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प्रेषक : हरीश
मेरे प्यारे दोस्तों,
इस कहानी को पढ़ने वाले सभी पाठको को मेरा प्यार!!!!!!
मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ ! मेरी उमर २२ साल है ! यह कहानी तबकी हैं जब मैं १८ साल का था! जब हम किराए के मकान में रहते थे!
सर्दियों के दिन थे, मैं घर में अकेला था, जब मुझे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। मैं बहुत शरमीला था खासकर कि लड़कियों और औरतो से।
सुबह का खाना तो आंटी दे गई थी। रात को उन्होंने अपने पास बुलाया खाना खाने के लिए। रात का खाना खा कर आंटी सो गई। आन्टी भी घर में अकेली थी। अंकल रात में खेत पर गए थे। मैं अपने कमरे में था। पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।
मैं आंटी के कमरे में गया तो मैंने देखा कि आंटी लहंगा और ब्लाऊज़ में सो रही थी। उन्हें देख कर मेरे शरीर में कम्पन से होने लगी। मेरा धीरे धीरे आंटी की तरफ बढ़ने लगा। मैं अपने आप को आंटी की तरफ़ जाने से रोक नहीं पा रहा था। आंटी देखने में बिल्कुल मस्त थी। मेरा लण्ड आंटी को देखते ही खड़ा हो गया था।
मेरा एक हाथ आंटी की टांग पर गया और धीरे धीरे आंटी के चूतड़ों तक पहुच गया। मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया. इतने में ही आंटी जाग गई। जैसी ही आंटी जगी मैं वहाँ से भाग लिया और अपने कमरे में आ गया।
थोड़ी देर बाद आंटी मेरे कमरे में आई और आते ही मुझ पर चिल्लाई- तुम क्या कर रहे थे?
मैं एकदम डर गया, मेरा चेहरा लाल हो गया। मैं चुप रहा, आंटी मन ही मन खुश हो रही थी! मैंने हिम्मत करके कहा- आंटी आगे से ऐसा नहीं होगा !
आंटी बोली- क्या नहीं होगा ?
मैंने मुंह नीचे झुका लिया, आंटी बोली- अब शरमा रहा हैं ! जब शर्म नहीं आई जब कर रहा था !
मैंने आंटी से कहा- आंटी ! मैंने जान बूझ कर नहीं किया! मैं अपने आप को रोक नहीं पाया आपको लहंगा ब्लाऊज़ में देख कर !
मेरा लण्ड फिर तन गया था, आंटी ने एक नज़र से ही उसे देख लिया था! आंटी बोल अब तूने मुझे गरम कर दिया हैं तुझे मेरी प्यास बु्झानी होगी।
मैंने कहा- आंटी मुझे क्या करना हैं !
आंटी ने कहा- मेरे कपड़े उतार !
मैं डर गया, मैंने कहा- नहीं आंटी !
आंटी ने कहा- उतार ! नहीं तो तेरी ऐसी तैसी करवा दूंगी !
मैंने फिर डरते डरते ब्लाउज उतारी, और फिर लहंगा, आंटी ने अपनी चूची मेरे हाथों में थमा दी कहा- ले बेटा मज़े कर !
मैं आंटी की चुचियों से सहलाने लगा और मसलने लगा। मेरे शरीर में एक अलग सा अनुभव हो रहा था ! आंटी के मुँह से आहह उह्ह स स स स स की आवाज़ आ रही थी।
धीरे धीरे मैं आंटी के शरीर को चूमने लगा। मेरा लण्ड एकदम सख्त हो गया था, आंटी ने नीचे कुछ नहीं पहना था मेरा एक हाथ आंटी की चूत में जा रहा था, आंटी एकदम गरम हो गई थी, और गालियाँ दे रही थी- चोद साले ! चोद मुझे !
आंटी ने मेरा लण्ड हाथ में ले लिया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए अब मैं और आंटी दोनों नंगे थे।
आंटी ने मुझसे पूछा कि तूने पहले कभी चुदाई की हैं?
मैंने कहा- नही !
तब आंटी ने कहा- अपना लण्ड मेरे नीचे वाले छेद में डालो !
मैंने पूरी कोशिश की लेकिन लण्ड चूत में नहीं घुस रहा था, तब आंटी ने अपनी गांड के नीचे तकिया लगाया, मुझे खड़ा करके लुंड घुसाने को कहा। इस बार लण्ड का सु्पाड़ा चूत में घुस गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ !
उसके बाद एक झटके में ही लण्ड पूरा आंटी की चूत में घुस गया ! तीन चार झटको में ही मैं झड़ गया।
तब आंटी ने बताया कि पहली बार ऐसा ही होता हैं, तुम सच बोल रहे थे कि तुम ने पहले चुदाई नहीं की हैं।
उस रात आंटी की तीन बार चुदाई की, फिर तो जब भी मौका मिलता में आंटी को चोदता।
अब हम अपने मकान में आ गए हैं। मैं आंटी को बहुत मिस करता हूँ !
आपको मेरी कहानी कैसी लगी !
मुझे जरूर मेल करें !!!!
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