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सचिन ने मुझे दीवार से सटाया और मेरी चूत में लंड लगा के कहा- थोड़ी देर आगे से फिर पीछे से! और एक झटके में मेरी चूत में लंड डाल दिया अपना। मैंने हल्की ‘सी सी …’ की सिसकारी भरी और उसे ज़ोर से गले लगा लिया।
शावर के पानी की बूंदें हम दोनों पे पूरा बरसते हुए पूरा भिगो रही थी. मैं सचिन की बांहों में पड़ी पूरे जोश में चुदवा रही थी। मेरी मुंह से हल्की हल्की ‘आहह … अहह … आह … आह … सचिन अहह … सचिन … और तेज़ … और तेज़ … ‘ की आवाजें निकल रही थी।
हम दोनों के भीगे हुए जिस्म इतनी तेज़ टकरा रहे थे कि पट्ट पट्ट की हल्की आवाजें आ रही थी। अब क्योंकि सिर्फ मेरा कमरा ऊपर था तो आवाजें मेरे कमरे तक ही जा सकती थी, नीचे तक नहीं।
ऐसे ही 5-7 मिनट तक सचिन मुझे चोदता रहा। मुझे उसे उस वक़्त दुनियादारी, समाज का कोई होश नहीं था। सचिन का बड़ा लंड मेरे जिस्म में घुसा हुआ मुझे चोद रहा था और मैं बेफिकर होके चुदवा रही थी।
तभी मुझे याद आया और मैंने कहा- रुको रुको, अब पीछे से तो चोद लो, वरना फिर रह जाएगा। उसने कहा- सुहानी, मैं बताना भूल गया कि उसमें तुम्हें शायद हल्का सा दर्द हो। मैं उस वक़्त पूरे जोश में थी तो मैंने कहा- ‘अरे मैं सारा दर्द बर्दाश्त कर लूँगी. तुम बस चोदो।
सचिन से अलग हुई मैं … तो उसने बोला- ऐसा करो, शावर के नीचे ही दीवार की टेक लगा के झुक जाओ. तो मैंने वैसे ही किया।
अब शावर का पानी मेरी नंगी कमर पे गिर के हर तरफ से फिसल रहा था। सचिन ने मेरी गांड पे अपना लंड रगड़ा और कहा- तैयार हो सुहानी? मैंने कहा- हाँ यार, तू डाल ना लंड, ये स्टेप भी कर लेते हैं। पर मुझे नहीं पता था कि ये बहुत दर्दनाक होता है।
सचिन ने हल्का सा लंड डाला तो मुझे बस हल्की सी चीस हुई तो मेरे मुंह से ‘सीईई …’ निकल गयी। अब सचिन ने कहा- सुहानी, मुझे तेरा मुंह बंद करना पड़ेगा. वरना तेरी चीख निकल गयी तो तेरे घर वाले सुन लेंगे। मैंने कहा- तुझे जो करना है कर … पर अब देर मत कर, 6:30 बज गए होंगे।
सचिन ने बस पीछे से मेरा मुंह ज़ोर से दबाया और इतना कहा ‘हो सके तो मुझे माफ करना सुहानी’ और थोड़ा थोड़ा फंसाते हुए अपना लंड मेरी गांड में जबरदस्ती घुसाने लगा।
मुझे लगा था कि हल्का सा ही दर्द होगा पर मेरा दर्द एकदम से बढ़ गया और मैं उसके हाथों और लंड के बीच फंसी तड़प रही थी और ‘उम्म … उम्म … उम्म … ‘ करती हुई निकलने को छटपटा रही थी।
मेरी आँखें फटी रह गयी दर्द से … पर उस वक़्त मेरे पास दर्द सहने के अलावा कोई रास्ता था क्योंकि एक तरफ उसने पीछे की तरफ से मेरा मुंह भींचा हुआ था और दूसरी तरफ वो गांड में लंड फंसा के रुका हुआ था।
ब्लू फिल्म के सारे स्टेप करने का मेरा नशा उतर चुका था और मैं बस दुआ कर रही थी कि ये वक़्त जल्दी गुज़र जाये।
मैंने हाथ पटकते हुए उससे गुहार लगाई निकलने की लंड को। सचिन ने मुझसे कहा- मैं हाथ हटा रहा हूँ, प्लीज चिल्लाना मत। मैंने हाँ में सिर हिलाया।
जैसे ही उसने हाथ हटाया, मैंने तड़पते हुए कहा- आनहह … सचिन … स्स … आहह … प्लीज निकालो बहुत दर्द हो रहा है, एक बार निकालो … प्लीज! सचिन ने कहा- अभी निकल लूँगा तो और दर्द होगा यार, थोड़ी देर पड़ा रहने दे अंदर। फिर मैं गांड में उसका लंड लिए कुछ देर शावर के झम झम बरसते ठंडे पानी में भीगती रही।
मेरा दर्द भी कम हो गया था तो मैंने उसकी तरफ देखते हुए हल्का सा हाँ में सिर हिलाया और कहा- ठीक है, अब चोद लो। सचिन मुस्कुराया और धीरे धीरे मेरी गांड में लंड अंदर बाहर करता हुआ चोदने लगा।
मुझे हल्का हल्का दर्द अब भी हो रहा था इसलिए उसके हर झटके के साथ मेरी ‘सीई … सीईईई …’ करके सिसकारियाँ निकल रही थी।
अब मैं और सचिन खड़े हो गए, मेरी नंगी कमर उसकी तरफ थी और उसका लंड अभी भी मेरी गांड में ही था। हम दोनों के नंगे जिस्मों पे शावर का पानी बरस रहा था।
सचिन ने अपनी स्पीड बढ़ा दी. मैं उसके हर झटके के साथ उछल उछल के चुदवा रही थी ‘और ज़ोर ज़ोर से … आहह … आहह … अहह … आई … आई … सचिन … अहह … आहह … सचिन … चोदते रहो तेज़ तेज़ … ‘ कहते हुए।
सचिन को भी बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी इसलिए वो भी अपने होंठ भींच के ‘हम्म … हम्म … हम्म … ‘ करके लंड से धक्के मारे जा रहा था।
उसने शायद 7-8 मिनट मेरी गांड की बड़े अच्छे ढंग से चुदाई की और फिर थक के रुक गया। जब उसने लंड निकाला तो मैंने देखा कि दर्द इसलिए हो रहा था क्योंकि चिकनाई के अभाव में मेरी गांड को छील दिया था उसके लंड ने! पर मुझे चुदवाने में इसका होश ही नहीं रहा।
शावर के पानी से उसके लंड से और मेरी गांड से खून भी धूल गया।
मैंने कहा- यार सचिन गांड में तो बहुत दर्द होता है, देख तूने इसमें से भी खून निकाल दिया। इससे अच्छा तो आगे से ही चोद लेता। उसने कहा- यार, मैंने भी पहली बार मारी है, मुझे भी नहीं पता था। चल अब आगे से चोदता हूँ। मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैं वहीं बाथरूम के भीगे हुए फर्श पे लेट गयी और पानी ऊपर से गिरता रहा। मैंने घुटने मोड़ लिए और सचिन से कहा- ले चोद अब जल्दी जल्दी, लेट हो रहा है।
सचिन ने बिना देर किये मेरी चूत में लंड डाला और पट्ट पट्ट दबा दबा के चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था और उसके हाथ मेरे भीगते हुए बूब्स को आते की तरह गूँथ रहे थे।
मैं ऊपर नीचे हिलती हुई उसकी आंखों में देखती हुई ‘आहह … ह्ह … आहह … आहह … ‘ करती हुई बस चुदवाए जा रही थी।
बीच में अचानक मुझे हल्की सी हंसी आ गयी उसे देखते हुए। सचिन ने चोदते हुए पूछा- क्या हुआ? क्यूँ मुस्कुरा रही है? मैंने चुदते हुए ही कहा- आहह … आहह … इतने सालों से … आहह … हम पास पास रहते हैं … आहह … अहह … मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा पहला सेक्स तुम्हारे साथ होगा … आहह … आहह … और वो भी इतना जबरदस्त।
सचिन बोला- सोचा तो मैंने भी नहीं था कि मैं तुझे चोदूँगा … ये ले और चुद! और उसने अपने धक्कों की स्पीड पूरी बढ़ा दी।
अब हम दोनों अपनी पूरी ताकत से चुदाई कर रहे थे। उसने कहा- एक बार और चोद लूँ गांड में! मैंने कहा- चूत में ही चोद ले, गांड मारने पे क्यूँ तुला है?
पर उसने मेरी एक ना सुनी और लंड निकाल के मेरी गांड में ठोक दिया। मैंने बस उसे घूर के देखा और कहा- चोद ले बेटा, तू भी क्या याद करेगा कि तेरी बेस्ट फ्रेंड कितनी अच्छी है। चोद … च्चोद … आहह … पूरी ताकत से चोद … आहह … आई … मर गयी … आहह … चोदता रह … आहह!
उसने लगभग 5 मिनट फिर मेरी गांड फिर मारी।
मैंने कहा- बस मेरी चूत में डाल के ही झड़ियो। उसने कहा- ठीक है।
मैंने उसे नहीं रोका, जब उसका गांड में चोद चोद के मन नहीं भर गया और मैं बस ‘आहह … आहह … ‘ करके सिसकारियाँ लेती हुई गांड मरवाती रही और अपनी चूत में उंगली करती रही।
फिर वो हटा और कहा- अब मैं झड़ जाऊंगा जल्दी, ला तुझे भी झाड़ दूँ! और मेरी चूत में लंड डाल दिया। मैंने कहा- अब रुकना मत जब तक या तो मैं या तू ना झड़ जाये।
फिर तो हम दोनों ने चुदाई में रेल बना दी। उसने मुझे 5-6 मिनट तक पूरी ताकत से चोदा, मैं भी पूरे जोश में ‘आहह … आहह … आऊ … आऊ … ‘ करती हुई ऊपर नीचे हिलती हुई बाथरूम के चिकने फर्श पे लेटी हुई चुदवाती रही।
कुछ देर में मुझे अहसास हो गया कि मेरा पानी छूटने वाला है, तो मैंने कहा- आहह … और तेज़,… और तेज़ … और तेज़ … आह।
इस बार हम दोनों ही एक साथ झड़ने के करीब पहुंचे और बस फिर एक साथ ज़ोर की लंबी ‘आहह … फछ … फच्च्ह … फच्च्ह …’ करके एक साथ झड़ गए और एक दूसरे से अलग हो के बाथरूम के फर्श पे ही लेट गए और पानी में भीगते रहे।
हम दोनों के शरीर से निकला हुआ पानी सब धूल गया।
फिर जब हम सुस्ता लिए तो उठ के एक साथ नहाये चिपक चिपक के एक दूसरे के बदन को रगड़ रगड़ के।
जब तक हम बाथरूम से बाहर आए 7:30 बज चुके थे। मैंने कहा- अब जाओ, घर वाले उठने वाले ही होंगे। उसने अपने कपड़े डाले और छुपते हुए छज्जे से कूद के अपने घर चला गया।
मैंने अपने घर वाले कपड़े पहने और ऐसे हो गयी जैसे कुछ हुआ ही ना हो। हालांकि मुझे चलने तक में दिक्कत हो रही थी, इसलिए मैंने दिन में हल्की सी तबीयत खराब होने का बहाना कर दिया और आराम करती रही।
उसके बाद मेरी और सचिन की दोस्ती और गहरी हो गयी क्योंकि हम दोनों के बीच अब कुछ भी राज़ नहीं रह गया था। हमें जब भी मौका मिलता था हम खूब सेक्स करते थे। कभी वो मेरे कमरे में आ जाता था कभी मैं उसके कमरे में चली जाती थी।
एक बार तो जब मेरे घर कोई नहीं था तो मैंने और उसने पूरे घर में नंगे घूमते घूमते 3-4 बार सेक्स किया था, एक बार छज्जे की दीवार के पीछे लेट के खुले आसमान के नीचे बारिश में भी सेक्स किया था।
तो दोस्तो, आप लोगो को मेरे द्वारा चित्रित की हुई मेरी सहेली की यह सेक्स की सच्ची कहानी कैसी लगी मुझे कमेंट्स में जरूर बताइएगा क्योंकि वो भी सारे कमेंट्स पढ़ रही होगी। उसने मुझे इस कहानी को लिखने के लिए एक एक बात विस्तार में बताई थी, जिससे मैं ये कहानी लिख पायी। उम्मीद है आप लोगो को पसंद आयी होगी।
अब मैं आप सबसे कुछ कहना चाहती हूँ। मैं ज़्यादातर मेल्स का रिप्लाई करने का बहुत प्रयास करती हूँ पर कई बार संभव नहीं हो पाता सबको रिप्लाई कर पाना। ज़्यादातर अन्तर्वासना पाठक मुझसे कुछ गिने चुने सवाल ही पूछते हैं जैसे मेरा मोबाइल नंबर क्या है, फ़ेसबुक या इंस्टाग्राम की आइ डी क्या है, ये सारी कहानियाँ सच्ची है या सिर्फ कल्पना, या फिर मुझे पैसे का प्रभोलन देते है अपने साथ सेक्स करने के लिए, या सिर्फ दोस्ती या गर्लफ्रेंड बनने के लिए कहते हैं. यहाँ तक कि किसी और लड़की से दोस्ती करवाने को भी बोलते हैं।
मैं आप सभी के दोस्तों के सवालों का जवाब यहीं दे देती हूँ। हालांकि मैंने अपने बारे में ज़्यादातर पिछली कहानियों में ही बता दिया है. पर चलिये एक बार और बता देती हूँ।
मेरा नाम सुहानी चौधरी है और मैं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से हूँ। मेरी उम्र 22 साल है और फिलहाल मैं दिल्ली से बी.एस.सी कर रही हूँ। मेरी हाइट 5’4″ है और फ़िगर भी बता देती हूँ। मैंने अपना फ़िगर बड़ी महेनत से 36-26-36 किया हुआ है।
मेरा शरीर का रंग बिल्कुल गोरा है जैसा कुछ भारतीय लड़कियों का होता है। मेरी आँखें बड़ी बड़ी और बहुत सुंदर हैं। मेरा चेहरा भी बहुत हंसमुख और मासूम सा है। मुझे ज्यादा मेकअप की जरूरत भी नहीं पड़ती क्योंकि मैं बिना उसके ही सुंदर हूँ। शायद इसलिए ज़्यादातर लोग मुझे छोटी ही समझते हैं। जब मैं अपने घर होती हूँ तो साधारण कपड़े ही पहनती हूँ। पर हॉस्टल में दिल्ली के फैशन के हिसाब से पहनती हूँ कपड़े।
मैं अपनी गोपनीयता के लिए आप सबको अपनी फोटो नहीं दे सकती तो आप लोग इस विवरण से अपने दिमाग में मेरा चित्रण कर सकते हैं।
दूसरी बात यह है कि मैं तो क्या कोई भी इस तरह खुले आम इंटरनेट पे अपना मोबाइल नंबर, फ़ेसबुक या इंस्टाग्राम जैसी निजी जानकारी किसी अंजान इंसान के साथ शेयर नहीं करना चाहेगी. क्यूँकि उन सब पे काफी निजी जानकारी होती है जैसे मेरे बारे में, परिवार, दोस्तो के बारे में इत्यादि इत्यादि।
अगर ये सारी जानकारी किसी गलत आदमी के हाथ लग जाए तो वो मुझे ब्लैकमेल भी कर सकता है. और इंटरनेट की दुनिया में किसी पे भरोसा नहीं किया जा सकता.
आप सब आए दिन अखबारो में, या समाचारों में इस बारे में पढ़ते ही रहते होंगे।
उम्मीद है कि आप सब समझते हैं ये सब! मैं जानती हूँ कि आप सब बुरे नहीं है, पर आप ये भी जानते हैं कुछ लोगों की वजह से ही सब पे से भरोसा उठ जाता है। रही बात पैसे कि तो मुझे पैसा कमाने का कोई लालच नहीं है. तो प्रोलोभन देना व्यर्थ है, मेरी जरूरत पूरी हो जाती है, वही काफी है।
और हाँ, मेरी शादी भी नहीं हुई है। मैं आप सबके निजी दोस्ती के निमंत्रण को भी स्वीकार नहीं कर सकती. क्यूंकि अगर मैं ऐसे सबका निमंत्रण स्वीकार करूंगी तो शायद हजारों लोगों से दोस्ती करनी पड़ेगी. जो संभव नहीं है. और ना चाहते हुए भी मुझे आप सबको मना करना पड़ता है।
इस तरह आप खुद अपनी भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।
आप सब पाठकों से एक और निवेदन है कि ऐसा मत सोचा कीजिये कि क्या लड़कियां भी सेक्स करती हैं, सेक्स के बारे में बातें करती हैं। या किसी भी इंसान के साथ कैसे सेक्स कर लिया होगा इसने, झूठ बोल रही है।
मैं आप सबको बाध्य तो नहीं कर सकती मेरी बात मानने के लिए। पर सबको ज़िंदगी में सब कुछ करने का मौका नहीं मिलता, पर किसी किस किस्मत वाले इंसान को तो मिल ही जाता है। यह दुनिया सेक्स के बलबूते ही कायम है, हर पल हजारों लोग सेक्स कर रहे होते हैं दुनिया में कहीं न कहीं! और इसमें कुछ गलत नहीं है जब तक आप कोई कायदा कानून नहीं तोड़ रहे हो।
और मुझे नहीं लगता कि आप में से ज्यादातर को अगर ऐसे सेक्स करने का मौका मिले किसी इंसान के साथ जो आपका बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रेंड या पति/पत्नी ना हो बल्कि कोई और इंसान हो तो आप छोड़ देंगे। मैं ज्ञान नहीं बघार रही हूँ आप लोगो पे … बस अपने दिल की बात कह रही हूँ। लड़कियों की भी ऐसी ही भावनायें होती हैं ज़्यादातर जैसे लड़कों की और हम भी उतना ही सोचती हैं सेक्स के बारे में।
मुझे इस तरह लिखने का बचपन से ही बहुत शौक है। मैं बचपन से ही डायरी लिखती आ रही हूँ और ये कहानियाँ आप सबके मनोरंजन के लिए और अपना शौक पूरा करने के लिए लिखती हूँ. कहानियाँ ज़्यादातर सच्ची ही होती है, बस थोड़ा मसाला लगा के लिखना पड़ता है ताकि जब मेरी कहानी के पाठक कहानी पढ़ें तो वो अपने दिमाग में कहानी को चित्रित कर सके जैसे कि वो खुद ही कहानी के नायक या नायिका हो।
मैं कहानी लिखते हुए ज़्यादातर विवरण दे देती हूँ ताकि आप सब को आसानी हो कल्पना करने में कि उस वक़्त वहाँ क्या हो रहा होगा।
एक बात और: कभी कभी ऐसा होता है कि अगर कहानी मेरी खुद की नहीं है तो हो सकता है किसी और के जीवन की कहानी हो जो उसने मेरे द्वारा मेरी जूबान में या मुझसे जोड़ के लिखवाई हो। कहानियाँ भी हमारी फिल्मों की तरह होती है, बस फिल्मों में हम एक निश्चित नायक या नायिका को फिल्मों में देखते हैं जबकि ऐसे कहानी में पढ़ते हुए हम खुद उस कहानी के नायक या नायिका होते हैं और हमारे साथ हमारी भावनाओं में होता है. शायद हमारा ड्रीम गर्ल या ड्रीम बॉय जिसे हम कहानी में दिये गए उसके विवरण से एक शक्ल देते हैं। अब फिल्म तो तभी दिलचस्प लगेगी न जब हम सिर्फ फिल्म देखें और उसी के बारे में सोचे, ना कि जब फिल्म के पीछे की शूटिंग भी देखें।
इसलिए आप सब पाठकों से निवेदन है कि मेरी कहानी पढ़ते हुए दिमाग की बजाय दिल से सोचें. और हाँ अपने उन गुप्त अंगों से भी सोच सकते हैं।
और अब मैंने जब आप लोगों को ज़्यादातर बता दिया है, इससे ज्यादा नहीं बता पाऊँगी गोपनीयता बनाए रखने के लिए! कृपया मुझसे यही सब दुबारा ई-मेल में ना पूछें. बार बार सबको वही बताने से थोड़ी झुंझलाहट होती है और रिप्लाई करने का मन भी नहीं करता। आप सब तो बस कहानी के मजे लिया लीजिये।
आपकी प्यारी सुहानी चौधरी धन्यवाद [email protected]
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