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प्रेषक : दीपक
६ महीने बाद निधि कि कक्षा में ही एक नई लड़की ने प्रवेश लिया, उसका नाम प्रिया था। जब मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया। वो निधि से भी ज्यादा ही खूबसूरत थी। उसकी लम्बाई करीब ५’३” और रंग एकदम दूध जैसा था। उसको देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। मैं प्रिया को चोदने की तरकीब लगाने लगा।मेरे मन की मुराद जल्दी ही पूरी हो गई। प्रिया का स्कूल में लेट ऐडमिशन था और उसके पास विज्ञान विषय था, इस कारण उसे पढ़ाई में दिक्कत आ रही थी।
एक दिन वो मेरे पास आई और बोली- सर ! मेरा स्कूल में लेट ऐडमिशन है और मुझे फ़िज़िक्स में काफ़ी दिक्कत आ रही है, क्या आप मुझे ट्यूशन पढ़ा सकते हैं?
मैंने कहा- हां ! क्यों नहीं ! तुम स्कूल खत्म होने के बाद मेरे ओफ़िस में आ कर पढ़ सकती हो।
तो वो बोली- सर, मैं कल से आपसे पढ़ूंगी, क्योंकि आज मैंने घर नहीं बताया है और लेट होने पर मम्मी पापा परेशान होंगे।
मैंने कहा- ठीक है ! कल से पढ़ाई शुरू करेंगे।
उस रात मुझे नींद नहीं आई, बार बार प्रिया का ही ख्याल आता रहा और उसको चोदने का प्लान बनाता रहा, लेकिन कोई तरकीब मेरे दिमाग में नहीं आ रही थी। मैं प्रिया को रोज़ ट्यूशन देने लगा और पढ़ाते समय कभी उसके हाथ को छूता तो कभी उसके कंधे पर हाथ रख देता। कभी कभी उसकी जांघों पर भी हाथ लगाता था।
दो महीनों तक ऐसे ही चलता रहा। उसकू चोदने की तमन्ना मन की मन में रह गई। मार्च में १२वीं की बोर्ड की परीक्षा होनी थी इसलिए फ़रवरी से ही १२वीं कक्षा को परीक्षा की तैयारी के लिए छुट्टियां दे दी गई थी। एक दो दिन के बाद प्रिया स्कूल आई और मुझसे बोली- सर , क्या आप मुझे घर पर पढ़ा सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है, तुम शाम को ६ बजे के बाद मेरे घर आ जाना क्योंकि इससे पहले मैं स्कूल में रहता हूं।
उसने कहा- ठीक है सर ! मैं ६ बजे आपके घर आ जाऊंगी।
मैंने उससे पूछा- तुमने अपने पापा से पूछ लिया है?
तो वो बोली- हां सर ! मैंने पापा को बता दिया है कि मैं सर के घर जाकर ट्यूशन पढ़ूंगी।
वो मेरे घर आकर पढ़ने लगी।
५-७ दिन तक प्रिया को चोदने की कोई तरकीब नहीं मिल पा रही थी।
रविवार को मैं घर पर ही था। उस दिन बारिश हो रही थी और फ़रवरी की ठण्ड वैसे ही थी। मैंने शराब की बोतल निकाली और टीवी देखते देखते पीने लगा।
थोड़ी देर में दरवाज़े पए दस्तक हुई तो मैंने बोतल वगैरह दूसरे कमरे में रख कर दरवाज़ा खोला, सामने प्रिया खड़ी थी।
मैंने उसे अन्दर आने को कहा तो वो अन्दर आ गई और मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया। मैंने उससे पूछा कि इतनी बारिश में कैसे आई तो वो बोली कि पापा मुझे कार से छोड़ कर गए हैं और ट्यूशन खत्म होने पर फ़ोन कर देने को कहा है ताकि वो मुझे लेने आ जाएँ।
मैंने उससे कहा- ठीक है तुम्हें जो कुछ समझना है पूछ लो।
प्रिया ने उस दिन सफ़ेद रंग की पैन्ट और काले रंग की कसी हुई टीशर्ट पहनी थी। उसके उरोज़ों की गोलाईयाँ साफ़ दिख रही थी।
उसको देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। वो अपनी किताब में से सवाल पूछने लगी। मैं थोड़ी थोड़ी देर में उसे कोई सवाल करने के लिए दे कर दूसरे कमरे में जाकर पीने लगा।
नशा होने पर मैं प्रिया को चोदने के बारे में सोचने लगा।
फ़िर मैंने अपना हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और सहलाने लगा। वो इससे कुछ बेचैन सी होने लगी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने अपना हाथ उसकी पीठ पर रख दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा तो प्रिया ने कहा- सर ! आप ये क्या कर रहे हैं? अपना हाथ हटाइये।
लेकिन मेरे ऊपर तो चुदाई का भूत सवार था, मैंने कहा- बस हाथ ही तो लगाया है और कुछ थोड़े ही किया है।
प्रिया थोड़े गुस्से में बोली- तो आपका क्या मतलब है कुछ होने के बाद बोलूं?
बात बिगड़ती देख मैंने थोड़े प्यार से कहा- प्लीज़ प्रिया ! बस थोड़ी देर !
उसके बाद प्रिया कुछ नहीं बोली।
इस कारण मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसकी पीठ से उस्कए उरोज़ों की तरफ़ बढ़ाया और धीरे धीरे उसके उरोज़ों को मसलने लगा।
इससे प्रिया को भी मज़ा आने लगा था क्योंकि वो भी सिसकियाँ भरने लगी थी।
मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिय और पैन्ट के ऊपर से ही मसलने लगा। इससे प्रिया गरम होने लगी थी, क्योंकि उसके मुँह से अजीब आवाज़ें आ रही थी, प्लीज़ सरररररर बससस अब छोड़ दीजिए… आऽऽऽआऽऽअ…उ उईऽऽऽ…प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए।
फ़िर मैंने उसकी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अपने हाथ को उसकी पैन्ट में डाल कर उसकी चूत को जोर जोर से दबाने लगा।
फ़िर एक उँगली को उसकी चूत में डाल दिया। उँगली के अन्दर जाते ही प्रिया एकदम चौंक पड़ी और गुस्सा दिखाते हुए मुझे हाथ हटाने के किए बोलने लगी। लेकिन मैं समझ गया कि यह बनावटी गुस्सा है और मन ही मन वो चुदवाना चहती है।
मैं अपनी उँगली को उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा, जिससे प्रिय को काफ़ी मज़ा आने लगा क्योंकि वो अब सिसकियाँ भरने लगी थी।
थोड़ी देर बाद मैंए उसकी टी-शर्ट खोल दी, अन्दर उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, जिसमें कैद उसकी गोलाईयाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थी।
मैंने जल्दी ही उसके उरोज़ों को ब्रा की कैद से मुक्त कर दिया।
उसके दूध जैसे उरोज़ों पर हल्के गुलाबी चूचुक बहुत आकर्षक लग रहे थे, मैं एक उरोज़ को मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा।
प्रिया कसमसाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और उसे सहलाने को कहा।
प्रिया पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लण्ड सहलाने लगी। इससे मेरा लण्ड एकदम टाईट हो गया और मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
थोड़ी देर तक उसके उरोज़ों को चूसने के बाद मैंने उसे सोफ़े पर बैठा दिया और उसकी पैन्ट खोल दी, उसने सफ़ेद रंग की पैन्टी पहन रखी थी जो कि उसकी सफ़ेद जांघों पर काफ़ी सुन्दर लग रही थी।
मैंने उसकी पैन्टी को भी उतार दिया और उसकी चूत को देखता ही रह गया, एकदम गुलाबी चूत थी, जिस पर हल्के भूरे रंग के छोटे छोटे बाल थे।
प्रिया की चूत निधि की चूत से भी काफ़ी आकर्षक थी।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और चाटने लगा। अब वो सीत्कार रही थी। मैंने अपनी जीभ उस्की चूत के अन्दर कर दी और उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा।
प्रिया बड़बड़ाने लगी- और चूसो ओअओअ और जोर से, हाँ ऐसेएएए ही चूसो बहुतऽऽऽ मज़ाऽऽ आऽऽऽ रहाऽऽ है सर ! मेरा काम होने वालाऽऽऽ है और और जोर से यससस ओ यस ई ई ईऽऽ आ ऽऽऽ।
प्रिया की चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैं अपनी जीभ से चाटने लगा।
चूत को पूरी तरह से चाट कर मैं खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतार दिए। मेरा लण्ड तन कर फ़टने जैसा हो रहा था जिसे मैंने प्रिया के मुँह में डाल दिया और उसे चूसने को बोला, लेकिन लण्ड का आकार बड़ा होने के कारण उसको मुँह में लेने में कठिनाई हो रही थी।
वो अपनी जीभ से मेरे लण्द का सुपाड़ा चाट रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लण्ड ज़बरन उसके मुँह में पेल दिया और आगे पीछे करते हुए उसके मुँह को चोदने लगा।
उसके मुँह से घुटी घुटी आवाज़ें आ रही थी और उसकी आंखों में आँसू आ गए। कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल कर, उसे ज़मीन पर लिटा कर। उसकी टांगें चौड़ी करके उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपाड़ा प्रिया की चूत को फ़ाड़ता हुआ अन्दर चला गया।
लण्ड के अन्दर जाते ही प्रिया के मुँह से चीख निकल गई और चूत से खून टपकने लगा।
वो अपने हाथ पाँव पटकने लगी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसे कस कर पकड़ा था।
वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ सर मुझे छोड़ दीजिए, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- पहली बार में ऐसा होता है, तुम चिन्ता मत करो, एक बार अन्दर जाने के बाद तुम्हें मज़ा ही मज़ा आएगा। फ़िर मैंने एक और धक्का लगा कर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड घुसा दिया।
प्रिया तड़पने लगी। मैं उसके उरोज़ों को दबाने लगा और उसके होठों को अपने होठों से रगड़ने लगा। इससे प्रिया की तकलीफ़ कुछ कम हुई।
अब मैंने जोरदार धक्के से अपना पूरा का पूरा लण्ड अन्दर कर दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर में प्रिया भी नीचे से अपनी कमर उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगी और मज़े में बोलने लगी- सी … सी… और जोररर से सरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और सर और अन्दर ऽऽ जोर से चोदो फ़ाड़ दो मेरी चूत को, आज मुझे लड़की होने का मज़ा आया है, मेरा काम होने वाला है सररर्॥ और जोर से य यस यससस मैं गईई… !
इसके साथ ही प्रिया ने अपना पानी छोड़ दिया, लेकिन मेरा काम अभी नहीं हुआ था इसलिए मैं जोर जोर से प्रिया की चूत पेलने लगा।
प्रिया रोने लगी और लण्द चूत में से निकालने के लिए बोलने लगी। लेकिन मेरे ऊपर शराब का नशा होने के कारण उसकी बातों को अनसुना कर धक्के लगाना जारी रखा। करीब १०-१२ मिनट बाद मैंने भी अपना पानी प्रिया की चूत में छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर गया।
ऐसे ही पड़े रहने के थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े पहनने लगे।
मैंने प्रिया से पूछा कि कैसा लगा तो वो बोली- सर ! इतना मज़ा तो मुझे कभी नहीं आया, सचमुच आज से मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ, अब आप जब चाहें मुझे चोद सकते हैं।
फ़िर मैंने उसके होठों पर एक जोरदार किस किया और उसे अपने पापा को फ़ोन करने के लिए कहा, क्योंकि ज्यादा देर होने पर उसके पापा को शक हो सकता था। थोड़ी देर में वो अपने पापा के साथ चली गई।
उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरे मन की इच्छा पूरी हो गई थी। उसके बाद जब भी मुझे मौका मिलता मैं और प्रिया जम कर चुदाई का खेल खेलते।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी ?
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