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आपने अब तक की मेरी इस सेक्स कहानी में पढ़ा कि साकेत भैया ने मेरी दीदी की जांघों में हाथ डाल कर उन्हें गर्म कर दिया था. दीदी उठ कर बाहर जाने लगी थी.
अब आगे:
साकेत भैया- नहीं बोलोगी … ठीक है अगर तुम्हें कोई दिक्कत है, तो मैं जा रहा हूं.
तब दीदी बोली- मैं कहीं नहीं जा रही हूँ. इतना बोल कर दीदी साकेत भैया से हाथ छुड़ा कर दरवाजा खोल कर बाहर निकली और साकेत भैया भी उनके पीछे पीछे दरवाजे तक आ कर खड़े हो गए.
तभी दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर श्वेता दीदी कमरे से बाहर आ गई और दीदी से पूछने लगी- क्या हुआ प्रिया … कहां जा रही हो? दीदी- कुछ नहीं. श्वेता दीदी- तो कहां जा रही हो? तब दीदी धीरे से आवाज में बोली- मैं टॉयलेट जा रही हूं. श्वेता दीदी- ठीक है.
फिर दीदी बाथरूम चली गई और साकेत भैया श्वेता दीदी बात करने लगी.
साकेत भैया- क्या हुआ? कहां गई? श्वेता दीदी- भैया कुछ नहीं हुआ, वो टॉयलेट गई है. वो किसी लड़के से कभी बात नहीं करती थी, पर आज वो डायरेक्ट किसी से मिल रही है, तो थोड़ा डरी हुई है.
साकेत भैया- हां मैं उसकी परेशानी को समझ रहा हूं. मुझे एक तौलिया मिलेगा क्या? श्वेता दीदी- हां देखती हूं.
श्वेता दीदी तौलिया ढूंढने लगी, पर उन्हें तौलिया कहीं नहीं मिला. तब उसने बाथरूम के पास जाकर दीदी को आवाज लगाई- प्रिया! दीदी- हां. श्वेता दीदी- तौलिया कहां है प्रिया? दीदी- आंगन में रस्सी पर होगा.
श्वेता दीदी आंगन में गई और रस्सी पर से तौलिया लाकर साकेत भैया को दे दिया. साकेत भैया तौलिया लेकर अपने कमरे में आ गए. उसके बाद साकेत भैया ने अपना पैंट और जांघिया उतार दिया. उनके जांघिए से बड़ा सा काला लंड ढेर सारे बालों के बीच से बाहर निकल आया उनका लंड लगभग एक हाथ का था. मैं उसे देख कर थोड़ी देर के लिए बिल्कुल सन्न हो गया. मैं सोचने लगा कि मेरा तो बहुत छोटा है … और मेरे उधर बाल भी नहीं है.
वास्तविक में वो मेरी दीदी से बहुत बड़े थे. अगर उनकी शादी हो गई होती, उनके बच्चे भी बड़े होते.
फिर मैं ये सब सोचना छोड़ कर मजा लेने में व्यस्त हो गया. तभी श्वेता दीदी बोली- क्या हुआ प्रिया तुम आंगन में क्यों खड़ी हो. दीदी- कुछ नहीं. श्वेता दीदी- तो फिर वहां क्या कर रही हो..! जाओ रूम में. दीदी- जाती हूं … तुम जा कर सो जाओ. श्वेता दीदी- ठीक है.
फिर श्वेता दीदी अपने कमरे में चली गई और थोड़ी देर बाद दीदी भी अपने कमरे में चली गई. साकेत भैया- क्या हुआ? दीदी- कुछ नहीं.
साकेत भैया ने दीदी को अपनी तरफ जोर से खींचा. दीदी साकेत भैया पर गिर गई. साकेत भैया ने दीदी को जोर से पकड़ कर गालों पर किस किया और उन्होंने बोला- अपना कपड़े उतारो ना … मुझे देखना है. दीदी- नहीं … ये सब गलत है.
साकेत भैया समझ गए कि ये खुद से नहीं उतारेगी … उन्हें ही कुछ करना होगा. फिर उन्होंने थोड़ी जबरदस्ती की. पहले दीदी थोड़ा इधर उधर हुई, पर उनका बस नहीं चला और वो शांत हो गई. फिर साकेत भैया ने दीदी की शर्ट और चेस्टर उतार दिया.
मेरी आंखों के सामने दीदी की दोनों बड़ी बड़ी गोरी गोरी चूचियां सामने उछल रही थीं. चूचे देख कर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरा लंड इतना उतावला क्यों हो रहा था. मैं सोच रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है … लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था. बहुत दिनों से मैं दीदी को बिना कपड़े की देखने की कोशिश कर रहा था, पर देख नहीं पाया था. मेरा लंड आज धीरे धीरे पूरा खड़ा हो रहा था.
साकेत भैया दीदी की दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसने लगे. इतना करने के बाद अब दीदी भी मदहोश होने लगी और मदहोशी में उनके मुँह से आवाज आने लगी- आऊं उ उ ह … आ ह उ उ..
कुछ देर बाद साकेत भैया ने दीदी को बेड पर पेट के बल लिटा दिया और उनकी पैंटी को उतारने लगे.
अब मेरी धड़कनें तेज हो गईं … क्योंकि मेरी ख्वाहिश अब पूरी होने जा रही थी.
तभी दीदी ने साकेत भैया का हाथ पकड़ ली और बोली- नहीं … इसको मत खोलिए.
मैं मन ही मन में प्रार्थना कर रहा था कि दीदी पैंटी खुलवाने के लिए मान जाए.
साकेत भैया दीदी से बोले- देखने दो ना … सिर्फ देखेंगे.
साकेत भैया दीदी की पैंटी उतारने की कोशिश करने लगे और पैंटी को नीचे की तरफ खींच दिया. तभी दीदी की गोरी और उभरी हुई गांड मुझे दिख गई. मेरी धड़कनें तेजी से धड़कने लगीं.
तभी दीदी ने साकेत भैया का हाथ पकड़ लिया, तो भैया ने दीदी की पैंटी को छोड़ दिया. दीदी की पैंटी फिर से उनके चूतड़ों से सट गया.
दीदी- प्लीज इसे मत खोलिए ना. साकेत भैया- मुझे एक बार देखना है प्लीज देखने दो ना.
दीदी कुछ नहीं बोली. तब साकेत भैया समझ गए कि अब मामला फिट है और वो फिर से दीदी की पैंटी को नीचे खींचने लगे. लेकिन दीदी की पैंटी नहीं उतर पा रही थी.
फिर साकेत भैया ने दीदी को कमर ऊपर उठाने का इशारा किया, तो दीदी ने थोड़ा सहयोग करते हुए अपनी कमर को थोड़ा ऊपर कर दिया. साकेत भैया ने धीरे से दीदी की पैंटी को नीचे उतार दिया.
अब दीदी बिल्कुल नंगी थी. मुझे उस वक्त उनकी गांड का छेद बिल्कुल साफ नजर आ रहा था. मैं बिल्कुल अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और अपने एक हाथ से लंड को जोर जोर से हिलाने लगा.
उसके बाद साकेत भैया ने दीदी की टांगों को फैलाया. दीदी ने जैसे ही अपने टांगों को थोड़ा फैलाया, तभी उनकी गुलाबी बुर दिखी. उस समय दीदी की बुर में एक भी बाल नहीं था.
साकेत भैया दीदी की दोनों टांगों के बीच में आ गए. अब साकेत भैया के दोनों हाथ दीदी की मोटी गांड को मसल रहे थे और वो अपनी जीभ से दीदी की बुर और गांड के छेद को चाट रहे थे.
दीदी के मुँह से जोर जोर से ‘आह … उह … आह … उह..’ की आवाज निकल रही थी.
थोड़ी देर तक दीदी की चुत चाटने के बाद साकेत भैया उठ कर बैठ गए और उन्होंने दीदी को भी उठा कर बैठा दिया.
फिर साकेत भैया ने अपना तौलिया खोल दिया और तौलिए के अन्दर से मोटा बड़ा लंड बाहर आ गया.
दीदी लंड देख कर बोली- क्या कर रहे हो साकेत … ये सब ठीक नहीं है? प्लीज़ तौलिया लपेट लीजिए ना? साकेत भैया- अरे प्रिया अभी तो शुरू हुआ है. दीदी- नहीं … मुझे बहुत डर लग रहा है. ये सब गलत है. साकेत भैया- तुम डर क्यों रही हो. प्यार में कुछ भी गलत नहीं है.
फिर दीदी कुछ नहीं बोली. साकेत भैया ने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. दीदी ने झट से अपना हाथ वहां से हटा लिया. साकेत भैया ने दीदी का हाथ फिर से पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया, पर दीदी ने फिर से हाथ हटा लिया.
इस बार फिर से साकेत भैया ने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ भी ऊपर से रख लिया. दीदी ने कोई विरोध नहीं किया और अपने मुँह को दूसरी तरफ करके उनके लंड को अपने मुलायम नाजुक हाथों से सहलाते हुए ऊपर नीचे करते हुए हिलाने लगी.
तभी मैंने गौर किया कि साकेत भैया का लंड इतना मोटा था कि पूरी तरह से दीदी की मुट्ठी में नहीं आ रहा था. इसी तरह कुछ देर दीदी ने उनके लंड को हिलाया और अपना हाथ हटा लिया.
तभी साकेत भैया बोले- मेरा लंड अपने मुँह में लो ना. दीदी- नहीं … मुझसे नहीं होगा. साकेत भैया- प्लीज एक बार. दीदी- नहीं. साकेत भैया- प्लीज़.
दीदी कुछ नहीं बोली. साकेत भैया- क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो.
इसी तरह साकेत भैया दीदी को इमोशनली सैट करते जा रहे थे और दीदी भी सैट होती जा रही थी.
फिर साकेत भैया को लगा कि अब ये मान जाएगी. तब साकेत भैया ने अपने पैर फैला कर बीच में दीदी को बिठा लिया और दीदी का सर को पकड़ कर अपने लंड के तरफ झुकाया. दीदी ने कुछ भी रिएक्शंस नहीं दिया.
साकेत भैया- प्रिया मुँह खोलो ना. दीदी- नहीं! मुझसे नहीं होगा. साकेत भैया- एक बार ट्राई तो करो. दीदी- नहीं होगा. साकेत भैया- एक बार प्लीज़.
दीदी कुछ नहीं बोली और उसने अपना मुँह खोल साकेत भैया का लंड थोड़ा अन्दर ले लिया. साकेत भैया ने आंखें बंद कर लीं और अपना दोनों हाथ पीछे करके अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगे.
जब साकेत भैया कुछ ज्यादा उत्तेजित हो गए, तो वो एक हाथ से दीदी के सर को पकड़ कर अपने लंड को तेजी से दीदी के मुँह में अन्दर बाहर करने लगे. उनका लंड इतना बड़ा था कि दीदी के मुँह में पूरी तरह से नहीं आ रहा था. साकेत भैया जबरदस्ती दीदी के मुँह में अपना लंड घुसाए जा रहे थे.
दीदी अकबकाहट महसूस कर रही थी. दीदी के मुँह से ढेर सारा थूक बाहर आ रहा था. उनके थूक से साकेत भैया का लंड बिल्कुल गीला हो चुका था. दीदी का चेहरा बिल्कुल लाल सेव की तरह हो गया था और आंखों से आंसू आने लगे थे. लेकिन साकेत भैया रुक नहीं रहे थे. वो दीदी के सर को ताकत से पकड़ कर जोर जोर से दीदी के मुँह में झटका लगाए जा रहे थे.
फिर दीदी ने पूरी ताकत से उनके हाथ से अपने आपको छुड़ाया और अपने मुँह को दोनों हाथों से बंद करके जोर जोर से सांस लेने लगी.
तब साकेत भैया बोले- एक बार और करो ना. दीदी कुछ नहीं बोली. साकेत भैया- क्या हुआ? दीदी फिर भी कुछ नहीं बोली, लेकिन अपने हाथ से कुछ इशारा किया, शायद उन्हें उल्टी आ रही थी.
तब साकेत भैया ने जल्दी से बेड पर बिछे चादर को निकाल कर दीदी को दे दिया और दीदी ने उस चादर को अपने बदन पर लपेट कर बाहर जाने के लिए दरवाजा खोला.
दरवाजे खुलने की आवाज सुन कर श्वेता दीदी अपने कमरे से बाहर आ गई और दीदी को देखते ही पूछने लगी- क्या हुआ तुम चादर क्यों लपेटे हो? दीदी कुछ नहीं बोली और दौड़ती हुई बाथरूम की तरफ गई और वो ओ. … ओ … करके उल्टी करने लगी.
तभी श्वेता दीदी भी बाथरूम की तरफ भागी देखी. दीदी उल्टी कर रही है, तो वो जल्दी से किचन गई और एक जग पानी लेकर आई. उसने दीदी को कुल्ला करवाया.
फिर उसने दीदी से पूछा- क्या हुआ चादर क्यों लपेटी हो? दीदी कुछ नहीं बोली, पर श्वेता दीदी सब समझ गई और वो मुस्कुराने लगी. दीदी थोड़ा शर्मा गई और उसने सर नीचे कर लिया.
इधर साकेत भैया दीदी के थूक से गीले लंड को हिला रहे थे. फिर वो उठे और तौलिया लपेट कर बाहर आ कर श्वेता दीदी से बोले. साकेत भैया- श्वेता थोड़ा पानी मिलेगा. श्वेता दीदी- हां भैया.
श्वेता दीदी ने एक जग पानी लाकर दीदी को दे दिया.
प्रिया दीदी पानी का जग लेकर कमरे में आई और साकेत भैया ने दरवाजा बंद कर लिया. उन्होंने दीदी के हाथ से पानी का जग लेकर थोड़ा सा पिया और वहीं पास पड़ा टेबल पर रख दिया.
फिर साकेत भैया ने दीदी को गोद में उठा कर पलंग पर पेट के बल लिटा दिया और दीदी जो चादर लपेटी थी, उसको निकाल दिया.
इससे मेरी दीदी दुबारा बिल्कुल नंगी हो गई. साकेत भैया ने फिर से दीदी की दोनों टांगों को फैलाया और उनके बीच लेट गए. साकेत भैया दीदी की गांड और बुर को चाटने लगे.
दीदी फिर से ‘उह … आह … ऊऊऊऊऊ … आ आ आ…’ की आवाजें निकालने लगी.
अब साकेत भैया से भी बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था. वे बेड पर पड़े तकिया को दीदी के कमर की नीचे रखने लगे. दीदी ने अपनी कमर को ऊपर किया और साकेत भैया ने तकिया को दीदी के पेट के नीचे रख दिया. अब दीदी की बुर और गांड का छेद साफ साफ दिखाई दे रहा था. साकेत भैया दीदी के पैरों के बीच लेटकर दीदी की बुर को चाटने लगे.
दीदी ‘उह … आह … ऊऊऊऊऊ … आ आ आ…’ करते हुए बेड को दोनों हाथों से जोर से पकड़े हुए थी. साकेत भैया ने अपनी जीभ को दीदी की बुर के अन्दर थोड़ा पुश किया, तब दीदी बिल्कुल बेकाबू हो गई. उसने चादर को अपने दांतों के बीच जोर से दबा कर आंखें बंद कर लीं.
दीदी अपनी बुर को उनके मुँह में रगड़ने लगी. तब साकेत भैया समझ गए कि अब ये बिल्कुल जोश में है. अभी ही मौका है. साकेत भैया अपनी तौलिया खोल कर अपना लंड को दीदी की बुर पर रगड़ने लगे. दीदी भी उनका साथ देने लगी. वो अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए बुर को उनके लंड पर रगड़ने लगी.
साकेत भैया मेरी दीदी की कुंवारी बुर की सील खोलने में लगे थे. इस सबको मैं पूरे विस्तार से लिखता रहूँगा. मेरी इस सेक्स कहानी के लिए आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी. [email protected]
कहानी जारी है.
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