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दोस्तो, मेरा नाम सोनू है. मैं उत्तराखण्ड का रहने वाला हूँ. मुझे सेक्स स्टोरीज पढ़ना काफी पसंद हैं. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.
पहले मैं आपको थोड़ा अपने बारे में बता दूँ. मेरी उम्र 24 वर्ष है. मैं फ़िलहाल स्पर्धा परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ और साथ ही साथ फ्रीलांसर भी हूँ. मेरे लंड का आकार ज्यादा बड़ा नहीं है. ये बस 5.5 इंच का ही है, लेकिन मोटा कुछ ज्यादा है.
जैसा कि मैंने कहा मैं स्पर्धा परीक्षा की तैयारी कर रहा था. मेरी एक परीक्षा थी जिसका केंद्र दिल्ली था. परीक्षा रविवार को सुबह 9 बजे थी. मैं दिल्ली अपने गांव से ट्रेन से जाने वाला था. ट्रेन कभी कभार ज्यादा लेट हो जाती है तो मैंने सोचा क्यों न एक दिन पहले ही दिल्ली पहुंचा जाए. इसलिए मैंने शुक्रवार की ट्रेन से दिल्ली जाने का सोचा. मैं तय समय पर शुक्रवार को ट्रेन में बैठा और शनिवार सुबह दिल्ली पहुंच गया.
मैं दिल्ली स्टेशन से बस के जरिए पीतमपुरा आया क्योंकि मेरे अंकल ने मेरी बुकिंग पीतमपुरा के होटल में कर दी थी. मैं बस स्टॉप से बाहर आया और जैसे ही रिक्शा में बैठने वाला था कि मुझे अपने पहचान की एक आंटी दिख गईं.
उन आंटी के साथ हमारे परिवार के घरेलू सम्बन्ध थे. आंटी एक वकील थीं और उनका ऑफिस बस डिपो के नज़दीक एक इमारत में था.
उन्होंने मुझे देखा और वो मेरे पास आकर कहने लगीं- अरे सोनू यहां कैसे? मैंने उन्हें सब बता दिया.
वो कहने लगीं- अरे होटल में क्यों रुक रहे हो? मेरे घर चलो. क्यों खामखां होटल में पैसे बर्बाद करने का है.
मैंने उन्हें मना किया. मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से उन्हें कोई तकलीफ हो. लेकिन मेरे बार बार मना करने पर भी वो नहीं मान रही थीं. तो आखिर में मुझे उनकी बात माननी पड़ी. वैसे भी मेरा परीक्षा केंद्र उनके घर से नज़दीक ही था.
मैं उनके साथ उनकी गाड़ी में बैठ कर उनके घर गया. रास्ते में ही मैंने अपने होटल की बुकिंग रद कर दी.
इन बातों के चक्कर में मैं आपको आंटी के बारे में बताना भूल गया.
उनका नाम मारिया है. मारिया आंटी शादी-शुदा हैं. उनका एक बेटा भी है. आंटी की उम्र 38-40 के आसपास होगी. लेकिन वो अपनी उम्र के मुकाबले काफी जवान दिखती हैं. किसी भी जवान लड़की को जलन हो जाए, ऐसे उनकी शरीर की रचना है.
गोरा रंग, घने लम्बे बाल, खिलखिलाते चेहरे की हंसी. चेहरे की चमक ऐसी कि कोई भी उनकी ओर आकर्षित हो जाए. उनको देखो तो ऐसा लगता था कि वो कोई अजंता की मूरत हों, जिसे बड़ी शिद्धत से तराशा गया हो.
उनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है.
उस दिन उन्होंने सलवार कमीज़ पहनी थी, जिससे उनकी खूबसूरती और भी बढ़ गयी थी. मैं समझता हूँ कि औरत साड़ी में या सलवार कमीज में ज्यादा ख़ूबसूरत लगती है. फिर हर एक का अपना अपना नजरिया है.
गाड़ी से उतर कर हम उनके घर गए. उनका घर काफी बड़ा था.
घर में प्रवेश करते ही उन्होंने कहा- सोनू, तुम फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बनाती हूँ. मैं- नहीं नहीं आंटी, आप क्यों तकलीफ ले रही हो. मैं बाहर नाश्ता कर लूंगा. आप ऑफिस जा सकती हैं. मैं नहीं चाहता आपको मेरी वजह से कोई भी तकलीफ हो. मारिया आंटी- अच्छा … तुम तो काफी बड़े हो गए हो हां … वैसे आज मुझे ऑफिस में कुछ ज्यादा काम नहीं है. अगर ना भी जाऊं … तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. अब तुम गेस्ट रूम में जाओ और फ्रेश हो जाओ.
उन्होंने इशारे से मुझे गेस्टरूम दिखाया. मैंने उन्हें ओके कहा और गेस्ट रूम में जाकर फटाफट फ्रेश होकर बाहर आया.
आंटी- अरे बड़ी जल्दी फ्रेश हो गए. चलो जल्दी से खाने की टेबल पर बैठ जाओ, मैंने तुम्हारे लिए बढ़िया सा पास्ता बनाया है. मैं- आंटी आप भी ना … खामखां मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हुई. आंटी ने पास्ता परोसते हुए कहा- अरे इसमें तकलीफ की क्या बात है.
वे भी साथ में नाश्ता करने बैठ गईं.
मैं- आंटी, अंकल और आपका बेटा कब आएंगे. आंटी- तुम्हारे अंकल तो ऑफिस के काम से बाहर गए हुए हैं … वो तो शायद कल शाम यार परसों लौटेंगे … और बेटे को 4 दिन की छुट्टी है, इसलिए वो अपने नाना-नानी के पास गया है.
तभी आंटी की मोबाइल की रिंग बजी. उन्होंने कॉल रिसीव की. कॉल ख़त्म होने के बाद उन्होंने कहा- सोनू मुझे ऑफिस में जरूरी काम आ गया है … इसलिए मुझे ऑफिस जाना होगा. तुम आराम से नाश्ता कर लो और दोपहर का खाना बाहर से आर्डर कर देना. मैं शाम को मिलती हूँ.
मैं- आप चिंता न करो … आप आराम से ऑफिस जाओ. आंटी- अच्छा ठीक है अपना ध्यान रखना.
यह कहकर उन्होंने जल्दी से अपना नाश्ता ख़त्म किया और वो ऑफिस चली गईं. मैंने भी जल्दी से अपना नाश्ता ख़त्म किया और हॉल में सोफे पर बैठ कर पढ़ाई करने लगा. मैं पढ़ाई में इतना खो गया कि मुझे दोपहर के खाने ख्याल तक नहीं आया. मैंने समय देखा तो शाम के 6 बज रहे थे. मैं उठा और थोड़ा फ्रेश हुआ और सोफे पर आकर सिर्फ आराम से बैठा.
तभी कुछ 20 मिनट बाद दरवाजे की बेल बजी. मैंने दरवाजा खोला, तो सामने आंटी थीं.
आंटी अन्दर आईं और कहने लगीं- सॉरी बेटा, आने में देर हो गयी. मैं खाना साथ में ही ले आयी हूँ. मैं जल्दी से नहा कर आती हूँ … फिर हम साथ में बैठ कर खाना खाते हैं.
आंटी के यहां रात का खाना जल्दी खाया जाता है. मैंने उन्होंने ओके कहा और आंटी फ्रेश होने के लिए उनके रूम में चली गईं. मैं फिर से सोफे पर बैठ उनका इंतज़ार करने लगा.
लगभग 20 मिनट बाद आंटी रूम से बाहर आईं. वो जैसे ही बाहर आईं, मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. आंटी के बाल अभी भी थोड़े गीले थे … जिससे उनकी गर्दन भी थोड़ी गीली थी. कुछ बूंदें उनके गले से होकर उनके स्तनों की ओर जा रही थीं.
मैं सोचने लगा कि क्या नसीब था उन पानी की बूंदों का … जो ऐसे नायाब शरीर पर थीं. आंटी ने एक नाईट ड्रेस पहना था.
मैं उनको देख ही रहा था कि तभी आंटी मुझे आवाज़ दी- चलो सोनू जल्दी से आ जाओ. मुझे तो बहुत जोरों से भूख लगी है.
मैं बिना कुछ बोले खाना खाने बैठ गया. जब आंटी मुझे खाना परोस रही थीं, तब मेरी नजर उनके स्तनों पर गयी. मैं उन्हें देखता ही रह गया. उनके जरा झुकते ही उनकी नाईट ड्रेस में से उनके स्तनों की बीच की दरार साफ दिखाई दे रही थी.
दोस्तो, मैं बता नहीं सकता … उस वक़्त मेरे लंड की क्या हालत थी. उनकी चूचियों की दरार देख मेरा लंड खड़ा होने लगा था, जो मेरी पैन्ट से साफ नजर आ रहा था. मेरा हाथ अपने आप ही मेरे लंड पर आ गया. मैं उनके स्तनों में इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि आंटी मेरी तरफ देख रही थीं.
जब मुझे पता चला कि आंटी मुझे उनके स्तनों की ओर देखते हुए देख रही हैं, तब मुझे बहुत शर्म आयी और मैंने अपना सर नीचे कर लिया.
आंटी ने खाना परोसा और हम दोनों खाने लगे.
आंटी- तो कल की परीक्षा की तैयारी हो गयी? मैं- कहां आंटी … ये स्पर्धा परीक्षा की तैयारी जितनी भी की जाए, कम ही रहती है. “हां वो तो है ही!” आंटी ने कहा.
हमने खाना खाया. मैंने आंटी को बर्तन साफ करने में हेल्प की, फिर मैं गेस्ट रूम में और आंटी बेडरूम में सोने चली गईं.
मैं सुबह जल्दी उठकर परीक्षा के लिए तैयार हुआ. आंटी भी उठ कर फ्रेश हो चुकी थीं. मैं परीक्षा के लिए निकलने ही वाला था कि वो कहने लगीं- रुको मैं तुम्हें परीक्षा केंद्र पर छोड़ आती हूँ और तुम अपना बाकी का सामान यहीं रख दो.
मैंने कहा- मेरी परीक्षा शाम 5 बजे खत्म हो जाएगी और मैं वहीं से गांव के लिए ट्रेन ले लूंगा. वो कहने लगीं- तुम कल चले जाना … आज यहीं रुक जाओ.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मुझे इस समय मेरी परीक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण लग रही थी और मैं देरी नहीं चाहता था तो मैंने ओके कह दिया.
आंटी ने मुझे परीक्षा केंद्र छोड़ा और शाम को मुझे लेने भी आईं.
गाड़ी में आते समय उन्होंने पूछा- तो सोनू परीक्षा कैसी रही? मैंने कहा- अच्छी रही … थोड़ी सी कठिनाई थी. अब देखते हैं परिणाम क्या निकलता है. हम ऐसी ही बातें करते करते घर पहुंचे.
फिर उन्होंने कहा कि तुम फ्रेश हो जाओ.
मैं दस मिनट बाद फ्रेश होकर अपने कपड़े बदलकर बाहर आया. मैंने देखा आंटी सोफे पर बैठी अपना काम कर रही थीं. मैं भी उनके सामने जाकर बैठ गया. मुझे देखकर आंटी ने अपना काम बाजू में रख दिया और मुझसे बातें करने लगीं.
आंटी की मुस्कान काफी कातिलाना थी. उनकी वो हंसी मुझे उनकी ओर काफी आकर्षित करती थी.
तभी अचानक से उन्हें पैरों पर चींटी ने काटा … जिसकी वजह से वो थोड़ी नीचे झुक गईं.
जैसे ही वो नीचे झुकी, उनकी चुचियों की दरार और आधे से ज्यादा चूचे मुझे साफ दिखाई देने लगे. मैं तो बिना पलकें झपकाए उन दूध से धवल स्तनों को देखता रह गया. एकदम सफ़ेद रसीले स्तनों को देख कर मैं अपने होश ही खो बैठा था. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
तभी वो सीधी हुईं और उन्होंने मुझे अपने स्तनों को घूरते हुए पकड़ लिया. “कैसे लगे?” आंटी ने कहा.
मैंने शर्म के मरे अपना सर नीचे झुका लिया. मुझे अपने आप पर काफी गुस्सा आ रहा था. मुझे आंटी के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए था.
फिर उन्होंने घड़ी की ओर देखा और वो खाना बनाने रसोई में चली गईं. मैं उनके पीछे रसोई में आ गया.
मैंने डरते हुए उनसे कहा- आंटी अभी बाहर जो कुछ हुआ, मैं उसके लिए काफी शर्मिंदा हूँ. मेरी इस हरकत के लिए मुझे माफ़ कर दीजिएगा. आंटी- अरे सोनू कोई बात नहीं. इस उम्र में ये सब होता है. लेकिन तुम अपने किए पर शर्मिंदा हो, ये सुनकर मुझे अच्छा लगा. लेकिन तुमने गलती तो की है … और उसकी सजा तो तुम्हें जरूर मिलेगी. मैं थोड़ा डर गया और पूछा- कैसी सजा आंटी? आंटी ने कहा- तुम्हारी सजा ये है कि तुम्हें अब सलाद बनाना होगा.
मेरी शक्ल देख कर आंटी हंस रही थीं. मैंने चैन की साँस ली. मैंने सोचा ये भी क्या सजा है … सलाद बनाना कौन सी बड़ी बात है. मैं सलाद बनाने लग गया.
कुछ दो मिनट बाद आंटी मेरे पीछे आईं. उन्होंने पीछे से मेरे पैरों के बीच से हाथ डालकर मेरे लंड को दबा दिया.
अचानक हुए इस हमले से मैं हड़बड़ा गया. आंटी ने जोर से मेरा लंड दबाया था, जिसकी वजह से मुझे दर्द हुआ.
मैंने पीछे घूमा और उनसे पूछा- आंटी, आप ये क्या कर रही हो? आंटी- तुम्हें क्या लगा … मैं तुझे इतनी सी सजा देकर माफ़ कर दूंगी.
उन्होंने फिर से वही कातिलाना मुस्कान दे दी. मैं कुछ बोल पाता, उससे पहले ही आंटी ने मेरी पैंट और अंडरवियर उतारकर मेरे लंड को आज़ाद कर दिया. वो घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ कर मेरी ओर देखा और कहा- अब अपनी इस सजा के लिए तैयार हो जाओ.
मैं फिर से कुछ कह पाता, इससे पहले आंटी ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरी आंखें बंद हो गयी थीं और मेरे मुँह से ‘आहह …’ की आवाज़ निकल गई. मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था. ये मेरी ज़िन्दगी का सबसे पहला अनुभव था. मुझे काफी मजा आ रहा था.
मारिया आंटी के साथ चुदाई की कहानी का पूरा मजा मैं आपको इस सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
कहानी का अगला भाग: आंटी के साथ चुदाई की सुनहरी रात-2
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