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ओपन चुदाई कहानी मेरे चोदू यार के साथ रात में सड़क के किनारे चुदाई की है. हम दोनों मेला देखने गए थे. वहां मैंने अपना जिस्म दिखाकर लोगों को तड़पाया.
ओपन चुदाई कहानी के पिछले भाग मैंने अपने यार को घर बुला कर चुदाई करायी में आपने पढ़ा कि मैंने अपने प्रेमी को अपने खाली घर में बुलाकर पूरी रात उसके साथ सेक्स किया.
अब आगे की ओपन चुदाई कहानी:
यह कहानी सुनकर मजा लें.
अभी नाश्ता करते वक़्त मैंने देखा तो सागर के फ़ोन पर सुधा यानि मेरी मम्मी का फ़ोन आ रहा था. सागर ने फोन साइलेंट कर दिया.
नाश्ता करने के बाद वो छत पर गया और बात करने लगा. मैं भी चुपचाप जाकर सुनने लगी कि क्या बात हो रही है. तो इधर से सागर बोला- आफिस में हूँ. थोड़ा काम कर रहा हूँ।
अब उधर से क्या बात हुई मुझे नहीं पता लेकिन इधर से सागर बोला- हाँ यार, मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही है. और देखो तुम्हारी आवाज़ सुन कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया। उस वक़्त सागर नंगा था और अपने हाथों से अपने मोटे लन्ड को, जो सोया था, मसल रहा था. अब वो लंड धीरे धीरे अंगड़ाइयां लेते हुई सुधा से बात करने की वजह से खड़ा हो रहा था. इसका भुगतान मुझे ही अपनी चूत और गांड से करना पड़ेगा, यह मुझे मालूम था.
पर मुझे यह नहीं समझ आया कि इतनी जल्दी इन दोनों की बात लन्ड और चुदाई तक बात पहुँची कैसे?
लेकिन जो भी हो अब ये साफ था कि या तो मेरी सेक्सी मम्मी मेरे बॉयफ्रेंड का लंड खा चुकी थी या आने वाले समय में सुधा भी सागर का लन्ड लेने वाली है।
अब मैं नीचे चली आयी और किचन में खाना बनाने लगी.
मैं घर में नंगी ही थी.
तभी तक सागर नीचे आया और मुझे पीछे से पकड़ लिया. उसका खड़ा लन्ड मेरी गांड में घुसने को बेताब हो रहा था.
वो मेरे दोनों दूध दबाते हुए मेरे गले को चूमने लगा। मैं- अरे इतनी जल्दी ये कैसे जाग गया? अभी तो सुलाया था. और तुमने छत पर जा कर ऐसा क्या देख लिया जो इसको जगा दिया। मेरा इशारा सागर के लन्ड की तरफ था।
सागर- कुछ नहीं … बस तुम्हारा ख्याल आते ही ये मेरी सुनता नहीं! बस तुम्हारे पास आने की ज़िद करने लगता है.
इतना बोलते ही सागर नीचे बैठ गया और मेरी दोनों टांगों को फैला कर मेरे गांड के छेद को चाटने लगा, अपनी जीभ छेद में घुसने लगा. मुझे भी गांड में चुदास की खुजली होने लगी।
अब सागर खड़ा हुआ और हल्का सा नीचे होकर मेरी गांड में अपना लन्ड घुसा दिया और मेरी कमर पकड़ कर मुझे चोदने लगा। मेरी आवाज़ के भी सुर बदल कर उफ़्फ़फ़ आहह हह में बदल गए।
कुछ देर बाद सागर मेरी एक टांग उठा कर किचन के ऊपर वाले फर्श पर रख कर मेरे दोनों बूब्स को अपने हाथ में ले कर मसलते हुए ठोकने लगा। मैं इधर चुदते हुए खाना भी बनाने लगी।
काफी देर बाद सागर के झटके तेज़ हो गए और मेरी साँसें उखड़ने लगी. हम दोनों एक साथ झड़े और सागर में मेरी गांड में ही झाड़ दिया।
उसके बाद दिन में एक बार और सेक्स के बाद शाम को मैंने सागर से बोला- चलो कहीं घूमने चलते हैं. तो सागर बोला- मेला लगा है, वहीं चला जाए. और तुम वही रात वाली साड़ी पहन कर जल्दी से तैयार हो जाओ।
लगभग 35 मिनट बाद मैं तैयार हो गयी. तब तक सागर भी तैयार हो चुका था. उसने एक फॉर्मल पैंट और शर्ट पहनी थी.
मुझे फिर से इस रूप में देखकर सागर ने मुझे अपने गले से लगा लिया और मेरे होंठों को चूमकर मेरी चूची दबाकर घर से बाहर मेले में आ गए।
मेले में पहुँचने के बाद सबकी नज़र मुझपे ही थी; सब मेरे खुले बदन पर अपनी आंख सेक रहे थे।
अब सागर को मैं जानबूझकर उसका कंधा अपने दोनों हाथों से, जैसे कपल्स पकड़ते हैं, जिससे मेरी दोनों चूचियाँ सागर की बाजू पे चिपकी हुई थी, तो इसी तरह पूरा मेला घूमने लगी. और वो भी बीच बीच में मेरे साथ कुछ न कुछ किया जा रहा था.
जैसे जब भीड़ होती तो मेरी चूचियाँ दबा देता; या जब मेरे पीछे होता तो मेरी गांड दबा देता; इसी चक्कर में मुझे और भी लोग छुए जा रहे थे. लेकिन मैं समझ रही थी कि सागर है इसीलिए चुपचाप मज़ा ले रही थी।
मुझे पता तब लगा जब सागर मेरे बगल में था और उसका हाथ में पकड़े थी लेकिन बहुत देर से मेरी गांड मसली जा रही थी. फिर एकाएक मुझे कुछ गड़ा. शायद वो आदमी अंगूठी पहने था. तो सागर पहनता नहीं था और तभी मुझे याद आया कि एक हाथ तो उसका मैं पकड़े हूँ तो दूसरा हाथ घुमा कर कैसे इतना लंबा ला सकता है?
जब मैंने पलट कर देखा तो एक अधेड़ उम्र का आदमी मेरे पीछे था. तो मैं समझ गयी कि यही है.
मैंने सागर से चुपके से कान में बोला- पीछे वाला आदमी मुझे परेशान कर रहा है. तो सागर उस भीड़ में मेरे पीछे आ गया और एक हाथ मेरी कमर पर रख लिया और दूसरा मेरी साड़ी के अंदर डाल कर मेरी चूची मसलने लगा।
अब इसी तरह हम दोनों ने खूब मजा किया और कुछ सामान खरीदा.
तब सागर बोला- अब रात खाना तो बना नहीं है और रात के नौ बजे हैं. चलो किसी होटल में खा लिया जाए। हम दोनों ने एक होटल में जाकर खाना खाया और फिर सागर मुझे सन्नाटे रोड पर ले गया, बोला- एक्टिवा चलाना सिखा दूँ?
सागर ने मुझे पहले सब बताया गाड़ी के बारे में और चलाने को बोला।
कुछ देर बाद मैं सीधी रोड पर चलने लगी. अब सागर निश्चिन्त होकर उस सन्नाटे वाली सड़क पर एकदम मेरे चिपक के बैठ गया और अपने होंठों से मेरे गले को चूमने लगा. वो एक हाथ से मेरी चूची साड़ी के ऊपर से दबाने लगा और दूसरे हाथ से मेरी नाभि और पेट।
कुछ आगे और सन्नाटा था तो सागर ने मुझसे गाड़ी रोकने को बोला. फिर मुझे स्कूटी से उतार कर उस सड़क के किनारे मेरे होंठों को चूसने लगा जिसमें मैं भी उसका बराबरी से साथ देने लगी.
उसने अपने दोनों हाथों को मेरी मोटी गांड पर रख कर दबाना और मसलने शुरू किया. कुछ देर बाद सागर ने मेरी साड़ी किनारे करके मेरी नाभि और पूरा पेट चूमा.
फिर उसने मुझे बाइक पर पैर उठाकर बिठा दिया और मेरी साड़ी हल्की सी उठा कर उसके अंदर घुस कर मेरी चूत चाटने लगा। अब मैं उस खुली सड़क में अपने आशिक से अपनी चूत चटवा रही थी और ज़ोर ज़ोर से उफ़्फ़ आहह ओह्ह यस उफ़्फ़फ़ की आवाजें निकाल रही थी।
जब मैं एक बार झड़ी तो सागर मेरा पानी चाट कर खड़ा हुआ और मैं खुद ही गाड़ी के पायदान पर बैठ गयी. सागर की पैंट की चेन खोलकर उसका मोटा लौड़ा खुली सड़क पर बाहर निकाल कर चूसने लगी. उस माहौल में पुच पुच की आवाज़ आने लगी।
कुछ देर लन्ड चुसाने के बाद सागर ने मुझे गाड़ी की गद्दी पर हाथ रख कर झुका दिया और मेरी साड़ी पीछे से पूरी ऊपर उठा दिया. फिर मेरी गांड में अपना कड़क लन्ड डाल कर चलती राह में मुझे भकाभक चोदने लगा.
मैं भी किसी रंडी की तरह सड़क किनारे सागर से ‘ओह्ह फ़क आह आह हह उफ़ हह यस आई लाइक इट ओह्ह फ़क ओह्ह आह उफ़्फ़ आहह हह उई मा और तेज़ और आह आह’ करके चुदवा रही थी।
कुछ देर के बाद सागर बाइक पर बैठ गया और मुझे अपने आगे मेरी साड़ी उठा कर अपने लन्ड पर मुझे चूत के बल बिठा लिया और घर के तरफ आने लगा। घर पहुँचने से कुछ पहले हम सही से बैठ गए और घर आ गये।
मैं कपड़े उतार दिए और सागर ने भी। अभी रात के साढ़े बारह बजे थे।
सागर मुझे छत पर ले गया और दिवार के सहारे मुझे झुका कर मेरी एक टांग उठा कसर मेरी चूत पे अपना लन्ड धंसा दिया और बेतहाशा पेलने लगा मुझे! मैं भी उफ़्फ़फ़ आह की आवाजों से आहें भर रही थी।
वहां से हम बेडरूम आ गये और उस रातभर सागर ने मुझे इतना चोदा कि मेरी चूत सूज गयी. सुबह एक और राउंड चोदन के बाद वो चला गया.
कुछ ही देर में मेरे घर वाले भी आ गए।
अब मैं इंस्टीट्यूट जाती तो सागर से गांड चूत मरवाती थी. अब वो मेरे घर भी आने जाने लगा था।
एक दिन शाम को मैं अपने बेडरूम में सागर को अपनी बेड पर लिटा कर उसकी पैंट की चैन खोल कर उसका तगड़ा लौड़ा चूस रही थी. तभी मुझे खिड़की पे कुछ आहट हुई. लेकिन मैंने उसको नज़र अंदाज़ करके सागर का लन्ड चूसना जारी रखा।
कुछ देर बाद मम्मी घर आ गयी तो हम अपना काम बंद करके बाहर आ गये. मम्मी और सागर आपस में बात करने लगे, मैं भी थोड़ा काम करने लगी।
कुछ देर में शायद सागर को प्यास लगी तो वो खुद ही उठ कर किचन में चला गया क्योंकि अब वो हमारे घर में बिल्कुल घर की तरह ही आता और रहता था।
मैं किचन के सामने से जा रही थी. तभी मैंने देखा कि मामी आज बहुत सेक्सी अंदाज़ में साड़ी पहने थी और अपनी साड़ी को घुमा कर कमर में खोंसे हुई थी. जिसकी वजह से उनके काफी ज्यादा क्लीवेज दिख रहे थे।
वो दोनों कुछ बात कर रहे थे. तभी मामी बोली- मुझे ऊपर से डिब्बा उठा दो.
अब तक शायद सागर भी उनके अंदर की भूख को भाम्प चुका था तो उसने बोला- आप उतारो, मैं आपकी मदद करता हूँ।
अब सागर ने मामी को कमर से पकड़ कर उठा दिया और उन्होंने डिब्बा उठा लिया. लेकिन नीचे करते समय सागर जानबूझकर मामी को धीरे धीरे नीचे ले कर आया और अपना हाथ वहीं किये रहा जिससे उसका हाथ उसने पूरे पेट और चूचियों पे रगड़ता हुआ आया।
कुछ देर बाद हम सब बैठे थे. मम्मी कपड़े सिलने लगी तो सपना बोली- दीदी, चलो हम चारों छुपनछुपाई खेलें? उसके लिए सागर और मामी भी तैयार हो गए तो मैंने भी हाँ कर दी।
अब हत्थी कटी तो मुझे सब को ढूँढना था. तो सब छुप गए.
फिर मैंने ढूँढना शुरू किया. तो पहले तो मुझे कोई भी नहीं मिला. लेकिन फिर मैं बहुत चुपके चुपके से ढूँढने लगी.
तो मुझे सीढ़ियों की नीचे वाला कमरे के दरवाज़ा खुला दिखा। वो एक छोटा सा स्टोररूम था. उसमें एक आदमी के जाने की मुश्किल से जगह थी. अब मैंने चुपके से सीढ़ियों पर चढ़ कर ऊपर से झाँका तो देखा कि वहां सागर खड़ा था और उसके आगे लन्ड से सटी हुई मामी! सागर का हाथ उनकी कमर पर था और मुंह उनके बिल्कुल गले के पास।
अब मैं खेल छोड़ कर चुपचाप नज़ारा देखने लगी। सागर लोअर टीशर्ट पहने था तो अब तक शायद उसका लौड़ा भी खड़ा हो गया होगा.
तभी मामी झूट बोली सागर से- मानसी आ रही है. जबकि मैं तो ऊपर थी।
इतना बोलकर वो और सागर से चिपक गई. अब सागर ने दोनों हाथों को उनकी चूचियों पर रख दिया.
मामी के गले पर जैसे ही सागर के होंठ छुए, मामी एकदम से उत्तेजित हो गयी. उनकी हल्की की कामुक आवाज़ में आहह निकल गयी. अब तक सागर भी अपने दोनों हाथों को उनकी दोनों चूचियों पर रख कर मसलने लगा.
मामी एकदम मदहोश होकर हल्के हल्के से सिसकारी लेकर सागर के सिर को पकड़ कर उसको अपने गले में घुसाने लगी.
तभी तक मेरी मम्मी ने मुझे आवाज़ दी तो मैं चुपचाप नीचे उतर कर आ गयी. कुछ देर के अंतराल में वो दोनों भी बाहर आ गए।
मम्मी की एक सहेली आ गयी थी तो उनकी ही वजह से पूरा खेल खराब हो गया. वरना आज कुछ होना पक्का था मामी के साथ!
अब कुछ देर बाद वो चला गया.
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ओपन चुदाई कहानी का अगला भाग: मेरे चोदू यार का लंड घर में सभी के लिए- 5
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