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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मोहिनी क्रॉसी (मोहित) है। मैं बरेली की रहने वाली हूँ। मैंने अपनी पिछली कहानी मेरी सुहागरात की तमन्ना में बताया कि कैसे मैंने रवि जी के साथ अपनी सुहागरात मनायी और अगली सुबह मैं वहाँ से चली आयी।
आते वक्त रवि ने मुझसे कहा कि ये साड़ी, ब्रा पैंटी, सिलिकॉन बूब्स और मेकअप किट ले जाओ; ये यहाँ बेकार ही पड़ी रहेंगी। मैंने सारे सामान को बैग में रखा और रवि मुझे चारबाग स्टेशन छोड़ने आये और मैं अपने घर आ गयी।
घर आये मुझे अभी चार दिन ही हुए थे कि मेरी गांड में फिर खुजली होने लगी. रात तो मैंने रवि को कॉल लगाया और कहा- मेरी गांड की खुजली का कुछ इलाज करो। रवि बोले- ठीक है, मैं कुछ इंतज़ाम करता हूँ।
करीब एक सप्ताह बाद मेरे नाम से एक पार्सल आया. मैंने उस पार्सल को रिसीव किया और अपने कमरे में ले गयी। वहां मैंने उसे खोला तो देखा उसमें दस इंच लंबा और करीब डेढ़ से दो इंच मोटा डिल्डो (प्लास्टिक या काँच का नकली लंड) था।
ये तो अच्छा हुआ कि दोपहर का समय था और बाकी सब आराम कर रहे थे। अगर किसी और के हाथ ये पार्सल लग जाता तो मेरी शामत आ जाती।
मैंने इनको कॉल लगाया और कहा- ये डिल्डो बहुत मोटा है. ये मेरी गांड में कैसे जाएगा. तो ये बोले- जैसे मेरा लंड गया था। फिर ये बोले- डिल्डो को अपनी गांड में डालो और उसका वीडियो बनाकर भेजो। मैंने कहा- अभी नहीं, रात को।
फिर रात को मैंने साड़ी पहनी, मेकअप किया और मोबाइल का कैमरा अपने गांड की तरफ करके रख दिया। अब मैंने नारियल तेल की बोतल ली और बहुत सारा नारियल तेल अपनी गांड में भर लिया.
साथ ही डिल्डो पर भी तेल लगाया और डिल्डो को जमीन पर रख कर उस पर बैठने लगी। पहली बार में डिल्डो मेरी गांड में नहीं घुसा और फिसल गया। तब मैंने अपनी चूतड़ों को थोड़ा सा अपने हाथों से फैलाया और अब उस पर बैठ गयी।
उसका टोपा अंदर गया ही था कि एक दर्द की तेज लहर मेरे जिस्म में दौड़ गयी. मैं वहीं रुक गयी.
जब मुझे थोड़ा आराम मिला तो मैं ताकत लगा कर डिल्डो को अपनी गांड में लेने लगी और मैं उसे करीब आठ इंच तक ही अंदर ले पाई। अब फिर मुझे दर्द ज्यादा होने लगा तो मैंने दर्द को बर्दाश्त करके उस पर ऊपर नीचे होने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने लंड को वापस निकाल लिया और बहुत सारा तेल गांड में डाल लिया।
उसके बाद मैं दोबारा डिल्डो पर बैठ गयी. इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ और अब मैं उस पर तेज तेज से उठने बैठने लगी. अब मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं अपनी सिसकारियों को दबाये हुए मजे ले रही थी।
दस मिनट बाद मेरे छोटे से लंड ने पानी छोड़ दिया।
मैंने फिर उस वीडियो को रवि जी के व्हाट्सएप पर भेज दिया. ये वीडियो देख कर बोले- तुम एकदम मस्त पॉर्नस्टार की तरह लग रही हो।
अब रोज रात को मैं साड़ी, ब्रा पैंटी और मेकअप करके तैयार होती और डिल्डो को अपनी गांड में डालती।
बहुत दिनों से मैं अपने फिगर को लड़कियों की तरह बनाने की सोच रही थी तो मैंने इंटरनेट पर सर्च किया। वहाँ से मुझे पता चला कि खाली पेट जीरा चबाने से बूब्स का साइज बढ़ता है और निडिया (काल्पनिक नाम) क्रीम एवं जैतून का तेल मिला कर मालिश करने से चूतड़ बड़े हो जाते हैं। मैं इन सब को बाजार से ले आयी और इस्तेमाल करने लगी।
इसी बीच मेरा मोबाइल कहीं गुम हो गया, तो मैंने पापा से रिक्वेस्ट करके जैसे तैसे नया मोबाइल ले पायी और अपनी सिम वापस निकलवाई।
एक रात मैं जब अपने चूतड़ों की मालिश कर रही थी तभी मैं अपने सुहागरात के ख़्यालों में खो गयी। फिर मुझे याद आया कि जब मैं रवि के पास सुहागरात मनाने गयी थी तब वो मेरे लिए एक ऊंची हील की सैंडल लाये थे और मैं सैंडल को पहन कर चल नहीं पाई और गिर पड़ी।
मैंने उसी समय डिसाइड किया कि मैं ऊंची हील की सैंडल पहन कर चलना सीखूंगी। फिर मैं अगले दिन मार्केट गयी और एक ऊँची हील की सैंडल ले लायी। अब मैं रोज रात को सैंडल पहन कर चलने की प्रैक्टिस करती। धीरे धीरे मैं सैंडल पहनकर चलना सीख गई।
अब मेरा रोज रात को तैयार होती, डिल्डो से अपनी गांड मारती और इनसे सेक्स चैट करती।
मुझे जीरा चबाते और चूतड़ों की मालिश करते हुए दो महीने हो चुके थे, मेरे बूब्स और चूतड़ बड़े होने लगे थे।
एक रात को रवि बोले- तुम लखनऊ जाओ. मैंने कहा- क्यों। ये बोले- मजे करने हैं और तुमको जरूर आना पड़ेगा। मैंने कहा- मजे करना हमेशा जरूरी नहीं होता, साफ साफ कहो कि क्या बात है?
ये बोले- यार मेरी नौकरी खतरे में है. मैंने कहा- तो मैं इसमें क्या कर सकती हूँ? ये बोले- तुमको मेरे सीनियर से सेक्स करना पड़ेगा. वो क्रोसड्रेसर से सेक्स करना चाहता है।
मैंने कहा- मैं कोई रंडी नहीं हूँ जो सबसे अपनी गांड मरवाती घूमूं। इतना कह कर मैंने कॉल काट दिया और सो गई।
अब ये रोज रात को कॉल करते, व्हाट्सएप पर सॉरी के मैसेज करते लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसा ही करीब चार दिन तक चला और फिर मैंने इनके कॉल को रिसीव किया। ये बोले- सॉरी जानू। मैंने कहा- कोई बात नहीं, इंसान से गलती हो जाती है।
फिर एक दिन मैं मार्केट गया तो वहाँ मेरा नया मोबाइल भी गुम हो गया. मैंने उस मोबाइल को चार दिन पहले ही बासठ हजार रुपए का लिया था। इससे बीस दिन पहले ही मेरा तीन महीने पुराना मोबाइल गुम हुआ था।
मैंने बहुत कोशिश की मेरा मोबाइल मिल जाये, अब मैं थक चुकी थी।
मेरे पास एक कीपैड वाला मोबाइल था, मैंने अपनी सिम निकलवा कर उस मोबाइल में डाल ली। मेरे पास इतने रुपए भी नहीं थे कि नया मोबाइल ले लूँ। तब मैंने रात को रवि जी के पास कॉल लगाया और कहा- मुझे बासठ हजार रुपए की जरूरत है, क्या तुम मुझे बासठ हजार रूपए दे सकते हो? ये बोले- दे सकता हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है? मैंने कहा- क्या? ये बोले- तुम मेरी नौकरी बचाओ; मैं तुमको बासठ हजार रुपए दे दूँगा। मैंने कहा- मैं ये नहीं करूँगी। ये बोले- सोच लो, ये रुपये तुमको मुझे लौटने की जरूरत नहीं है।
इसके बाद मैंने कॉल कट कर दिया और सो गई।
चार दिन बाद मैंने इनको हाँ कह दिया। मैंने इनको ये सोच कर न कहा था कि मैं अपने दोस्तों से उधार मांग लूँगी, लेकिन किसी के पास इतने रूपए नहीं थे।
यहीं से मेरी रंडी बनने की शुरुआत हो चुकी थी, अब मैं सिर्फ लखनऊ जाने के लिए मौके का इंतज़ार कर रही थी। दस दिनों तक कोई मौका हाथ नहीं लगा।
तभी एक दिन मम्मी ने बोला- तुमको कल लखनऊ जाना पड़ेगा. इतना सुनते ही मेरे बांछें खिल गयी।
फिर मैं अपनी खुशी छुपाते हुए मम्मी से बोला- क्यों जाना है लखनऊ? मम्मी बोली- तुम्हारे पापा के दोस्त की शादी की सालगिरह है। पापा को छुट्टी नहीं मिली इसलिए तुमको जाने को बोला। मैं मुँह लटका कर बोला- ठीक है, चला जाऊँगा।
मैंने रात को रवि को कॉल किया कि मैं दो दिन बाद तुम्हारे पास पहुँच रही हूँ. क्योंकि एक दिन मुझे पापा के दोस्त की पार्टी में जाना था और अगले दिन मैं फ्री होकर इनके पास जाती।
फिर मैं अगले दिन सुबह लखनऊ के लिए निकल गयी और अंकल की शादी की सालगिरह की पार्टी एन्जॉय की और रात को वहीं रुक गयी। अगले दिन मैंने अंकल को कहा कि मैं अपने दोस्त के पास जा रहा हूँ। अंकल बोले- ठीक है बेटा।
वहाँ से निकलते ही मैंने एक ऑटो पकड़ा और अंबेडकर पार्क आकर इनको कॉल किया। ये मुझे गाड़ी से लेने आये।
मैंने रास्ते भर इनसे बात नहीं की क्योंकि इन्होंने मेरी मजबूरी का फायदा उठाया। मैं घर के अंदर गयी, इन्होंने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद भी वहीं बैठ गए।
इनकी नौकरानी हम दोनों के लिए पानी लेकर आई और मिठाई लेकर आई। मैंने पानी पिआ.
तब ये मुझसे बोले- हम जिनसे प्यार करते हैं, उन्हीं से उम्मीद रखते हैं कि अगर हमें कोई समस्या होगी तो ये हमारी मदद करेंगे। इनकी बात सुनकर मन ही मन सोचने लगी कि बात तो इनकी सही है। मैंने भी तो यही सोचकर इनसे मदद मांगी थी। अब मुझे ये लग रहा था कि ये सही हैं, तभी मैंने अपने होंठों को इनके होठों से लगा कर इनको चूमने लगी।
ये समझ चुके थे कि मेरा गुस्सा जा चुका है तो अब ये भी मेरा साथ देने लगे। अब हम दोनों की जीभ एक दूसरे की मुँह का मुआयना कर रही थीं। कभी ये मेरी जीभ चूसते कभी मैं इनकी, कभी ये मेरे होंठों को चूसते कभी मैं इनके।
अब ये इतने जोश में आ गए कि मेरे होंठों को बहुत कसकर चूमने लगे। जिसकी वजह से मेरे होंठ लाल गए और ये सब करते हुए नौकरानी हमें देख रही थी.
नौकरानी समझ चुकी थी कि मेरा और इनका क्या रिश्ता है। मैंने इनको दूर किया।
तब ये बोले- तुम गेस्ट रूम में चले जाओ और नहाकर फ़्रेश हो जाओ। मैं गेस्ट रूम आयी और बाथरूम में चली गयी।
इतने में नौकरानी ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया. मैंने कहा- क्या है? नौकरानी बोली- साहब ने क्रीम भिजवाई है। मैंने दरवाजा खोलकर क्रीम ले ली।
उनमें एक हेयर रिमूवल क्रीम थी और एक बॉडी मॉइस्चराइजर था। मैंने हेयर रिमूवल क्रीम पूरी बॉडी पर लगा ली और सारे बाल साफ कर लिए। उसके बाद मैं नहा कर वापस बाथरूम से बाहर आ गयी। बाहर आकर मैंने अपनी पूरी बॉडी पर मॉइस्चराइजर लगाया, अब मेरी स्किन एकदम स्मूथ हो गयी थी।
नौकरानी लंच बनाकर चली गयी थी, अब घर में सिर्फ हम दोनों ही थे। मैं पैंटी पहनने ही वाली थी कि ये कमरे में आ गए। मुझको नंगी देखकर इनका लंड खड़ा हो गया था. मुझे देखकर ये बोले- तुम्हारे बूब्स और गांड पहले से बड़े हो गए हैं। मैंने कहा- हाँ।
ये मेरे पास आ गए और मुझे चूमने लगे. मैं भी कई दिनों से प्यासी थी। मैं अपनी गांड में इनका लंड महसूस करना चाहती थी तो मैं इनका साथ देने लगी। लेकिन मुझे बिना लड़कियों की तरह सजे सेक्स करने में मजा नहीं आ रहा था, तो मैंने इनसे कहा- मुझे तैयार हो जाने दो। ये ओके बोल कर अपने कमरे में चले गए।
इनके जाने के बाद मैंने सबसे पहले सिलिकॉन बूब्स लगाए, ब्रा पहनी और फिर पेटीकोट, ब्लाउज और साड़ी पहनी। यह वही साड़ी थी जो इन्होंने मुझे सुहागरात पर पहनने को दी थी। मैं सारा सामान अपने बैग में रख कर ले आयी थी।
मेकअप करने के बाद मैंने हाई हील्स सैंडल पहनकर गांड मटकाते हुए इनके कमरे में गयी। ये वहां बेड पर मेरा इन्तज़ार कर रहे थे। मैं जाकर इनके पास लेट गयी. अब इन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और हम एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे जैसे हम दोनों के होंठों में शहद लगा हो।
साथ ही साथ ये मेरे बूब्स को भी दबा रहे थे। मैं मदहोश हो रही थी।
हम लगभग पांच मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर इन्होंने मेरा ब्लाउज उतार दिया और ब्रा को साइड में करके मेरे बूब्स को बाहर निकल कर उसके निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे और दूसरे बूब्स को दबाते जा रहे थे।
मैं आह आह की आवाजों के साथ सिसकारियां भर रही थी। कभी ये एक बूब्स दबाते तो दूसरे को पी रहे रहे थे जैसे कि ये कोई छोटा बच्चा दूध पी रहा हो। मैं इनके लंड को पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी। थोड़ी देर बाद मेरे छोटे से लंड ने पानी छोड़ दिया।
अब मेरे अंदर की औरत की आग भड़क चुकी थी, मैंने इनके पैंट को उतार दिया और अंडरवियर को भी। मैं इनका लंड निकाल कर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
ये मस्ती में सिसकारियां ले रहे थे और बोल रहे थे- चूस मेरी रंडी और जोर से चूस। मैं इनका लंड दस मिनट तक चूसती रही।
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अब मैं इनका लंड चूस रही थी और ये मेरी गांड में अपनी जीभ डाल कर मेरी गांड को जीभ से कुरेद रहे थे। मैं आनंद के सरोवर में डुबकी लगा रही थी।
मैं इनका लंड जोर जोर से चूसने लगी, ये जब झड़ने के करीब आये तो इन्होंने जोश में अपना पूरा लंड मेरे मुँह में डाल दिया और अपने वीर्य से मेरा मुँह भर दिया। मैं इनके वीर्य को पी गयी और इनका लन्ड चाट कर साफ कर दिया।
थोड़ी देर में मैं इनका लन्ड सहलाने लगी, वो थोड़ा थोड़ा खड़ा होने लगा था। अब मैं इनके लन्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी और पांच मिनट चूसने से इनका लंड फिर खड़ा हो गया।
इसके बाद इन्होंने जेल लिया, मेरी गांड में भरने के बाद अपने लंड पर लगाया। फिर इन्होंने मेरी टाँगों को अपने कंधों पर रखा और लंड को मेरी गांड के छेद पर सेट किया और एक धक्का दिया जिससे इनका आधा लन्ड मेरी गांड में घुस गया।
मुझे थोड़ा दर्द हुआ और मैं कराह उठी तो मैंने इनको रोक दिया। थोड़ी देर ये आधा लन्ड घुसेड़े हुए धक्के लगाते रहे।
अब मुझे मस्ती आने लगी थी तो मैंने अपनी गांड इनके लन्ड पर धकेलनी शुरू कर दी। ये समझ गए कि मैं क्या चाहती हूँ तो इन्होंने अपने पूरे लंड को मेरी गांड में डाल दिया और जोर जोर से धक्के देने लगे.
मैं आह आह उह उह की आवाजें निकाल कर इनका जोश बढ़ा रही थी। मैं मदहोशी की हालत में इनसे भड़वा बोल रही थी।
अब मेरा पानी निकलने वाला ही था, तो मैंने इनको इशारा किया तो ये मेरे लन्ड को अपने हाथों से हिलाने लगे और मेरा पानी निकल गया। ये भी मुझे ‘छिनाल … साली … कुतिया ले मेरा लन्ड’ बोल रहे थे. मैं भी बोल रही थी- हाँ मैं छिनाल हूँ, रंडी हूँ … चोद मुझे।
इन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा तो मैं घोड़ी बन गयी. अब ये मुझे पीछे से लन्ड डाल कर मेरी गांड मार रहे थे और मेरे चूतड़ों पर चांटें मार रहे थे। मैं दर्द और मस्ती दोनों में सिसकार रही थी और मेरे मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाजें निकल रहीं थी।
अब ये झड़ने को थे, इनको मेरी गांड मारते हुए 20 मिनट हो चुके थे। इन्होंने एक जोरदार पिचकारी मेरी गांड में छोड़ दी। अब मेरे अंदर की औरत संतुष्ट हो चुकी थी।
दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके बताइये। [email protected]
कहानी का अगला भाग: क्रोस ड्रेसर से रंडी बनने का सफर-2
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