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मेरी यह कहानी केवल एक कल्पना मात्र है. इसका किसी भी वास्तविक घटना से कोई सरोकार नहीं है. चूंकि मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं और इस पर कहानियां पढ़ कर मनोरंजन करता रहता हूं, इसी दृष्टि से इस कहानी को भी रचा गया है. मेरी पिछली कहानी थी यात्रा में सलहज संग चुदाई
कहानी को शुरू करने से पहले मैं बता देना चाहता हूं कि यदि इस कहानी के पात्र व घटनाओं का किसी भी व्यक्ति अथवा स्थान से कोई संबंध पाया जाता है तो यह लेखक की जिम्मेदारी के अंतर्गत नहीं आयेगा क्योंकि इस कहानी को केवल मनोरंजन के उद्देश्य से ही रचा गया है.
पाठकों से मेरा आग्रह है कि इस कहानी को आप भी मनोरंजन की दृष्टि से ही पढ़ें. कहानी थोड़ी लम्बी है इसलिए इसको भागों में विभाजित किया गया है. यदि कहानी सफल रही तो पाठकों के आग्रह पर कहानी को आगे भी बढ़ाया जायेगा. फिलहाल इस कहानी का आनंद लीजिये.
मेरा नाम देवी सिंह दीवान है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूं. मेरी शादी को काफी वक्त हो गया है और शादी के बाद ही मैं अपनी पत्नी को मुंबई ले गया था. मेरी उम्र करीब 55 साल है. अभी भी भोग और वासना का शौकीन हूं इसलिए आप मुझे ठरकी भी कह सकते हैं.
शराब और साकी का शौक रखने के साथ ही ठरकपन भी मेरे अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ है. घर में हर सुख सुविधा मौजूद है. मेरी पत्नी से मुझे दो लड़के और दो लड़कियां हुए. नाती-पोते सब हैं और परिवार काफी खुशहाल है.
मेरे एक बेटे का नाम परमजीतन्द्र है और दूसरे का सुरेन्द्र है. मैंने दोनों को ही शुरू से ही बिजनेस में लगा दिया था. वो दोनों भी व्यापार में अच्छा खासा पैसा कमाते हैं. दोनों की ही बहुएं शालीन और सुशील हैं. मैंने भी काफी समय तक मुंबई में रिसर्च एनालिस्ट का काम किया और अब यह काम मैं शौकिया तौर पर करता हूं.
मैंने अपना ऑफिस घर में ही बना रखा है. मैंने जो भी पैसा कमाया वो सब व्यापार में लगा दिया. लड़कों को भी साथ में ले लिया और वही दोनों अब सब कुछ सम्भालते हैं. खाली समय में मैं पोर्न वीडियो देख कर टाइम पास कर लेता हूं. मेरे कम्प्यूटर में एक से एक पोर्न वीडियो का कलेक्शन है जिसको देख कर मैं लंड को हिला कर मजा ले लेता हूं.
पोर्न वीडियो देखने के साथ ही मुझे सेक्स स्टोरी पढ़ने का भी काफी शौक है. इस काम में अन्तर्वासना और फ्री सेक्स कहानी.कॉम मेरा अच्छा मनोरंजन करती है. इसकी कहानियां पढ़ कर मैं अति उत्तेजित हो जाता हूं.
अब मैं अपनी कहानी शुरू कर रहा हूं. उम्मीद करता हूं कि आप भी कहानी को मजा लेकर पढ़ेंगे.
मेरी पत्नी का नाम सरला है. उसकी एक बड़ी बहन भी है यानि कि मेरी साली. उसका नाम मैंने बदल कर राखी रख दिया है. वह गुजरात के वलसाड में रहती है. उसके पास चार लड़कियां हैं. पहली सरिता 35 साल की है, दूसरी कामिनी जो 32 साल की है, तीसरी पूर्णिमा जो 30 साल की है और चौथी रितिका है जो 28 साल की है.
इन चारों में से पहली तीन की शादी हो चुकी है लेकिन रितिका अभी कुंवारी है. बड़ी वाली लड़की के जमाई के साथ मेरे साढ़ू ने फैक्टरी खोल रखी है. बड़ी वाली लड़की सरिता ज्यादातर मायके में ही रहती है. मेरी साली राखी की उम्र 55 के ही करीब होगी और अभी तक उसके मन में एक बेटा पैदा करने की इच्छा थी.
उसने बड़ी लड़की की शादी के बाद दामाद और ससुर ने मिल कर केमिकल का बड़ा प्लांट लगा दिया था. वो दोनों ही उसको चलाते थे. मेरे साढ़ू का नाम परमजीत है और उसकी उम्र 60 के करीब हो चुकी है.
बात उन दिनों की है जब परमजीत का स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं रहता था. यहां पर सब तरह के टेस्ट करवाए लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था. उसके बाद मेरे पास मेरी साली राखी का फोन आया कि जीजाजी इन्हें किसी अच्छे डॉक्टर के पास दिखाना होगा.
दरअसल वो लोग परमजीत का इलाज विदेश में कराने की सोच रहे थे इसीलिये राखी ने मेरी मदद मांगी थी. मेरे मन में भी विदेश में घूमने की इच्छा थी इसलिए मैंने भी तुरंत हां कर दी थी. मेरी शादी को 25 साल से ज्यादा हो चुके थे और इन सालों में मैंने जिन्दगी के काफी मजे लिये थे.
मेरी साली का बदन अभी भी मुझे आकर्षित करता था. वो भरे हुए बदन की मालकिन थी. पोर्न देखने का शौक तो मुझे था ही इसलिए कई बार पोर्न देखते हुए मैं अपनी साली के बदन की कल्पना कर लिया करता था. दरअसल जब मेरी शादी हुई थी तो उसके पास दो महीने की बच्ची थी. तब से ही मैंने उसके लिए एक वासना अपने मन में दबा रखी थी मगर इतने सालों में कभी मौका नहीं मिला कि उसके बदन को भोग सकूं.
एक बार ऐसे ही रात को 12 बजे के करीब मैं अपने कम्प्यूटर में पोर्न वीडियो देख रहा था. मेरे हाथ में दारू का पैग भी था. आप तो जानते ही हैं कि जब आदमी पी लेता है तो उसके मुंह से सब सच ही निकलने लगता है.
उस वक्त बेसिक फोन होते थे. दारू पीते हुए मैंने अपनी साली को फोन लगा दिया. मैं सोच रहा था कि साढ़ू तो अभी गहरी नींद में सो रहा होगा. मैंने नशे की हालत में अपनी साली को सब कुछ खुल कर बोल दिया.
उसको साफ साफ कह डाला कि एक रात मैं जी भर कर तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूं. मगर मेरी साली संस्कारी थी और उसने बिना कुछ उत्तर दिये ही फोन रख दिया. उसके बाद भी हम कई बार मिले लेकिन उसकी तरफ से कोई पहल नहीं हुई और वह बात ऐसे ही आयी-गयी हो गई.
अब हमें अमेरिका में फिर से साथ जाने का मौका मिल रहा था. हम लोग यहां से निकल गये. अमेरिकी दूतावास में पहुंच कर एक भारतीय कर्मचारी ने बताया कि मुझे वहां पर किसी जानकार जरूरत पड़ेगी. वैसे काम चलाऊ अंग्रेजी तो मैं बोल ही लेता था लेकिन फिर भी उसने कहा कि वहां की अंग्रेजी के अनुवाद के लिए मुझे आवश्यकता होगी ही होगी.
उसने एक नम्बर मुझे दे दिया. वहां अमेरिका में उस जानकार को हवाई अड्डे पर मिलने का समय भी बता दिया गया. हम नियत समय पर अमेरिका पहुंच गये. जानकार साथ था तो हमें ज्यादा कुछ दिक्कत नहीं हुई. आराम से अस्पताल में भी पहुंच गये. दिसम्बर का महीना था और काफी ठंड पड़ रही थी.
हमारे पास हमारे भारतीय वस्त्र थे. वहां की सर्दी को बेअसर करने के लिए वह वस्त्र पर्याप्त नहीं थे. अस्पताल में जाकर साढ़ू जी को एडमिट करवा दिया. हमें बताया गया कि दोपहर में मरीज से केवल एक बार ही मिला जा सकता है. जरूरी पैसा हमने काउंटर पर जमा करवा दिया.
उन्होंने कहा कि यदि किसी चीज की आवश्यकता होगी तो वो लोग हमें फोन करके बुला लेंगे. हमने अस्पताल की सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर दी. वहां से निकल कर सोचने लगे कि किसी नजदीक के ही होटल में ठहरना पड़ेगा क्योंकि यदि अस्पताल से फोन आता है तुरंत पहुंचना पड़ेगा.
मगर हमारे साथ जो जानकार था उसने बताया कि यहां नजदीक में होटल मिलना बहुत मुश्किल है. फिर उसने हमें कुछ और व्यवस्था करने का आश्वासन दिया. उस बंदे ने तीन चार जगह फोन घुमा कर हमारे लिए पास ही के एक होटल में ठहरने की व्यवस्था करवा दी.
गेस्ट हाउस के लिए निकले ही थे कि तभी स्नोफॉल चालू हो गया. बर्फ गिरने लगी. वैसे भी मेरी साली राखी को भारत में भी बहुत सर्दी लगती थी. जबकि अमेरिका में तो तापमान लगभग जीरो डिग्री के आसपास चल रहा था. मेरी साली ने साड़ी पहनी हुई थी. उसका पूरा शरीर कांप रहा था.
तभी अनुवादक ने कहा- भाभी जी मैं आपके लिए दवाई लेकर आता हूं वरना आपकी तबियत खराब हो जायेगी. साली ने सोचा कि कोई मेडिसिन लेने की बात कर रहा है ये. मगर वो बंदा तीन स्ट्रान्ग वाइन लेकर आ गया.
दरअसल वहां के लोग सर्दी से बचने के लिए वाइन का ही सहारा लेते हैं. मेरी साली ने जैसे ही उसको सूंघा तो वो बोली कि ये तो दारू है. मैं ये नहीं पी सकती. तब जानकार ने समझाते हुए कहा कि अगर आपको यहां पर रहना तो आपको पानी की जगह पर ये ही इस्तेमाल करनी होगी.
अगर आपने मेरी बात को अनदेखा किया तो आपको भी हमें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ेगा. उसके बाद उस जानकार ने वाइन के गुणों के बारे में भी बताया. यह भी समझाया कि यहां सर्द देश में सब यही पीते हैं. किसी तरह समझा बुझाकर हमने साली से वह पैग खाली करवा ही दिया.
उसके बाद मैंने आंख से इशारा करके एक और पैग मंगवा दिया. दो पैग खाली होने के बाद उनको सर्दी से कुछ राहत मिली. तब तक मौसम भी काफी साफ हो गया था. मेरे जानकार ने एक बोतल अलग से लेकर मुझे दे दी और बोला कि यह आप लोगों का कल तक का काम चला देगी.
उसने कहा कि कल वह हम लोगों को अन्य सामान की खरीदी भी करवा देगा. उसने हमको गेस्ट हाउस ले जाकर छोड़ दिया. कल फिर से मिलने का वादा करके वो चला गया. उसके बाद हम लोग अंदर चले गये. अब तक पहले वाले पैग का असर खत्म हो गया था और साली साहिबा को फिर से सर्दी ने घेर लिया था.
अंदर जाकर मैंने एक स्ट्रान्ग पैग बना दिया जिसे राखी ने तुरंत खाली कर दिया. उसके बाद मैंने भी दो पैग लगाये और फिर फ्रिज से बर्गर निकाल कर ओवन में गर्म करने के लिए रख दिये. गर्म करने के बाद हमने साथ में बर्गर खाये.
जब तक हम खाना खाकर फ्री हुए तो रात के 11 बज चुके थे. अब सोने के लिए देखना था. चूंकि बेड सिंगल ही था इसलिए मजबूरन दोनों को एक ही बेड पर सोना था. मुझे तो अपनी साली के साथ सोने में कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि मेरे अंदर तो बरसों की प्यास दबी हुई थी. वो प्यास आज मुझे बुझती हुई नजर आ रही थी.
दोनों ही नशे में थे इसलिए सोचने और समझने की शक्ति दोनों की ही खत्म हो चुकी थी. हम दोनों बेड पर लेट गये. लेटते ही मेरे लौड़े ने सलामी दे दी. लंड पैंट में तन कर खड़ा होने लगा. मैंने एक टांग पर दूसरी टांग चढ़ा कर उसको छिपाने की कोशिश भी लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
वासना बार-बार उभर कर आ रही थी. मैंने साली की तरफ देखा और साली ने मेरी तरफ देखा. दोनों ही एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे. मैंने वासना वशीभूत होकर उसको अपनी तरफ हिम्मत करके खींच ही लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये.
चूंकि मौसम खराब था और सर्दी भी थी. साथ ही वाइन का सुरूर भी था. इसलिए साली ने भी ज्यादा कुछ नहीं सोचा और मेरा साथ देना शुरू कर दिया. दोनों ही एक दूसरे के जिस्मों अपने में समाने की कोशिश करते हुए एक दूसरे से लिपटते हुए चूमा-चाटी में लग गये.
मेरी साली राखी ने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ कर उसको हाथ में लेकर मरोड़ना शुरू कर दिया. उसके अंदर भी एक प्यास सी जाग गई थी. मैंने भी फिर आव देखा न ताव और अपने सारे कपड़े जैसे फाड़ते हुए एकदम से नंगा हो गया.
नंगा होने के बाद जब मैं रजाई में घुसा तो साली ने लंड को हाथ में पकड़ कर कहा- अरे बाप रे! इतना बड़ा! इतना मोटा.
दोस्तो, मेरा लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच चौड़ा है. मेरी साली ने शायद अपने जीवन में पहली बार ऐसा लिंग हाथ में लिया था.
मेरी साली की उम्र भले ही 55 की है लेकिन वो देखने में 40 की लगती है. उसका साइज 38-36-42 है. मेरा लंड तो तनतना रहा था. उसको इस वक्त एक छेद की जरूरत थी. इसलिए मैंने सबसे पहले 69 की पोजीशन बनाने के बारे में सोचा. मैंने उसके मुंह की तरफ लंड किया तो उसने लंड को मुंह में भरने में देर न की और उसको चूसने लगी.
इधर मेरा मुंह उसकी चूत में जा लगा और उसकी चूत में जीभ डाल कर मैं उसकी चूत को जैसे मुख चोदन का मजा देने लगा. जैसे जैसे मेरी जीभ उसकी चूत में अंदर जा रही थी वैसे ही वो मेरे लंड पर दांत से काट लेती थी. मस्त चुसाई कर रही थी मेरे लौड़े की.
फिर पांच-सात मिनट के बाद जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो उसने लंड को मुंह से निकाल कर कहा- जीजाजी, आपके साढ़ू ने चुदाई से दस साल पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. अब देरी मत करो और इस मूसल को मेरी चूत में डाल दो. काफी बरसों से इसको ऐसा दमदार लंड नसीब नहीं हुआ है.
मैं उसकी चूत की तरफ आकर उसके क्लिट को हाथ से मसलने लगा. मेरा इरादा पहली बार में ही सटीक निशाना लगाने का था. धीरे-धीरे उसकी चूत के छेद को टटोल कर पहले मैंने उसकी चूत के छेद पर अपने लंड के सुपारे को सेट कर दिया.
उसके बाद बड़ी ही धीमी गति के साथ मैंने जोर लगाना शुरू किया. चूत में चिकनाई भी पूरी थी और मेरे लंड ने कामरस निकाल निकाल कर उसके पूरा चिकना कर रखा था. साथ ही साली के मुंह की लार भी लगी हुई थी. इतनी चिकनाई होने के बाद भी जब लौड़ा उसकी चूत में घुसने लगा तो उसकी आंखों से पानी बह निकला.
जब लंड तीन इंच तक अंदर घुस गया तो मैंने एक जोर का धक्का मारा और उसके होंठों को मैंने अपने होंठों से जोर से दबा दिया. आधा लंड मेरी साली की चूत में समा गया था. वो बुरी तरह से कसमसाते हुए छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
उसके बाद मैंने अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठा कर एक और जोरदार धक्का लगाया और मेरी साली राखी ऐसे तड़पने लगी जैसे जल बिन मछली तड़पने लगती है. ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लंड अंदर किसी दीवार के जाकर टकरा रहा था.
मैंने अब विराम दे दिया. पांच मिनट तक शिथिल होकर उसके ऊपर पड़ा रहा. वो कहती रही कि इतने मोटे लंड से मुझे नहीं करवाना है लेकिन मैंने उसकी बात नहीं मानी. उसको समझाने लगा कि काफी सालों से उसकी चूत की चुदाई नहीं हुई है इसलिए थोड़ी तकलीफ हो रही है.
अगर तुमने मेरा साथ दिया तो तुम्हें मैं जवानी के दौर में फिर से वापस ले जाऊंगा. भरोसा रखो मेरी जान. मेरे इतना समझाने पर वो मान गयी और बोली कि ठीक है.
वो बोली- लेकिन इतनी जोर से नहीं करोगे. मैंने कहा- जैसे तुम कहोगी बिल्कुल वैसे ही करूंगा. बस तुम मेरा साथ दे दो.
दोनों की सहमति के बाद मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को हिलाना शुरू किया. चूंकि लंड बहुत लंबा और मोटा था इसलिए मेरा लौड़ा उसकी चूत में फंस गया था. दस मिनट लग गये लंड को अपनी गति में आने में. अब मेरी साली भी अपनी गांड को उठाने लगी थी.
उसको चूत चुदवाते हुए मजा आने लगा था. मैं तो था ही ठरकी इसलिए चूत चुदाई का पूरा आनंद ले रहा था. दोनों के ही मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जब मैं झटका देता तो साली जवाब देते हुए गांड को मेरी तरफ धकेलती.
दोनों की इस कुश्ती में सर्दी तो जैसे छूमंतर हो गयी थी. हमें पता भी नहीं चला कि कब रजाई हमारे जिस्मों से सरक कर नीचे गिर गई. रजाई के हटते ही उसका जिस्म कमरे की रोशनी में नहा गया. कसम से क्या जिस्म था उसका. पहली बार मैंने अपनी साली राखी को नंगी देखा था.
उसके बाद मैंने उसको डॉगी की पोजीशन में आने का इशारा किया. वो उठ कर मेरे सामने झुक गई. उसकी गांड को थाम कर पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया और उसकी चोटी के नीचे उसकी पीठ पर चुम्बन देना शुरू कर दिया मैंने.
साथ ही साथ मैं उसकी गांड में उंगली भी कर रहा था. अपने शरीर का भार उसके बदन पर डाल कर चुदाई के मजे ले भी रहा था और उसको पूरा मजा देने की कोशिश कर रहा था. उसकी पीठ पर दांत के निशान हो चले थे.
सोच रहा था कि एक बार इसको संतुष्ट कर दूं तो फिर आराम से चुदाई करूंगा. उसके बाद मैंने अपनी गति बढ़ा दी और लगातार 60 से 70 धक्कों में हम दोनों पानी छूटने की कगार पर पहुंच गये. मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं अपने माल को? वो बोली- पूछना क्या है, अंदर ही गिरा दो ना … हाय … आह्ह … चार-पांच करारे धक्कों के साथ मेरी तोप ने उसकी चूत में गोले दागने शुरू कर दिये. पिचकारी दर पिचकारी अपनी साली की चूत को अपने लावा से भर दिया मैंने. वो भी पानी छोड़ चुकी थी और दोनों की ही धड़कनें कमरे को जैसे सिर पर उठाने को हो रही थीं.
बरसों बाद साली की चूत चुदाई करके मुझे आज परम सुख की अनुभूति हो रही थी. इधर साली के चेहरे के भाव भी कुछ ऐसे ही थे. वो भी परम आनंद में गोते लगा रही थी.
हम दोनों थक कर चूर हो गये थे और बिस्तर पर गिर पड़े थे. उसके पांच मिनट बाद ही फोन की घंटी बजनी शुरू हो गई. फोन उठा कर देखा तो हॉस्पिटल से कॉल आया था. समय रात के तीन बजे का था. पहली बार में पता लग गया कि कोई इमरजेंसी हो गई है. वरना इतनी रात को फोन नहीं आता.
फोन उठा कर बात की तो उन्होंने वहां से बताया कि आपके मरीज की मृत्यु हो चुकी है. कल दिन में आकर आप बॉडी ले जा सकते हैं. ये सुनकर मेरी जीभ जैसे मुंह में ही जम गई. साली ने पूछा- क्या हुआ, किसका फोन था?
मैंने कह दिया- मेरे मित्र का मुंबई से फोन आया था. मैं अभी साढ़ू की मौत को साली के सामने जाहिर नहीं होने देना चाहता था. मैं अपनी साली को और अपने साढ़ू की बॉडी को सकुशल इंडिया लेकर आना चाहता था. इसलिए मैंने फोन को ऑफ कर दिया.
उसके बाद मैंने दो पैग बनाये और सिगरेट जला ली. मेरे हाथ में बोतल थी और मेरा सोया हुआ सांप मेरी टांगों के बीच में लटक रहा था. मैं नंगे बदन ही बोतल लेकर बेड पर आकर बैठ गया.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. [email protected]
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