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प्रेषिका/प्रेषक ?: पुष्पा सोनी/संजय ?
प्रिय दोस्तो !
मेरी पिछली कहानी “माला की चुदाई” पर बहुत से पत्र मिले। मेरे कई पाठकों ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और मुझसे जानकारी मांगी कि मैं नर हूं या नारी?
तो दोस्तो- हकीकत यह है कि मैं नर हूं, मेरा नाम संजय है और राजस्थान के अजमेर ज़िले का रहने वाला हूं। आज मैं आपको नई कहानी बत रहा हूं जो करीब चार माह पुरानी है।
मैं शार्टकट के चक्कर से पुलिया पार करता हुआ बाईक से कालोनी में जाने वाला था मगर उससे पहले ही मुझे एक शानदार २६-२७ साल की नई शादीशुदा युवती नज़र आई जो अपने आप में बहुत ही खूबसूरत थी। उसके बूब्स तो माशा अल्लाह बहुत ही नज़ाकत लिए हुए थे। उसने मुझे आवाज़ लगाते हुए कहा कि क्या आप मुझे आगे कालोनी तक लिफ़्ट देंगे? मुझे तो मानो बिन मांगे मुराद मिल गई। मैंने बड़े सलीके से जवाब दिया- जी बैठिए ! मैं आपको आपके घर तक छोड़ दूंगा। वो मेरी बाईक पर बैठ गई।
अब मैं बाईक चलाता और हल्के से भी ब्रेक लगने से वो मुझसे जैसे ही स्पर्श करती, कसम से बहुत गहरा झटका लगता, क्योंकि हए झटके के साथ उसके बड़े बड़े बूब मेरी कमर से टकरा जाते और मेरी हालत खराब हो जाती। खैर जैसे तैसे मैं उसके घर पहुंच कर उसे घर के बाहर छोड़ कर जाने लगा तो उसने मुझे बड़े प्यार से अन्दर बुलाया तो मैं इंकार ना कर सका, चूंकि दोपहर का समय था और गर्मी का मौसम भी, शरीर से पसीना चू रहा था।
मैं अन्दर गया तो वहां मात्र एक उसकी नौकरानी थी, मुझे पानी पिलाने के बाद उसे भी घर भेज दिया। अब घर में हम दोनों ही थे। बातों बातों में मैं उससे पूरी तरह खुल गया था क्योंकि मुझे आए करीब एक घण्टा हो गया था। उसने बताया कि उसका नाम स्वीटी है और उसके पति की मार्बल की तीन चार फ़ैक्ट्रियाँ हैं जिसमें वह इतने व्यस्त रहते हैं कि सवेरे सात बजे के निकले रात दस ग्यारह बजे आते हैं और आते ही सो जाते हैं।
देर हो जाने के कारण उसने मुझे अपना सैल नम्बर देकर फ़िर आने को कहा और जैसे ही मैं जाने लगा, वह मेरे पीछे गेट पर आई और मुझे पीछे से पकर कर किस किया और मैं कुछ समझता इससे पहले ही उसका एक हाथ मेरी पैन्ट पर रेंग गया। मगर वह ज्यादा कुछ करती और मैं ज्यादा कुछ समझता, उससे पहले कालबेल चिंघाड़ उठी, और मेरा मूड बनता उससे पहले ही बिगड़ गया। खैर स्वीटी ने मुझे फ़िर आने को कहा और मैं चला आया।
दो तीन दिन बाद सुबह अचानक स्वीटी का फ़ोन आया और मुझे घर बुलाया। मैं गया तो उसी नौकरानी ने दरवाज़ा खोला और मुझे सोफ़े पर बैठा कर पानी पिलाया और चली गई। मैं स्वीटी का इन्तज़ार करने लगा। थोड़ी देर में स्वीटी आई, मुझे अन्दर अपने बेडरूम में ले गई। दरवाज़ा बंद करने के बाद स्वीटी ने मुझे कस के पकड़ लिया और ऊपर से नीचे तक चूमती रही। मुझे लगा कि आज मेरा देह शोषण होना है। मगर नहीं, उसने मुझे १५-२० मिनट चूमने के बाद अपने बेड पर बिठाया और फ़्रिज़ से बीयर निकाल कर लाई, दो ग्लास बनाए, एक उसने मुझे दिया और मेरे पास बैठ कर दूसरा खुद पीने लगी।
धीरे धीरे मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसके बूब्स को सहलाने लगा। उसका मुंह अपनी ओर करके मैंने एक लम्बा किस लिया और एक हाथ से उसका ब्लाऊज़ उतारा। ब्लाऊज़ के अन्दर उसने काली ब्रा पहन रखी थी जो मेरी एक खास पसन्द है। काली ब्रा में कैद दोनों कबूतर कब आज़ाद हो गए पता ही नहीं चला। इधर स्वीटी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड पने हाथ में ले लिया और सहलाने लगी। फ़िए बड़े प्यार से मेरे लण्ड को चूमने, चूसने लगी। उसके चूसने से मेरा लण्ड एक दम सख्त हो गया और उसके बाल पकड़ कर उसके मुंह में ही चुदाई करने लगा। थोड़ी देर में ही मेरे लण्ड ने उसके मुंह में रुक रुक कर फ़व्वारा छोड़ दिया जिसे स्वीटी ने बड़े प्यार से गटक लिया और अपनी जीभ से दीवानों की तरह मेरे पूरे लण्ड को चाटने लगी।
इधर मैंने उसके चूतड़ों में अपनी उंगलियों से चुदाई कर कर के उसको भी झाड़ दिया। अब मैंने उसको बेड पर पीठ के बल लिटाया और उसकी टांगों को चौड़ी करके रसीली चूत को चाटने लगा। हकीकत में, दोस्तो, जितना आनन्द चूत चटाई में आता है उतना आनन्द तो ओर कहीं नहीं मिल सकता। चूत चटाई के दौर में स्वीटी दो बार झड़ चुकी थी। उसने मेरे बाल कस के पकड़ लिए और उसके मुंह से लगातार आवाज़ें आ रही थी… आह्… संजू… चाटो आज जी भर कर चाटो ! मैं भी स्वर्ग का आनन्द प्राप्त कर रहा था। उसकी चूत गोरी-चिट्टी व चिकनी थी और साथ ही मामूली बालों का भी पहरा था जिससे चूत चटाई का आनन्द दुगना हो गया।
अब मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत के दरवाज़े पर रखा, सुपाड़ा अपने आप फ़िसल कर आधा अन्दर चला गया क्योंकि मेरी चूत चटाई से उसकी बुर एकदम गीली और चिकनी हो गई थी। स्वीटी डार्लिंग इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसके मुंह से अनाप शनाप आवाज़ें आ रही थी कि संजू डार्लिंग ! मैंने तुम्हें चुन कर गलत नहीं किया, वाकय में तुम्हारा लण्ड माशाअल्लाह है।
मैंने अपने लण्ड को एक धक्का दिया तो वह चिल्ला उठी- आह ! मार डालोगे क्या ! मेरी चूत का सत्यानाश कर दोगे, मुझे नहीं चुदवाना, मुझे छोड़ो, मगर अब संजू यानि आपका चोदू दोस्त कहां रुकने वाला था। मैं उसके दोनों उरोज़ों को सहलाने लगा और अपने होठों से उसके रसीले होठों को चूसने लगा जिससे वो थोड़ी शांत हुई।
मैं लण्ड को स्वीटी की चूत में धीरे धीरे पेल रहा था। अब वो भी जोश में आ गयी थी और नीचे से अपने चूतड़ हिला हिला कर मेरा साथ दे रही थी। स्वीटी बके जा रही थी- चोदू ! आज मुझे पूरी कर दो संजू, आज फ़ाड़ दो मेरी चूत को…वगैरह वगैरह्। जिस पर मेरा हौंसला और बुलन्द हुए जा रहा था और मैं अपनी चोदने की गति को बढ़ाए जा रहा था।
अब स्वीटी चिल्लाने लगी- संजू ! मैं गई ! मैं गई संजू !
और वह झड़ गई। मैं दस पन्द्रह धक्कों के बाद आह्…आह की आवाज़ करता उसकी चूत में ही झड़ गया।
हमने पहला दौर ही करीब २०-२५ मिनट में पूरा किया। फ़िर दूसरे, तीसरे, चौथे दौर में देर नहीं लगाई क्योंकि स्वीटी थी ही इतनी शानदार चीज़ ! हमारा चुदाई का दौर शाम तक चलता रहा।
स्वीटी को कभी कुतिया बना कर चोदा तो कभी सोफ़े पर तो कभी अपनी खुद की चुदाइ कराता। मैंने जाते जाते स्वीटी की गाण्ड मारने के लिए उसकी गाण्ड में उंगली की तो वह समझ गयी। उसने कहा- अभी नहीं ! अगली बार।
सच ! स्वीटी को चोदने का मज़ा किसी भी नायाब हीरे मिलने की खुशी से कम नहीं था क्योंकि जब मैं जाने लगा तो उसने मुझे ५००० रूपए दिए और मुझे लेने पड़े।
तो कैसी लगी मेरी स्वीटी संग चुदाई की कहानी
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