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प्रेषक : गौरव यादव
हाय मेरा नाम ललित है. मैं कोटा राजस्थान का निवासी हूँ. मै आपके लिए एक नयी स्टोरी लेकर आया हूँ तो चलिए ज्यादा समय न ख़राब करते हुए कहानी पर आ जाते हैं ये मेरी सच्ची कहानी है.
कुछ दिनों पहले में एक महिला से मिला उसका नाम स्वीटी था. वह हमारे ऑफिस की की नयी बॉस थी और में उस ऑफिस में छोटा सा क्लर्क था. वह काफी सुंदर नारी थी उसकी उम्र यही कोई २५-२६ साल के लगभग होगी उसका रंग दूध की तरह सफ़ेद था सही मायने में में वह एक सुंदर हुस्न की मालकिन थी.
शुरू से ही वह मेरे काम से काफी इम्प्रेस थी और सारे ऑफिस के सामने मेरी काफी तारीफ की तो मैं मन ही मन सोचने लगा की वह मुझे चाहने लगी है और घर लौटा तो मेरी माँ की तबियत बेहद ख़राब थी तो मैने ऑफिस से चार दिन की छुट्टी करने की सोच ली और मैने ऑफिस में छुट्टी की भी सूचना नहीं दी यह सोचा की स्वीटी मुझे कुछ नहीं बोलेगी और मुझ पर हमदर्दी जताएगी पर चार दिन बाद जब मैं ऑफिस पंहुचा तो मैं बस छूट जाने के कारण लेट हो गया था जब मैं ऑफिस पंहुचा तो ऑफिस का चपरासी मुझसे बोला की मैडम ने आपको उनके रूम मैं में बुलाया है
मैं टाई ठीक करता हुआ पंहुचा तो वह मुझे देख कर चिल्लाने लगी रूल्स भी कुछ चीज होती है न, तो मैंने माँ की तबियत ख़राब होने का एक्स्क्युज दिया तो वह बोली की तुम्हे एक ऍप्लिकेशन तो देनी चाहिए थी और वह मुझसे बोली कि अगली बार ऐसा नहीं होना चाहिए तो मैं सॉरी मैडम कह कर यह बोला कि मैडम अगली बार ऐसा नहीं होगा जब शाम को मैं घर जाने के लिए जब बस में बैठा और उससे बोला भी नहीं तभी मेरा ध्यान गया की वह आज अपने स्टाप पर उतरी नहीं और वह आज मेरे स्टाप पर उतरी और मुझसे आज ऑफिस में जो हुआ उसके लिए माफ़ी मांगने लगी और कहने लगी कि अगर मैं तुम्हें नहीं डांटती तो ऑफिस के सभी लोगो को मुझ पर शक हो जाता तो यह सुनकर मैंने उसे माफ़ कर दिया
फिर वो मेरे साथ चल पड़ी तभी उसने एक केले वाले से केले लिए और मेरे साथ वापस चल पड़ी तभी मैने उससे पूछा की यहाँ पर तुम्हारा भी कोई मिलने वाला रहता है क्या वो बोली हाँ एक पागल सा लेकिन बड़ा प्यारा लड़का है उसकी माँ की तबियत खराब है मैं उससे बातें कर रहा था तभी मेरा घर आ गया तो मैं बोला कि यह मुझ गरीब की कुटिया है तुम्हे आगे जाना है क्या यह गली काफी लम्बी है मैं तुम्हें उस घर तक छोड़ आता हूँ जहाँ तुम्हें जाना है वह बोली अरे बुद्धू इतना भी नहीं समझे कि मैं तुम्हारे घर ही आई हूँ तुम्हारी माँ की तबियत पूछने
मेरी माँ और बहन ने उसे बड़े सत्कार के साथ घर में बुलाया और उसे चाय और बिस्किट खिलाये फिर वो मेरी माँ से बात करते हुए बोली की मांजी आज ललित को काम से बाहर जाना पड़ेगा तो मेरी आई बोली कि ठीक है बेटी इस काम के वजह से तो मेरा घर चलता है वो साथ ही यह भी बोली की ललित की कल ऑफिस से छुट्टी रहेगी तभी में सोचने लगा कि ऐसा कौन सा काम है जिसका जिक्र मैडम ने ऑफिस में नहीं किया तभी वह मुझसे उसके साथ चलने को बोली
वह अचानक मुझे अपने घर ले गयी तुम्हे कहें काम से बाहर नहीं जाना है तुम्हे केवल आज रात मुझे खुश करना है यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और अंदर जाते ही मैं उसे चूमने लगा तो वह बोली इतनी जल्दी भी क्या है कुछ देर रुको और वो दौड़ कर दूसरे कमरे मैं चली गयी
तभी उसके कमरे में रखा मोबाइल बजा मैने फ़ोन उठाया तो एक धीरे से आवाज आयीं क्या कर रहे हो मैं बोला कुछ नहीं मैने पूछा की आप कौन है तो वह बोली कि मैं तुम्हारी मैडम स्वीटी हूँ मैं अंदर के फ़ोन से बोल रही हूँ और वह कहने लगी की अब हम कुछ देर ऐसे ही बात करेंगे मैने कहा दिया ठीक है तो वह अचानक मुझे बोली कि तुम अपने कपड़े उतारो और मैं भी उतारती हूँ मैने कपडे उतारे और बोला अब बोलो मैने कपडे उतार दिए है वह बोली कि सामने ड्रोर में एक स्प्रे पड़ा है उसे अपने लंड पर लगा लो मैने जैसे ही उसे अपने लंड पर लगाया मुझे अपने लंड पर ठंडक का अहसास हुआ और मेरा लंड लोहे कि तरह कड़क हो गया फिर वह फ़ोन पर मुझसे बोली कि अब उस अलमारी में जो तुम्हारे पीछे है उसमे एक पट्टा पड़ा उसे गले में बांध लो मैं बोला क्यूँ तो वो बोली कि सवाल मत करो मैं जैसा बोलती हूँ वैसा करो और मैने वह पट्टा अपने गले में बांध लिया वह बोली कि अब तुम मेरे पास आओ और मेरे साथ सेक्स करो
मैं जैसे ही उसके पास जाने के लिए उठा तो वह बोली कि ऐसे नहीं जैसे कि एक कुत्ता चलता है वैसे अपने हाथ और पैरों पर चला कर आओ में जैसे ही कमरे में घुसा तो मैं देख कर दंग रह गया मैडम बिलकुल निवस्त्र थी और उनके साथ चार और आदमी थे वो भी बिना कपड़ो के और सबने मेरी तरह गले में पट्टे पहन रखे थे और मैडम ने भी एक पट्टा पहन रखा था मैडम का पट्टे में हीरे लगे हुए मेने पहुचते ही देखा की मैडम चार लोगो के साथ सेक्स का मजा ले रही थी एक उन्हें लंड चूसा रहा था दूसरा उनके स्तनों से स्तनपान कर रहा था तीसरा उनकी गांड और चौथा उनकी चूत में लंड डाले हुए था मैं देखकर दंग रह गया
वो मुझे देख कर मुह से लंड निकालते हुए बोली कि आओ ललित ये मेरी कुत्ता गैंग है और मै इस गैंग की प्रधान और सेक्सी कुतिया हूँ और आज से तुम भी इस गैंग के भी सदस्य हो कल से तुम पांचो मुझे सेक्स का मजा एक साथ देना फिर वह उन चारो आदमियों से कु कु कु कु करके बाहर जाने को कहने लगी और वो भी इसका जवाब भों भों भों भों करके बाहर चले गए और फिर वह मुझसे बोली की तुम भी कल से कुत्तो की तरह बात करना और इतना कहा कर उसने मेरा लंड मुह में डाला और चूसने लगी फिर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और में उसकी चूत चाट रहा था तो वह कूं कूं कूं कूं की आवाज के साथ मेरा साथ देने लगी उसके बाद मेरे सामने कुतिया की तरह खड़ी होकर बोली की जैसे एक कुतिया को चोदता है वैसे ही तुम मुझे चोदो फिर मैने कुत्ते की तरह ही उसे रात भर में चार बार चोदा
अगले दिन से हम सब कुत्ता गैंग के सदस्य उस प्रधान कुतिया(मेरी बॉस) की रोज चुदाई करते हैं. अब मुझे इस तरह की चुदाई में बहुत मजा आता है. कुछ दिनों बाद मेरी शादी है और मैं मेरी पत्नी की भी एक कुतिया की तरह चुदाई करूँगा.
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