अगस्त 2019 की बेस्ट लोकप्रिय कहानियाँ

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प्रिय अन्तर्वासना पाठको अगस्त 2019 प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच बेस्ट सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…

मेरा नाम मनीषा है, मैं दिल्ली से हूं. मेरा फिगर ऐसा है कि अगर कोई मर्द देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाए. मेरे आस पड़ोस में जितने भी मर्द है सब मुझे आँखों आँखों में घूरते हैं, मुझे चोदना चाहते हैं वे चाहते हैं कि इस भाभी को हम पटक पटक कर चोदें।

मेरे हस्बैंड भी मुझे बहुत चोदते हैं, मैं भी उनका भरपूर साथ देती हूं। वे अक्सर मुझे किसी दूसरे मर्द से चुदने के लिए रिझाते हैं। जब मैं बेड पर होती हूं तो किसी दूसरे मर्द से चुदने के नाम पर मैं भी पागल सी हो जाती हूं और खुद अपने हस्बैंड को चोदने के लिए बोलती हूँ। रोज एक व्यक्ति के साथ सेक्स, चाहे आप उसे कितना भी प्यार करते हों, बोर होने लगता है. मैं अपने हस्बैंड से बहुत प्यार करती हूं लेकिन फिर भी मुझे किसी दूसरे आदमी के नाम पर चुदना बहुत अच्छा लगता है। हमारी इस सेक्स लाइफ में अब यह रोजाना का काम था।

और कहते हैं ना कि आप जो जिंदगी रोज जीने लगते हैं वह एक दिन सच भी होने लगती है. बेड पर मेरा और मेरे हस्बैंड का किसी दूसरे मर्द का नाम सुनते ही गर्म हो जाना उनका मुझे खूब चोदना और मेरा उनसे खूब चुदना।

अब मैं और मेरे हस्बैंड सच में किसी को ढूंढने लगे जिस पर हम भरोसा कर सकें और जो हमारी जरूरत को पूरा कर सके. मेरे हस्बैंड ने कहा- जो मेरे बॉस है ऑफिस में, जो हमारे घर पर अक्सर आते भी रहते हैं, वे अक्सर तुम्हारे बारे में पूछते रहते हैं कि भाभी कैसी हैं.

खुद मैंने भी यह बात नोट की थी कि जब वे हमारे घर किसी फंक्शन या पार्टी में आते थे तो वे मुझे बहुत देखते थे. तब शायद मैंने उन पर इतना ध्यान नहीं दिया लेकिन जब मेरे हस्बैंड ने कहा कि ऑफिस में भी अक्सर मेरे बारे में पूछते रहते हैं तब मैंने उन पर ध्यान देना शुरू किया.

शायद मेरे हस्बैंड ने मुझमें किसी और मर्द से चुदने की लालसा बढ़ा दी थी इसलिए मैंने अपने हस्बैंड से कहा- क्यों ना आप एक दिन अपने बॉस को घर पर बुलाओ और जैसे आप कहते हो कि आप मुझे किसी और से चुदते हुआ देखना चाहते हो और क्यों ना हम अपनी यह ख्वाहिश पूरी करें।

मेरे हस्बैंड मेरी तरफ देखने लगे, वे मेरी मांग में लगा सिंदूर देखकर पूछने लगे- क्या सच में तुम किसी और से चुदना चाहती हो? मैंने भी हंसकर हां कह दी और फिर वहां से चली गई.

मेरे हस्बैंड मुझे जाते हुए देखते रहे.

फिर वो ऑफिस चले गए जब वह शाम को आए तो उन्होंने मुझसे कहा- जान मैंने तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दी, मैंने अपने बॉस को आज खाने पर बुलाया है, बस आज तुम उनका मनोरंजन कर दो ताकि मेरा प्रमोशन हो जाए और वे खुलकर तुम्हें मजा दें.

मैं यह सोचकर ही कि आज मैं दो लोगों की जरूरत का हिस्सा बनने वाली हूं, पागल सी हुई जा रही थी.

फिर हमने खाने की तैयारी शुरू कर दी. हम सारा इन्तजाम कर चुके थे.

बस मुझे तो आज दो मर्दों से एक साथ चुदने की लालसा थी. आप सोच सकते हो कि दो मर्दो के बीच में एक औरत … वाह क्या नजारा होता है! दोनों उसे खाने को तैयार।

मैंने एक बहुत सेक्सी सी ड्रेस पहनी जिसमें मेरी सफेद जांघें दिख रही थी दूध जैसी मलाई चिकनी बिल्कुल!

वो करीब रात को 9:00 बजे आए. मुझे देखते ही उनके बॉस की नजर सीधे मेरी जांघों पर गई लेकिन हम खाना खाने लगे.

मेरे हस्बैंड ने उनके लिए ड्रिंक्स का भी अरेंजमेंट किया था. हम सब 4-5 पैग पीने के बाद सब एक दूसरे को हवस की नजर से देखने लगे। मैंने खुद उनके बॉस के लिए पेग बनाए. जब मैं झुक कर उनके बॉस के लिए पेग बनाती थी तो मेरे बूब्स देखकर उनके बॉस की आंखों में चमक आ जाती थी.

बातों ही बातों में, कुछ नशे में उनके बॉस मेरी तारीफ करने लगे. मेरे हस्बैंड ने कहा- यह आज सिर्फ आपके लिए तैयार हुई है.

पूरी कहानी यहाँ पढ़ कर मजा लीजिये …

हमारे कॉलेज में खेल प्रतियोगिता शुरू हो गयी थी और दूसरे कॉलेज के लड़के लड़कियां हमारे कॉलेज में आने लगे, पूरा दिन खेल ही चलते थे और पढ़ाई वढ़ाई लगभग सब बंद हो गयी थी।

कॉलेज लाइफ में प्रेम कहानियाँ ऐसे मौकों पे ही तो ज्यादा बनती हैं।

दूसरे ही दिन मुझे एक बास्केट बॉल खिलाड़ी पसंद आ गया दूसरे कॉलेज का। उसका कद लगभग 6 फीट का, चौड़ा सीना, बॉडी बना के हीरो लग रहा था, शक्ल से भी गोरा और बहुत सुंदर था। 1-2 दिन तक मैंने तन्वी के साथ सिर्फ उसे नोटिस किया खेलते हुए देख कर … और उसने भी मुझे नोटिस कर लिया.

पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि बात आगे कैसे बढ़े।

मैं और तन्वी ग्राउंड के किनारे सब के साथ मैच देख रही थी और उसके बारे में बात कर रही थी। तन्वी बोली- यार क्यूँ मेहनत कर रही है, मुझे तो नहीं लग रहा की पटेगा ये। इतना हैंडसम है कि इसकी तो पक्का गर्लफ्रेंड होगी। मैंने भी तन्वी को सहमति जताते हुए कहा- हाँ लग तो यही रहा है।

तभी पीछे से एक जानी पहचानी आवाज आई- नहीं है कोई गर्लफ्रेंड। मैंने और तन्वी ने एकदम से चौंक के पीछे देखा तो आश्चर्य और खुशी से उस लड़की को देखने लगी। वो मेरी स्कूल की पुरानी सहेली सोनम थी। मैंने देखते ही कहा- सोनम तू यहाँ, कैसे, कब क्यू कहाँ?

सोनम मुसकुराते हुए मेरे पास आयी और बोली- बताती हूँ बाबा … सब बताती हूँ। फिर वो हमारे पास आ के बैठ गयी।

उसने हमें बताया कि वो दूसरे कॉलेज में ही पढ़ती है और दिल्ली में ही रहती है। फिर उसने बताया कि वो लड़का जिसे हम दोनों देख रही थी, वो उसके चाचा का लड़का है और वो भी उसी कॉलेज में पढ़ता है। तन्वी बोली- यार सोनम … तेरा भाई तो बहुत हैंडसम है, मैं पटा लूँ क्या? सोनम बोली- चलो ढंग से बात करते हैं, कहीं एकांत में चलते हैं।

मैंने और तन्वी ने एक दूसरे को भ्रमित नजरों से देखा और तन्वी बोली- चलो हॉस्टल में रूम में चलते हैं. और हम तीनों हमारे रूम पे आ गयी।

मैंने सोनम से पूछा- अब बोल क्या बात है, यहाँ कोई नहीं सुन रहा? सोनम ने अपनी कहानी बतानी शुरू की।

उसने बताया- यार वो मेरे चाचा का लड़का है, उसका नाम आकाश है। उसकी वैसे तो कोई गर्लफ्रेंड नहीं है पर है पूरा रंगीन मिजाज पर हल्का सा डरपोक भी है। हालांकि कॉलेज की कुछ लड़कियों ने उस पे कोशिश की है पर किसी से नहीं पटा। उसे कुछ खास ही चाहिए। मैंने कहा- ठीक है … तो तुझे क्या समस्या है इसमें?

सोनम ने आगे बताया- यार मेरा और आकाश के दोस्त राजन का गुपचुप अफेयर चल रहा है. पर डर लगा रहता कि कहीं भाई को पता चल गया तो! तन्वी ने पूछा- पता चल गया तो क्या हो जाएगा? सोनम बोली- यार पता चल गया तो चाचा चाची को मेरी शिकायत कर देगा और उसी दिन मेरा घर का टिकट कट जाएगा। मैं अब दिल्ली छोड़ के जाना नहीं चाहती। यार सुहानी, तू कुछ मदद कर दे ना प्लीज? मैंने मज़ाक में कहा- बिल्कुल मदद करूंगी यार! तू चिंता मत मत कर … मैं तेरे चाचा चाची को बोलूंगी कि जनरल टिकट ना कटायें, फ़र्स्ट क्लास एसी का टिकट कटायें. और मैं और तन्वी ज़ोर ज़ोर के हंसने लगी।

सोनम भी हल्की सी मुसकुराई और बोली- उड़ा ले मज़ाक, सब कहने को दोस्त हैं, जरूरत में साथ कोई नहीं देता। मैं फिर मुसकुराती हुई बोली- चल ड्रामा मत कर … बता क्या मदद चाहिए? सोनम ने कहा- यार, तू मेरे भाई से पट जा और उससे कोई ऐसी गलती करवा दे कि उसका पट्टा मेरे हाथ में आ जाए और वो मुझे कभी न डरा पाये। मैंने पूछा- मतलब?

तन्वी सब समझाते हुए बोली- मतलब अगर इसका भाई तेरे पे लाइन मारे तो ज्यादा नखरे न दिखते हुए शांति से पट जा ताकि ये उसे ब्लैकमेल कर सके। मैं सकते में आ गयी और सोनम की तरफ पलट के देखा तो सोनम ने हाँ में सिर हिलाते हुए नीचे देखने लगी।

मैंने भड़क के कहा- तुम दोनों का दिमाग खराब है क्या? ये गुलछर्रे उड़ा सके इसलिए मैं इसके भाई से पट जाऊँ? तन्वी ने कहा- हाँ। मैंने कहा- ना बाबा न, आज कल लड़के बहुत हारामी होते हैं, उसने चोद दिया तो? सोनम बोली- चोद तो वो देगा ही!

पूरी कहानी यहाँ पढ़ कर मजा लीजिये …

ये बात अभी कुछ दिन पहले की ही है। मेरी पहली कहानी कामवासना पीड़िता के जीवन में बहार से आपको पता चल ही गया होगा कि मैं अपने जिम ट्रेनर के साथ सेट हूँ। वो भी हट्टा कट्टा मर्द है और मेरी खूब तसल्ली करवाता है। अब उसके साथ इतना प्यार बढ़ गया है कि अगर वो कहे तो मैं अपनी गर्दन काट कर उसके आगे रख दूँ।

बेटे से भी मेरी मौन सहमति हो गई है क्योंकि मुझे मेरे जिम ट्रेनर ने बता दिया था कि जब भी मैंने अपने जिम ट्रेनर के साथ जिम में सेक्स किया है, मेरे बेटे ने जिम के जिम ट्रेनर के साथ मेरे अवैध संबंध हो गए. और फिर तो जब मेरी दोपहर में क्लास होती तो अक्सर मुझे जिम में ही चोदता।

धीरे धीरे मैं उसे दिल से चाहने लगी, उसे प्यार करने लगी। मगर उसके लिए मैं सिर्फ एक फुद्दी थी, सिर्फ सेक्स के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली रंडी। खैर मुझे इस से भी कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि मुझे तो सिर्फ अपने सेक्स की पूर्ति चाहिए थी।

फिर मुझे ये भी पता चला कि संदीप के साथ मेरी सेटिंग के पीछे मेरे बेटे का ही हाथ है। जब भी मैं संदीप से सेक्स करती तो वो मुझे सीसीटीवी पर देखता। पहले पहले मुझे बड़ी शर्म आई, क्योंकि मैं जो कुछ भी संदीप के साथ करती थी, वो सब मेरे बेटे को दिखता था।

मगर फिर मैं भी बेशर्म हो गई कि अब जब एक बार उसने मुझे नंगी देख लिया, और किसी गैर मर्द से चुदवाते हुये देख लिया तो अब किस बात की शर्म … या किस बात कर पर्दा करती मैं।

मैं भी खुल कर संदीप के साथ खेलती। सारा जिम उस वक़्त खाली होता था तो हम तो सारे जिम में घूम घूम कर सेक्स का नंगा नाच नाचते … कभी यहाँ, कभी वहां! सारे जिम में हर जगह मैं चुदी।

संदीप को अपना माल पिलाना बहुत अच्छा लगता था और मुझे भी मर्द का गाढ़ा वीर्य पीना अच्छा लगता है. तो ये तो हमेशा की बात थी कि चुदाई के बाद मैं खुद ही उसका लंड अपने मुंह में ले लेती और चूस चूस कर उसका पानी निकाल देती और सारे का सारा पी जाती।

सेक्स के दौरान हम एक दूसरे को खूब गाली गलौच करते। माँ बहन बेटी तो रूटीन में चोदते एक दूसरे की। पहले तो वो मेरी फुद्दी ही मारता था, और फिर धीरे धीरे मेरी गाँड भी खोल दी. अब तो मेरी फुद्दी, गाँड और मुंह तीनों चीजों को वो भरपूर चोदता।

एक दिन की बात है कि मेरा भाई सपरिवार मेरे घर आया। अच्छा वो भी बिना बताए … मुझे उस दिन सुबह से ही मन हो रहा था कि आज दोपहर को संदीप से इस पोज में फुद्दी मरवाऊँगी। मगर भाई के आ जाने से मेरा सारा प्रोग्राम बिगड़ गया। मेरा मन सा बुझ गया।

खैर भाई आया था तो मैंने उसके लिए बहुत कुछ पकवान पकाए। छोले, हलवा पूड़ी, दाल सब्जी। अब वो शाकाहारी है, तो सब कुछ शाकाहारी खाना ही पकाया।

दोपहर को संदीप का फोन आ गया- क्या हुआ आई नहीं कुतिया? मैंने कहा- अरे यार, भाई आया है, उसकी सेवा में लगी हूँ। वो बोला- क्यों भाई का लंड चूस रही है मादरचोद? मैंने कहा- अरे नहीं भाई है, ऐसे कैसे?

वो बोला- तो ऐसा कर … थोड़ी देर के लिए ही सही, तू आ मेरे पास। मैंने कहा- अरे दिल तो मेरा भी बहुत मचल रहा है, पर अब भाई को घर पे छोड़ कर कैसे आऊँ? वो बोला- तू ऐसा कर, किसी बहाने से आजा, बस 10-15 मिनट के लिए, चुदाई नहीं करेंगे, कुछ और करेंगे।

मैं भी मन में खुश हुई कि कुछ और में पता नहीं क्या करेगा।

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दोस्तो, ये झमेला मेरे साथ गोवा में हुआ था. बहुत से लोग अपने जीवन काल में कभी न कभी वहां गये होंगे या फिर वहां पर जाने के लिए प्लान भी कर रहे होंगे. उनके लिए यह कहानी काफी रोचक होने वाली है.

जो लोग पहले से वहां पर घूम कर आ चुके हैं, वो वहां की संस्कृति से अच्छी तरह परिचित होंगे. एक समय ऐसा था कि जब गोवा में जाते थे तब वहां के शानदार बीच और खूबसूरती के अलावा विदेशी सैलानियों का खुलापन देखना भी जबरदस्त आकर्षण था. समुद्र के किनारे बीच पर यहां-वहां टू पीस बिकनी में घूमतीं विदेशी बालाएं ही अधिकतर दिखाई देती थीं.

विदेशी गोरे जिस्म की मल्लिकायें वहां पर आपको खुलेआम रेत पर पसरी हुई दिखाई दे जाती थीं. कोई धूप सेंक रही होती थी तो कोई मसाज का आनंद ले रही होती थी. उनको देख कर आंखों की रौशनी कई गुना बढ़ जाया करती थी. मगर पिछले कुछ सालों से वहां पर विदेशियों की तर्ज पर ही भारतीयों ने भी वही अंदाज दिखाना शुरू कर दिया है.

वहां पर भारतीय युवा पीढ़ी में भी काफी खुलापन आ चुका है. आपको सरेआम अंग प्रदर्शन करती सेक्सी लड़कियां या फिर चूमा-चाटी करते हुए कपल्स दिख जायें तो कोई हैरानी न होगी. यह प्रेमालाप देख कर अब भला दूसरे भी वही सब दोहराने की कोशिश करते हैं. वहां की एक खास बात है कि जो थोड़ा बहुत संकोच किसी में कहीं छिपा रहता है तो वो भी वहां जाकर छू-मंतर हो जाता है.

गोवा जैसी जगह पर जाकर सब बिंदास हो जाते हैं. वहां पर शराब और शबाब दोनों का ही बराबर का बोलबाला है. बात कुछ साल पहले की है जब मैं अपनी पत्नी के साथ गोवा में घूमने गया हुआ था. हम एक पैकेज टूर के माध्यम से गये हुए थे.

पैकेज टूर में तो आप लोगों को पता ही है कि कई सारे कपल्स हो जाते हैं. हमारे टूर में भी कुछ कपल्स तो बिल्कुल नव-विवाहित थे. कुछ एक थोड़े मैच्योर थे. मैच्योर वाले एक कपल से हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. वो दोनों पति-पत्नी डॉक्टरी पेशे से थे. पति गायनेकोलॉजी से था तो पत्नी ई.एन.टी. में थी.

जब पहले उन्होंने बताया था तो मुझे लगा था कि पति ई.एन.टी. में होगा और उसकी बीवी गायनेकोलॉजी में होगी. लेकिन फिर बाद में पता चला कि दोनों ही इसके उलट थे. खैर, उस बात में क्या रखा है. काम तो काम ही होता है. मैंने भी इस बात के बारे में ज्यादा सोच-विचार नहीं किया. यहां पर विचार करने वाली बात थी हम दोनों ही मर्दों की मिली-जुली सोच।

डॉक्टरनी साहिबा के पति के विचार मेरे विचारों से काफी मेल खा रहे थे इसलिए हम दोनों में अच्छी पट रही थी. हम दोनों ही एक जैसी रूचि के थे. मुझे भी सेक्स, पोर्न और न्यूडिटी की तलाश रहती थी और ऐसा ही कुछ विचार उनके पतिदेव का भी रहता था.

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दरअसल बात यह है कि मैं एक बहुत ही बड़े घर से ताल्लुक रखती हूँ। बहुत बड़े क्षत्रिय घराने से, ससुराल में हमारा बिज़नस बहुत है, तो मायके में सब राजनीति में हैं। इसलिए मैं अपना नाम पता आपको कुछ भी नहीं बता सकती, नाम भी नकली है।

मगर अब जब इतने बड़े घर से हूँ, तो मायके में भी और ससुराल में भी पैसे की या किसी भी और चीज़ की कोई तंगी मुझे कभी भी महसूस नहीं हुई, बल्कि ज़रूरत से ज़्यादा हो तो इंसान जल्दी बिगड़ जाता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था, मैं भी अपने स्कूल के समय से सब पर धौंस जमाती थी, कॉलेज में भी, यूनिवर्सिटी में भी। पढ़ाई में भी होशियार, और बाकी सब कामों में भी। स्कूल कॉलेज में ही मैं पहली बार किसी की लुल्ली से खेली थी और पहली बार चुदवा कर देख लिया था।

उसके बाद तो मैंने खूब सेक्स किया। बड़े घर की बेटी, बड़े घर की ही बहू बनी। बेशक सुहागरात को ही पति का बड़े आराम से घुस गया, मगर पति कौन सा कुँवारा था, उसका भी टोपे का टांका टूटा हुआ था। तो ना वो बोले, न मैं बोली।

शादीशुदा ज़िंदगी बड़े मज़े से चलने लगी, बच्चे भी हो गए। पति ने भी अपने बिज़नस में खूब तरक्की करी। मेरे पति के बिज़नस पार्टनर की बीवी कविता भी मेरी दोस्त बन गई, अक्सर मिलना, घर आना जाना, एक साथ घूमना फिरना, और किट्टी पार्टी, और न जाने कितने मौकों पर मिलना होता रहता था।

धीरे धीरे हम दोनों पक्की सहेलियां बन गई। कई बार हम दोनों अपने पति और परिवार के साथ देश विदेश के दौरों पर घूमने जाते। बाहर जाते सब अपने अपने हिसाब से मज़े करते, हम दोनों ने भी खूब मज़े किए, पहली बार जब हम लोग यूरोप घूमने गए, तब मैंने और कविता ने पहली बार किसी अंग्रेज़ से सेक्स करके देखा।

अब पति लोग तो गए थे अपने बिज़नस के चक्कर में और हम दोनों होटल के रूम में शाम तक अकेली थी, तो हमने अपने होटल का ही एक अंग्रेज़ वेटर पटा लिया, उससे पैसे की बात की और वो लड़का मान गया। उस दिन पहली बार हम दोनों सहेलियों ने एक दूसरी के सामने किसी गैर मर्द से अपनी फुद्दी मरवाई. दोनों सहेलियों ने किसी गैर मर्द का लंड चूसा. और सिर्फ इतना ही नहीं, पहले हमने एक दूसरी को किस किया, होंठ चूसे, एक दूसरी की जीभ चूसी, एक दूसरी के मम्मे दबाये, चूसे भी, और अगल बगल लेट कर हमने उस अंग्रेज़ लड़के से चुदवाया।

सच में ये बहुत ही मज़ेदार एक्सपीरिएन्स रहा।

मगर उसके बाद हम दोनों आपस में बहुत ज़्यादा खुल गई, एक दूसरी को कुत्ती, कामिनी, रंडी, गश्ती, मादरचोद, बहनचोद तो यूं ही मज़ाक में कह दिया करती थी। कभी हमें एक दूसरी की किसी भी बात पर गुस्सा आता ही नहीं था।

यूरोप से भारत वापिस आई, तो उसके बाद तो हम दोनों सहेलियों ने और भी बहुत से लोगों से चुदवाया, साथ में भी अलग अलग भी। अब मुझे मेरे व्यक्तित्व के कारण और पारिवारिक प्रष्ठभूमि के कारण बार बार राजनीति में आने का दबाव बन रहा था, तो मैंने सोचा, सब कह रहे हैं, तो राजनीति में आ ही जाते हैं।

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