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हैलो, मेरा नाम नेहा है. मैं अपनी एक सेक्स कहानी आपको बताने जा रही हूँ. मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी. मेरी चूत को मेरी सहेली के बड़े भाई ने चोदा था. वो मुझे आज भी चोदते हैं और वो मेरी चूत को चोद कर बहुत खुश भी हैं. मुझे भी एक मस्त लंड मिल गया है, जिससे मैं अपनी चूत को चुदवा कर अपनी चूत की खुजली को शांत रख पाती हूँ.
मैं अपनी सेक्स कहानी बताने से पहले आपको अपने बारे में बता दूँ. मैं दिखने में बहुत अच्छी लगती हूँ और शहर से हूँ तो मॉडर्न कपड़े पहनती हूँ, जिससे लोगों को मेरे जिस्म का आकार और भी अच्छे से दिखता है. मैं फिटनेस पर भी ध्यान देती हूँ. मुझे बहुत लड़कों के साथ बात करने में अच्छा लगता है. मैं अपनी कॉलोनी के सभी लड़कों से बात करती रहती हूँ. मुझे बहुत से लड़के लाइन देते हैं.
मेरी एक सहेली है, जिसको इन सब बातों के बारे में पता है कि कौन लड़का मुझे लाइन मारता है. हम दोनों लोग अपनी अपनी चुदाई की बातें एक दूसरे से शेयर भी करते हैं. हम दोनों बहुत अच्छी सहेली हैं. मैं अपनी इसी सहेली के बड़े भाई से चुदवाती हूँ, उनके साथ की चुदाई की कहानी आज मैं आपको बता रही हूँ. ये सेक्स कहानी अभी कुछ दिन पहले की ही है, इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना आपको अपनी इस सेक्स कहानी के बारे में बता दूँ.
मैं और मेरी सहेली हम दोनों एक दूसरे के घर आते जाते रहते हैं. मैंने कभी भी ये नहीं सोचा था कि मेरी सहेली के बड़े भैया मुझे चोदना चाहते हैं.
मैं जब भी अपनी सहेली के घर जाती थी, तो उसके बड़े भैया मुझसे बहुत बात करते थे. मैं भी उनसे बहुत बात करती थी. वो मुझे जब भी हवस भरी नजरों से देखते थे, तो मुझे बहुत अजीब लगता था. मेरे सहेली के बड़े भैया का नाम मोहन था और वो बहुत स्मार्ट भी थे. मुझे वो बहुत अच्छे लगते थे.. लेकिन मैं उनके बारे में कुछ गलत नहीं सोचती थी.
मेरी सहेली को ये बात पता नहीं थी कि मैं उसके बड़े भाई मोहन से बहुत बात करती हूँ. मोहन भैया ने ऐसे ही एक दिन बातों बातों में मुझसे मेरा फोन नम्बर ले लिया था. चूंकि मुझे वो अच्छे लगते थे, इसलिए मैंने उन्हें अपना मोबाइल नम्बर दे दिया था. अब हम दोनों की बातें फ़ोन पर भी होने लगी थीं. शुरुआत में हम दोनों फ़ोन पर नार्मल बात करते थे.
धीरे धीरे मुझे पता नहीं क्यों मोहन भैया से बात करने में अच्छा लगने लगा था. वो भी बहुत हंस हंस कर मुझसे बात करते थे.
चूंकि मैं बहुत सेक्सी लड़की हूँ और मॉडर्न कपड़े पहन कर रहती हूँ, उनके घर भी मैं हॉट ड्रेस पहन कर ही जाती थी. तो ये स्वाभाविक ही था कि मोहन भैया मेरी तरफ बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखते थे. एक दो उन्होंने मुझसे मेरी ड्रेस को लेकर मेरी तारीफ़ भी की, जिससे मुझे लगा कि उनको मेरी इस तरह की ड्रेस से कोई दिक्कत नहीं है. उनकी इस तरह की तारीफों से मुझे अच्छा लगा और मैं उनसे खुल कर बात करने लगी थी.
अब तो कुछ यूं हो गया था कि मैं अपनी सहेली से तो थोड़ी ही देर बात करती थी, मोहन भैया से ही ज्यादा बात करना पसंद करने लगी थी. मेरी सहेली भी हम दोनों को लेकर कुछ गलत नहीं सोचती थी.
फिर कुछ ऐसा हुआ कि मोहन भैया दिन पर दिन मेरे मम्मों को घूरने लगे. मुझे अजीब लगता था, लेकिन मजा भी आता था. मैं अपनी आत्ममुग्धता में मस्त अपनी सहेली से मिलने जाती रही.
मैं और मेरी सहेली हम दोनों ही जॉब करने वाली लड़कियां हैं. मैं अपनी सहेली के साथ ही ऑफिस जाती थी. कभी कभी ऐसा हो जाता था कि मोहन भैया मुझे और अपनी बहन को अपनी कार से ऑफिस छोड़ देते थे.
मेरे तने हुए मम्मों के साथ साथ मेरी गांड भी बहुत सेक्सी है और काफी उठी और बड़ी है. मैं जब चलती थी, तो मोहन भैया मेरी ठुमकती गांड भी देखते थे. मैं जब उनकी तरफ देखती थी, तो वो दूसरी तरफ मुँह कर लेते थे. मुझे ये बात पता समझ आ चुकी थी कि मोहन भैया मुझे चोदना चाहते हैं. मुझे देख कर वो अपनी पैंट को खुजलाने लगते थे. मैं कई बार ये देखी थी कि वो मेरी चूचियों को देख कर अपने पैंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगते थे.
ये सब देख कर मैंने भी उनको लिफ्ट देना शुरू कर दी थी. हम दोनों लोग की बातें बढ़ती गईं और इसी दौरान बातों ही बातों में हम एक दूसरे की जरूरत और इच्छाओं के बारे में भी जान गए थे. मोहन भैया शादी शुदा थे. उनकी पत्नी बहुत दिन से माइके गयी हुई थीं. इन दिनों मोहन भैया अकेले थे, तो वे हंसी मजाक करते हुए मुझे अपने साथ घूमने जाने के लिए बोलते थे. हालांकि मैं उनको मना कर देती थी.
इसी तरह से हम दोनों लोग का एक दूसरे से बात करना और उनका मेरी चूची को देखना चलता रहा.
एक दिन मैं अपनी सहेली के घर गयी, तो मेरी सहेली सो रही थी. मैं अपने घर आने लगी, तो उसके बड़े भाई मोहन ने मुझे पकड़ लिया और बोलने लगे कि मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ और मुझे तुम्हारे बूब्स बहुत पसंद आते हैं. मैं तुमको बहुत चाहता हूँ.
मैं उनको मना करने लगी, तो वो मोहन भैया ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझे किस करने लगे. मैं उनको मना कर रही थी और उनसे दूर हुई जा रही थी, लेकिन वो मुझे जोर से अपनी बांहों में पकड़े हुए थे. मैं उनसे दूर नहीं जा पा रही थी. मैं उनका साथ नहीं दे रही थी, लेकिन वो मुझे किस कर रहे थे और मेरे होंठों को चूस रहे थे.
मेरी चूचियां उनकी छाती से लग कर दब रही थीं. तभी वो मुझे किस करते करते मेरी एक चूची को दबाने लगे. इससे अब मैं भी गरम होने लगी थी. मैं भी बाद में सिस्कारियां लेने लगी और मैंने उनसे छूटने का प्रयास करना बंद कर दिया.
मोहन भैया मुझे लगातार किस कर रहे थे, तो अब मैं भी उनका साथ देने लगी.
मेरी सहेली अन्दर अपने कमरे में सो रही थी, इसलिए हम दोनों बेफिक्री से एक दूसरे को किस कर रहे थे. मोहन भैया ने मुझे किस करते हुए मेरी पीठ पर अपने हाथ रख दिए और मेरी पीठ को सहलाते हुए चूमने लगे. वो बीच बीच में मेरी चूचियों को बड़ी सख्ती से दबा रहे थे.. इससे मेरी मादक कराह निकली जा रही थी. फिर वो अपनी जीभ से मेरी गर्दन को चाटने लगे, इससे मैं एकदम से गरम हो गयी थी और मादक आवाजें निकालने लगी थी.
उन्होंने मुझे गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गए. आज उनके घर में मेरी सहेली और उनके बड़े भाई मोहन ही थे. घर के बाकी के सब लोग घर से बाहर गए थे.
चूंकि उनके घर में भी सब लोग जॉब करते हैं. जब कभी मैं और मेरी सहेली जॉब पर नहीं जाते थे, तो एक दूसरे के घर आकर एक दूसरे से बात करने आ जाते थे. आज ऐसा ही दिन था, मैं और मेरी सहले हम दोनों ही ऑफिस नहीं गए थे, इसलिए मैं अपनी सहेली के घर आई हुई थी. लेकिन वो सो रही थी और मैं उसके बड़े भाई मोहन के साथ उनके बेडरूम में चली गयी थी.
मोहन भैया ने मुझे किस करते हुए मेरे सलवार सूट को निकाल दिया. मैं उनके सामने ब्रा और पैंटी में रह गई थी. मेरी ब्रा में से मेरे आधे से ज्यादा मम्मे दिखाई दे रहे थे. मेरी पैंटी मॉडर्न पैंटी थी, जिससे मेरी गांड तो पूरी बाहर ही दिखाई दे रही थी.
मोहन भैया ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए. वे मुझे किस कर रहे थे और उनका लंड मुझे नीचे अपनी चूत पर महसूस हो रहा था. उनका लंड भी खड़ा हो गया था.
मोहन भैया ने किस करते हुए ही मेरी ब्रा निकाल दी और मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया. मेरी दूसरी चूची को वे अपने दोनों हाथ में लेकर दबाने लगे. मैं चुदासी होने लगी. हम दोनों लोग एक दूसरे का अच्छे से साथ दे रहे थे. कोई पांच मिनट में मोहन भैया ने मेरी दोनों चूचियों को बारी बारी से खूब चूसा और मसला. मैं एकदम से चुदाई हो गई थी और मेरी चूत पानी से भीग गई थी.
मेरी चूचियों को दबाने और चूसने के बाद उन्होंने मेरी पैंटी को निकाल दिया. मैं उनके सामने नंगी हो गयी और मुझे नंगा देख कर मोहन भैया ने भी अपना अंडरवियर निकाल दिया.
हम दोनों लोग एक दूसरे के सामने नंगे थे. वो बिस्तर के नीचे आ गए और डॉगी बन कर मेरी चूची को चूसने लगे चूत को चाटने लगे. मैं अपनी मस्ती में थी और उनसे अपनी चूत चटवा रही थी. मोहन भैया के लगातार जीभ के चलने से मेरी चूत से पानी भी निकल रहा था.
कुछ देर तक मोहन भैया मेरी चूत को चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत में रगड़ने लगे.. जिससे मेरी चूत का पानी उनके लंड पर लग रहा था और मेरी चूत के पानी से उनका लंड भीग गया था.
अभी तक मोहन भैया का लंड बाहर से ही मेरी चूत की फांकों से खेल रहा था. मुझे लंड के सुपारे से बड़ी चुदास चढ़ रही थी. मैं मोहन भैया का लंड अपनी चूत में लेने को मचल रही थी. हम दोनों लोग एक दूसरे को किस भी करते जा रहे थे. वो मेरे होंठों को खूब चूसने के बाद और मेरी चूचियों को बड़ी मस्ती से दबाने के बाद मेरी चूत में अपना लंड डालने लगे.
मैंने भी मोहन भैया के लंड के लिए अपनी चूत पूरी खोल रखी थी. चूत लिसलिसी भी हुई पड़ी थी. इसलिए मोहन भैया ने जरा सा ही धक्का दिया और उनका लंड मेरी चूत में अन्दर तक घुसता चला गया. मोहन भैया के लंड के घुसते ही मेरी सिसकारी निकल गई और मैं उनके मोटे लंड से एकदम से कराह उठी. वो कुछ ही देर में अपना पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक पेल कर मेरी चूत को चोदने लगे.
मैं और मेरी सहेली के बड़े भैया मोहन मेरे साथ जबरदस्त सेक्स करने लगे. वो अपना एक हाथ मेरी चूची पर रखे थे और मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत में धक्के मार रहे थे. साथ ही मोहन भैया अपने एक हाथ से मेरी चूची को दबा रहे थे.
हम दोनों लोग मस्ती से चुदाई कर रहे थे और साथ में बीच बीच में एक दूसरे को किस भी कर रहे थे. मैंने अपनी टांगें हवा में उठा दी थीं और उनके पूरे लंड को अपने अन्दर ले रही थी. मोहन भैया मेरी चूत में पूरी ताकत से धक्के मार रहे थे और मैं बिस्तर पर चित्त हो कर उनसे मजे लेते हुए चुदवा रही थी. कुछ ही देर में हम दोनों को पसीना आने लगा था, लेकिन चुदाई के आगे हम दोनों को गर्मी लग ही नहीं रही थी.
वो मेरी चूत को चोदते चोदते रुक जाते थे और मुझे किस करने लगते थे और मेरे होंठों को चूसने लगते थे. इस दौरान उनका लंड मेरी चूत की जड़ में अपनी फुंफकार मारता था, जिससे मेरी चूत के अन्दर एक मस्त हलचल सी मचती थी. ये हलचल उनकी जीभ के मेरे मुँह में होने से और भी ज्यादा बढ़ रही थी. अब तक की चुदाई में ऐसा दो बार हो चुका था और मैं उन दोनों बार ऐसा महसूस कर चुकी थी कि मोहन भैया के लंड के मेरी चूत में थम जाने से मैं पानी पानी हो गई थी. मेरी चूत एकदम से पानी छोड़ देती थी, जिससे चूत में गजब का चिकनापन हो जाता था. उसके बाद वो मेरी चूत को बड़ी मस्त तरीके से चोदने लगते थे.
हम दोनों की इस सेक्सी चुदाई से बिस्तर ख़राब हो गया था. मुझे डर लगने लगा था कि कहीं मेरी सहेली ना जग जाए क्योंकि वो सो रही थी. अगर वो जग जाती और मुझे अपने बड़े भाई के साथ सेक्स करते हुए देख लेती, तो हम दोनों की दोस्ती खत्म हो सकती थी.
मोहन भैया मेरे साथ सेक्स करते करते रुक गए और वे बगल की टेबल पर रखे जग से पानी पीने लगे. मोहन भैया ने जग मेरी तरफ बढ़ाया, तो मैं भी पानी पीने लगी थी. मोहन भैया ने कुछ पानी मेरी चूचियों पर गिरा दिया, मुझे इस वक्त पसीने से भीगी मेरी चूचियों पर ठंडे पानी की धार बड़ी ही मस्त लगी. मैंने भी अपने मुँह में पानी भरा और मोहन भैया की छाती पर पिचकारी मार दी. उनको भी बड़ा मस्त लगा. फिर मोहन भैया ने पूरा जग ही मेरे ऊपर उढ़ेल दिया. मुझे मस्ती छा गई थी.
फिर हम दोनों पानी पीकर और भी मस्ती से सेक्स करने लगे थे. वो मेरे होंठों को चूसते हुए बड़े जोश से मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.
कोई बीस मिनट तक चुदाई करने के बाद हम दोनों झड़ने लगे. अपनी चरम सीमा पर आकर हम दोनों बहुत जोर जोर से पूरे जोश में सेक्स कर रहे थे. एक जोरदार सम्भोग के बाद हम दोनों झड़ गए. झड़ने के बाद हम दोनों एक दूसरे के ऊपर कुछ देर के लिए सो गए.
कुछ देर के बाद मैंने उठा कर अपने आपको फ्रेश किया और अपने कपड़े पहन कर घर आने लगी.
मोहन भैया ने मुझे रोक लिया और मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरी चूची को दबाया, किस किया और मेरी गांड को दबाया.
हम दोनों ने जल्दी ही फिर से मिलने का वादा किया. उसके बाद मैं अपने घर आ गयी.
आज भी हम दोनों मौका पाते ही सेक्स कर लेते हैं. जिस दिन मोहन भैया को मेरी चूत चोदने के लिए मिलती है, तो वो बहुत खुश हो जाते हैं. एक बार मोहन भैया ने मुझे बताया था कि मेरी चूत चोदने के दो दिन तक वे अपनी बीवी को नहीं चोदते हैं.
मेरी और मोहन भैया की इस चुदाई की कहानी आप सबको कैसी लगी, मुझे मेल करके अपनी राय बताएं. नेहा यादव [email protected]
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