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आज बहुत दिन बाद मैं कोई कहानी लिखने जा रही हूँ मैं असल में बाहर चली गई थी।
आप लोगों के बहुत सारे मेल मिले थे जिनमें मेरी कहानियों को काफ़ी पसंद किया गया है जिसका मैं आप सबका खुले दिल और फ़ैली चूत के साथ शुक्रिया अदा करती हूँ लड़कियों की चूत के लिये दुआ करुंगी कि उनको भी कोई चोदने वाला जल्दी से मिल जाए।
और लड़के तो साले होते ही हरामी हैं, कहीं और नहीं मिली तो घर में ही शुरु हो गये।
मुझे लड़कों से एक शिकायत है कि वो सब ही मुझे चोदना चाहते हैं! अरे यार… मुझे चुदवाने से कोई इंकार नहीं है पर अब मैं बैठी यू पी में… और आप लोग पता नहीं कहाँ कहाँ बैठे हो, अब भला किसी का लंड इतना बड़ा तो होगा नहीं कि वहाँ बैठे बैठे मेरी चूत को चोद डाले… तो प्लीज़ मुझसे हर तरह की बात करें पर मुझे चोदने की बात न करें क्योंकि यह हो नहीं सकता।
हाँ तो अब मैं आप सबको बताती हूँ कि मैं आगरा अपनी मुमानी के घर गई थी करीब 5 साल बाद अपनी अम्मी और भाई के साथ…
वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगा, इतने साल बाद जाने के बाद वहाँ सभी लोग बहुत प्यार से मिल रहे थे। हम लोगों ने खूब मौज मस्ती की पर हफ़्ते भर बाद ही मुझमें चुदाने के कीड़े रेंगने लगे क्योंकि कहाँ तो लगभग रोज़ ही चूत में लंड खाती थी, शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब मैं न चुदवाऊँ, पर यहाँ तो चुदाई क्या साला किसी से चूची मसलवाने को तरस गई।
हालांकि मेरी मुमानी की दो लड़कियाँ मेरी हमउम्र थी पर वो बहुत सीधी सादी थी। कम से कम उनके बर्ताव से तो यही ज़ाहिर होता था कि बच्चियाँ अभी बहुत नादान हैं, बेचारी अपनी जवानी के बारे में भी शायद नहीं जानती थी जबकि वो दोनों बला की खूबसूरत हैं, जिस्म का रंग दूध जैसा गोरा, भरी भरी जांघें, लाल-लाल गाल और चूचियाँ तो कयामत थी! कसम से उनकी चूची बला की खूबसूरत थी! उनमें छोटी वाली अभी स्कर्ट टॉप ही पहना करती थी। मैं अकसर सोचती कि साली इतनी खूबसूरत हैं दोनों, फ़िर भी इतनी सीधी साधी हैं।
एक दिन की बात है मैं छत पर नहा कर बाल सुखा रही थी कि तभी कोई मेरे पीछे से मेरी गांड में लौड़ा अड़ा कर मेरी चूचियों को दबाने लगा। मेरी तो बांछें खिल गई, सोचा किसी को तो तरस आया मेरी जवानी पे! जब घूम कर देखा तो भाई जान थे।
मैंने कहा- हटिये भी भाई! भला यह भी कोई जगह है प्यार करने की? कोई देख लेगा तो शामत आ जायेगी। तब भाई ने उसी अवस्था में खड़े खड़े मेरी चूचियाँ दबाते हुए कहा- हाँ यार, यह तो है! साला यहाँ बाकी सब तो ठीक है पर लंड को बहुत तरसना पड़ता है। साला यहाँ घर ऐसा महल तो है नहीं कि जब जी चाहा बिस्तर पर पटक कर चोद लिया! यार तुम न हुई तो अम्मी की पुरानी भोसड़ी में ही लंड डाल लिया, नहीं तो तुम्हें ही चोद लिया पर साला यहाँ तो बड़ी दिक्कत है, अब हफ़्ता भर हो गया, साला लंड को कोई चूत नसीब नहीं हुई।
उनके चूची दबाने से मैं अब तक गर्म हो चुकी थी, तब मैंने कहा- भाई, अब आप मेरी चूची न दबायें क्योंकि इस तरह तो आग और भड़क रही है, जब चोद नहीं पायेंगे तब गुसल खाने में जाकर मुझे भी उंगली करनी पड़ेगी और आपको भी मुठ मारना पड़ेगा। तब भाई ने कहा- यार, अब इतने दिन बाद मौका मिला है तो बिना चोदे तो नहीं छोडूंगा, चाहे जो हो जाए! और यह कह कर मेरा तौलिया खोलने लगे.
मगर मैंने कहा- हाय भाई, ऐसा न कीजिये, कहीं यहाँ किसी ने देख लिया तो बड़ी बदनामी हो जायेगी! चुदवाने का मन तो मेरा भी है पर क्या करें, मज़बूरी है! तब भाई ने कहा- अच्छा तुम नहीं मान रही तो मेरा लंड बस मुंह से चूस कर ही हल्का कर दो, मैं सब्र कर लूंगा। मैंने कहा- भाई, आप मान नहीं रहे, कहीं कोई उलटी सीधी बात हो गई तो क्या होगा?
मगर भाई न माने और मुझे एक तरफ़ दीवार की आड़ में ले गये और अपनी पैंट की जिप खोल कर मुझे घुटनो के बल फ़र्श पर बैठा दिया और मेरे हाथ में लंड पकड़ा कर बोले- प्यारी बहना चूस कर खलास कर दो लंड को!तब मैंने कहा- भाई, अभी तो खड़ा भी नहीं हुआ, बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और वक्त भी लगेगा। आप मान नहीं रहे। तब वो मेरी चूची को तौलिये के ऊपर से दबाते हुए बोले- साली नाटक न कर बहन की लौड़ी! एक तो चोदने को नहीं मिल रहा, ऊपर से तू बातें चोद रही है! चल जल्दी से चूस कर खड़ा कर लंड को!
तब मुझे भी गुस्सा आ गया, मैंने कहा- बड़ी बहादुरी दिखा रहे हो? लो अब मैं भी बहादुरी दिखाती हूँ।
ये कह कर मैंने अपनी टोवल उतार कर फ़ेंक दी और झट से भाई का लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी.
भाई ने जब देखा कि मैंने टोवल उतार कर फ़ेंक दी तो उसकी भी गांड फ़टी- आरज़ू, तुमने ये क्या किया? कहीं किसी ने देख लिया तो क्या होगा? तब मैंने कहा- अभी मैं कह रही थी तो मेरी गांड में घुस गये अब काहे गांड फ़टी जा रही है. चोदो जो होगा देखा जायेगा, ज्यादा से ज्यादा मुमानी की लड़कियाँ या मुमानी ही तो आयेंगी ऊपर सम्भाल लूंगी मैं… उनको तब भाई ने कहा- अगर मामु जान आ गये तो क्या होगा? तब मैंने कहा- यार लड़कियों और अम्मा को तुम सम्भालना और अगर मामु जान आये तो वो मेरी चूत और नंगी चूचियाँ देख कर ही धरशायी हो जायेंगे!
उसके बाद मैंने भाई से कहा- भाई, आप जल्दी से मेरी चूत को चाट कर गर्म कर दो और आपका लंड मैं चूस कर तैयार करती हूं. तब भाई जल्दी से मेरी चूत की तरफ़ मुंह करके लेट गये और अपने लंड को मेरे मुंह के पास ले आये और तब मैं जल्दी से उनका लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी. भाई भी चटाक चटाक मेरी बुर को चटखारे के साथ चूस रहे थे.
भाई का लंड जल्दी ही खड़ा हो कर तन गया मगर मैं अभी पूरी तरह से गर्म नहीं हुई थी. तब भाई ने कहा- आरज़ू, तुम जल्दी से चौपाया बन जाओ, मैं पीछे से डालता हूं आज तुम्हारी चूत में!
मैंने कहा- भाई, अभी मैं पूरी तरह गर्म नहीं हूं, आप ऐसा कीजिये कि अपनी टांगें फ़ैला लीजिये, मैं आज झूला आसन से चुदाऊँगी! भाई अपनी टांगें सीधी फ़ैला कर बैठ गये और मैं अपनी चूत फ़ैला कर उनकी टांगों के बीच खड़ी हो गई और पहले भाई से कहा- भाई, एक किस मेरी बुर पर कीजिये, फ़िर सम्भाल कर बैठ जाइये मैं अचानक अपनी चूत आपके लंड पर गिराऊँगी.
भाई ने मेरी चूत पर किस तो करा मगर फ़िर बोले- रानी, अगर सेंटर आउट हो गया तो मेरी भी गांड फ़टेगी और तुम्हारी भी इसलिये भलाई इसी में है कि चुपचाप मेरे लौड़े पर अपनी चूत रख कर बैठ जाओ! मगर मुझे तो ज़िद चढ़ गई, मैंने कहा- जैसा कहती हूं करो! तब भाई सम्भल कर बैठ गये और मैं धड़ से उनके लंड पर बैठने को हुई कि उनका लंड पीछे चला गया और मेरी गांड के नीचे दब गया. भाई के मुंह से एक दर्द भरी चीख निकल गई- आआअह मार डाला कुतिया… सालीईई मैं पहले ही कह रहा था तू नहीं कर पायेगी मगर तू तो आज मेरी गांड फ़ाड़ने पर अमादा है. हट जा, ज़रा सहलाने दे लंड को, बहुत ज़ोर से दबा है! एक तो तेरे चूतड़ इतने भारी हैं, ऊपर से 9 मन का बोझ!
मुझे भाई की हालत देख कर हंसी आ गई और मैंने कहा- एक बार निशाना चूक गया तो गांड फ़ट गई? अरे मेरी चूत की तुम और अब्बु मिलकर कितनी बार कुटाई कर चुके हो? तब भाई थोड़ा नोर्मल हो गये और मैं फ़िर से खड़ी हो गई, मुझे खड़ा होते देख कर भाई की गांड फ़ट गई, बोले- क्या इरादा है अब तेरा? मैंने कहा- भाई वन्स मोर! कोशिश करो प्लीज!
तब भाई ने कहा- बहुत बड़ी निशानची बन रही है? याद रख, तुझे चांस तो दे रहा हूं, अगर इस बार निशाना चूका तो किसी कुत्ते से तेरी गांड मरवाऊँगा!
हम दोनों अपनी वासना में इतने गुम हो गये थे कि भूल ही गये थे कि यह घर मुमानी का है और हम लोग छत पे हैं, मुझे ज़रा आहट हुई तो देखा कि खाला की छोटी लड़की अफ़रोज़ दरवाज़े की आड़ लेकर खड़ी है और पता नहीं कब से हम दोनों की बातें सुन रही थी और नज़ारा देख कर मजा ले रही थी.
मैं उसे देख कर थोड़ा सकपका गई और सम्भलते हुए भाई की गोद में बैठ कर उसके कान में धीरे से कहा- भाई, अफ़रोज़ पता नहीं कितनी देर से हम लोगों को देख रही है और हमारी बातें भी सुन ली हैं उसने! तब तो भाई भी घबरा गया लेकिन भाई ने धीरे से कहा- अब तो देख ही लिया है, मेरे ख्याल से ये ज्यादा कुछ नहीं करेगी, बस हम लोगों की चुदाई देखेगी, इसमें हमारा ही फ़ायदा है!
मैंने कहा- भाई, अगर मुमानी से कह दिया इसने… तब क्या होगा? मामु और मुमानी क्या सोचेंगी कि हम लोग आपस में चोदा चोदी करते हैं? तब भाई ने कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा, अब हमें इसकी प्यास भड़कानी है, इसको इस बात का एहसास करा देना है कि चुदाई में बहुत मजा आता है. जवान तो ये भी है साली कितनी देर तक बरदाश्त करेगी चूत की प्यास को! और फ़िर जब मेरा औज़ार तुम्हारी चूत में घुसते हुए देखेगी, तब साली खुद ही उंगली करेगी अपनी बुर में और कसम से मैं तो पहले दिन से इन दोनों बहनों को चोदने के चक्कर में हूं मगर हाथ ही नहीं धरने देती हैं साली दोनों बहनें… पर आज यकीनन इसकी चूत में चुदाई का कीड़ा रेंगने लगेगा. बस तुम इस तरह से दिखाना कि तुमको बहुत मजा आ रहा है, फ़िर देखो कैसे लाइन पर आती है.
और उसके बाद भाई ने मुझे कैसे चोदा और फ़िर वहीं छत पर अफ़रोज़ को भी ऊपरी मजा यानि खाली चूची मसलने का मजा दिया उसके बाद उसकी चुदाई भी की पर उसके बारे में अगली कहानी में बताऊँगी.
कहानी का अगला भाग: भाई और बहन की आपस में चुदाई-2
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