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अन्तरवासना के सभी रीडर्स को प्यार भरा प्रणाम। मैं दिल्ली से स्पर्श हूँ। मेरा लंड सात इंच लम्बा और तीन मोटा है। मैं आज मेरे एक और सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ। मेरी पिछली कहानी अन्तरवासना पे पब्लिश करके एक हफ़्ता हो गया था और मुझे कहानी के बारे में मेल्स आ रहे थे।
एक दिन मेल्स चेक करते समय मैंने देखा किसी प्रिया (नाम बदला) नाम की लड़की का मेल आया है। मैंने वो मेल खोला और पढ़ने लगा। वो दिल्ली में रहती थी। उसने लिखा था- मैंने आपकी स्टोरी पढ़ी और मुझे बहुत अच्छी लगी बस ऐसे ही आप स्टोरी लिखते रहो और मेरे ईमेल आईडी पे भेजा करो प्लीज। मुझे ऐसी कहानियाँ बहुत पसंद है। आप मुझसे कल मैसेंजर पर चार पांच बजे के बीच मिलो। अगले दिन जब मैं सवा चार बजे पर अपनी आईडी ओन किया तो वो ओनलाइन थी।
चैट का मैंने जवाब दिया मैंने उससे पूछा- आप दिल्ली में कहाँ की रहने वाली है और आप की एज क्या है? तो उसका जवाब आया- मैं जी के पार्ट-2 में रहती हूं और मेरी एज 22 साल है. फ़िर मैंने उससे पूछा- कभी किसी के साथ सेक्स किया है? तो उसने जवाब दिया- नहीं! मैंने पूछा- क्यों? कभी मन नहीं करता सेक्स करने के लिये? तो उसने कहा- मन तो बहुत करता है पर मुझे डर लगता है, कहीं सेक्स करने के बाद घर पर पता न चल जाए! फिर मैंने उसे बताया- इस मामले में मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, अगर तुम मन जाओ तो! वो बोली- कैसे?
तो मैंने बताया- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को तैयार हूँ और मैं किसी को कुछ भी नहीं बोलूंगा, ये मेरा वादा है. उसने कहा- लेकिन ये कैसे सम्भव होगा, तुम मुझे किधर मिलोगे और हम लोगों को ऐसी जगह किधर मिलेगी जहाँ हम दोनों के सिवा तीसरा कोई न हो? मैंने लिखा- हम लोग रिज़ोर्ट जायेंगे वहाँ एक रूम लेंगे और पूरा दिन मजा मारेंगे. उसने लिखा- नहीं, मुझे डर लगता है, कहीं उल्टा सीधा हो गया तो? मैंने लिखा- ऐसे कुछ नहीं होगा, मैं कन्डोम चढ़ा लूंगा अपने लंड पे, तो फ़िर कुछ नहीं होगा। तुम मुझे फ़्राइडे को सी पी रीगल पर मिलो सुबह नौ बजे! उसने कहा- ठीक है!
और वो फ़्राइडे को मुझसे चुदवाने के लिये तैयार हो गयी। मैंने अभी तक उसको देखा भी नहीं था, न ही उसकी आवाज सुनी थी। मैं फ़ुल एक्साइटेड था कि मुझे फ़्राइडे एक सील पैक चूत मिलने वाली थी सील तोड़ने के लिये। और वो दिन आ गया मैं पौने नौ बजे ही वहाँ चला गया और मेडिकल की दुकान से दो कोहिनूर कन्डोम लिये और उसका इन्तजार करने लगा.
उसने कहा था- मैं पिंक कलर का सलवार कमीज़ पहन के आऊँगी. और मैंने कहा था- मैं ब्लैक टी शर्ट और ब्ल्यु जीन्स और जैकट पहनूँगा। इससे हम एक दूसरे को पहचान सकते थे।
करीब बीस मिनट बाद एक लड़की मेरे सामने आयी और पूछा- स्पर्श? मैंने कहा- हाँ, तुम प्रिया हो? उसने हाँ कहते हुए अपनी गर्दन नीचे की। वो एकदम खूबसूरत थी, हाइट लगभग पांच फीट चार इंच, फ़ीगर 36-30-36, दिखने में एकदम सेक्सी थी। उसने पिंक कलर का सलवार कमीज़ पहना था, कमीज़ के ऊपर से उसके वो दो बॉल साफ दिखाई दे रहे थे, वो पूरे माल्टा के शेप में थे। उसकी चूचियां देख कर ही मेरा लंड खड़ा हुआ।
मैं उसको लेकर पहाड़ गंज के एक होटल में गया और वहाँ एक रूम लेकर हम उस रूम में चले गये। रूम में जाते ही देखा कि वहाँ एक बेड था और टोइलेट बाथरूम भी था। मैंने दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी. वो बेड पर बैठी थी. मैं बाथरूम जाकर फ़्रेश हो कर आया और उसे फ़्रेश होने को कहा. वो उठ कर बाथरूम चली गयी। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम से बाहर आई.
वैसे ही मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसको धीरे धीरे किस करने लगा। वो शरमा कर अपने आप को छुड़ाने लगी, मैं बोला- क्या हुआ? वो बोली- मुझे शर्म आती है। मैं बोला- हम लोग यहाँ मजे करने आये हैं और अगर तुम ऐसे शर्माओगी तो न तुम मजा ले पाओगी और न ही मुझे मज़ा आयेगा। सो प्लीज़ डोंट अपोज़ मी। जस्ट लव मी!
और मैं उसकी गर्दन पे, होंठों पे किस करने लगा। बीच बीच में मैं उसके कान को भी चूमता। इस सब से वो भी उत्तेजित हो गयी और मुझे रिस्पोंस देने लगी मैं अपना एक हाथ आगे की ओर लाते हुए उसके चूचे पे रख दिया और मेरी उंगलियां उसकी चूची के ऊपर से धीरे धीरे गोल गोल घुमाने लगा। वो एकदम सिहर गयी और मुझे कहने लगी- प्लीज़ ऐसा करो, उसे जोर से दबाते रहो।
मैं कुछ देर बाद उसे फिर धीरे धीरे दबाने लगा। वाह! क्या माल्टा थी। एकदम टाइट। फिर मैंने अपना दूसरा हाथ भी आगे लाते हुए उसकी दूसरी चूची पे रख दिया और धीरे धीरे उसकी दोनों चूचियां दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पे रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पे गया, वो वहाँ से मेरा हाथ निकालने की कोशिश करने लगी।
मैंने उसे कहा- पलीज़! तो वो मान गयी और दोनो हाथों से उसने मुझे जकड़ लिया। मैं सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी सलवार के अंदर हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा।
वो मुँह से आवाज़ निकालती रही- आअहह ऊऊफ़्फ़ फ़्फ़्फ़… ज़ोर ससेईई। फिर मैंने वही हाथ ऊपर ले जाके उसके कमीज़ के नीचे से उसकी चूचियां दबाने लगा। उसने अन्दर ब्रा पहनी थी, मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियां एक एक करके दबाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे हाथ से उसके कमीज़ की चैन खोल दी और उसकी कमीज़ ऊपर करके निकाल दी। अब वो मेरे सामने सफ़ेद ब्रा में खड़ी थी वो कमाल की सुन्दर लग रही थी। मैं ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा और फिर दोनों हाथ पीछे ले जाकर उसके ब्रा का हुक खोल दिये और उसकी ब्रा उसके हाथों से अलग कर दी।
वाह! क्या दूध थे उसके… पूरे गोल शेप में! न ही छोटे और न ही बड़े, बिल्कुल मीडियम साइज़ के थे उसके बूब्स! बूब्स के ऊपर पिंक कलर के दो दाने थे। क्या खूबसूरत नज़ारा था… मैंने मेरी ज़िंदगी में पहली बार इतने अच्छे बूब्स देखे थे, ऐसे बूब्स तो शायद ही किसी के होंगे। मैं तो पागल हो गया था.
मैं उसके दोनों माल्टा हाथ में लेकर दबाने लगा। क्या कसाव था उनमें। वाह! मैं तो बस उसे दबाते ही रह गया। ऐसे लग रहा था इन्हें छोड़ कर कहीं न जाऊँ।
कुछ मिनट के बाद मैंने एक हाथ नीचे ले जाकर फिर से उसकी चूत सहलाने लगा और फिर धीरे से उसके सलवार का नाड़ा खींचा वैसे ही उसकी सलवार नीचे गिर गयी।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी का अगला भाग : दिल्ली की वरजिन गर्ल की चुदाई-2
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