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नमस्ते देसी कहानी के पाठकों। मै आपका काम देव आशीष अपनी एक और मज़ेदार और रोमांस से भरी हुई चुदाई की कहानी आप सबको बताने वाला हूं। ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ है, जब मै इतने दिनों तक इस एक माल के साथ टिका हुआ हूं।
नहीं तो मै हर हफ्ते एक नई औरत की चूत मारता हूं। मेरी इस कहानी की नायिका का नाम प्रीति है। उसने अपने पति से तलाक ले लिया है। उसके जाहिल और अनपढ़ मां बाप ने उसकी शादी 19 साल की उम्र में ही करवा दी थी।
लेकिन प्रीति की भी वही कहानी निकली की पति शराबी और कोई काम काज करने वाला नहीं था। और मुफ्त कि रोटियां तोड़ने वालों मे से था। रोज़ रात को दारू के नशे में घर आता और अपनी बीवी को मारता था। तो प्रीति ने तंग आ कर उससे तलाक ले लिया। उसके दो बच्चे भी हैं जिन्हें वो अपने साथ लेकर आ गई।
प्रीति दिखने में अच्छी गोरी है। लंबे खुले बाल कमर तक आते हैं, माथे पे एक छोटी बिंदी, दोनों हाथों में चूड़ियां, होठों पे लिपस्टिक, वो अधिकतर समय तो साड़ी ही पहने रहती है। प्रीति अपनी साड़ी नाभी से नीचे बांधती है जिससे उसकी पतली चिकनी कमर और पेट खुले ही रहते हैं।
वो छोटी बांही वाले गहरे गले का ब्लाउस पहनती है, जिसे वो पीछे एक पतली डोरी से बांध कर रखती है। वो ब्लाउस इतने टाइट पहनती है कि उसे अन्दर ब्रा पहनने की ज़रूरत ही नहीं होती। उसके स्तन यानी बूब्स भी अच्छे बड़े हैं।
एक दम मोटे रसीले गोल मटोल बड़े बड़े तरबूज लटके रहते हैं उसकी छाती पर। स्तनों की चूचियां टाइट और कड़क, उनका रंग हल्का भूरा है। प्रीति की गान्ड के तो क्या कहने। उसकी मोटी बड़ी गान्ड उसके चलने पर ऊपर नीचे डोलती है, जिसे जो कोई भी मर्द देखता है तो अपना लन्ड एक बार तो रगड़ता ही है।
प्रीति की चूत बाहर से तो काली है, लेकिन जब खोल कर अन्दर देखो तो गुलाबी रंग की मिलेगी। प्रीति की चूत ही उसकी सबसे बड़ी विशेषता है। प्रीति अपनी चूत को लेकर बहुत ही संवेदनशील है।
उसकी चूत में बस हाथ लगा कर थोड़ा सा रगड़ने और मसलने की ज़रूरत है, और उसकी चूत पूरी गीली हो जाएगी और पानी छोड़ने लगेगी। प्रीति अपनी चूत के बाल हफ्ते दस दिन के आस पास साफ कर लेती है।
उसकी चूत दिखने में ही इतनी प्यारी है ना दोस्तों मतलब एक नाज़ुक सी फूल की कच्ची कली जैसी है। हां तो दोस्तों ये था प्रीति का पूरा ऊपर से लेकर नीचे तक सम्पूर्ण विवरण। अब मै आपको कहानी मे आगे लेकर जाता हूं।
प्रीति से मेरी पहली मुलाकात ऑटो रिक्शा मे हुई। गुरुवार का दिन था। मै अपने ऑफिस जाने के लिए जिस ऑटो मे बैठा था वो भी उसी वक्त उसी ऑटो मे आकर बैठ गई। उस वक्त उसको किसी आदमी ने ऑटो मे बैठाया था।
प्रीति मेरे बगल मे चिपक कर बैठी थी क्योंकि ऑटो मे पहले से ही दो लोग बैठे हुए थे। मैंने ठीक से बैठने के लिए अपना हाथ प्रीति के पीछे रख लिया। अब ऑटो चालू हुआ तो मेरा हाथ बार बार प्रीति की पीठ और कमर से छूने लगा।
प्रीति की पीठ और कमर दोनो खुले हुए थे। तो मेरा लन्ड उसके खुले गोरे जिस्म के कारण पैंट मे ही टाइट होने लगा। मैंने भी अपना हाथ अब जानबूझ कर प्रीति की कमर पर मलना चालू कर दिया। पहले तो मै हल्के हल्के हाथ लगा रहा था।
लेकिन फिर जब देखा कि प्रीति कुछ नहीं बोल रही है, तो मैंने अपना हाथ थोड़ा सख्त तरीके से उसके बदन पे चलाना शुरू किया। मेरे ऐसा करने से प्रीति भी अब थोड़ी उत्तेजित होने लगी। मैंने देखा कि उसने अपना एक हाथ अपनी टांगों के बीच में रख लिया।
ऑटो मे किसी का हम दोनों की तरफ ध्यान नहीं था, तो मैंने फिर अपना हाथ प्रीति के बगल से ले जा कर उसके स्तनों पर ब्लाउस के ऊपर रख लिया। और धीरे धीरे उसके स्तन दबाने लगा।
प्रीति को मज़ा आ रहा था और वो कुछ नहीं बोल रही थी। यहां मैंने ये ध्यान दिया कि उसका हाथ जो टांगों के बीच में था वो थोड़ा तेज़ चल रहा है, जैसे कि प्रीति अपनी चूत को रगड़ रही हो। अब ये मेरे लिए फुल इशारा था कि ये मेरे साथ मज़े ले रही है।
इतने में उसने खुद ही मेरी तरफ देखा और मुझे अपना फोन दिया। वो बोली कि इसमें अपना नंबर सेव कर के दो। मैंने तुरंत उसका फोन लिया और अपना नंबर उसके फोन मे सेव करके अपने फोन मे एक मिस्ड कॉल मार दिया।
मैंने उससे उसका नाम पूछा तब उसने अपना नाम प्रीति बताया। मै उसको ऐसे ही एक बेकार सा फ्लर्टी डायलॉग चिपका दिया कि तू मेरी प्रीति मै तेरा कबीर सिंह। ना जाने क्यों उसको हसी आ गई, मुझे देख कर शरमा गई और मेरे को बोली की मै पागल हूं।
मुझे भी हसी आ गई। फिर हम दोनो ऐसे ही ऑटो मे बैठे एक दूसरे के साथ मज़े कर रहे थे। तब तक जब तक प्रीति को जहां जाने के लिए उतरना था वो जगह नहीं आ गई थी। प्रीति अपनी जगह पर उतर गई और मै अपने ऑफिस के लिए आगे बढ़ गया।
मेरा ऑफिस में काम करने का ज़रा भी मन नहीं था। बस बार बार प्रीति के साथ ऑटो मे जो मज़ा मारा था, बस वही याद आ रहा था। ऐसे ही मेरा दिन निकल गया। मैंने फिर रात को घर वापस आने के बाद प्रीति को फोन लगाया।
उसने तुरंत ही फोन उठा लिया। हमारी बातें कुछ इस तरह से हुई –
मै – हेल्लो प्रीति। कैसा था तुम्हारा आज का दिन मुझसे मिलने के बाद?
प्रीति – अच्छा था। हां मुझे तुम्हारी थोड़ी याद तो आई और मन भी किया कि तुम्हे फोन कर लूं। फिर सोचा की तुम काम मे व्यस्त होगे इसीलिए फोन नहीं किया।
मै – अरे प्रीति लगा लेती यार, मेरा भी आज काम मे ज़रा भी मन नहीं लग रहा था। बस ऑटो मे तुम्हारे साथ जो वक्त बिताया, वही मेरे दिमाग मे दिन भर घूमता रहा।
प्रीति – अच्छा जी ऐसी बात है। वैसे सच कहूं तो आज मुझे भी तुम्हारा मेरे बदन पे ऐसे हाथ चलाना पसंद आ रहा था, और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
काफी लंबे समय के बाद इस तरह से किसी मर्द ने मुझे हाथ लगाया है। मै तो ऑटो मे ही गरम होने लग गई थी।
तुम जब मेरे स्तन दबा रहे थे, मै तो उसी वक्त सिसक पड़ती पर खुद पर काबू किया मैंने।
मै – प्रीति तुम्हारी ऐसी बातें सुनकर अब तो मेरा मन तुमसे दोबारा मिलने का कर रहा है। मै अब तुमसे दूर नहीं रह पाऊंगा।
चलो ना हम इस रविवार को किसी अच्छे से होटल में चलते हैं। मै तुम्हे बहुत प्यार करना चाहता हूं।
प्रीति – अरे अरे इतने उतावले हो रहे हो। रुको ज़रा थोड़ा सब्र तो करो।
मै – नहीं प्रीति अब मुझसे और सब्र नहीं होता। मै तुम्हे मिलकर तुम्हे अच्छे से दबा कर चोदना चाहता हूं।तुम्हारे नंगे बदन को मसल डालना चाहता हूं।
प्रीति – आए हाए मेरी जान ऐसी बातें करके तुम मुझे गरम कर रहे हो। मुझसे भी अब नहीं रहा जा रहा है।
ठीक है मै तुम्हे रविवार को मिलने आती हूं।
मै – ओके ठीक है थैंक यू प्रीति। मै तुम्हे बिल्कुल भी निराश नहीं करूंगा। अब बस मुझे रविवार के आने का इंतजार रहेगा।
फिर हम दोनो ने फोन रख दिया। मुझे रात भर प्रीति की चुदाई करने की चुल मची रही, इसीलिए मै रात भर नहीं सो पाया। ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा था। पता नहीं क्यों।
फिर कैसे भी करके दो दिन बीते और रविवार का दिन आ गया। इस बीच हम दोनों फोन पे फोन सेक्स भी पूरे मज़े से किया ताकि हमारी फीलिंग्स बनी रहे। मैंने रविवार को सुबह प्रीति को फोन किया और उसे कितने बजे और कहा मिलना है सब बता दिया।
वो हमारे तय किए हुए समय पे और तय की हुई जगह पे पहुंच गई। वह से हम दोनों ने एक ऑटो लिया और ऑटो वाले को प्राइवेट में ले जाने को बोला। वो मान गया।
हम दोनों अब होटल जाने के लिए निकल गए। मैंने पूरे रास्ते प्रीति के बदन के साथ खूब खेला। प्रीति को खूब मसला, उसके बूब्स को दबाता रहा, उसकी पीठ पे को चूमा, उसके कमर पे चिमटी काटी,
वो मेरी हरकतों से हल्की हल्की सिसकियां लेने लगी। ऑटो वाला भी हम दोनों को साइड व्यू वाले मिरर से देख रहा था। मैंने नोटिस किया की ऑटो वाला भी अपना लन्ड एक हाथ से पैंट के ऊपर से रगड़ रहा है
फिर मैंने प्रीति के साथ बहुत ज़्यादा कुछ करना ठीक नहीं समझा। प्रीति भी बोली कि सारा मज़ इसी ऑटो मे ले लोगे क्या? होटल आने तक तो थोड़ा धीरज रखो। मै भी उसकी बात सुन कर हस दिया और बस उसकी कमर को मसलता रहा, और उसके स्तनों को दबाता रहा।
थोड़ी ही देर में होटल आ गया। हम उतर गए और ऑटो वाले को पैसा देकर होटल मे अंदर चले गए। मैंने वहां पहले से बुकिंग ना करके काउंटर पे बुकिंग करना बेहतर समझा।
मैंने आईडी प्रूफ सब दिखाया और एक सामान्य सा नॉन ए सी रूम बुक करवा लिया। मैंने रूम होटल के टॉप फ्लोर पे बुक किया, ताकि हम दोनों को कोई डिस्टर्ब नहीं करे।
हम दोनों फिर रूम की तरफ चल दिए। कोई सामान नहीं था इसीलिए कोई रूम सर्विस का लड़का हमारे साथ नहीं आया। प्रीति और मै लिफ्ट से ऊपर गए ओर लिफ्ट खाली थी। तो हम दोनों लिफ्ट मे ही एक दूसरे के साथ चुम्मा चाटी करने लग गए। मैंने प्रीति के होठ चूस चूस कर वही लाल कर दिया।
उसके लिपस्टिक के निशान मेरे मुंह पर लग गए। उसके होठों का रस बहुत ही स्वादिष्ट था दोस्तों। एकदम नर्म मुलायम रस से भरे हुए होठ। प्रीति और मैंने अपनी जीभ भी एक दूसरे के मुंह मे डाल कर चूसे।
मैंने प्रीति की गांड़ भी ज़ोर ज़ोर से उसकी साड़ी के ऊपर से मसली और दबाई। वो तो आहें भरने लगी। प्रीति बोली कि उसकी चूत अभी से गीली होती जा रही है। फिर इतने में हमारे रूम का फ्लोर आ गया और हम दोनों अलग हुए। और लिफ्ट से बाहर आए।
मै और प्रीति रूम देख कर अंदर चले गए। और मैंने डू नॉट डिस्टर्ब का टैग दरवाज़े के बाहर लटका दिया। फिर अंदर रूम मे जाते ही मैंने प्रीति को दीवार से चिपका कर बुरी तरह से चूमना और चाटना चालू कर दिया।
प्रीति भी मुझसे चिपक गई और मेरा भरपूर साथ देने लगी। हम दोनों एक दूसरे के मुंह मे अपनी अपनी जीभ डालकर चूसने लगे। मैंने प्रीति की कमर एकदम कस कर अपनी बाहों से जकड़ ली थी।
फिर मैंने उसे चूमते हुए अपनी बाहों से ऊपर उठाया और बिस्तर पर पटक दिया। प्रीति ने खुद ही अपनी साड़ी का पल्लू हटा दिया। मैंने तुरंत अपने कपड़े उतारे और सिर्फ चड्डी में प्रीति के ऊपर चढ़ कर लेट गया।
और फिर से बेतहाशा प्रीति के पूरे चेहरे को चूमने लगा, उसके कंधो को चूमा, उसके हाथों को चूमा, उसके गालों को, उसकी गर्दन को चूमा, चाटा, फिर अपने हाथ से उसके ब्लाउज के एक एक करके सारे बटन को खोल कर, उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को आज़ाद कर दिया। आप सबको ऊपर बता चुका हूं कि प्रीति ब्रा नहीं पहनती है।
तो बस मै उसके बड़े बड़े गोल रस से भरे हुए तरबूजों को अपनी भरपूर ताकत के साथ दोनो हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा, मसलने लगा। प्रीति की चूचियों को बारी बारी से मुंह में लेके चूसने लगा। उसकी चूचियों को दांतो से काटा, उन्हें खिचा।
प्रीति की एक ज़ोरदार आह निकल गई।
प्रीति – उई मां आशीष ज़रा आराम से दबाओ, ऐसे दांत से मत खीचों ना। आऊ थोड़ा हल्के हाथों से दबाओ ना।
आह आशीष मज़ा आ रहा है। हाए आह आई मां मै तो मर गई।
प्रीति का ऐसी प्यारी आवाज़ मे सिसकियां लेने से मेरा जोश और बढ़ने लगा। मै प्रीति के बदन को नोचने लगा, खसोटने लगा। प्रीति को मैंने पलटा कर पेट के ऊपर कर दिया और उसको अपने आप से चिपका कर उसके स्तनों को मसलते हुए उसकी पीठ को चूमने लगा।
यहां नीचे मेरा लन्ड प्रीति की गान्ड मे घुसा जा रहा था। मेरा प्रीति के बदन को मसलने के कारण उसकी साड़ी निकल गई। और मैंने वो साड़ी खीच कर उतार दी और फेक दिया। अब प्रीति पेटीकोट में थी, तो मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया। प्रीति ने चड्डी भी नहीं पहनी थी।
वो मेरे सामने पूरी नंगी लेटी हुई थी। मैंने एक बार उठ कर उसकी मोटी बड़ी सी गांड़ को और उसके कसे हुए गद्राए और गठीले बदन को अच्छे से देखा। मैंने अपना हाथ ऊपर उसकी पीठ पे रखा और धीरे से हाथ नीचे ले जाते हुए, उसकी कमर, फिर उसकी गान्ड को मसलते हुए, उसकी जांघों को सहलाते हुए उसकी टांगों को छूते हुए नीचे लेके गया।
ऐसी मैंने उसके बदन को महसूस किया। प्रीति को भी मेरा उसके नंगे बदन पे ऐसे हाथ चलाना अच्छा लग रहा था। मै प्रीति के बदन को ऊपर से नीचे तक अच्छे से चूमता गया, अपने दातों से पीठ पर, कमर पर, गले मे, कंधो पे मतलब प्रीति के पूरे बदन पे काटा या लव बाइट दी।
फिर प्रीति ने करवट बदली और उसने मुझे देखा और अपनी बाहें खोल कर मुझे अपने पास बुलाया। मै प्रीति से चिपक गया और अपनी चड्डी भी उतार के फेक दिया। हम दोनों के नग्न शरीर एक दूसरे से लिपटे और चिपटे हुए थे। जैसे कि दो नाग और नागिन एक दूसरे से लिपटे रहते हैं।
मै प्रीति के स्तनों को चूसने लगा, उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। प्रीति पूरी पागल हुई जा रही थी। उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी, और अपना हाथ मेरे सिर पर बालों मे फिराने लगी। मै प्रीति के एक स्तन को दबाता और मसलता, तो उसी वक्त दूसरे स्तन की चूची को चूसता और उसको अपनी उंगलियों से गोल गोल घुमाता, खीचता।
फिर ऐसे ही दूसरे स्तन के साथ करता। प्रीति तो बस अपनी आंखे बंद करके मेरी हर एक हरकत का पूरा आनंद लिए जा रही थी। प्रीति पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। उसकी सांसें बेहद तेज़ चल रही थीं। मै उसकी गरम सांसों को महसूस कर पा रहा था।
मै फिर उसके बदन को चूमते हुए चाटते हुए नीचे जाने लगा। मैंने उसकी नाभि मे अपनी ऊंगली घुसा कर थोड़ा रगड़ा, उसकी नाभि को चूसा, फिर प्रीति की जांघों को रगड़ना और मसलना चालू किया। प्रीति की चूत के आसपास ही मैंने उसे चूमा और अपना हाथ फिराया।
प्रीति पूरी तरह से काम वासना मे मदमस्त हो चुकी थी। उसकी चूत गीली हो कर रिसने लगी थी। हल्का हल्का पानी निकलने लगा था। मैंने फिर ज़्यादा देर नहीं लगाई और प्रीति की चूत में अपना मुंह घुसा दिया। और उसकी चूत को होठों से और जीभ से चूसने लगा, चाटने लगा।
प्रीति अपनी गान्ड उठा उठा कर अपनी चूत मुझसे बड़े ज़ोर शोर से चुसवा रही थी, चटवा रही थी। मैंने उसकी टांगें अपने कंधों पर रख ली थी और मै भी अच्छे से उसकी चूत को चाटने और चूसने मे लगा हुआ था। प्रीति की चूत के दाने को अपने उंगलियों से मसल रहा था, रगड़ रहा था।
प्रीति पूरी तरह से उस वक्त चरम उत्कर्ष पर सवारी कर रही थी। उसकी सिसकारियां तेज़ होती चली जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि ये अब कभी भी अपनी चूत से ढेर सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ देगी। और ऐसा कुछ ही देर में हुआ। मै प्रीति की चूत को चूसते हुए उसके अंदर एकसाथ अपनी तीन उंगलियां घुसा कर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा।
मेरी उंगलियां उसकी चूत के अंदर से ऊपरी हिस्से को ज़्यादा रगड़ रही थी। जिसके कारण प्रीति और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी। मै उसकी चूत के दाने पे जीभ से छेडछाड़ करने लगा और तेज़ी से उंगलियां अन्दर बाहर करके उसकी चूत को चोदने लगा।
अब बस प्रीति इससे ज़्यादा नहीं झेल पाई। और उसने एक ज़ोर की चित्कार मारी और मेरे मुंह पर पानी छोड़ कर झड़ गई और शांत हो गईं। मेरा प्रीति के जिस्म को चूमना और चाटना चालू ही था। मै उसके मुंह के पास ऊपर गया और प्रीति के स्तनों को दबाते हुए उसके होठों को चूमने लगा।
मै प्रीति के बगल मे लेट गया और उसको अपना लन्ड चूसने को बोला। प्रीति झट से उठी और मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर धीरे धीरे ऊपर नीचे करके मेरा मुठ मारने लगी। प्रीति मेरा लन्ड अच्छे से रगड़ कर ऊपर नीचे कर रही थी।
उसने मेरे लन्ड पे अपने मुंह से थूक लगाया और मेरा लन्ड मुंह में अन्दर तक पूरा घुसा लिया। प्रीति ने लन्ड अंदर गले तक उतार लिया था। और वक वक करके उसके मुंह से आवाज़ आ रही थी। वो मेरे लन्ड की बहुत अच्छी तरह से चुसाई करने मे लगी थी।
कसम से दोस्तों जितना मज़ा लड़कियों को अपनी चूत की चुसाई कराने में आता है, उससे शायद कहीं ज़्यादा मज़ा हम लौंडों को अपना लन्ड चुसवा कर आता है। प्रीति के नरम मुलायम होठ मेरे लन्ड के ऊपर चलने लगे। प्रीति अपनी जीब मेरे लन्ड के सूपड़े पे फिराने लगी।
मेरा अपने ऊपर से अब नियंत्रण खोता सा महसूस हो रहा था। मुझे लगने लगा कि मै कहीं झड़ ना जाऊं। प्रीति इतनी मस्त लन्ड की चुसाई कर रही थी कि बस मै खुद को झड़ने से रोक पाने मे पूर्णतया अक्षम महसूस कर रहा था। प्रीति मेरा लन्ड ज़ोर ज़ोर से मसल रही थी।
पूरे जोश के साथ जबरदस्त तरीके से चूसे जा रही थी। मैंने तुरंत प्रीति को रोका और उसको खीच कर अपने लन्ड के ऊपर बैठा लिया। प्रीति ने झट से लन्ड पकड़ा ओर अपनी चूत में टीका कर घप से अंदर ले लिया। मेरे लन्ड का टोपा प्रीति की चूत के प्रवेश द्वार को चीरता हुआ उसके अंदर घुसता चला गया।
मेरा लन्ड पूरा का पूरा प्रीति की टांगों के बीच बनी हुई उस गहरी गुफा में समा चुका था। प्रीति मेरा लन्ड अपनी चूत में घुसाए हुए कुछ सेकंड्स तक बैठी रही। उसकी आंखें बंद थी, और होठों को उसने आपस में भीच कर रखा था। फिर प्रीति ने धीरे से अपनी गान्ड को थोड़ा ऊपर उठाया और मैंने यहां एक हल्का सा झटका मारा।
प्रीति की आह निकल गई। फिर प्रीति ने अब अपनी गान्ड ऊपर नीचे करनी चालू करी ओर मेरे लन्ड पे अपनी चूत पटकने लगी। मेरा लन्ड उसकी चूत की गहराई मे घुसता और फिर बाहर निकल जाता। प्रीति अब अपने दर्द को भूल करके अपनी चूत की चुदाई खुद से करवाने लगी।
थप थप थप थप की आवाज़ से कमरा गूंजने लगा। प्रीति की आहें अब तेज़ होने लगी। प्रीति की सिसकियां अब ऊंची होने लगी। बीच में प्रीति रुक जाती तो मै नीचे से ज़ोरदार धक्के लगा देता और बिना रुके दस पंद्रह धक्के एक साथ लगा कर धका धक प्रीति की चूत की अच्छे से चुदाई कर देता।
हम दोनों हमारी ये चुदाई का पूर्ण रूप से मज़ा उठा रहे थे। प्रीति की सिसकियां बहुत ऊंचे स्वर तक पहुंच चुकी थी। उसकी आहें मुझे ओर जोश दिला रही थी। प्रीति सम्पूर्ण आनंद की चरम सीमा को पार करने की तैयारी में जुट गई थी। और मेरे लन्ड पे अपनी कमर को पूरे जोश के साथ ऊपर नीचे करके अपनी चूत की चुदाई कर रही थी।
कुछ ही दो चार धक्के और लगे ही थे, की प्रीति ने अपनी कमर ऊपर उठाई और अपनी चूत को लन्ड से बाहर निकाल कर थोड़ी से उसने अपनी चूत को रगड़ा ओर उसकी चूत में से दो चार पानी की धाराएं छुट निकली जिसके कारण बिस्तर और मेरी जांघे दोनों गीले हो गए।
प्रीति की झड़ते हुए एक ज़ोरदार चीत्कार निकल गई। प्रीति अब तक दो बार झड़ चुकी थी। उसका बदन ढीला पड़ गया और वो मेरे ऊपर गिर गई। मैंने प्रीति को एकदम कस कर अपनी बाहों में भर कर गले से लगा लिया। प्रीति को मैंने बगल मे लेटने को बोला तो वो मेरे ऊपर से उतरी और बगल में लेट गई।
प्रीति की एक टांग मैंने अपनी टांग के ऊपर रखी। प्रीति मुझसे चिपकी हुई थी और मैं प्रीति के स्तनों का रस निचोड़ने मे लगा था। मैंने फिर उसे होठों पे चूमा ओर अपना खड़ा लन्ड उसकी चूत में पेल दिया, और दे धका धक प्रीति की चूत को चोदना चालू किया।
प्रीति का बदन सूखे पत्ते की तरह कांपने लगा। मै पूरी ताकत से प्रीति की चुदाई करने मे लग गया। मैंने प्रीति के गले को पकड़ा और धका धक धका धक लगातार धक्के मारने लगा। मै प्रीति को पूरी ताकत के साथ चोदता जा रहा था। वो भी ज़ोर ज़ोर से आहें भर रही थी।
हमारी चुदाई के बीच की बातें कुछ इस तरह से हुई –
प्रीति – हाए आशीष बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत वक्त बीत गया है किसी मर्द से इतनी अच्छी तरह से अपनी चूत की चुदाई करवाए हुए।
तुम्हारा लन्ड बहुत अच्छी तरह से मेरी चूत की चुदाई कर रहा है। मस्त लन्ड है तुम्हारा मेरी जान, हाए मां आह मै तो मर गई आज।
तुम्हारा मोटा लन्ड मेरी चूत को आज पूरा चीर ही डालेगा क्या? आह आज तो मै गई काम से। कितना मज़ा आ रहा है आह। चोदो मुझे ऐसे ही चोदते जाओ। बिल्कुल भी मत रुकना।
मै – हां मेरी जान बिल्कुल तेरी इस चूत की जो इतने दिनों की तड़प है ना, आज इस तड़प को खत्म करना ही है मुझे। आज के बाद तेरी चूत सिर्फ मेरा ही लन्ड मांगेगी। ले मेरी छेनाल खा मेरा लन्ड। आज तेरी चूत फ़ाड़ देता हूं।
मैंने उसको अपने बगल मे लिटा कर अच्छे से चोदने के बाद फिर उसके ऊपर मिशनरी पोजीशन में आ गया। उसकी दोनो टांगें अपने कंधों पे रख कर मैंने एक बार मे पूरा लन्ड उसकी चूत में अन्दर तक घुसा दिया, ओर लगा ज़ोरदार चुदाई करने। प्रीति के शरीर को बहुत ज़ोर के झटके लग रहे थे।
उसके दोनो स्तन खूब ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे उछल रहे थे। मैंने प्रीति के दोनों स्तन पकड़ लिए और स्तनों को पूरी ताकत से मसलते हुए, दबाते हुए प्रीति की ताबड़तोड़ ठुकाई करता चला गया। मै कभी एक साथ दस पंद्रह धक्के लगा कर थोड़ा सा रुक जाता, ओर फिर धीरे धीरे एक एक झटका रुक रुक कर मारता।
फिर उसके बाद फिर से एक साथ धक्कों की झड़ी लगा देता। प्रीति मेरे उसे इस तरह से चोदने से ओर ज़्यादा जोशीली हो रही थी। मुझे गालियां बक रही थी।
प्रीति – साले हराम ज़ादे, कमीने, इतना मोटा लन्ड मेरी चूत में डाल के बिना रुके ऐसे ही चोदना है तुझे। ये चूत अब सिर्फ तेरी है मेरे राजा। चोदता रह, ऐसे ही ओर ज़ोर से मार धक्का। बहुत मज़ा आ रहा है। मत रुकना। चोद मुझे, चोद, चोद और ज़ोर का झटका दे। हां आह आह आह।
और फिर प्रीति ने एकदम से मेरा लन्ड अपनी चूत से निकाला और एक ज़ोर की धार उसकी चूत से निकली, उस धार के साथ प्रीति की चीख भी निकली। प्रीति एक बार ओर झड़ चुकी थी।
मेरा भी अब खुद पे ओर ज़्यादा काबू करना मुश्किल हो चुका था। मै भी प्रीति को चोदते हुए बोला –
मै – बोल मेरी रांड। आह प्रीति मेरा पानी निकलने वाला है। बोल कहा निकालू?
प्रीति – मेरी चूत को भर दे मेरे राजा। बहुत प्यासी है ये। आज अपने पानी से इसकी सारी प्यास बुझा दे।
मैंने फिर छह सात ज़ोर के आखिरी धक्के मारे ओर अपना पूरा पानी प्रीति की चूत में भर दिया। हमें एक घंटे से ज़्यादा हो चुका था इस बेतरतीब चुदाई के कारण। मै प्रीति को अपनी बांहों में भर के उसके साथ आराम करने लगा। क्यों कि अभी तो पूरा दिन हमें चुदाई करनी थी।
तो दोस्तों ये था मेरी कहानी का पहला हिस्सा। आगे ओर कौन कौन सी पोजिशंस मे हमने चुदाई की, ये मै आगे वाले भाग मे बताऊंगा। तब तक आप लोग मुझे मेल और कमेन्ट करके बताए कि आपको ये पहला भाग कैसा लगा।
मेरी मेल आईडी है ” [email protected]”
मुझे रायपुर और भिलाई के मेरे पाठकों के मेल्स का ज़्यादा इंतजार रहेगा। कोई भी लड़की या भाभी जी मुझसे बात करना चाहती हों तो खुल कर बेझिझक मुझे मेल करें।
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