कॉलेज की लड़की की पहली चुदाई

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दोस्तो, पिछले साल मेरी एक सेक्सी कहानी दोस्त की कुंवारी मौसी को चोदा अन्तर्वासना पर आई थी जिसे आप पाठकों ने काफी पसंद किया था.

अब मैं जो कहानी आप लोगों को सुनाने जा रहा हूँ, वो आपको जरूर पसंद आएगी. यह कहानी मेरी अपनी कहानी है.

इस सेक्स कहानी को शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहूंगा. मेरा आशु है और मैं एक निजी संस्था में काम करता हूँ. मैं पुणे में रहता हूँ.

मेरा साथ हुई इस घटना में जिस लड़की का जिक्र मैं करने जा रहा हूं, वो मेरे साथ ही मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी. उसका नाम अदिति था. वो मेरे ही डिपार्टमेंट में पढ़ाई करती थी. हम दोनों में धीरे-धीरे दोस्ती हो गयी. हम दोनों रोज चैटिंग करते. दोस्ती बहुत गहरी हो गई थी. अब हम सेक्स चैट भी करने लगे थे.

वैसे तो मेरी और उसकी दोस्ती काफी अच्छी थी, लेकिन मैं मन ही मन में उसको चाहने लगा था. वो मुझे काफी पसंद थी लेकिन उससे अपने दिल की बात कहने की कभी मेरी हिम्मत नहीं हुई.

एक दिन हम दोनों ने शिर्डी जाने का प्लान बनाया. हमने बिना रिज़र्व टिकट के ट्रेन से सफर करने का तय किया. हम दोनों स्लीपर कोच में चढ़ गए.

दो घंटे के सफर के बाद टीटी आया. उसने हम दोनों से टिकट मांगा, पर हमारे पास रिजर्वेशन वाला टिकट नहीं था तो उसने हमें उस डिब्बे से उतरने को कहा.

हम दोनों उतर कर जनरल डिब्बे में चढ़ गए. जनरल डिब्बे में पुरूष यात्री बहुत सारे थे भीड़ भी बहुत थी. तो उसे मैंने दरवाजे के बगल में पीठ के सहारे खड़ा किया और सामने से उसकी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया. ताकि मैं उसे बाकी पुरुषों से प्रोटेक्ट कर सकूं.

सफर जारी था, भीड़ के धक्के लगने की वजह से मैं उससे पूरा चिपक गया. मेरा लंड अब उसकी चूत से टकरा रहा था. ट्रेन और भीड़ के लगातार धक्कों की वजह से हमारे बीच में घर्षण होने लगा. उसे ये महसूस हुआ, तो मैं पीछे सरकने लगा.

उसने धीरे से कान में कहा- जैसे खड़े हो, वैसे ही खड़े रहो. शायद उसे भी मजा आ रहा था.

उसकी फिगर के बारे में तो मैं बताना भूल ही गया. दिखने में तो वो बहुत अच्छी है. उस वक्त उसके मम्मे ज्यादा बड़े नहीं थे, सिर्फ 30 के थे. पर फिर भी वो बहुत आकर्षित लगती थी. उसकी 28 की कमर और 34 की गांड थी.

तो हम दोनों एक दूसरे से रगड़ सुख का आनन्द लेने लगे थे. हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था. एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर सफर का मजा और ऊपर से अंगों की रगड़न का हम मजे ले रहे थे. दो घंटे बाद हम शिर्डी स्टेशन पर पहुंच गए.

इस वक्त सुबह के 5.30 बजे थे. हम दोनों ट्रेन से उतर गए. पूरी रात ट्रेन में खड़े रहकर सफर करने से पैर दुख रहे थे, तो हम बेंच पर बैठ गए. मैं पहली बार उसकी गोद में सर रखकर लेट गया. अब हम एक दूसरे से खुल गए थे. स्टेशन पर कोई नहीं था, तो ऐसे ही लेटकर किस करने लगे.

कोई 15 मिनट बाद हम अलग हुए. वहां से उठकर हम मुँह हाथ धोकर मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे. दर्शन करने के बाद हमने थोड़ा यहां वहां घूमकर मजे किए.

हमारी वापसी की ट्रेन में अभी पूरे 8 घंटे बाकी थे. इस बार हमने बस से ट्रेवल करने का सोचा. उधर से पुणे जाने वाली बस में जाकर हम दोनों बैठ गए. बस चल दी.

थोड़ी देर बाद उसने मेरे गोद में सर रख दिया और सो गई. एक घंटे बाद जब वो उठी तो लगभग शाम हो चुकी थी. सूरज डूब गया था. वो मेरे कंधे पर सर रखकर बातें करने लगी. थोड़ी देर बाद वो उदास हो गयी, उसकी आंखों में पानी था.

मैंने उससे उसका चेहरा पकड़कर पूछा- क्या हुआ? उसने धीरे धीरे बोलना शुरू किया कि उसकी रूममेट के मम्मे उसके मम्मों से बहुत बड़े हैं. उसकी रूममेट उसे चिढ़ाती हैं और इसी वजह से उसकी शादी में भी दिक्कत आ रही थी. इसलिए वो उदास थी. मैंने उसे बहुत समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होता. फिर भी वो नहीं मानी. फिर उसने आगे बताया कि उसकी रूममेट के बॉयफ्रेंड ने उसके मम्मों को दबा दबा कर बड़े किए है.

मैं उसकी इस बात का अर्थ समझने की कोशिश में उसकी आंखों में आंखें डाल दीं. उसने शरमाकर मुझसे रिक्वेस्ट की कि मैं उसके बूब को बड़े करूं क्योंकि उसे मुझ पर बहुत ज्यादा विश्वास था कि ये बात मैं किसी से नहीं कहूंगा.

मैं उसकी गलतफहमी को सुनकर हैरान था कि बूब्स को दबा दबा कर बड़ा किया जाता है.

उसने लगातार मुझे इस बात के लिए कहना शुरू किया- तुम ऐसा कर सकते हो. मैंने उससे कहा- अगर दबाने से बड़े हो जाते हैं, तो तुम खुद ही अपने हाथों से क्यों नहीं कर लेती हो? मेरी इस बात से वो चुप तो हो गई, मगर उसकी आंखों में मेरे लिए निवेदन ही था.

मैंने उसे शांत किया और समझाया कि मम्मे बड़े या छोटे होने से फर्क नहीं पड़ता और मम्मे को दबाने से बड़े नहीं होते. पर हां अगर मम्मों की अच्छी तरह से और योग्य तकनीक के साथ अगर मालिश की जाए, तो उनमें सुधार लाया जा सकता है.

सभी महिला पाठक भी इस बात ध्यान को में रखें. हालांकि मेरा मानना है कि आप जैसी भी हैं, बहुत सुंदर हैं. ऊपर वाले की कृति को बस संवार कर रखिये, आपमें सुन्दरता दिखने लगेगी.

जब मैंने उससे मालिश की बात कही, तो मेरी बात सुनकर वो मुझे देखने लगी कि मैं क्या कहे जा रहा हूँ.

मगर अब भी वो अपनी बात पर अड़ी थी. फिर उसने बोला- अगर तुम्हें सब मालूम है तो तुम ही क्यों नहीं मालिश कर देते. थोड़ा सोचने के बाद मैंने हां कर दी, तो वो बहुत खुश हुई और उसने मुझे गले से लगा लिया.

मैं भी थोड़ा उत्तेजना में था, तो मैंने उससे कहा कि अगर मालिश शुरू करनी है, तो मुझे तुम्हारे मम्मे चैक करने पड़ेंगे. उसने कहा- यह कैसे करोगे?

मैंने आजू बाजू देखा, बस में आगे की सीट पर कुछ लोग बैठे थे. बाकी बस खाली थी. मैं उसे लेकर पीछे की सीट पर लेकर आ गया. मैंने उसका टॉप उठाने का ट्राय किया, तो वो थोड़ी घबराने लगी.

उसने कहा- स्लीव के साइड से हाथ डालकर चैक कर लो.

उसने स्लीवलैस टॉप पहना था तो मैंने स्लीव से अन्दर हाथ डाले. अब मैं उसके छोटे छोटे मम्मों पर हाथ फेरने लगा. पहली बार किसी मर्द का हाथ उसके मम्मों पर पड़ रहा था, तो वो सिसकारियां लेने लगी. धीरे धीरे दोनों गर्म होने लगे.

मैं जब हाथ बाहर निकाल रहा था, तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और कहने लगी- करते रहो … मजा आ रहा है.

इससे मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था … अब मैं कहां रुकने वाला था. मैं भी पूरी तरह से तैयार हो गया. मैंने पीछे से हाथ डालकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. उसके बोबे अब आजाद हो चुके थे. मेरा एक हाथ अब भी स्लीव में था, दूसरा हाथ गले से अन्दर डालकर मैंने उसकी ब्रा को निकाल दिया.

मैंने फिर से अन्दर हाथ डाले और दोनों मम्मे मसलने लगा. वो धीरे धीरे कामुक सिसकारियां लेने लगी. मैं उसके होंठों पर होंठ रखकर उसकी जवानी का रस पीने लगा. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और एक मर्द के स्पर्श का वो अपनी नंगी चुचियों पर मजा लेने लगी.

मैं उसके निप्पल के ऊपर उंगलियां चलाने लगा, उसक़े निप्पल बहुत कड़े हो गए थे. मैं उसके एक निप्पल को मसल रहा था. उसकी सिसकारियों की आवाज मुखर होने लगी थी.

वो ‘सीईईईई अहांआआ..’ करके मेरे सर को सहलाते हुए बोलने लगी- आशु तुम्हारे हाथों में जादू है … ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में हूँ.

मैं भी जोश मैं आकर उसके मम्मे मसल रहा था. वो मस्त हो रही थी.

फिर मैंने एक हाथ को टॉप के बाहर निकाला और जीन्स के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा. इससे वो सिहरने लगी. वो एक अलग नशे में थी. मैंने मौका देख कर टॉप को ऊपर कर दिया. अब उसकी क्यूट नंगी चुचियां मेरे सामने थीं. मैंने अपने होंठों को आगे बढ़ाकर उसके कड़क हो चुके एक निप्पल को मुँह में भर लिया. उसने एक जोर से सिसकी ली और वो मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबाने लगी. वो आंखें बंद करके मेरे होंठों को दबाने लगी.

उसकी चुचियां छोटी थीं, तो आराम से मुँह में जा रही थी. चुचियों को पूरा मुँह में लेकर मैं जोर जोर से चूसने लगा. वो लगातार मेरा सिर दबाए जा रही थी.

एक के बाद एक चूची को मुँह में लेकर मैं मजा ले रहा था. बीच बीच में निप्पल भी काट रहा था. हम दोनों भूल चुके थे कि हम बस में सफर कर रहे हैं. जवानी के जोश में हम दोनों ही बहकते जा रहे थे.

मैंने अब अपना हाथ जीन्स के हुक की तरफ बढ़ाया और हुक खोल दिया. एक हाथ को पैंटी के अन्दर डाला. अपने हाथ को नीचे सरकाते हुए मैं उसकी चूत की दरार पर उंगली घुमाने लगा. वो एकदम से गनगना उठी. उसे अब कंट्रोल नहीं हो रहा था.

इतनी देर से चल रहे फोरप्ले के कारण उसकी चुत गीली हो गयी थी.

कुछ देर झांटों के साथ चुत की फांकों को उंगली से रगड़ा … तो चुत ने रोना शुरू कर दिया था. तभी मैंने धीरे से एक उंगली चुत के अन्दर डाल दी. उसके मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई. मैंने उंगली धीरे धीरे करके काफी अन्दर कर दी थी और उसकी चुत की गर्मी का मजा लेना चालू कर दिया था.

उसने भी अपना हाथ मेरे तने हुए लंड पर रखा और दबाने लगी. मैं अपनी उंगली चूत अन्दर बाहर कर रहा था. उसने भी मेरे पैंट की चैन खोलकर लंड को बाहर निकाला और हिलाने लगी.

मैंने एक बार बस में नजर फेरी, तो अंधेरा हो गया था और बस में केवल 2-3 यात्री ही थे.

हम फिर से अपने काम पर लग गए. अब वो थोड़ा नीचे झुकी और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं एक हाथ से उसकी चुचियों की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ से चुत में उंगली कर रहा था.

उसकी कामवासना बढ़ते देख कर मैंने उंगली करने की स्पीड बढ़ा दी. वो खुद को ऐंठने लगी. थोड़ी देर बाद उसका पानी निकल गया. मगर मैं अब तक ठंडा नहीं हुआ था, वो मेरे लंड को अब भी चूस रही थी. मैंने भी उसकी चुत के पानी से लिसलिसी हो चुकी चुत में उंगली चलाना जारी रखा. थोड़ी देर में वो फिर से तैयार हो गयी.

अब मैंने उसकी जीन्स को थोड़ा नीचे सरका दिया. मैं थोड़ा अन्दर को होकर लंड खोल कर बैठ गया और उससे मैंने लंड पर बैठने को कहा.

उसने थोड़े पैर फैलाकर लंड को चूत पर सैट किया और पूरा वजन लंड पर डाल दिया. लंड ने चुत में मुँह मार दिया. लंड घुसने से वो लगभग चिल्लाने ही वाली थी कि मैंने हाथ से उसके मुँह को दबा दिया. आधा लंड अन्दर जा चुका था. उसकी आंखों में पानी आ रहा था. उसकी सील जो टूट गई थी.

मैं धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करने लगा. थोड़ी देर में पूरा लंड उसने अन्दर ले लिया और अब वो भी गांड उछाल कर मेरा साथ देने लगी.

बस की स्पीड तेज थी, रास्ते के स्पीड ब्रेकर की वजह से हमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही थी. पीछे की सीट पर वैसे भी धचके ज्यादा लगते हैं, तो एक स्वाभाविक रूप से झूला सा अनुभव हो रहा था. बस के धचके के साथ ही वो ऊपर से उछल रही थी और मैं नीचे से धक्के लगा रहा था.

कोई बीस मिनट के मजे के बाद वो फिर से झड़ गयी.

अब मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी. मैं भी पांच मिनट बाद उसकी चूत में झड़ गया.

चुदाई के दो मिनट तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपके बैठे रहे. फिर हम दोनों अलग होकर अपने कपड़े ठीक किए और एक दूसरे की बांहों में आराम से बैठे रहे. उसकी खुशी उसके चेहरे पर झलक रही थी.

उसने कहा- ये दिन मैं कभी नहीं भूलूंगी. आज से तुम्हारा मुझ पर पूरा हक है.

थोड़ी देर में हम पुणे पहुंच गए. वो उठी तो मैंने देखा कि उसकी चाल बदल गयी थी.

फिर वहां से हम दोनों ने रिक्शा ले लिया. पहले उसके रूम पर गए, वहां उसकी रूममेट नहीं थी. उसे फोन किया तो मालूम हुआ कि वो घर गई है, दो दिन बाद आएगी.

फिर हमने रात भर चुदाई की. उसकी चूचियों की मालिश करने की रस्म और बाक़ी की चुदाई की कहानी मैं अगली बार पेश करूंगा. कैसे मैंने चुचियों को मालिश करके बड़ा किया.

आपको ये सेक्स कहानी कैसी लगी, मेल करके जरूर बताना. [email protected]

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