेरी आंखें खुद ही मुंद गई थीं और मैंने अपना कामरस पेंटी में ही बहा दिया.
मेरी टांगों की मालिश करने वाला एक एस्कार्ट था, इसलिए मुझे उसकी खुशी की चिंता नहीं थी. मैंने उससे पैर छोड़ने को कहा … और कुछ देर रजत के साथ नाचने का आदेश दिया.
वो बेचारा यंत्रवत व्यवहार करने लगा और अब मैं, परमीत और संजय मिलकर उनकी मुजरा स्टाइल के नृत्य पर तालियां बजाने लगे.
थोड़ी देर बाद ही संजय हमें भी डांस करने के लिए कहने लगा, पर मैंने पहले केक काटने की बात कही.
परमीत ने कहा- डांस करते हुए बीच में केक काटेंगे. जब उसने ऐसी बात रख दी, तो मैं भी राजी हो गई.
हम सबने ड्रिंक कर रखी थी, इसलिए सब बहकते हुए नाचने लगे. परमीत हसन और संजय के साथ नाचने लगी और मेरे पास रजत आ गया.
मैंने नाचते हुए हसन की ब्रीफ की ओर देखा, तो उसका आधा लंड बाहर आ गया था और उसका गुलाबी गेंद के आकार का सुपारा मुँह चिढ़ा रहा था. शायद ये उसकी जानबूझ कर की गई हरकत थी. उसके टमाटर जैसे सुपारे को देखकर ही मेरा दिल धक से रह गया.
संजय ने भी नाचते हुए अपने कपड़े उतार दिए और वो भी ब्रीफ में ही रह गया. अब तक हम लोगों का एक दूसरे को छूने सहलाने का सिससिला शुरू हो गया था. रजत और हसन को पूरी छूट नहीं मिली थी, पर संजय जो कर रहा था अपने मन का कर रहा था.
मैंने नजरें झुकाकर रजत की ब्रीफ को देखा, तो उसका भी लंड आधा बाहर आ चुका था. मतलब ये जिगोलो की माहौल बनाने की तरकीब ही होती है. अगर हसन के गोरे लंड की मोटाई तीन इंच थी, तो रजत के लंड की मोटाई चार इंच से कम ना थी. रजत के लंड का सुपारा कत्थई रंग का हो चुका था और उसका भयानक स्वरूप देखकर ही मेरी गांड फटने लगी थी.
मैं उस समय ब्रीफ के ऊपर से उनकी लंबाई तो नहीं जान पाई, पर लगता था कि रजत का लंड लंबाई में हसन के लंड से कम है. उधर संजय का लंड ब्रीफ के अन्दर खिलौने जैसा लग रहा था.
अब दो लड़की और तीन लड़कों के बीच नाइट क्लब जैसा डांस का माहौल बन गया था. रजत और हसन ने थोड़ी ढील देखकर अपनी हरकतें तेज कर दी थीं. परमीत के शरीर पर तो कम ही कपड़े थे, फिर भी संजय ने उन्हें उतरवा कर ब्रा पेंटी में ला दिया. वो मुझसे भी कपड़े निकालने को कहने लगा.
मुझे तो अब खुद ही कपड़ों से परेशानी होने लगी थी, सो मैंने कपड़े निकाल कर सोफे पर रख दिए. रेड लिंगरी स्टाइल ब्रा पेंटी में परमीत को देखकर सभी के लंड में भयानक तनाव आ गया.
परमीत का शरीर बेदाग़, गोरा और भरा पूरा था. उसके 36 डी साइज़ के हो चुके चूचे भी बेजा हिल भी रहे थे. उसकी ब्रा में झांकते हुए उसके चूचे बाहर आने को बेकाबू हो रहे थे. जांघों और पिंडलियों पर भी थिरकन साफ नजर आ रही थी.
सभी की आंखें, दोहरे नशे से लाल हो चुकी थीं. परमीत के संजय के साथ लंबे चुंबन की वजह से लिपस्टिक साफ हो चुकी थी और थोड़ी बिखर भी गई थी, जिससे परमीत वासना में उग्र लग रही थी.
परमीत के होंठों बिना लिपस्टिक के भी आकर्षक गुलाबी थे, जिन्हें वो अपने ही दांतों के बीच में दबा के लंडों को चिढ़ा रही थी. बाल सामान्य लंबे सिल्की और आजाद थे, जो हवा में तैर कर बिजलियां गिरा रहे थे.
जब मेरे कपड़े बदन से जुदा हुए, तो एक तो कयामत, ऊपर से आफत वाली बात हो गई. मेरा कसा हुआ सुडौल बदन और लचकती कमर ही तीनों के लंड के लिए फड़फड़ाने हेतु काफी था.
मेरी चूची की चोटियां परमीत से जरा कम थीं, पर कसावट और चिकनाई भरपूर थी. मेरे सुंदर मुलायम केश भी आजाद थे और मेरी लिपस्टिक भी अभी गजब ढाने के लिए होंठों पर ही चिपकी थी. प्रिंटेड नीली ब्रा और काली पेंटी में मेरा कोमल बदन उनके लौड़ों को ऐसे चिढ़ा रहा था, मानों अप्सरा स्वर्ग से उतर कर जिगोलो की गोद में गिरी हो.
वैसे मेरा अनुमान था कि उन जिगोलो ने भले ही बहुत सी चूत बजाई हो, पर हमारी जैसी कमसीन नवयौवना को चोदने का सौभाग्य शायद ही उन्हें प्राप्त हुआ हो … क्योंकि ज्यादातर उम्र दराज औरते ही जिगोलो बुलाती हैं और उन्हें देखकर ऐसा भी नहीं लगता था कि उन दोनों की कोई ऐसी हस्ती है, जिससे बिना जिगोलो जॉब के, वो हमारे जैसी खूबसूरत अपसराओं को भोग सकें.
मेरे मन में इस अहंकार ने जन्म ले लिया.
चुदाई के वक्त लज्जा की तरह अहंकार भी महिला का एक तरह से आभूषण का कार्य करता है. जब कोई पुरुष महिला के अहंकार रूपी आभूषण को उतारता है, तोड़ता है, लज्जा के गहने से मुक्त करता है … तब सही मायने में महिला निर्वस्त्र होती है. उस वक्त वो वासना की चादर तन पर लपेट लेती है और लंड के प्रहार से अपने अस्तित्व को नष्ट करके नया जीवन पाना चाहती है. उस वक्त वो यौवना, काम क्रोध लोभ माया से विरक्त होती है. संभोग का यही तो आनन्द है कि आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है.
मैंने अपने सेक्स अनुभव में ऐसी उपलब्धियां कम ही पाई थीं, इसलिए आज के मिलन को खास बनाने की चाहत, मन में स्वतः जागृत होने लगी.
हम दोनों सुंदर बालाओं को इस तरह देख कर रजत और हसन ने बिना किसी आदेश के ही अपने ब्रीफ उतार फेंके. संजय ने उनका अनुसरण किया.
हसन का लंड हमारे बदन से भी ज्यादा गोरा था, उसकी गोलियां बहुत नीचे तक झूल रही थीं और सिकुड़न जैसा कुछ नहीं था. लंड के आसपास बाल या रोएं का भी नामोनिशान नहीं था. सुपारे पर अलौकिक चमक थी और चमड़ी की परत, जो सुपारे को ढकती है, वह लंड की जड़ पर कहीं खो गई थी. क्योंकि उसे देख कर पेड़ के छिले हुए सीधे खड़े, तने का आभास हो रहा था.
हसन का लंड ऊपर की ओर सीधा उठा हुआ, लगभग आठ नौ इंच का रहा होगा. मैंने उसकी पहुंच अपने पेट तक होने का अनुमान लगाया ही था कि रजत के लहराते हुए लंड ने बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींच लिया.
हसन के लंड से बिल्कुल अलग रजत का लंड, काला और खुरदुरा सा था. मोटाई में ज्यादा … पर लंबाई में छोटा … यही कोई लगभग छह इंच के आसपास प्रतीत हो रहा था. पता नहीं क्यों बदसूरत सा झांटों वाला रजत का लंड मुझे ज्यादा आकर्षित कर रहा था.
उसके लंड का सुपारा भी तो टेनिस गेंद जैसा कत्थई रंग का और चमड़ी की परत लंड के चारों और सिकुड़ी सी चिपकी थी.
वैसे तो लंड पूरे तनाव में था, पर उसकी बनावट ही ऐसी थी और लंड नीचे की और मुँह किए जमीन खोदने वाली ड्रिल मशीन जैसा प्रतीत हो रहा था.
दोनों के हथियार देखकर मैं इतना तो समझ गई थी कि आज मेरे यौवन का अहंकार सिर्फ टूटेगा ही नहीं, बल्कि चूरचूर भी हो जाएगा.
संजय अपने लंड की साइज को लेकर थोड़ा नर्वस था. वैसे संजय का लंड भी कम ना था, पर उन लोगों के मुकाबले थोड़ा छोटा लग रहा था.
मैंने जब अपने कदम उनकी ओर बढ़ाए, तो मैंने सबसे पहले संजय के लंड का रुख किया और जाकर उसके पैरों के पास लंड चूसने बैठ गई. मैंने और परमीत ने एक बार एक दूसरे को देखा. नजर मिलते ही दोनों ने ही तीखी मुस्कान बिखेरी.
परमीत हसन के सामने लंड चूसने बैठ गई थी, जबकि रजत भी उसी के समीप खड़ा हो गया. मैंने रजत को भी एक मुस्कान दी, मानो ये कह रही हूं कि रुको, मैं भी थोड़ी देर में आती हूं.
फिर मैंने अपने काम को अंजाम देते हुए संजय का लंड मुँह में ले लिया. लंड चूसने और चुसवाने वाले वालियां दोनों ध्यान दें कि लंड को बिना हाथ में पकड़े मुँह में लेने से लंड मालिक का आनन्द दोगुना हो जाता है.
संजय मेरे मुख का स्पर्श पाकर निहाल हो गया. मैंने अपना पहला शिकार संजय को इसलिए बनाया … ताकि वो नर्वस ना हो. दूसरी बात ये कि संजय के लंड को जबसे परमीत के मुँह में देखा था, तब से मुझे भी उसे चूसने की तलब लगी थी.
संजय का लंड मेरे मुँह में पूरा नहीं समा रहा था, फिर भी मैं ज्यादा से ज्यादा लंड मुँह में लेने का प्रयास कर रही थी. अब भैंस चाहे हाथी से छोटी क्यूं ना लगे, पर बकरी से बड़ी तो होगी ही.
संजय भी मेरे मुँह को चोदने लगा. कामुकता का दौर एक बार फिर शुरू हो चुका था. तभी पीछे से किसी ने मेरे बालों को सहलाया, तो मैंने नजर घुमाई और रजत को पीछे खड़े पाया. अपना लंड परमीत से चटवाने के बाद रजत मेरे पास आ गया था.
मैं बैठी थी, रजत खड़ा था. इसीलिए उसका लंड मेरे चेहरे के पास ही आ गया.
उसने मेरे सर को पकड़कर घुमाया, तो मैंने स्वतः ही उसके सुपारे पर जीभ फिरा दी. उसके लंड का छेद भी बड़ा सा खुला हुआ था, जिस पर मैंने जीभ की नोक फिराई.
उसकी मादक आहहह विस्फुटित हो गई.
उधर लंड चुसवा कर उग्र हो चुका हसन परमीत को चोदने के लिए पोजीशन बनाने लगा. परमीत भी लेटते हुए लगभग चुदाई की पोजीशन पर आ ही गई थी, तभी संजय ने उन्हें रोक दिया.
संजय ने कहा- हसन और रजत के लंड परमीत के लिए बर्थडे गिफ्ट हैं और मैं परमीत को बिना केक काटे गिफ्ट नहीं लेने दूंगा.
बात तो उसकी सौ फीसदी सही थी, पर इस समय सबके दिमाग वासना की कैद में थे. चूंकि पार्टी तो संजय की थी, इसलिए उसकी बात को टाला भी नहीं जा सकता था.
केक तो पहले ही टेबल पर लगा हुआ था. हम सभी बस जैसे थे, वैसे ही खड़े हो गए.
संजय ने जाकर म्यूजिक में बर्थडे सांग लगा दिया, तब तक मैंने मॉमबत्तियां जला दीं. फिर संजय ने केक काटने वाला चाकू परमीत को पकड़ा दिया. परमीत ने मॉमबत्ती फूंक कर बुझाई, हम ताली बजाने लगे. इसी के साथ ही परमीत ने केक काट दिया. सभी ने परमीत को विश किया.
परमीत ने केक काटने के बाद सबसे पहले संजय को एक टुकड़ा केक खिलाना चाहा, पर संजय ने मना कर दिया.
परमीत ने इशारे से पूछा- क्या हुआ?
तो संजय ने भी इशारा किया. संजय का इशारा मैं तो समझ ना पाई, पर शायद परमीत समझ गई थी.
परमीत ने कहा- गीत, जरा मेरी ब्रा का हुक खोल … और ब्रा को निकाल दे.
मैंने उसकी बात पर तुरंत अमल किया. ब्रा के उतरते ही परमीत ने हाथों में रखे केक को अपने उन्नत आकर्षक और वासना से कठोर हो रहे स्तनों पर लगाया और उसे संजय की ओर कर दिया.
संजय के साथ ही सभी की आंखों में चमक आ गई थी. मैं कह कर हंस दी- तो माजरा ये था! परमीत भी मुस्कुरा दी.
संजय ने अपने हाथों से एक स्तन के जड़ को दबाया, जिससे केक लगा भाग और चूचुक ऊपर को उठ आया और संजय ने उसे मुँह में भर लिया.
हाय … क्या मस्त पल था. अगर हर बार ऐसा बर्थडे मनाया जाए, तो मैं तो हर माह अपना बर्थडे मनवा लूं.
संजय ने ऐसे ही परमीत के दोनों स्तनों के साथ किया. परमीत आंखें बंद किए आनन्द सागर में गोते लगाने लगी. फिर संजय ने परमीत को छोड़ा और बहुत सा केक हाथों में लेकर अपने लंड पर लगा दिया. परमीत को तो जैसे खजाना मिल गया हो, वो नीचे बैठकर लंड पर लगा केक लंड चूसते हुए खाने लगी.
ये नजारा सबको ही मदहोश कर रहा था. तभी मेरे पास रजत आ गया और मेरी ब्रा खोलने लगा. मैंने भी उसकी मदद कर दी, क्योंकि मैं खुद भी अब सारे बंधन से आजाद होना चाहती थी.
आजाद करने के साथ ही रजत ने मेरे वक्षों को पूरी गोलाई में सहलाया, मानो वह नाप ले रहा हो. पर मैंने उसे कुछ देर रुकने का आदेश दिया और अपने स्तनों पर केक लगा कर संजय के सामने कर दिए.
संजय तो कब से मेरे इन स्तनों को पाना चाहता था. वो पागलों की भांति केक खाने और स्तन मसलने लगा.
तब तक परमीत ने संजय के लंड से केक पूरा साफ कर दिया था. फिर उठकर उसने मुझे केक खिलाने के लिए केक उठाया.
मैंने कहा- हम दोनों भी तो लेस्बियन कपल हैं … इसलिए हमारे केक खाने खिलाने का तरीका भी कपल जैसा होना चाहिए. परमीत ने शरारत भरे स्वर में कहा- पर मम्मे तो जूठे हो चुके हैं. तब मैंने भी कह दिया- तो फिर चूत में ही लगा कर खिला दे.
सभी हंसने लगे और परमीत ने पेंटी उतारनी शुरू कर दी.
मैंने भी पेंटी उतार दी. नंगी चुत देख कर सभी मर्दों के लंड बेकाबू होने लगे. हम दोनों की ही चूत चिकनी थीं, पर गीली थीं.
हम दोनों ने चूत पर केक लगाया और एक दूसरे के कामरस के साथ मिक्स हो चुके केक को चूत चाटते हुए खाने लगे. गुलाबी चूत के साथ केक का स्वाद आज और भी लजीज हो गया था.
अब संजय ने कहा- तुम दोनों आपस में ही लगी रहोगी, तो हमारा क्या होगा?
उसकी आवाज से हमारी मदहोशी टूटी और हम खड़े हुए. तब तक रजत और हसन ने भी लंड पर केक लगा रखा था. मैं हसन के लंड का केक खाने लगी और परमीत रजत के लंड का.
संजय भी लंड पर केक लगा कर मेरे पास आ गया. अब मैं केक खाते हुए दो लंड को मस्ती से चूसने लगी. परमीत ने रजत का लंड चाटते हुए उसे संभाल रखा था.
ये खेल जल्द समाप्त हुआ क्योंकि आगे की हरकतों के लिए सब्र रखना किसी के लिए भी संभव नहीं था.
हम दोनों लड़कियों को लेटा दिया गया, हसन की नजर परमीत पर ज्यादा थी. वो उसे चोदने चला गया और संजय मेरी चूत बजाने के पहले उसे चाटने लगा. रजत मेरे मम्मों पर केक लगा कर खाने और निप्पल को चूसने लगा.
मैं दोहरे मजे से बावरी होने लगी.
संजय ने चूत चाटने के बाद मेरी चूत और जिस्म की भूरी-भूरी प्रशंसा की. नशे की हालत में प्रशंसा के बोल कैसे होते हैं, आप तो समझ ही सकते हैं.
संजय- क्या मस्त माल है साली … तेरी गुलाबी चूत तो कयामत है … कमीने संदीप की तो किस्मत ही खुल गई थी, जो तुम जैसी अप्सरा रंडी बनकर उससे चुद रही थी. मैं कब से तेरी चुत की ताक में था मगर तू साली आज हाथ आई है. देख आज तेरी खुली हुई चूत को और कैसे खोलता हूं.
नशे में तो मैं भी थी, मैंने भी कहा- तो खोल ना रे हरामी … तुझे रोका किसने है, बातें ही करेगा या चोदेगा भी … जब से संदीप छोड़ कर गया है, तब से लंड के लिए तड़फ रही हूँ … अब और ना तड़पा मादरचोद … आज चूत की सारी गर्मी शांत कर दे.
मेरे बड़बोले स्वर ने संजय के साथ रजत को भी उकसा दिया. रजत ने अपने खुरदुरे हाथों से मम्मों को बेरहमी से मसला और कहा- तू अभी इन खिलौनों से खेल मेरी रानी … फिर तेरी गर्मी मैं शांत करूंगा.
मैं उसके हाथ और शब्द की बेरहमी से सिहर गई. इधर संजय मेरी चूत की फांकों को फैलाकर उस पर अपने लंड को रगड़ने लगा.
मेरी नोनवेज सेक्स स्टोरी जारी रहेगी. इस कहानी पर अपनी राय इस पते पर दें. [email protected]
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