This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
अब तक की मेरी दीदी की इशिता के साथ की लेस्बियन सेक्स की कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरे साथ फोन चैट के बाद मेरी दीदी गरम हो गई थी और उसने आज की रात इशिता के साथ लेस्बियन सेक्स करने का पक्का कर लिया था. आगे की सेक्स कहानी आप मेरी बहन प्रीति से ही सुनिए.
अब आगे:
रात गए इशिता की हरकतें शुरू हो गईं. मेरी जांघों पर उसके मखमली हाथों का स्पर्श हुआ. मेरी गोरी चिकनी टांगों पर कोमल स्पर्श से मेरी तन में झुरझुरी सी पैदा हो रही थी. वो मेरे चूतड़ों के ऊपर पैंट के ऊपर से हाथ फेर रही थी.
एक बात तो मैं बताना भूल ही गयी. मैंने हॉट पैंट के बटनों को जानबूझ कर खोल रखा था. पैंट बस मेरे मोटे चूतड़ों के बदौलत मेरे बदन पर थी. उसके हाथ मेरे चूतड़ों पर फिरते हुए मेरी मस्त गांड की घाटियों का जायजा ले रहे थे. वो हौले हौले मेरे चूतड़ों को दबा भी रही थी.
अचानक से मैं उठी “उफ्फ्फ कितनी गर्मी है …” कहते हुए मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी. मेरा कातिल जिस्म, मेरी हब्शी लेस्बियन बहन के सामने नंगा हो गया.
उसके मुँह में तो पानी आ गया होगा. पीले कलर की ब्रा में मैं उसके सामने थी, जो मेरी पीठ पर एक पतली डोरी से बंधी थी. मैं करवट लिए सोई थी. मेरी नंगी मखमली पीठ उसके सामने थी. “इशिता, तूने फिर से एसी बन्द कर दिया क्या? “हहहह..हां दीदी … वो मुझे ठंड लग रही थी.” उसने जवाब दिया.
उसकी हकलाने से जाहिर था कि तीर निशाने पर लगा है.
मैं कुछ न बोली, बस सोने का दिखावा करने लगी. कुछ देर सब शांत रहा, फिर इशिता की हरकतें चालू हो गईं. उसने हाथ मेरी नंगी चिकनी बांहों पर फेरा. मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो उसकी हिम्मत बढ़ी. उसने हाथ मेरी हथेली में फंसाया और मेरी नंगी पीठ से चिपक गयी. मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई, जब मुझे कोमल जिस्म का एहसास हुआ.
जी हां इशिता बिल्कुल नंगी थी. उसकी गर्म सांसों का स्पर्श मेरे गर्दन के पास हुआ … फिर लंबी सांस लेने की आवाज.
ये क्या, इशिता अपनी बड़ी बहन की जिस्म की खुशबू ले रही थी. उसने मेरी गर्दन पर एक चुम्बन जड़ दिया. मेरी चुत में आग पहले से लग रखी थी, उसने ऐसा करके उसे और बढ़ा दिया. वो हाथ मेरे बांहों फेरते हुए ऊपर लायी. उसने मेरी गर्दन पर हाथ फेरा.
दूसरे ही पल मुझे मेरे स्तनों के ठीक ऊपर के भागों में मेरे सीने पर उसके हाथ महसूस हुए. मेरी धड़कनें तेज हो गईं. जाहिर है कुछ भी छिपा नहीं था. उसने हाथ बढ़ाकर मेरे दायें चुचे को कोमलता से सहलाया. वो मेरे बदन को सूंघें जा रही थी, जैसे मैं कोई फूल हूं.
उसकी गर्म सांसों की आहट मेरे गर्दन पर हो रही थी. धीरे धीरे उसके हाथ मेरे नंगी पेट की तरफ सरकने लगे. मेरी सांसें तेज होने लगीं, खुद पर काबू कर पाना मुश्किल था. इसका आभास शायद उसे भी था.
इशिता बे-ख़ौफ़ अपनी बड़ी बहन के जिस्म से खेल रही थी. मेरे पैंट पर पहुंचते ही वो चिहुंक उठी, जब उसने पैंट का बटन खुला पाया. उसे जैसे खजाने की चाभी मिल गयी हो. आश्चर्य से वो सोच में पड़ गयी. फिर उसके हाथ मेरे पैंट में अन्दर जाते महसूस हुए. इधर आग और बढ़ती जा रही थी, अब काबू करना मुश्किल ही नहीं … न मुमकिन था.
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, मैं बोली- क्या चाहिए? अपनी नंगी चूचियां मसलवा कर मैं भी बेशर्म हो चुकी थी.
अचानक मेरी प्रतिक्रिया के चलते इशिता अकबका गयी. डर के मारे उसने हाथ पीछे खींच लिया- कककक … कुछ तो नहीं दीदी, वो मुझे ठंड लग रही थी न … इसी लिए मैं आपको पकड़ कर सो रही थी. उसके इस बचकाने बहाने पर मैं मन ही मन मुस्कुरा दी.
मैं उठी मैंने झट से लाइट ऑन कर दी. इशिता चौंक कर बेड पर बैठ गयी. इशिता मादरजात नंगी थी. उसने चादर से तन ढकने की जल्दी न की, शायद उसे नंगी रहने का ख़ासा अनुभव था. “सच में तुझे कुछ नहीं चाहिए न!”
इशिता ने मेरे जिस्म को निहारा और सर नीचे कर लिया. मेरा ध्यान उसक नंगे जिस्म पर गया. वाकयी तराशा हुआ जिस्म था. बिल्कुल किसी मॉडल की तरह … हां उसके मम्मे मेरे से छोटे थे. बाकी मेरी बहन एक कातिल जवानी थी.
“बोल?” मैंने दोबारा पूछा. “दीदी आप बहुत हॉट हो.” ‘पता है.’ “दीदी, आई लाइक यू.” “हम्म … ये भी पता है.” “क्या? आपको पता था?” “हां सब पता है कि रोज रात को तू क्या करती है.”
उसने सर झुका लिया.
“और मुझे मंजूर है.” “क्या, सच दीदी … लव यू दीदी..” कहते हुए वो मेरी तरफ बढ़ी. “लेकिन मेरी दो शर्तें हैं.” “मंजूर हैं.” “सोच ले इशिता.” “सोच लिया.” “पहली शर्त … तू शराब पी कर घर नहीं आएगी.” “ओके.” “दूसरी शर्त ये कि तू उस क्लब में नहीं जाएगी.”
मेरी ये शर्त सुन कर वो स्तब्ध रह गयी. वो बेड पर मूर्ति के समान स्थिर हो गयी … जैसे उसे करंट लगा हो.
मैं उसके पास गई … उसे समझाते हुए बोली- देख इशिता, लेस्बियन होने में कोई बुराई नहीं, लेकिन जो करना है, घर में कर … बाहर मुँह मारने से क्या फायदा. मैंने टी-शर्ट उठा ली और अपने कमरे को चल पड़ी.
लास्ट में मैंने उससे कहा- देख इशिता मुझे जो कहना था, मैंने कह दिया, आगे तेरी मर्जी.
मैं अपने कमरे में जाने के लिए दरवाजे के तरफ मुड़ी. मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था. मचलती चुत प्यासी छोड़ कर आ रही थी. मेरी वासना ने बगावत कर दी. मैं मन ही मन खुद पर झल्ला रही थी.
“बाबा बनने के चक्कर में प्यासी मरेगी कुतिया तू.” मैंने मन ही मन खुद को कोसा.
मैं टी-शर्ट पहन कर इशिता के कमरे से बाहर निकल आयी. मैं कॉरिडोर में थी. इशिता और मेरा कमरा आमने सामने ही था. कॉरिडोर एक सिरे पर सीढ़ियों पर खत्म होता था, जो कि मामी के कमरे में जाता था. दूसरा एक तरफ हॉल में जाता था.
मैं अपने कमरे का दरवाजा खोलने ही वाली थी कि मुझे एक जोर का धक्का महसूस हुआ. मैं दरवाजे से चिपक गयी. इशिता पीछे से मेरे गले लग गयी.
“आई लव यू दीदी.” वो बेतरतीबी से मेरे गर्दन पर चूमते हुए बोली.
मैं घूम गयी, मैंने देखा इशिता पूरी तरह नंगी थी. उसने झट से मेरे होंठों पर होंठ रख दिए. मैं कुछ न कर सकी, सिवाए वासना के सागर में डूब जाने के, मैं भी तो कब से तड़प रही थी. मैंने आंखें बंद कर लीं और लेस्बियन किस का मजा लेने लगी.
कुछ देर बाद में वो अलग हुयी. एक पल के लिए हमारी आंखें मिलीं, दूसरे पल ही वो मेरे ऊपर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी. बेतहाशा मुझे चूमने लगी, मेरे गर्दन, गले, गालों पर चेहरों पे उसके चुम्बन होने लगे.
उसके हाथ मेरे मम्मों से खेल रहे थे. उसने मुझे किस करते हुए हाथ मेरी टी-शर्ट के नीचे डाल कर मेरे कबूतरों को भींच लिया. मैं हाथ उसके चिकनी नंगी पीठ पर फेर कर खुद से उसे चिपका रही थी. हाथ पीछे ले जाकर मैंने दरवाजा खोल दिया. हम दोनों रूम में आ गए. इशिता अभी भी मुझसे चिपकी मुझे किस ही कर रही थी. वो मेरी टी-शर्ट निकालने लगी, मैंने हाथ आराम से उठा दिया … जैसा मैं भाई ले लिए करती थी.
उसने खुराफाती नजर से मेरे जिस्म को निहारा और कामुकता से होंठ काट लिए. कमरे में हल्की सी रोशनी थी, हॉल में से आ रही थी. हमने लाइट अभी ऑन नहीं की थी. उसने मुझे धक्का दिया, मैं बेड पर जा गिरी. वो मेरे ऊपर चढ़ गई. हब्शियों की तरह मुस्कुराते हुए उसने अपनी जीभ को मेरे होंठों पर फेरा. फिर होंठों को चूसने लगी. जीभ से वो मेरा मुँह टटोल रही थी.
इस सबसे मेरे अन्दर जो थोड़ा बहुत संकोच बचा था, वो भी खत्म हो गया. मैं इस पल का आनन्द लेने लगी. कुछ देर बाद वो मुझसे अलग हुयी.
वो किस करते हुए नीचे जाने लगी. पहले उसने मेरे माथे पर चूमा, चेहरे पर किस किया. फिर गले के भाग, चेहरे के ठीक नीचे के भाग को चूसने और चाटने लगी. फिर मेरे सीने के नग्न भागों, मम्मों को ठीक ऊपर को चूमा चाटा … मेरे मम्मों को देखा.
मेरे चूचों को देख कर वो हब्शियों की तरह मुस्कुरायी. उसकी मुस्कुराहट में ठरक थी. वो मेरे मम्मों को छोड़ कर आगे बढ़ गयी. मुझे भी कुछ समझ न आया. वो मेरे नंगे पेट की तरफ बढ़ी और उसे चूमने चाटने लगी. मेरी आंखें बंद हो गईं. मेरे मुँह से सिसकारियां आने लगीं. उसने जीभ को मेरी नाभि में फेरा, आह मैं सातवें आसमान पर पहुंच गई. बदन में अकड़न सी आ गयी. ऐसा तो किसी ने नहीं किया था.
वो मेरी कमर के आस पास के भागों में बेतहाशा चूमने के बाद, वो मेरी हॉट पैंट की तरफ बढ़ी, जिसके बटन पहले से ही खुले थे. उसने चूमते हुए उसने हॉट पैंट निकाल दी और एक तरफ फेंक दिया. वो मेरे पैरों को चूमने चाटने लगी. वो मेरे दायें पैर के अंगूठे को मुँह में ले कर ऐसे चूस रही थी, जैसे मैंने ब्लू फिल्मों में ही देखा था … उसके होंठों में चरम आनन्द था.
वह अपने इन मस्त और रसीले होंठों को फेरते हुए मेरी जांघों पर आ पहुंची. मेरी जांघों को चूमने चाटने के बाद वो मेरे दोनों टांगों के बीच आ गयी. मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी. उसने लंबी सांस ली और मेरी चुत की खुशबू को अपनी धमनियों में उतार लिया.
वो अपना चेहरा चुत पर मलने लगी. मैं तिलमिला उठी, मेरे हाथ खुद ब खुद उसके सर पर आ गए. मुझे ऐसा करते देख उसने मेरे हाथों को पकड़ा और मेरी हथेली को चूम ली. मेरे हाथों को निर्देशित करते हुए अपने बालों में ले गयी और मेरी मुट्ठी में अपने बाल पकड़ा दिए. जैसे वो किसी घोड़ी की लगाम हो.
उसने चुत पर मेरी नेट वाली पैंटी के ऊपर से ही जीभ को फेरा. मैं पागल हो उठी. मैं उसका चेहरा अपनी चुत पर दबाने लगी. गीली पैंटी में मेरी चुत हद से ज्यादा सेंसटिव हो चुकी थी. वासना का सैलाब मेरे तन बदन में मानो उमड़ गया था.
फिर उसने मुँह से ही मेरी पैंटी सरकाई. अपने हाथों से तो वो मेरे चूतड़ मसल रही थी. उसने मेरी चुत को देखा और कातिल मुस्कान के साथ मुझे देखा, फिर दोबारा अपने काम पर लग गयी.
उसने मेरी चुत को चूमा, ठीक मेरे छेद के ऊपर … मेरी तो सांसें अटक गईं. वो मेरी टांगों और चुत के बीच के भाग से चाटना शुरू किया और पहले पूरे चुत के एरिया को चाटा. अपनी नाक चुत के अन्दर डाल कर उसकी सुगंध लेते हुए जीभ को मेरी चुत की दरारों पर फिराया. मैं मचल उठी, मैंने उसके बालों को पकड़ कर खींचा. उसकी नाक पूरी मेरी चुत में गड़ गयी … मुझे मीठा सा दर्द हुआ और मैं आनन्द में खो गयी. इशिता पूरे मन से चुत चाटने में लगी हुई थी. जैसे ये उसका पसंदीदा खेल हो और वो इसकी पारंगत खिलाड़ी हो.
इशिता ने दो उंगलियों से मेरी चूत की फांकों को अलग किया और अपनी जीभ को नुकीला करते हुए मेरी चुत में घुसेड़ दिया. उसके नरम जीभ के स्पर्श मात्र से ही मेरी चुत पिघल गयी और पानी छोड़ने लगी. इशिता से जितना हो सक रहा था, वो अन्दर तक मेरी चुत में जीभ डाल कर चूस रही थी. भले ही उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. मगर सेक्स के लिए उसकी तड़प मेरे से कहीं ज्यादा थी.
आज तक ऐसे मेरी चुत को किसी ने नहीं चूसा था. उसका जोश ही अलग था. जादूगर थी वो लेस्बियन सेक्स की.
मैं इतनी गर्म थी कि ज्यादा देर टिक नहीं पायी और झड़ गई. इशिता ने मुँह अभी भी नहीं हटाया. वो मेरे रस को मस्ती में पी रही थी. उसने तनिक भी जल्दी न थी. उसने पूरा रस चाट कर मेरी चुत को साफ किया. फिर ऊपर मेरे तरफ बढ़ी.
अब उसने पूछा- कैसा लगा दीदी? उसके चेहरे पर सन्तोष के भाव थे. लेकिन एक बार में मेरा कहां होने वाला था. यहां पूरी रात चुदने की आदत थी. भाई के साथ जंगली सेक्स करते हुए तो पांच-छह बार झड़ ही जाती थी.
हालांकि अभी मैं हांफ़ रही थी क्योंकि तुरंत झड़ी थी. अपनी सांसें सम्भालते हुए मैंने धीरे से कहा- बढ़िया.
फिर तो उसने सम्भलने का मौका ही नहीं दिया. मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और जीभ अन्दर तक डाल कर डीप किस करने लगी. उसके मुँह से मेरे रस का स्वाद आ रहा था. मैं वाकिफ हूं इस ज़ायके से … कई बार मैंने खुद का रस चाटा है.
वो तब तक किस करती रही, जब तक मेरी सांसें न फूल गईं और मैंने उसे धक्का दे कर खुद को छुड़ाया नहीं. “पागल, मार डालेगी क्या?” “उफ्फ दीदी तुम्हारे होंठ हैं ही इतने रसीले … मैं क्या करूँ.” “तू हट … मूझे नहीं करना ये सब.” मैं उठ कर जाने लगी. वास्तव में मैं पानी पीने जा रही थी. क्योंकि इतने जबरदस्त ऑर्गेज्म (चरमआनन्द) के बाद मुझे प्यास लग रही थी.
मैं जाने के लिए उठी. इशिता ने मेरी ब्रा की डोरी पकड़ ली, जो पीठ पर बंधी थी. मैंने मुड़ने को हुयी, तो उसने डोर खींच दी. मेरी ब्रा भी मेरे बदन से अलग हो गई. मैं पूरी तरह नंगी हो गयी. मैंने हाथों से अपने निप्पल छुपाने लगी, शायद अभी भी थोड़ी शर्म बच गयी थी मुझमें. “कहां जा रही हो दीदी?” ये कहते हुए उसने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया.
मैंने कोई विरोध नहीं किया. मेरी चुत चाट कर उसने मुझे अपना कर्जदार बना दिया था. “अभी तो पूरी रात बाकी है.” ये बात मेरे दिल में घर कर गयी. महीनों से तड़पती चुत को उसने झाड़ कर मुझे अपना दीवाना बना लिया था. मैं अपनी वासना से विवस थी, किसी भी प्रकार के प्रतिरोध करने में असमर्थ थी.
इस वक्त उसकी कड़क चूचियां मुझे अपनी नंगी पीठ पर महसूस हो रही थीं. इशिता ने बाल हटा कर मेरी गर्दन को चूमा. उसकी चुत मेरे चूतड़ों से मसल रही थी.
मेरी गर्दन पर जीभ फेरते हुए मेरे कानों में बोली- दीदी आप बहुत टेस्टी हो. उसके इस कामुक लफ्जों ने मेरी अन्तर्वासना को छू लिया. मुझे अजीब सा नशीला एहसास हुआ. वो मेरे कंधे, गर्दन पीठ का ऊपरी हिस्सों को बेतहाशा चूमने और चाटने लगी.
मेरी आंखें बंद होने लगीं … मैं फिर से गर्म होने लगी. वो मेरे पीछे के भागों को चूमते हुए ही हाथ सरका कर मेरे मम्मों के पास लायी. मेरे हाथ उसके स्वागत में खुद बा खुद हट गए. उसने मेरे मम्मों को धीरे से सहलाया. उसके कोमल स्पर्श से मैं मचल उठी. वो हौले हौले मेरे मम्मों को सहलाते हुए मुझे चूमती चाटती रही.
मैंने खुद उसके होंठों पर होंठ रख दिए चूसने लगी. मैं खुलने लगी थी, वैसे खुलने को कुछ बचा नहीं था. मैं उसके सामने पूरी तरह नंगी थी. इशिता मेरे इस क्रिया से जोश में आ गयी. वो मेरे मम्मों को सहलाते हुए जोर से मुझे किस करने लगी. ऐसा नहीं हम पहले कभी एक दूसरे को नंगी नहीं देखा. लेकिन आज बात कुछ और थी. वो मेरे भाई की जगह थी और मैं हमेशा की तरह अपनी वासना की गुलाम थी. हां मैं उसकी गुलाम नहीं थी. वो तो खुद मेरे जिस्म की दीवानी थी.
वो एक ठरकी लेस्बियन थी और मैं उसकी बांहों में नंगी थी.
कुछ देर मेरे नंगी पीठ को प्यार करने के बाद उसने मुझे बेड पर दुबारा लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई. हमारे होंठ अभी भी जुड़े थे. कुछ देर में वो मेरे होंठों से अलग हुई, तो हम दोनों हांफ़ रहे थे.
वो मेरी प्यास देख कर हब्शियों की तरह मुस्कुरायी. दूसरे ही पल मुझपर दोबारा झपट पड़ी. मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी. कुछ देर में अलग हुयी और किस करते हुए नीचे जाने लगी. मेरे मम्मों पर पहुंच कर उसने एक पल के लिए मम्मों को निहारा और अपने होंठों पर जीभ फेर दी, जैसे उसे उसकी फेवरेट मिठाई दिख गयी हो. उसने अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ा और दबाते हुए जोड़ दिया. मेरे दोनों मम्मों के बीच में अपनी नाक घुसा कर उधर की महक को सूंघा और मस्त हो गयी.
इसी मस्ती में वो मेरे मम्मों को अपने चेहरे पर मलने लगी. मुझे नहीं पता था कि वो क्या कर रही थी. लेकिन मुझे उत्तेजित जरूर कर रही थी. उसने जीभ निकाल कर मेरे मम्मों पर फेरी, मैं मदमस्त हो उठी. मेरी आंखें बंद होने लगीं.
इशिता पूरे मन से मेरी चूचियों को चूसने लगी. क्या मस्त चूचियां चूसी उसने … मैं इतनी गर्म हो गई कि एक बार फिर झड़ने को तैयार थी.
उसने निचोड़ कर मेरी चूचियां चूसी थीं, मन भर के. फिर वो मुझे किस करते हुए मेरी कमर पर बैठ गयी … पेट से नीचे चुत के ठीक ऊपर. वो पैर मोड़ कर बिस्तर पर बैठी थी. उसकी चुत मेरी झांटों के पास थी. वैसे तो मैं चुत एकदम चिकनी रखती हूं. क्या पता कब कौन से लंड से चुदने का मौका मिल जाए. लेकिन भाई के प्रतिबंध के चलते तीन दिनों से इसे छुआ तक नहीं था. इस पर हल्की नर्म झांटें उग आई थीं.
इशिता अपनी चुत मेरी झांटों पर रगड़ने लगी. नई उगी झांटें कड़ी होती हैं. आगे से उसने मेरे मम्मों को भींच का रखा था. वो मेरे मम्मों को ऐसे मसले जा रही थी, जैसे की आटा गूँथ रही हो. हम दोनों की सिसकारियां कमरे में गूँज रही थीं “आहहहह … हम्म्म्म … ओह्ह … यसस्स..”
मैं अपना हाथ उसकी कमर से हटा कर उसकी चुत के पास ले गयी. जैसे ही मैंने उसकी चुत पर अपनी उंगलियां फेरीं, वो मस्त हो गयी. उसने मेरी तरफ वासना भरी निगाहों से देखा और मैंने दो उंगलियां उसकी चुत में डाल दीं. वो ऐसे चिहुंक गयी, जैसे इस आनन्द में शायद सांसें लेना ही भूल गयी हो. उसके मुख से एक गहरी “आहहहह..” निकल गयी. दूसरे ही पल उसके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी.
वो अपना हाथ नीचे मेरे हाथों के पास ले गयी. उसने मेरा हाथ चुत से निकाला और मेरी चार उंगलियां जबरदस्ती अपनी चुत में ठुंसवा लीं. साथ ही एक तेज दर्द से उसके मुँह से आह निकल गयी. लेकिन दूसरे ही पल उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी. वो लड़की सेक्स के लिए पागल थी. अपनी सीमा से बाहर जाना, तो मानो उसकी आदत सी थी.
उसने आगे की तरफ झुक कर मुझे किस की और गांड हिला कर चार उंगलियां अपनी चुत में लेने लगी. उसे देख कर ऐसा लग रहा था, मानो मैं कोई लड़का हूँ और वो मेरे लंड पर बैठे खुद से चुद रही हो.
फिर इशिता ने हाथ पीछे ले जाकर मेरी चुत को मलना शुरू कर दिया. एक बार फिर कमरे में “आहहहह ह्म्म्म यस्स..” की सिसकारियां गूंज उठीं. मैंने पहली बार किसी औरत की सिसकारियां ऐसे सुनी थीं और मैं उत्तेजित भी हो रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था कि इस खेल में हम दोनों की ही चुदाई हो रही हो. पूरा माहौल गर्म हो चुका था. मेरे मम्मे मसलते हुए इशिता उंगलियां चुत में ले रही थी.
ये सब बहुत ही कामुक था. हम ज्यादा देर नहीं टिक पाए, जल्द ही झड़ गए. ओह्ह … सच में झड़ने का क्या मस्त आनन्द था. इस बार मैं मन से झड़ी थी. इशिता झड़ते हुए निढाल सी मेरे ऊपर गिर गई. वो मेरे बदन से चिपक कर झड़ती रही. अभी वो कच्ची कली थी, लेकिन इस कम उम्र में भी उसने काफी कुछ सीख लिया था.
मुझे किस करते हुए वो उठी. वो मेरा हाथ अपनी चुत से बाहर निकाल कर मेरे उसने हाथों पर लगे अपने ही रस को चाट कर साफ कर दिया.
मेरी उंगलियों को चूसते हुए वो मुझे एक पालतू रंडी लग रही थी. नीचे उसका रस मेरी चुत के ठीक ऊपर से बह कर मेरी चुत में मिल रहा था. वो मेरी टांगों के बीच आ गयी और अपने और मेरे मिश्रित रस को भी चाट कर साफ कर दिया.
अब वो मेरे बगल में आकर लेट गयी. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरायी, मैंने भी बदले में हल्की सी मुस्कान पास कर दी. उसके चेहरे पर संतोष का भाव था. उसने मेरी हथेली पकड़ कर चूमा. मुझे पाकर वो काफी खुश थी … मैंने भी उसे प्यारी स्माइल दी.
फिर हम दोनों बहनें वैसे ही नंगी ही सो गई.
दोस्तो, मैं विशाल … अगर कहानी लम्बी हो गयी हो, तो क्षमा चाहूंगा … क्योंकि दीदी जैसा चाहती थीं … वैसा ही लिखूँ.
आपको ये लेस्बियन सेक्स कहानी कैसी लगी … मुझे मेल करके जरूर बताएं. अगर सौ से अधिक मेल आए तो मैं कहानी का अगला भाग भी लिखूंगा. आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते है. https://m.facebook.com/profile.php विशाल जैसवाल [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000