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हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!
उधर जैसे ही अर्जुन दूकान से चाचाजी के घर पहुंचा लगभग उसी समय कालिया अपने भरे हुए ट्रक में सामान डिलीवरी करने के लिए दूकान पर पहुंचा। ट्रक की आवाज सुनकर सिम्मी बाहर आयी तो उसने कालिया को सामान उतारते हुए देखा। सिम्मी अकेली थी। वह कालिया को देख कर डर गयी। उसने दूकान के चारों और देखा। उसे दूर दूर तक कोई नजर नहीं आया।
कुछ नकली हिम्मत दिखाते हुए सिम्मी ने कालिया से पूछा, “इतने लेट क्यों सामान लाये हो? शामको आना। चाचाजी घर चले गए हैं।”
सिम्मी के मुंह से यह शब्द निकल तो गए पर बाद में उसे पछतावा होने लगा। शायद उसने ना चाहते हुए भी कालिया को यह मैसेज दे दिया की वह उस वक्त दूकान में अकेली ही थी और आसपास और कोई नजर नहीं आ रहा था। कालिया ने भी अपने चारों और नजर दौड़ाई। दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। सारी दुकानें बंद थीं। उस धुप में भला बाहर घूमने का दुस्साहस कौन करता?
कालिया ने बड़े ही बेफिक्र आवाज में जवाब दिया, “तुम्हारे चाचाजी ने ही यह सामान मंगवाया है। उनको यह सामान ताबडतोब चाहिए था।” उसे उस दिन सिम्मी को घेरने का पहला मौक़ा मिला था यह सोच कर कालिया की रगों में खून तेजी से दौड़ने लगा। कालिया का दिल जोर से धड़क ने लगा। खैर कालिया से ज्यादा तेजी से उस समय सिम्मी का दिल धड़क रहा था। कालिया को इतने करीब पाकर सिम्मी वाकई में डर गयी थी और जैसे हो सके वह कालिया से पिंड छुड़ाना चाहती थी।
सिम्मी ने कुछ हिम्मत दिखाते हुए कहा, “ठीक है, इसे यहाँ रख दो। लाओ यह बिल मुझे देदो।” जब चाचाजी आ जाए तब हिसाब कर लेना।” यह कह कर सिम्मी कालिया से बिल लेकर रखे हुए सामान को बिल के साथ मिला कर चेक करने लगी।
कालिया ग्रोसेरी बिल देते हुए सरसरी लोलुप निगाहों से सिम्मी के करारे बदन को देख रहा था। कालिया की निगाहों से बेखबर सिम्मी कालिया के दिए गए ग्रोसेरी बिल को पढ़ रही थी। कालिया की नजर सिम्मी के उभरे हुए वक्ष स्थल और कमनीय नितम्बों पर टिकी हुई थीं।
कालिया सिम्मी को देखे नहीं भाता था। उसके विशालकाय बदन के उपरांत, उसकी बात करने की शैली और उसका बददिमाग सिम्मी को बिलकुल पसंद नहीं था। बिल को सामान के साथ मिलाने के बाद सिम्मी दूकान के अंदर गयी और कालिया की और देख कर कहा, “अब तुम जा सकते हो। शाम को जब चाचाजी आएं तब उनसे पेमेंट की बात कर लेना।”
सिम्मी यह कह ही रही थी की उसे दूकान के शटर के बंद होने की आवाज आयी, साथ साथ में दूकान के अंदर अचानक अन्धेरा छा गया। सिम्मी ने चौंक कर देखा तो पाया की कालिया ने शटर अंदर से बंद कर दिया था।सिम्मी कालिया की यह करतूत देख कर डर के मारे कांपने लगी। कालिया शटर बंद कर वापस मुड़ा और सिम्मी को लोलुप नज़रों से देखने लगा। खिड़की से कुछ रौशनी आ रही थी। धीरे धीरे सिम्मी की आँखें हलकी रौशनी में सब देखने लगी।
सिम्मी ने डरते हुए पूछा, “यह तुम क्या कर रहे हो? शटर क्यों बंद किया?”
कालिया ने कुछ न बोलते हुए अपने बाजू फैलाये और सिम्मी को उसकी बाहों में आने को कहा। सिम्मी एकदम बिना कुछ सोचे समझे छलाँग मार कर भागी और निचे बेजमेंट में सीढ़ियां कूदती हुई जा पहुंची। निचे काफी कुछ सामान रखा हुआ था। उसमें से उसे एक चाक़ू नजर आया। सिम्मी ने चाक़ू उठा कर कालिया को दिखाते हुए कहा, “खबरदार जो आगे आये तो। मैं तुम्हें मार दूंगी।”
सिम्मी की नादान हरकत देख कर कालिया मुस्काया और बोला, “मार दो मुझे चाक़ू से। मैं तो वैसे ही तुम्हारी तीखी नज़रों से कभी का घायल हुआ पड़ा हूँ। आ जाओ ना मेरी बाँहों में? मैं तुम्हें अपनी बाँहों में लेने के लिए कब से तड़प रहा हूँ। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ सिम्मी।”
यह कह कर वह आगे बढ़ा और फुर्ती से लपक कर उसने सिम्मी के हाथों से चाक़ू छीन लिया। सिम्मी बेबस आँखों से कालिया को देखती रही। एक ही झटके में कालिया ने सिम्मी को खिंच कर अपनी बाँहों के सिकंजे में फाँस लिया। कालिया के बाहुपाश की पकड़ इतनी सख्त थी की सिम्मी बहुत ताकत लगाने के बावजूद भी हिल नहीं पा रही थी।
सिम्मी ने देखा की उसकी कालिया के सामने एक ना चलेगी तो उसने कालिया से कहा, “मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ, जाने दो मुझे। मैं किसी को कुछ नहीं बताउंगी।”
कालिया ने सिम्मी को बाँहों में जकड कर उसके स्तनों को प्यार से मसलते हुए कहा, “जानू, मैं इन गुब्बारों को कई हफ़्तों से मलने के लिए बेसब्री से इसी दिन का इंतजार कर रहा था। कई महीनों से मैंने तुम्हें पकड़ कर चोदने के सपने दखे हैं। अब जब तुम मेरे हाथ आयी हो तो मैं तुम्हें कैसे जाने दूँ, मेरी जान?”
सिम्मी ने पहली बार किसी गैर मर्द से “चोदने” शब्द सूना था। सिम्मी की सखियाँ कई बार सिम्मी को औरत मर्द को चोदता है ऐसा सूना था। पर भाई के अलावा किसी मर्द ने उस दिन तक सिम्मी से इतनी खुली भाषा में बात नहीं की थी। सिम्मी बड़ी बेबस हो कर कालिया को देखने लगी और बोली, “अगर तुमने छोड़ नहीं दिया तो मैं जोर से चिल्लाऊंगी। देखो अगर सब आ जाएंगे तो तुम्हें पुलिस पकड़ कर ले जायेगी और जेल हो जायेगी।”
कालिया ने हँसते हुए कहा, “आगे से शटर बंद है। आसपास में सब सुनसान है। सब मियाँ बीबी इस वक्त यही करने में जुटे हुए हैं जो मैं अब तुम्हारे साथ करने जा रहा हूँ। देखो बेबी अगर तुम चुप रह कर प्यार से मेरा साथ दोगी तो इसी में तुम्हारी भलाई है। चिल्लाओगी तो कोई नहीं सुनेगा। जेल मेरे लिए कोई नयी बात नहीं है। पर ऐसा अगर कुछ हुआ तो मैं तुम्हें मार कर ही जेल जाऊंगा। चाहे मुझे फाँसी क्यों ना हो जाए।”
कालिया की भयानक बात सुनकर सिम्मी डर के मारे काँप उठी। सिम्मी जानती थी की कालिया सच बोल रहा था। आसपास कोई घर खुला नहीं था। बेसमेंट में से सिम्मी की चिल्लाने की आवाज कोई सुनेगा नहीं।
फिर भी उसे कैसे ना कैसे बचना था सो सिम्मी जोर से चिल्लाने लगी, “बचाओ, बचाओ।” पर सिम्मी की एक चीख निकली होगी की कालिया ने एक जोर का झटका देते हुए, सिम्मी का ब्लाउज खींचा। देखते ही देखते सिम्मी का ब्लाउज फट कर तारतार हो गया।
यह देख कर सिम्मी चौंक उठी। सिम्मी अपने दोनों हाथ से अपनी छाती को ढकने का प्रयास करने लगी। उसने कभी सोचा भी नहीं था की जिसे वह हिन् दृष्टि से देखती थी वह कालिया एक दिन उसके ऊपर ऐसे जबरदस्ती करेगा।
कालिया ने कहा, “देखो अगर मुझे जबरदस्ती करनी पड़ी तो मैं तुम्हारे सब कपडे फाड् दूंगा और तुम्हें घर नंगे जाना पड़ेगा। अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मैं तुम्हारे कपडे नहीं फाड़ूंगा और बादमें तुम कपडे पहन कर घर जा सकती हो। तुम साथ नहीं दोगी तो मैं तुम्हें चोदुँगा तो जरूर पर बेरहमी से। तुम्हें दर्द होगा और मैं गुस्से में हुआ तो तुम्हें बहुत बुरी तरह से पीटूंगा भी और तुम्हें रगड़ रगड़ कर चोदुँगा भी। देखो मैं सच कहता हूँ…
मैंने जिंदगी में कई औरतों को चोदा भी है और मैंने खून भी किये हैं। अगर ज्यादा हंगामा किया तो इसी चाक़ू से मैं तुम्हारा गला भी काट सकता हूँ। मेरे किये हुए गुनाहों के कारण आज नहीं तो कल मुझे पुलिस पकड़ ही लेगी। पर आज मैं तुम्हें चोदे बगैर छोडूंगा नहीं। पर अगर तुमने मेरा साथ दिया तो मैं तुम्हें किसी भी तरह की कोई शारीरिक हानि नहीं पहुंचाऊंगा। बोलो तुम मेरा साथ दोगी या फिर मैं तुम पर जबरदस्ती करूँ?”
सिम्मी ने आतंकित नज़रों से कालिया की तरफ देखा। कालिया के मुंह के भाव से वह समझ गयी की कालिया जो कह रहा है वह जरूर करेगा। सिम्मी के पास कोई और चारा नहीं था।
सिम्मी ने कालिया से नजरें चुराते हुए पूछा, “कालिया, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। मुझे मत मारो। तुम जो कहोगे मैं करुँगी, पर मुझे मत मारना।” यह कहते हुए सिम्मी के पुरे बदन में एक सिहरन फ़ैल गयी। सिम्मी ने यह कह कर कालिया को उसे चोदने की स्वीकृति दे ही दी।
कालिया ने सिम्मी के मदमस्त भरे हुए फुले स्तनों को प्यार से मसलते हुए कहा, “देखो सिम्मी, तुम मानो या ना मानो, मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूँ। मैं तुम्हें वादा करता हूँ की ना सिर्फ मैं तुम्हें कोई हानि नहीं पहुंचाऊंगा, मैं किसी को भी यह नहीं कहूंगा की मैंने तुम्हें चोदा है। यह बात हम दोनों के बिच ही रहेगी। मैं तुम्हारी बदनामी नहीं होने दूंगा, बशर्ते की तुम मेरा साथ दो।” शायद कालिया ने यह कह कर सिम्मी को यह भी चेतावनी दी की अगर वह हंगामा नहीं करेगी और चुप रहेगी तो बदनामी से बच जायेगी।
सिम्मी ने यह सुनकर एक राहत की सांस ली। उस समय सवाल अपनी इज्जत बचाने का नहीं था। सवाल अपनी जान बचाने का था। हालांकि कालिया ने अपनी पतलून खोली नहीं थी फिर भी सिम्मी को कालिया का मोटा तगड़ा लण्ड अपनी आँखों के सामने कालिया की पतलून में फुला हुआ दिखने लगा। उसे देख कर वह लण्ड उसकी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा यह सोचकर सिम्मी का सर चकराने लगा। जो भी हो सिम्मी के पास कालिया का साथ देने के अलावा और कोई चारा ही नहीं था।
और फिर पिछले कई दिनों से सिम्मी को रात रात भर में सपने में कालिया का लण्ड ही नजर आ रहा था। जब से सिम्मी ने कालिया का मोटा तगड़ा लण्ड देखा था तबसे उसकी सोच से ही सिम्मी की चूत में पानी बहने लगता था। सिम्मी अपने मन से यह सोच कर रात रात भर बेकरार होती रहती थी की काश ऐसा लण्ड उसकी चूत को भी कभी मिले।
पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!
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