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हाय, मेरा नाम रणजीत है। मैं कोलेज में लास्ट ईयर में पड़ता था। मेरी उम्र 24 है। मैं बीच की छुट्टियों में मेरे गांव गया। गांव में हमारा बड़ा घर है। वहाँ मेरी मां और पापा रहते हैं। मेरे पापा एक बिल्डर है। मेरी मां हाउसवाइफ़, हम बहुत अमीर घराने से हैं हमारे घर में नौकर-चाकर बहुत हैं।
मैं अपने गांव गया। दोपहर में मेरे घर पहुंचा। खाना हुआ और थोड़ी देर सोया, शाम को मां के साथ थोड़ी बातें की और गांव घूमने चला गया। रात करीब मैं 8 बजे घर आया। मा का मूड ठीक नहीं था, मैंने मां को पूछा- मां, पापा कहाँ है? मां ने कुछ जवाब नहीं दिया।
मेरी मां बहुत गुस्से वाली हैं, वो जब गुस्सा में होती है तब वो गंदी गालियाँ भी देती है, लेकिन वो नौकरों के साथ ऐसा नहीं करती, गालियाँ नहीं देती। मां ने कहा- चल, तू खाना खा ले… आज अपना बेटा आया, फ़िर भी ये घर नहीं आये। तू खा… हम बाद में फ़ार्म हाउस पर जायेंगे। वहाँ पर तेरे पापा का काम चल रहा है।
मैंने खाना खाया और हम निकले। पापा ने मेरी मां को स्कूटर दी थी, हमारा फ़ार्म हाउस हमारे घर से एक घंटे पर ही था। मां ने स्कूटर निकाला, मैं मां के पीछे बैठ गया। हाँ… मेरे मां का नाम रीमा है उसकी उम्र 45 है लेकिन वो सुंदर है, वो टिपीकल हाउस वाइफ़ है, सेहत से परफ़ेक्ट, थोड़ी मोटी।
आओ वहाँ चलें, मां ने पंजाबी ड्रेस पहना था। मैं मां के पीछे था, हम चल दिये, मैंने मेरे हाथ स्कूटर के पीछे टायर पर पकड़े थे। मां बीच-बीच में कुछ बोल रही थी लेकिन कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, शायद वो बहुत गुस्से में थी।
एक घंटे में हम फ़ार्म हाउस पर पहुंच गये, फ़ार्म हाउस के गेट पर वाचमैन था उसने मां को सलाम ठोका और कहा- साहब यहाँ नहीं हैं, वो शहर में गये हैं. वो हमें गेट में आने नहीं दे रहा था।
मां ने ‘ठीक है’ बोला और स्कूटर स्टार्ट की। हम थोड़े ही आगे गये और मां ने स्कूटर रोक दिया, उसे कुछ शक हुआ, उसने मुझे कहा- तू यहाँ रुक, मैं आती हूं!
माँ बंगले की तरफ चलने लगी और वाचमैन का ध्यान नहीं… ये देख कर अंदर चली गई और बंगले की खिड़कियों से ताक-झांक करने लगी। मैंने देखा कि मां क्यों नहीं आ रही है और मैं भी वहाँ चला गया।
मैंने देखा मां बहुत देर वहाँ खड़ी थी और खिड़की से अंदर देख रही थी। वो करीब 10-15 मिनट यहाँ खड़ी थी।
मैं थोड़ा आगे गया और मां आई और कहा- साले, तुझे वहाँ रुकने को बोला तो आगे क्यो आया? चल बैठ हमें घर जाना है! मां को इतना गुस्से में नहीं देखा था।
मैं बैठा, रास्ते में बारिश चालू हुई, मेरे हाथ पीछे टायर पर थे गांव में रास्ते में लाइट नहीं थी, तभी मां की गांड मेरे लंड को लगने लगी. मैं थोड़ा पीछे आया लेकिन मां भी थोड़ा पीछे आई और कहा- ऐ, ऐसा क्यों बैठा है, ठीक से मुझे पकड़ कर बैठ! मैंने मेरे दोनों हाथ मां के कंधे पर रखे लेकिन खराब रास्ते की वजह से ठीक से बैठ नहीं रहे थे। मां ने कहा- अरे, पकड़ मेरी कमर को, और आराम से बैठ… मैंने मां की कमर पर पकड़ा, लेकिन धीरे धीरे मेरा हाथ मेरे मां के बूब्स पर लगने लगे, वो उसके बूब्स… क्या नर्म-नर्म मखमल की तरह लग रहे थे और मेरा लंड भी 90 डिग्री तक गया… वो मेरी मां के गांड को चिपकने लगा। मां भी थोड़ी पीछे आयी। ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड मां के गांड में घुस रहा है।
हमारा घर नजदीक आया, हम उतर गये। करीब रात 11.45 को हम घर आये। मां ने कहा- तू ऊपर जा, मैं आती हूं।
मां ऊपर आयी, वो अभी भी गुस्से में लग रही थी। मालूम नहीं, क्यों वो बीच बीच में कुछ गालियाँ भी दे रही थी लेकिन वो सुनाई नहीं दे रहा था। मां के कहा- आ, मैं तेरा बिस्तर लगा दूं।
उसने उसकी चुन्नी निकाली और वो मेरे लिये बिस्तर लगाने लगी, मैं सामने खड़ा था वो मेरे सामने झुकी… और मैं वहीं ढेर हो गया उसके बूब्स इतने दिख रहे थे कि मेरी आंखें बाहर आने लगी, उसके वो बूब देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था.
उसने काला ब्रा पहना था उसका सेंटर हुक भी आसानी से दिख रहा था, तभी मां ने अचानक देखा और बोला- तू यहाँ सो जा! लेकिन मेरा ध्यान नहीं था, वो मेरे सामने झुकी और मेरा ध्यान उसके बूब्स पर था, ये बात समझ गयी… और वो ज़ोर से चिल्लाई- रणजीत, मैंने क्या कहा सुनाई नहीं दिया क्या? तेरा ध्यान किधर है… साले मेरे बाल देख रहा है? यह सुन कर मैं डर गया लेकिन मैं समझ गया कि मां को लड़कों की भाषा मालूम है।
उसने बिस्तर लगाया और कहा- मैं आती हूं अभी! वो नीचे गई, मैंने देखा उसने हमारे बंगले के वाचमैन को कुछ कहा और ऊपर मेरे रूम में आ गई।
हम दोनों अभी भी बारिश के वजह से गीले थे। मां मेरे रूम मैं आई, दरवाजे की कड़ी लगाई और उसने अपनी पंजाबी ड्रेस की सलवार निकाल कर बेड पर रख दी, मैं मेरा शर्ट निकाल ही रहा था इतने में मां मेरे सामने खड़ी हो गई।
मां ने मेरी शर्ट की कोलर पकड़ी और मुझे घसीट कर मुझे बाथरूम में ले गयी। मेरे कमरे में एक ही प्राइवेट बाथरूम था। मां फ़िर बाहर गयी और मेरे कमरे की लाइट बंद करके मेरे सामने आ के खड़ी हो गयी। उसने मेरी तरफ देखा, कपड़ा लिया और मेरे बाथरूम के खिड़की के शीशे पर लगा दिया ताकि बाथरूम में लाइट थी और बाहर से कोई अंदर ना देखे इस लिये शायद।
फ़िर से उसने मेरी तरफ देखा… वो अभी भी गुस्से में लग रही थी, तुरंत ही उसने मेरे गालों पर एक जोर का तमाचा मरा, मैं मां के ही तरफ गाल पर हाथ रख कर देख रहा था लेकिन तुरंत ही उसने मेरे गालों को चूमा और अचानक उसने उसके होंठ मेरे होंठों पर लगा कर मुझे चूमना चालू किया.
मैं थोड़ा हैरान था लेकिन मैंने भी मां के वो बड़े-बड़े बूब्स ढके थे और मां के बारे में सेक्स का सोचने लगा था। चूमते चूमते उसने फ़िर से मेरी तरफ देखा, वो रुक गई और पूरी ताकत लगा के उसने अपना ही ड्रेस फ़ाड़ डाला और मेरा भी शर्ट खोल दिया जब उसने ड्रेस फ़ाड़ा।
ऊऊ मय… मय… मय… मय… मैं सोच भी नहीं सकता था कि मां के बूब्स इतने बड़े होंगे वो तो उसके ब्रा से भी बाहर आने की तैयारी में थे फ़िर वो मुझे चूमने, चाटने लगी।
उसने मुझे चड्डी उतारने को कहाँ- साले, अपनी चड्डी तो उतार!
मैंने अपनी चड्डी उतारी और मैं अपनी मां पे चढ़ गया, मैं भी उसके बूब्स को चाटने लगा, चूमने लगा और जोर से दबाने लगा. मैंने भी मां का ब्रा फ़ाड़ डाली… मैं भी एकदम पागलों की तरह मां के बूब्स दबाने लगा। मैं उन्हे दबाने लगा, मां की मुंह से आवाजें निकलने लगी- आआऊऊओ ईइम्मम्म ऊऊओ… सलीए आआअ… ऊऊआयी ईईइ’
इतने में उसने मुझे धक्का दिया और एक कोने में छोटी बोतल पड़ी थी उसमें उसने साबुन का पानी बनाया, और शोवर चालु किया और कहा- मैं जैसा बोलती हूं वैसा कर! वो पूरी तरह जमीन पर झुकी और दोनों हाथों से अपनी गांड को फ़ैलाया और कहा- वो पानी मेरी गांड में डाल! मैंने वैसा किया, साबुन का पानी मां के गांड में डाला।
मां उठी और मेरे लंड को पकड़ा और साबुन लगाया दीवार की तरफ मुंह कर के खड़ी हुई और कहा- साले, भड़वे चल तेरा लंड अब मेरी गांड में घुसा! जैसा के मैंने कहा था कि मेरी माँ कभी-कभी गालियाँ भी देती है। मैंने मेरा लंड मां के गांड पर रखा और ज़ोर का झटका दिया। मां चिल्लाई- आआअ म्मम्मूऊऊउ आआअ, साले भड़वे बता तो सही तो डाल रहा है!
साबुन की वजह से मेरा लंड पहले ही आधे से ज्यादा घुस गया, और मैं भी मां को जोरो के झटके देने लगा। मां चिल्लाई- साले, भड़वे ईई… आआअ… ऊऊउ.. आअ’ मैं भी थोड़ा रुक गया। मां बोली- दर्द होता है, इस का मतलब ये नहीं के मजा नहीं अताआआअ… मार और जोर से मार बहुत मजा आता है… भड़वे बहुत्तत्तत सालों के बाद मैईई आज चुदवा रही हूं। ‘आअम्मी आआईईअऊऊ… मार मार मार आआ’ वो भी जोर से कमर हिला के मुझे साथ दे रही थी और मेरे झटके एकदम तूफ़ानी हो रहे थे… मेरी हाइट 5’5″ और मां की 5′ हम खड़े-खड़े ही चोद रहे थे, उसकी गांड मेरी तरफ, मैं उसकी गांड मार रहा था उसका मुंह उस तरफ और हाथ दीवार पर थे मेरा एक हाथ से उसकी बुर में उंगली डाल रहा था और एक तरफ उसके बाल दबा रहा था.
इतने में उसने मेरी तरफ साइड में मुंह किया और एक हाथ से मेरे गाल पकड़े और मेरे होंठों पर उसके होंठ लगाये हम एक ‘कामसूत्र’ के पोज़ में खड़े थे… वो भी मेरे होंठों को चूम कर बोली- तूऊऊ… थोड़ी देर पहले मरे बोल देख रहा था ना… मादरचओदद है रे तूऊऊ मैं अभी तुझे पुराआआ मादरचोद बना ऊऊउ गीईई… आआ…
तभी मैं मां को बोला- आज इतने गुस्से मैं क्यों हो? मां बोली- साले सब मर्द एक जैसे ही होते हैईईइं… आआईईइऊऊउ… जानता है… हम जब फ़ार्महाउस पर गये तब आ…आऐईईइ मैंने क्या देखा आ… खिड़की ईईए…ईइ से? मैं एक तरफ झटके दे रहा था इसलिये मां बीच-बीच में आवाजें निकाल रही थी। मैंने पूछा- क्या देखा तूने? मां ने कहा- तेरा बाप… किसी और औरत को चोद रहा था आआ ईई ऊऊ आआअ मैं हमेशा इंतज़ार करती थी… अब मुझे समझ में आया, वो बाहर चोदता है आआ…ईई…ऊऊओ…
मैं रुक गया, तभी वो बोली- तू रुक मत आआऐईईऊओ… चोद मुझे भड़वे अपनी मां को चोदद्द। आज से तेरी मां हमेशा के लिये तेरी हो गई… अज्ज आआअ तू ही मेरा सनम हैईई… आऊऊ ओइम्मम्मम… अच्छा लगता है तभी मैंने मां के गांड में और ज़ोर का झटका दिया, वो भी उसकी गांड ज़ोरो से आगे पीछे हिला रही थी।
आखिर में मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरे लंड का पानी मां की गांड में डाल दिया। मां चिल्लाई- आअ ऊ ऊ ऊओ ऊ ऊ म्मम्मीईईइ… कितना पानी है तेरे में… खतम ही नहीं हो रहा है आआऔऊऊ… क्या म्मस्त लग रहा हैईइ… सालाआआ मादर चोद… सही चोदा तूने मुझे ईईए।
थोड़ी देर हम एक-दूसरे को ऐसे ही चिपकाये रहे और हम पलंग चले पर गये और सो गये…
थोड़ी देर के बाद मेरी नींद खुली, मां मेरे पास ही सोई थी, हम दोनों अभी भी नंगे ही थे. मैं मां के बुर में उंगली डालने लगा तभी मां की नींद खुली और वो बोली- क्या फ़िर से चोदेगा? मैंने बोला- मुझे तेरी बुर चाहिये! तेरी गांड तो मिल गयी लेकिन तेरी बुर चाहिये! और मां की बुर में उंगली डालने लगा उसे सहलाने लगा, मुझे कंट्रोल नहीं हुआ, मैंने मां के दोनों पैर ऊपर किये और मेरा लंड मां के बुर पर रखा और ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैंने झटके देना चालु किया तभी मां भी कमर हिला के मुझे साथ देने लगी मेरे झटके बढ़ने लगे, मां चिल्लाने लगी- आआअ… छह्हहद और्रर… चओद… फ़ाड़ डाल मेरी बुर, तेरे बाप ने तो कभी चोदा नहीं लेकिन तू चूऊऊओद और चोद्दद, मजे ले मेरीईई बुर के आआअऊऊ औऊऊउ ईई… और तेज़्ज़, और तेज़ज़ आआईइ मिओआआ… आआअ ऊऊओ…
मां भी ज़ोर से कमर हिलाने लगी और मैं मां के बोल और ज़ोरो से दबा रहा था. मां बोली- चोद रे, मादर चोद्द और चोद्द, दबा मेरे बोल्लल और दबाआआअ और चाट और काट… मेरे बोल को… और उन्हे बड़ी कर दे ताकि मेरा ब्लाउज़ से वो बाहर आये दबा और दबा चल डाल पानी अब… भर डाल अपनी मां की बुर पानी से आआऊओ… तेरे गर्म्मम पानी से आआऊऊओ!
तभी मैंने ज़ोर का झटका दिया और मेरा लंड का पानी मां के बुर में डाल दिया. मां चिल्लाई- आआअ… ईईइ क्याआअ… गर्म पानी हैईई… ये है असली जवानीईईइ… आज से तू मेरा बेटा नहीं मेर… ठोक्या है, आज से तू मुझे ठोकेगा। आअऊऊओईई… क्या पानी है सालों बाद मिल्लाआआअ… आज एक बात अच्छी हो गयी, तेरे पापा उस रंडी के साथ सो गये लेकिन उनकी ही वजह से मुझे मेरा ठोक्या मिल गया… आज से तू ही मुझे ठोकेगा।
थोड़े ही दिन में मैं शहर चला गया और मेरे कोलेज में चला गया, छुट्टियों में मां मेरा और मैं मां का इंतज़ार करने लगा। बाद में हम हमेशा एक दूसरे को चोदने लगे…
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