This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरी कामुकता सेक्स स्टोरी मेरे कॉलेज के स्टाफ के एक लड़के के साथ चुदाई की शुरुआत की है. मैंने बहुत कोशिश के बाद उसे पटाकर उसकी वासना जगायी.
कामुकता सेक्स स्टोरी के पिछले भाग सेक्स की जरूरत थी मुझे में आपने पढ़ा कि मेरा दिल मेरे कॉलेज में ऑफिस के एक लड़के पर आ गया. मैं उसे फंसाकर सेक्स का मजा लेने की सोच बना बैठी.
अब आगे की कामुकता सेक्स स्टोरी:
इस कहानी को लड़की की आवाज में सुनें.
अगले दिन जब में इंस्टीट्यूट पहुची तो मैं सागर के पास चली गयी।
सागर- ये बताओ, क्लास में तुम्हारा मन नहीं लगता क्या? मैं- नहीं! मैम रहती नहीं, दिन भर खाली बैठे रहो. और वहां का पंखा भी नहीं चलता लाइट जाने पर … और यहां ए सी है।
सागर- तुम्हारी टीचर से बोलकर अपने साथ तुमको यहीं ना बिठा लूं? इसके बदले तुम्हें मेरे काम में हाथ बटाना होगा। मैं- क्या मैम इसके लिए मान जायेंगी? सागर- ये तुम्हारी दिक्कत है या मेरी? मैं- फिर ठीक है. मैं अब से रोज़ यहीं आऊंगी और यहीं से घर चली जाऊंगी।
सागर ने अपना फ़ोन निकाला और मेरी टीचर को स्पीकर पर फ़ोन करके बात की।
सागर ने पहले नमस्ते की, फिर हालचाल लिया और फिर बोला- आपककी क्लास की एक लड़की को मैं आफिस में बिठा रहा हूँ काम करवाने के लिये, अगर कोई काम होगा उसको तो बुला लीजियेगा। मैम बोली- अरे नहीं, कोई बात नहीं. आप बिठा लीजिए. बस किसी से पूछ कर वो अपना कोर्स पूरा कर लिया करे! और मुझे कोई दिक्कत नहीं।
अब सागर ने फ़ोन रखा और बोला- अब ठीक? मैंने हां में सिर हिलाया।
सागर का एक छोटा सा केबिन था जो बिल्कुल किनारे था कमरे के … उधर कोई नहीं आता था. उसके केबिन में ए सी लगा है और काले शीशे से पूरा बंद है. वो अंदर से दरवाज़ा भी बंद रखता है क्योंकि कैश का काम रहता है. शीशे में बाहर से अंदर कुछ नहीं दिखता लेकिन अंदर से बाहर दिखता है। 2 कुर्सी, एक टेबल और हर तरफ फ़ाइलें रखी हैं।
अब रोज़ मैं उसी के पास जाती, वहीं रहती. जब भी मैं कुर्सी पर बैठती तो मुझे उसके लन्ड पर अपनी गांड रगड़ते हुए जाना पड़ता. क्योंकि छोटा था केबिन और दूसरी कुर्सी उस तरफ थी. वो मेरे साथ मेरे टिफ़िन में खाना भी खाता।
इसी तरह कुछ और दिन बीते. वो मेरे से बिल्कुल खुल चुका था और मैं भी। वो मुझसे मज़ाक भी करता और मुझे छूता भी।
एक दिन सुबह मैं पहुँची तो सागर मोबाइल में कुछ देर रहा था. मुझे देखकर उसने हड़बड़ा कर मोबाइल बंद किया.
जब मेरे अंदर जाने के लिए वो खड़ा हुआ तो उसका सामान कुछ टाइट था. तो मैं तुरंत समझ गयी कि ये कुछ अश्लील देख रहा था. तो आज मैंने जान बुझ कर उसके लन्ड में अपनी गांड ज़्यादा सटाई. मुझे सुबह से बहुत ज़्यादा मन कर रहा था तो आज मैंने सोचा कुछ ना कुछ आज करके रहूंगी क्योंकि बहुत दिन हो गये थे सेक्स किये।
तभी उसने मुझे बोला- एक बिल बनाना है. मैं बनाने लगी.
लेकिन एक जगह मुझे नहीं आ रहा था कि कैसे करना है. तो सागर ने मुझे बताया. मुझे समझ नहीं आया तो सागर ने मुझे हटाया और खुद मेरी कुर्सी पर बैठ कर मुझे करके दिखाया और बोला- अब समझी?
लेकिन अभी भी मुझे समझ नहीं आया था तो सागर ने मेरा हाथ पकड़ा, मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और मुझे बताने लगा। बैठते समय मैं अपनी स्कर्ट उठा कर बैठी थी तो अब उसका लन्ड सीधे मेरी पैंटी में लग रहा था
सागर ने मेरे नीचे से हाथ निकाल कर कुछ टाइप किया तो उसका हाथ मेरे बूब्स पर छूने लगा. मैं भी जानबूझकर अब ज़्यादा छुआने लगी और सागर भी पीछे नहीं हटा, मुझे वैसे ही बताने लगा.
कुछ ही मिनट बाद मुझे गांड में कुछ चुभने लगा. मैंने गैर किया तो उसका लन्ड अब टाइट हो रहा था। उसकी चुभन का मैं भी मजा लेने लगी। अब मैं उससे और सट के बैठ गई।
सागर ने अब अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया. स्कर्ट छोटी होने की वजह से उसका हाथ मेरी नंगी जांघों पर पड़ा. जिसको वह कुछ समय बाद रगड़ने लगा. उसके रगड़ने से मुझे भी चुदास चढ़ने लगी।
मैंने अपने शर्ट का एक बटन और खोल लिया. जिस पर सागर की नजर पड़ी तो उसी पर टिक गई। अब तक उसका लन्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था।
सागर ने एक हाथ मेरे पेट पर रख लिया और हल्के हल्के से सहलाते हुए अपने हाथ को ऊपर ले जाने लगा। अब तक मेरी चूत भी गरम हो गई थी तो मैं एकाएक सागर के ऊपर निढाल हो गई।
मैंने सागर का हाथ खुद ही पकड़ कर अपने मोटे चूचों पर रख दिया जिनको सागर भी बहुत उत्तेजना से दबाने लगा। मेरी सांस तेज हो गई.
तब तक सागर दूसरा हाथ मेरी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगा. दूसरे हाथ से मेरे बूब्स को भी दबाए जा रहा था। कुछ समय बाद सागर ने मुझे खड़ा किया, मुझे हल्का सा झुका के मेरे होठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा. मैं भी पागलों की तरह उसके होठों को चूसे जा रही थी।
मेरा हाथ उसके लन्ड पर चला गया जिसको पैंट के ऊपर से ही उसके खड़े लन्ड को मसलने लगी। उसका लन्ड छूते ही मुझे एहसास हुआ कि उसका लौड़ा काफी लंबा और मोटा था.
तब तक मेरे होठों से होते हुए मेरे गाल और गले को चूमता हुआ मेरे चूचियों के बीच की गहराई तक पहुंचा जिसमें मुंह डालकर सागर बेतहाशा चूमने व चाटने लगा।
अब सागर धीरे धीरे मेरी शर्ट का बटन खोलने लगा. कुछ ही देर में उसने मेरी शर्ट का बटन पूरा खोलकर मेरी ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाना शुरू किया. फिर हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा खोल दी और मेरी शर्ट उतार दी, ब्रा भी उतार दी।
अब मैं ऊपर से पूरी नंगी हो चुकी थी और सागर बारी बारी से मेरी दोनों चूचियों को चूसता और चाटता जा रहा था। सागर ने मेरे दोनों निप्पल पे भी बहुत चाटा और मेरे निप्पल पे काट भी लिया।
सागर की इस हरकत से मुझे भी बहुत तेज उत्तेजना चढ़ने लगी. मैंने उसका मुंह ऊपर करके उसके होंठों पर अपने होंठ लगाकर चूसना चालू कर दिया। तब मैं खड़ी हुई और सागर को भी खड़ा किया।
अब मैं उसके होठों से चूमती हुई उसके गले और उसकी शर्ट का बटन खोलने लगी और उसकी शर्ट का बटन खोलने के बाद मैंने उसके पूरे सीने को चूमा उसके निपल्स को चाटा।
वह कुर्सी पर बैठ गया और मुझे घुटनों पर बैठा दिया. मैं सागर की पैंट के ऊपर से ही उसका लंड सहलाने और चाटने लगी।
मैंने उसका लन्ड चैन खोलकर बाहर निकाला और पहले तो अपने होंठ उसके टोपे पर रख कर धीरे धीरे से सहलाया और फिर जीभ निकालकर पूरा लन्ड चाटा उसकी गोलियों को भी अपनी जीभ से चाटा और धीरे-धीरे उसका लन्ड मुंह के अंदर लेने लगी।
सागर भी पूरे जोश में आ गया था, मेरे बालों को कस के पकड़ कर मेरा पूरा सर अपने लन्ड में घुसाने लगा.
उसका विशालकाय मोटा लन्ड मेरे हलक के पार चला गया और मेरी तो सांस ही रुक गई थी. लेकिन मैंने अपनी सांस पर संयम बरतते हुए उसका लन्ड हलक में बनाए रखा और धीरे धीरे उसको अंदर-बाहर करने लगी। अब मैं खुद से ही उसके लन्ड को हलक तक के लेकर चूसने लगी।
कुछ देर लन्ड चुसवाने के बाद सागर ने मेरी पैंटी उतार के सूंघा और मुझे टेबल पर टांग फैला कर बिठा दिया, खुद कुर्सी पर बैठकर मेरी चूत को चूमने लगा।
थोड़ी देर चूमने के बाद वह मेरी चूत को चाटने लगा. ऐसा लग रहा था कि अब वो अपनी जीभ से मेरी चूत को चोदने लगा हो। कुछ देर चूत चाटने के बाद मैं उसके मुंह में ही झड़ गई और वह मेरा चूत का सारा पानी पी गया और मेरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
अब सागर खड़ा हुआ और अपना खड़ा लन्ड मेरी चूत में डालने की कोशिश करने लगा. लेकिन उसका लौड़ा इतना बड़ा था कि मेरी चूत में नहीं जा पा रहा था. ऐसा नहीं था कि मैं अपनी चूत पहली बार चुदवा रही थी लेकिन अब तक जिन जिन से भी चुदवाया था उन सबका लौड़ा इतना बड़ा नहीं था जितना सागर का है.
कुछ देर कोशिश करने के बाद जब मुझे बहुत दर्द होने लगा तो मैंने उसको मना कर दिया. वह मान गया और कुर्सी पर चुपचाप बैठ गया।
अब मुझे उसको ठंडा करना था. तो मैंने घुटनों पर बैठकर उसकी पेंट उतार कर नीचे कर दिया और पूरी उत्तेजना से उसके लन्ड को चूसने लगी, उसकी गोलियों को मुंह में लेकर चूसने लगी.
और इसी तरह काफी देर तक उसका लन्ड चूसने के बाद वह थोड़ा अकड़ा तो मैं समझ गई कि अब वह झड़ने वाला है.
अब मैं उसका और उत्तेजना से लन्ड चूसने लगी; पूरा थूक से गीला करके उसके लन्ड को अंदर बाहर अपने मुंह पर करने लगी. और कुछ ही मिनट बाद मेरे मुंह में उसके वीर्य का सैलाब आ गया.
मैं उसके सारे वीर्य को अंदर नहीं ले पाई, वह थोड़ा बाहर मेरी चूचियों पर टपक गया. जिसको फिर मैंने सारा चाट के साफ कर लिया. उसके झड़ने के बाद मैंने उसका लन्ड एकदम चूस चूस कर साफ कर दिया।
इस दिन बाद से हमारा रोज का ही काम हो गया था. सागर मेरी चूचियों के साथ खेलता, कभी मेरी चूत चाटता तो कभी मैं उसका लौड़ा चूसती.
लेकिन अब मुझे उसका लन्ड अपनी चूत में लेना था; उसके लिए मैं उतावली हो रही थी. लेकिन अभी उसका सही समय नहीं मिल रहा था। मैं यही देख रही थी कि मेरा घर कब खाली हो और मैं उसको बुला लूं.
एक बार मेरे एक रिश्तेदार के यहां शादी थी तो घर में सब लोग जाने की बात कर रहे थे. वह किसी खास रिश्तेदार की शादी थी जिसमें सबका जाना अनिवार्य था. तो सुधा मेरी मम्मी ने मुझको भी बोला- मानसी, तू भी साथ में चल! मैंने पहले तो कह दिया- ठीक है, मैं चलूंगी. लेकिन बाद में अपने कमरे में जाकर सोचने लगी कि यही अच्छा मौका है. घर 2 दिन के लिए खाली हो रहा है. तो मैंने अगले दिन सुबह मम्मी को जाकर बोल दिया कि मेरे इंस्टिट्यूट का पेपर हो रहा है जिसको मैं छोड़ नहीं सकती. इसलिए आप लोग चले जाओ, मैं घर पर ही रुक जाती हूं।
मेरी यह बात मम्मी मान गई.
2 दिन बाद शाम को 5:00 बजे वे लोग घर से निकल गए, मामी मम्मी और सपना भी साथ में थी. घर में मैं अकेले बची थी.
पहले तो मैंने घर की सफाई की और उसके बाद सागर को फोन करके बोला कि मेरे घर वाले बाहर गए हैं 2 दिन के लिए शादी में! आज रात को तुम आ जाना घर खाने पर! उसने हाँ कर दी.
अब मैं सागर के लिए बढ़िया नॉनवेज खाना बनाने लगी. और मैं बाहर से जाकर एक दारू का खंबा भी ले आई.
और फिर नहाकर मैंने एक पुरानी बहुत सेक्सी साड़ी पहन लिया जिसका ब्लाउज बहुत ही ज्यादा सेक्सी था. वह पूरा बैकलेस था यानि पीछे से केवल एक डोरी थी, बाकी मेरी पूरी पीठ नंगी थी.
साड़ी मैंने नाभि के नीचे बांधी. उसका ब्लाउज ऊपर से काफी गहरे गले का था जिसमें मेरे स्तनों के बीच की गहराई बहुत ज्यादा दिख रही थी.
मैंने पायल पहनी मम्मी की; लाल लिपस्टिक लगाई, नेल पेंट लगाया और बढ़िया से किसी दुल्हन की तरह सज संवर कर तैयार हो गई. तब मैं अपने प्रियतम सागर का इंतजार करने लगी।
यह कामुकता सेक्स स्टोरी आगे और रोचक होने जा रही है. पढ़ते रहिएगा. [email protected]
कामुकता सेक्स स्टोरी का अगला भाग: मेरे चोदू यार का लंड घर में सभी के लिए- 3
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000