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पिछली बार जब कालिया ने सिम्मी की चुदाई की थी उस बात को एक महीने से भी ज्यादा समय हो चुका था। सिम्मी को तबसे ही अपनी जाँघों के बिच में ऐसी तरवराहट होती रहती थी जो एक युवा किशोरी को इस उम्र में अक्सर होती है।
आधी रात में उठ कर वह महसूस करती थी की उसकी चूत में से रस बहता रहता था और उसके स्तन और ख़ास कर उसकी निप्पलेँ कस कर ऐसी सख्त हो जातीं की उसे स्वयं विश्वास नहीं होता की उसे हो क्या गया है।
अपनी उस आग को कुछ हद तक शांत करने के लिए सिम्मी अपनी चूत में उंगली डाल कर कालिया ने जैसे उसे लण्ड से चोदा था वैसे ही अपनी ही उँगलियों से हिला हिला कर अंदर बाहर कर वह अपना उस उफान शांत करने की कोशिश करती।
साथ साथ सिम्मी के भरी जवानी में अपने ब्रा के बंधन में नहीं समानेवाले दो गुम्बज में भी ऐसी अजीब सी तरवराहट होती की एक हाथ दो टांगों के बिच और दूसरे हाथ की उंगलियां अपने ही स्तन मंडलों को मसलने और कस कर दबाने में कार्यरत हो जाते। उस समय अपनी चूत को अपनी ही उँगलियों से चोदते हुए और अपनी ही चूँचियों को रगड़ते हुए सिम्मी के मुंह से अनायास ही निकल जाता,
“कालिया, यह तूने क्या किया? जलती ज्वाला में क्यों झोँक दिया? मैं कमसिन थी, कुँवारी थी, तगड़े लण्ड से मुझे क्यों ठोक दिया?”
सिम्मी ने जब अपनी छाती पर कालिया के हाथ को दबाया और उसे इशारा किया की कालिया उसे तबियत से मसले तब कालिया यह मौक़ा कहाँ जाने देने वाला था? उसने अर्जुन से मिल कर यह तो पहले से ही तय किया था की कालिया उस पूरी रात भर सिम्मी को छोड़ेगा नहीं।
कालिया उस रात सिम्मी को अपनी रानी बना कर उसे रात भर आराम से खूब कस कर चोदना चाहता था। उसे कोई जल्दी नहीं थी। इस रात की प्लानिंग उसने कई हफ़्तों से कर रखी थी।
कालिया ने सिम्मी को गोद में बिठा कर हलके हलके उसकी चूँचियों को मिजना शुरू किया। कालिया का लण्ड कालिया की कालिया की प्लानिंग से कहीं आगे था। कालिया की निक्कर में वह उतावला इतना सख्त तन कर खड़ा हो गया था की कालिया उसे निक्कर में समा नहीं पा रहा था। उसे सिम्मी की चूत में जाने की जल्दी थी।
सिम्मी की नजरें भी बार बार कालिया की टाँगों के बिच में जाती रहतीं थीं। कालिया की गोद में बैठने के कारण सिम्मी उसे देख तो नहीं पा रही थी पर चूतड़ में महसूस जरूर कर रही थी।
सिम्मी ने अपना हाथ लंबा किया और कालिया की पतलून की बेल्ट पकड़ी और खिंच कर कालिया को इशारा किया की वह अपनी पतलून खोल दे। कालिया को कहाँ कोई टाइम लगना था? उसने फटाफट सिम्मी को खड़ा कर अपनी बेल्ट खोल कर पतलून को निचे गिरा दिया और कोने में फेंक दिया।
सिम्मी ने जब कालिया को पतलून निकालने के बाद देखा तो उसकी नजर सिर्फ कालिया की टांगों के बिच में कालिया की निक्कर से निचे की गैप से बाहर निकले हुए कालिया के लण्ड पर ही टिकी रहीं। कालिया का लण्ड उसकी निक्कर में समा ही नहीं पा रहा था। मार्किट में उस साइज की कोई निक्कर ही नहीं थी जो कालिया के लण्ड को समा सके।
सिम्मी ने कालिया की निक्कर में से जबरदस्ती समा नहीं रहने के कारण बाहर निकले हुए लण्ड को हलके से प्यार से छुआ। इस के पहले कालिया सिम्मी को डरा धमका कर अपने लण्ड को पकड़ाता था। पर उस रात सिम्मी स्वयं आगे बढ़ी और बिना हिचकिचाए और बिना घबड़ाये उसने कालिया का विशाल लण्ड अपनी हथेली में पकड़ा और कालिया के लण्ड के टोपे के छोर पर चिपकी हुई पतली त्वचा को दबाकर कालिया के लंड के ऊपर अपनी हथेली आगे पीछे कर कालिया के लण्ड को सहलाने लगी।
कालिया की निक्कर में से बाहर निकला हुआ कालिया का महाकाय लण्ड सिम्मी ठीक से हिला नहीं सकती थी क्यूंकि कालिया की निक्कर बिच में बाधा डाल रही थी। सिम्मी ने कालिया की निक्कर की इलास्टिक पकड़ कर खींची और कालिया के लण्ड को निक्कर में से बाहर निकाल दिया।
सिम्मी को ऐसे करता देख कालिया की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। कालिया ने झट से अपनी निक्कर निकाल फेंकी और एक ही झटके में कमीज और बनियान भी निकाल दिए। ऐसे एकदम नंगधडंग कालिया अपना तीसरे छोटे हाथ जैसा हवा में तना हुआ लहराता हुआ अपना लण्ड हिलाता वहाँ खड़ा हुआ और सिम्मी की और देखने लगा।
कालिया का विशालकाय बदन उसके नाम के अनुरूप काला था, पर था बड़ा सुगठित और माँसल। कालिया की छाती उभरी हुई थी पर वह उभार मरदाना सुगठित था। चट्टान से ठोस थे उसके छाती के पटल। कालिया की बाँहें कड़ी और भरी हुईं जो उसकी मेहनतकस बदन और कठोर व्यायाम की हिदायत देती थी। उसके पतले पर सुगठित पेट में छे बल थे जिसे सिक्स पैक कहते हैं।
इसके लिए कालिया कोई जिम नहीं जाता था। वह ट्रक में से भारी सामान उतारना चढ़ाना बगैरह मजदूरों के लायक काम खुद ही कर लेता था। और ऐसे मजदूरी के पैसे बचाकर अपनी आय कमाता था और गाडी की किश्तें भरता था। कालिया के बदन से उसके महेनत और पसीने की खुशबु आतीथी।
कालिया का काला लण्ड सिम्मी ने जैसे हाथ में लिया तो सिम्मी को कालिया के लण्ड की गर्मी महसूस हुई। कालिया के लण्ड में उसका वीर्य चाप उफान मार रहा था। उसके लण्ड की नस नस में भरा हुआ वीर्य जैसे नसों को फाड़ कर बाहर फ़ैल जाएगा ऐसे उसके लण्ड की नसें फुलिं हुईं थीं।
सिम्मी झट से कालिया के सामने घुटनों के बल बैठ गयी। कालिया के लण्ड के केंद्र छिद्र से निकला हुआ उस का चिकना स्निग्ध पूर्व रस एक एक बूँद बन कर जैसे रातको घाँस पर ओस की बूँदें दिखतीं हैं वैसे ही में लण्ड के छिद्र पर दिख रहीं थीं।
सिम्मी के हाथ लगते ही बूंदें निकलनी तेज हो गयीं। जैसे ही सिम्मी ने कालिया के लण्ड को हाथ लगाया तो कालिया के लण्ड पर फैली हुई वह चिकनाई सिम्मी की हथेली पर भी फ़ैल गयी।
चिकनाहट भरे लण्ड के ऊपर की माहिम त्वचा को हथेली की उँगलियों में दबाकर उसे लण्ड की आधी लम्बाई तक बड़े प्यार से ऊपर निचे हिलाना सिम्मी के लिए अद्भुत अनुभव था।
सिम्मी ने पहले भी कालिया के लण्ड को सहलाया था। पर उस समय उसे आतंक और मज़बूरी से करना पड़ा था। अब उसे अपनी स्वेच्छा से किसी दबाव के बिना उसको सहलाते हुए ऐसे लगा जैसे वह अपनी सुहागरात को अपने पति का लण्ड सेहला रही हो।
अपनी बहन को नयी नवेली दुल्हन सी सजी हुई इस तरह घुटनोँ के बल बैठी हुई कालिया के लण्ड को सहलाती हुई देख कर सीढ़ी पर बैठे हुए अर्जुन का क्या हाल हुआ होगा? इसकी कल्पना पाठकगण भली भाँती कर सकते हैं। इस दृश्य को देखने का उसका एक बहुत बड़ा सपना उस समय साकार होने जा रहा था।
अर्जुन अपना लण्ड अपनी निक्कर से निकाल कर वैसे ही सहलाने में लगा हुआ था जैसे कालिया का लण्ड उसी समय सिम्मी सेहला रही थी। अर्जुन का मन उत्तेजना के बवंडर में जैसे हिंडोले ले रहा था। उस समय अर्जुन ऐसी उन्मादक स्थिति में था जैसे अक्सर लड़के सम्भोग या हस्त मैथुन के पश्चात वीर्य छूटने के समय होते हैं।
उसे उस समय दुल्हन सी सजी अपनी बहन कैसे कालिया का लण्ड चूसेगी, कैसे कालिया सिम्मी की छोटी सी चूत में अपना लण्ड घुसायेगा, कैसे सिम्मी उसका दर्द ना सहन करने के कारण कराहेगी और फिर भी उन्माद के कारण कालिया को और तेजी से चोद ने को कहेगी और कैसे कालिया का लण्ड सिम्मी की चूत की पूरी नाली को उसके पेट के अंदर तक पहुँच कर टक्कर मारेगा यह दृश्य देखने की बड़ी तीव्र इच्छा के अलावा और कुछ सूझ नहीं रहा था।
कालिया का हाल भी उस समय कोई ज्यादा अच्छा नहीं था। अपने सपनों की रानी उस रात स्वेच्छा से बैठ कर उसका लण्ड बड़े प्यार से सेहला रही थी और कालिया को और अपने आप को भी उस रात की चुदाई के लिए तैयार कर रही थी यह सोचना ही उसके लिए कोई सपने से कम नहीं था। सीधे खड़े हुए कालिया ने अपना हाथ सिम्मी के सर पर रखा।
सिम्मी कालिया के लण्ड को अपनी उँगलियों में सेहला रही थी और बड़े प्यार से कालिया के लण्ड से खेल रही थी। सिम्मी ने खड़े हुए कालिया को अपना सर उठा कर ऊपर देखा और हल्का सा मुस्काई।
फिर कुछ नटखट सी बोली, “अगली बार मेरे नाम पर अगर तुमने मार पिट की या कोई भी हंगामा किया ना तो याद रखना की तुम्हारा यह जो बड़ा लटकता घण्टा है ना, उसे मैं चूसने के बहाने काट खाउंगी और फिर तू किसी औरत को चोदने के लायक नहीं रहेगा समझा?”
कालिया भी सिम्मी की हिम्मत और उसकी अल्लड़ता का कायल हो गया था। वह भी कुछ झेंपा हुआ मुस्कुराया और अपनी गँवार बोली में बोला, “मैं काहे झगड़ा करूंगा रे, अगर तू मेरा ध्यान रखेगी तो?”
सिम्मी ने कालिया के वचनों पर ज्यादा गौर ना करते हुए आगे थोड़ा झुक कर कालिया के लण्ड पर अपनी थूक डाली और अपनी उँगलियाँ लपेट कर उसकी त्वचा को सहलाते हुए सिम्मी ने कालिया के लण्ड के टोपे को अपने होँठों से धीरे से चूसना और थोड़ी सी जीभ आगे बढ़ा कर उसे चाटना शुरू किया।
कालिया का जबरदस्त तगड़ा लण्ड सिम्मी के प्यार भरे इस कार्यकलाप से इतना उत्तेजित हो उठा की कालिया को डर लगा की कहीं उसके लण्ड से उसके वीर्य की पिचकारी ना छूट जाए और वह सिम्मी के मुंह में ही झड़ ना जाय।
पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!
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