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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मेरी बिल्डिंग में रहने वाली औरत के साथ मेरी दोस्ती हो गई थी. उसके पति के जाने के बाद वो अपने बच्चों को खुद ही पाल रही थी और एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया जब उसके बच्चे भी घर पर नहीं थे और हम दोनों ही घर में अकेले थे. उत्तेजना में आकर मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और वो घबरा कर उठ गई. मैं वहां से निकल आया. अब आगे:
उसके घर से आने के बाद मैं अपने रूम पर आ गया था. मैं अपनी हरकत पर शर्मिंदा हो रहा था. इसलिए ध्यान को बंटाने के लिए मैं यहां-वहां की बातों में अपने मन को लगाने लगा.
दोपहर के एक बजे का समय हो चला था और मैं नहा कर बाथरूम से निकल आया था. मैंने अपनी कमर पर तौलिया लपेटा हुआ था. मैंने सोचा कि कपड़े पहन कर बाहर खाने के लिए जाऊंगा.
लेकिन तभी दरवाजे की बेल बजी. मैंने सोचा कि मेरे रूम पर कौन आ सकता है क्योंकि मेरी तो किसी से ज्यादा बोलचाल भी नहीं है इस बिल्डिंग में. मैंने दरवाजा खोला तो सामने शालिनी जी खड़ी हुई थी. उन्होंने पूछा- आपने खाना खा लिया क्या? मैंने कहा- नहीं, बस अब खाने के लिए जा ही रहा था.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वह कपड़े बदल चुकी थी. उसने वो रात वाले कपड़े नहीं पहने हुए थे. चूंकि मेरे रूम तक तो उसको चल कर ही आना था तो सोचा होगा कि शायद कोई देख लेखा इस वजह से उसने दूसरे कपड़े पहन लिये थे.
फिर शालिनी जी ने कहा कि मैंने भी आज खाना नहीं बनाया है. बच्चे तो घर पर हैं नहीं इसलिए मेरा मन भी नहीं किया खाना बनाने के लिए. क्या आप मेरे लिए भी पार्सल करवा कर ले आएंगे? मैंने कहा- ठीक है, मैं ले आऊंगा. फिर वो जाने लगी और कुछ कदम चलने के बाद बोली- यदि आपको सही लगे तो मैं आपके साथ ही चलूं क्या? मैंने कहा- आपकी मर्जी है.
उसने मेरे साथ ही चलने का फैसला कर लिया. शायद वो मेरे द्वारा की गई हरकत को भूल चुकी थी या फिर वो जान बूझ कर नॉर्मल व्यवहार कर रही थी ताकि मैं भी नॉर्मल हो जाऊं.
वो साड़ी पहन कर पहले वाली शालिनी बन कर दस मिनट में मेरे यहां पर आ गई और हम खाने के लिए चले गये. हम आधे घंटे में ही खाना खाकर आ गये. अब तक शायद हम दोनों ही भूल चुके थे कि सुबह क्या हुआ था. मैं अपने रूम में जाने लगा तो उसने कहा कि आपका कमरा कभी देखा नहीं है. आप मुझे अपने घर नहीं बुलाओगे? मैंने कहा- इसमें पूछने की क्या बात है, आप जब चाहें आ सकती हैं.
वो मेरे रूम में मेरे साथ ही आ गयी. मैंने उसके अंदर आने के बाद कमरा बंद कर दिया. मेरे कमरे में ज्यादा सामान नहीं था. बस एक टीवी और एक बेड ही था. वो यहां-वहां मेरे कमरे की दीवारों पर देखने लगी और फिर बेड पर बैठ गई.
हम दोनों बातें करने लगे और फिर बातों ही बातों में हंसी मजाक भी होने लगा और उसको पता नहीं क्या शरारत सूझी कि उसने मेरे पेट में एकदम से गुदगुदी कर दी. मैंने भी बदला लेने के लिए उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी और उसको कब बेड पर गिरा दिया मुझे पता नहीं चला. मैं उसके ऊपर आ गया था और वो मेरे नीचे लेटी हुई थी.
मेरे ऊपर आने के बाद वो शरमाने लगी और मुझसे नजरें बचाती हुई नजरें झुकाने लगी. वो मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए एक तरफ धकेलने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं उससे हिल भी नहीं पा रहा था.
मेरे अंदर की हवस जाग गई और मैंने उसको जोर से किस कर दिया. लेकिन वो अपना मुंह इधर-उधर झटक दे रही थी और मेरे होंठ उसके होंठों से मिल नहीं पा रहे थे. फिर मैंने एक हाथ से उसके गालों को पकड़ लिया और उसके होंठों से अपने होंठ चिपका दिये.
मैं उसके होंठों को चूसने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो अपने होंठों को आपस में चिपका कर भींच कर रखे हुए थी. उसने अभी तक अपना मुंह नहीं खोला था. वो बार-बार मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी. मेरा लन्ड मेरी पैन्ट में तन गया था और उसकी साड़ी के ऊपर उसकी जांघों के बीच में टकरा रहा था.
मेरे अंडरवियर के अंदर मेरा तना हुआ लौड़ा एकदम बेचैन हो उठा था और बार-बार झटके देने लगा था जिसके कारण मैं भी उसको चूमने और चूसने की पुरजोर कोशिशें करने लगा. मेरे अन्दर का जोश हर पल बढ़ता ही जा रहा था. वो जितना विरोध कर रही थी मेरा लंड उसकी चूत को चोदने के लिए उतना ही बेचैन होता जा रहा था. मैंने सोच लिया था कि चाहे जो भी हो जाये, आज तो इसको चोद ही दूंगा. इसी प्रयास में मैंने शालिनी की साड़ी को उठा कर ऊपर उसके पेट पर पहुंचा दिया और उसकी जांघों को नंगी कर दिया.
उसकी गोरी जांघों को देख कर मेरे अंदर की वासना और भड़क गई. मैंने उसकी जांघों को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया. बहुत नर्म और कोमल जांघें थीं उसकी. मैंने उसकी जांघों को अलग करने की कोशिश की क्योंकि उसने साड़ी हटाने के बाद अपनी जांघों को आपस में चिपका लिया था.
वो मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिशों में अब भी लगी हुई थी. लेकिन मैं उसकी शर्म खोलने की पूरी कोशिश कर रहा था. एक बार उसको गर्म कर देना चाहता था ताकि वो खुद ही अपनी चूत मेरे उतावले लंड के सामने परोस दे.
जब उसने जांघें नहीं खोलीं तो मैं उसकी पैंटी को खोलने लगा तो कहने लगी- नहीं विजय, ये सब गलत है. लेकिन मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. मैं उसकी असलियत जान चुका था. वो देखने में तो सीधी-सादी दिखती थी लेकिन उसके पहनावे से पता लग रहा था कि उसको भी कुछ चाहिये है. आज सुबह ही मैंने उसको मॉडर्न ड्रेस में देखा था और अब जब मेरी आंखों के सामने उसकी पैंटी थी तो मुझे बिल्कुल यकीन हो गया था कि जितनी सीधी ये दिख रही है उतनी असल में है नहीं. इसलिए मैं जल्दी से उसको नंगी कर देना चाह रहा था ताकि उसके मखमली जिस्म को भोग सकूं.
जब उसकी जालीदार पतली पैंटी नहीं खुली तो मैंने उसको खींच कर फाड़ ही दिया. उसकी चूत मेरे सामने नंगी हो गई थी. उसकी चूत बहुत ही कमाल की थी. उस पर हल्की सी झांटें थीं जिनको देख कर लग रहा था कि उसने अपने बाल कुछ दिन पहले ही बनाये होंगे. चूत के किनारे बहुत ही सुंदर थे. चूत की दरार भी हल्के भूरे रंग की थी. चूत के आस-पास चारों तरफ दूध जैसी सफेद चमड़ी थी.
किसी तरह मैंने उसकी जाँघे फैला दीं और उसके बीच में आ गया। वो बार बार मुझे कुछ भी करने से रोक रही थी, इस वजह से मैं अपनी पैंट भी नहीं खोल पा रहा था। कभी-कभी उसके चेहरे पर गुस्सा दिखता था और कभी शर्म। वो अपने सिर को यहां-वहां झटक रही थी और मेरे सिर के बालों को पकड़ कर खींच देती थी.
लेकिन मैं रुकने वाला नहीं था। मैंने अब दिमाग से काम लेने की सोची और अपने आप को संभाला। मैं एकदम नॉर्मल हो गया और उसके ऊपर लेट गया और प्यार से उसके होंठों को चूम कर बोला- आइ लव यू …
मेरे मुंह से ये तीन जादुई शब्द सुन कर वो एकदम से शांत हो गई. मुझे भी अंदर से लगा कि अब मैंने एक समझदार मर्द की तरह काम लिया है. वो लंबी-लंबी सांसें लेती हुए फिर बोली– ये ठीक नहीं है, मेरे दो बच्चे हैं और तुम पहले से शादीशुदा हो।
मेरे मुंह से कोई जवाब नहीं निकला, बस मैं उसे देखता ही रहा। कुछ देर ऐसे ही हम बिना कुछ बोले एक दूसरे को देखते रहे। अगले ही पल जब मैं उठने को हुआ तो उसने ऐसे पकड़ा मुझे जैसे मुझे रोकना चाह रही हो।
लेकिन मैं उठने की कोशिश करने लगा क्योंकि मुझे मेरी गलती का अहसास हो गया था. मुझे उसके साथ इस तरह से जोर आजमाइश नहीं करनी चाहिये थी. इस लिए मैं अब शान्त होने की कोशिश कर रहा था और अपने किये पर पछता रहा था कि मैंने ये क्या बेवकूफी कर दी कि एक औरत को पढ़ नहीं पाया.
इससे पहले भी मैंने कई लड़कियों के साथ सेक्स किया था लेकिन वो एक शादीशुदा औरत थी जिसका पति नहीं था और मुझे उसके साथ अपनी हवस के वश होकर इस तरह जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी. औरत कभी भी खुल कर नहीं कह पाती है कि वो क्या चाहती है.
मैं उठने लगा तो एक बार उसने मुझे रोका. मैंने दोबारा से उसके होंठों को चूसने की कोशिश की लेकिन उसकी शर्म नहीं खुल पा रही थी. शायद चाहती तो वह भी थी कि मैं उसके साथ ये सब करूं लेकिन वो सारा का सारा इल्जाम मेरे सिर पर रखना चाह रही थी. मैंने उसको आई लव यू कहा और उसे कई बार चूमने की कोशिश की. अब मैं भी जान चुका था आग तो दोनों तरफ लगी हुई है.
इसलिए मैंने उसको चूमना जारी रखा. वो बार-बार मुझे ना करती रही लेकिन उसकी हर ना मुझे हां छुपी हुई दिखाई दे रही थी. मैं उम्र में उससे छोटा जरूर था लेकिन औरतों के बारे में इतना अनुभव तो मुझे भी हो ही चुका था.
मैं उसके सीने को चूमने लगा. उसकी गर्दन को किस करने लगा. उसकी छाती से मैंने पल्लू हटा दिया. पल्लू हटते ही उसके चिकने गोरे-गोरे उभार दिखने लगे, मेरे तो मुंह में जैसे पानी आ गया और मैं उन्हें ब्लाउज से बाहर निकालने को बेताब हो गया।
मैंने किसी तरह अपनी पैंट खोली और जांघिये को सरका कर लन्ड बाहर निकाला। वो बोल तो कुछ नहीं रही थी अब, लेकिन अपने हाथ पांव से मुझे रोकने की कोशिश कर रही थी। मैंने भी पूरा जोर लगा कर उसके दोनों हाथों को उसके सिर के पास ऊपर बिस्तर पर रखा और एक ही हाथ से उसे दबाए रखा। फिर अपना लन्ड दूसरे हाथ से पकड़ कर उसकी चूत ढूंढने लगा.
मैं तो पहले से ही उसकी जांघों के बीच में था। किसी तरह मुझे उसकी चूत का रास्ता मिल ही गया। उसकी चूत के पास मुझे एकदम गर्म गर्म महसूस हुआ और मैंने झट से अपना लन्ड उसकी चूत में घुसाने की कोशिश शुरू कर दी।
उसकी चूत सूखी थी तो जैसे ही मेरा सुपारा घुसा तो वो तिलमिला उठी और कराहती हुई अपने हाथ छुड़ा कर मेरे सिर के बालों को पकड़ कर ऐसे खींचने लगी कि जैसे मुझे मार ही डालेगी. मैं भी जोश में था तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। मैं पूरी ताकत से लंड को अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा था मगर मेरा सुपारा ही घुस पाया था और उससे आगे लंड नहीं घुस पा रहा था.
मेरे लन्ड में दर्द होने लगा था और ज्यादा जोर लगाने से ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लन्ड की पूरी खाल छिल कर अलग हो जाएगी। मैं समझ सकता था कि उसे भी ऐसा ही खिंचाव चूत में लग रहा होगा. लेकिन वो खुल कर मुझे कुछ करने भी तो नहीं दे रही थी. लंड वहीं पर अटका हुआ था.
फिर मुझे एक तरकीब सूझी. मैंने उसके पेट पर गुदगुदी कर दी और जैसे ही वो उचकी उसकी जांघें खुल गईं और मेरा लंड एकदम से अंदर चला गया. वो कराह उठी लेकिन मैंने उसी वक्त अपने होंठ उसके होंठों पर सटा दिये.
लंड चूत में उतर गया था और मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर करने लगा था. लंड जब चूत में चला गया तो उसका हल्का फुल्का विरोध भी ढीला पड़ गया और उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया. मैंने उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया. फिर वो बोली- दर्द हो रहा है. मैंने सोचा कि अब ये तैयार हो गई है और अब कोई परेशानी नहीं होगी. मैंने सोचा कि लंड को बाहर निकाल कर थोड़ा थूक लगा लेता हूं.
जैसे ही मैंने लंड बाहर निकाला तो उसने मेरा लंड पकड़ लिया. मैंने अपने हाथ पर थूक लिया और उसकी चूत पर ही उस थूक को मलने लगा. उसकी सिसकारी निकल गई. मैंने तेजी से उसकी चूत के मुंह पर अपना हाथ चलाना जारी रखा और बार-बार थूक लेकर उसकी चूत पर रगड़ता रहा. उसने अभी भी मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा हुआ था.
फिर मैंने मौका देख कर शालिनी की चूत पर लंड रखा और एक धक्का दे दिया. आधे से अधिक लन्ड घुस गया था मेरा और उसकी चूत अंदर से गीली महसूस हुई मुझे. मुझे समझ आ गया कि काफी देर से मन तो इसका भी कर रहा था लेकिन बस ये शुरूआत मेरी तरफ से चाह रही थी. लंड को घुसा कर मैं पूरी तरह से उसके ऊपर लेट गया.
उसने अपने हाथ छोड़ दिये. मैंने एक और झटका मारा तो उसकी आह्ह निकल गई. मैंने लंड को चूत में चला कर देखा तो पूरा लंड उसकी चूत के रस से गीला हो चुका था. अब रास्ता बिल्कुल साफ था और उसकी मोटी मोटी चिकनी मुलायम जांघों को सहलाते हुए मैंने धक्के मारना शुरू कर दिया।
मुझे नहीं पता वो दर्द से कराह रही थी या मजे से, किंतु मैं अपनी मस्ती में उसको चोद रहा था.
ऐसी चूत मुझे पहली बार मिली थी. लग रहा था कि जैसे किसी ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा हो. शायद पति के जाने के बाद उसने किसी का लंड नहीं लिया था. इसलिए उसकी चूत इतनी टाइट हो गई थी. मैं उसकी चूत को मस्ती से चोदता रहा और पांच मिनट के बाद उसने खुद ही अपनी टांगों को उठा कर मेरे कंधे पर रख दिया.
मैं धक्के मारता हुआ कभी उसके होंठ चूसता तो कभी वो चूसती, कभी जुबान से जुबान लड़ाते तो कभी जुबान चूसते एक दूसरे की। बहुत मजा आ रहा था और अब तो उसकी चूत से चिपचिपा पानी रिस-रिस कर चूत के आस पास फैल गया था और पच-पच की आवाज निकलने लगी थी।
इतनी मस्त और कसी हुई चूत थी शालिनी की कि अब तक तो मुझे झड़ जाना चाहिए था मगर पता नहीं क्यों मैं आज झड़ नहीं रह था। उसने अब पूरा साथ देना शुरू कर दिया था. इसलिए उसे चोदते हुए मैंने उसकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में मैंने उसके ब्लाउज का हुक खोल दिया और और ब्रा को ऊपर सरका दिया।
सच में आज ऐसा लग रहा था कि मानो कोई जन्नत की परी मिल गयी, एकदम गोरे चिकने और गोल-गोल बड़े-बड़े दूध थे उसके और निप्पल एकदम गुलाबी. मुझसे तो रहा नहीं गया और बड़े ही प्यार से मैं बारी-बारी दोनों ही निप्पलों को चूसने लगा.
पंद्रह मिनट तक ऐसे ही मैं उसे धक्के मार-मार कर चोदता रहा. उसकी सिसकारियां बढ़ती गईं. फिर मैं थक गया लेकिन उसको छोड़ने के मूड में अभी भी नहीं था. वो भी कहने लगी थी- बस अब रुक जाओ.
लेकिन मेरा वीर्य अब शायद उबल चुका था और किसी भी समय बाहर निकल कर उसकी चूत में भरने वाला था. इसलिए मैं और तेजी के साथ धक्के मारने लगा और एकाएक मेरे आंडों से मुझे महसूस हुआ कि मेरा वीर्य निकलने के कगार पर है. मैंने कस कर उसको पेल दिया और एकाएक मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी छूटने लगी.
पूरे बदन में झनझनाहट सी भर गई. चार या पांच पिचकारियों में मैंने अपने वीर्य की थैली उसकी चूत में खाली कर दी. उसकी चूत मेरे वीर्य से लबालब भर गई और मैं काफी हल्का महसूस करने लगा. मेरा बदन ढीला पड़ने लगा और मैं उसके ऊपर ही गिर गया. मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और राहत की सांस लेने लगा. ऐसी औरत मुझे कभी नहीं मिली थी.
जब कुछ देर उसके ऊपर ही पड़े हुए मुझे हो गई तो उसने धक्का देकर मुझे अपने ऊपर से हटाया और एक किनारे कर दिया.
मैं ऐसे ही आंखें बंद करके लेटा रहा. जब मेरी आंख खुली तो वो उठ कर जा चुकी थी. नीचे जमीन पर उसकी फटी हुई पैंटी पड़ी थी. मैंने पैंटी को उठा कर देखा तो वो गीली थी. मुझे इस बात का अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि मेरे वीर्य ने जो उसकी चूत को भर दिया था तो फिर वीर्य उसकी चूत से बाहर आ रहा होगा और जरूर उसने अपनी चूत को इसी पैंटी से साफ किया होगा.
मगर उसके जाने के बाद मुझे बेचैनी सी होने लगी. मैं सोच रहा था कि आखिर वो मुझे इस तरह से बिना कुछ कहे क्यों चली गयी. मेरे ख्याल से तो मैंने उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी. सेक्स की ये घटना जो आज हुई थी उसमें उसकी भी सहमति थी.
लेकिन फिर उसने ऐसा क्यों किया. कहीं कुछ कोई कमी तो नहीं रह गई मुझमें? वो तो पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थी. मगर शायद वो झड़ नहीं पाई थी. मैंने तो अपना वीर्य निकाल लिया लेकिन उसके बारे में तो मुझे ख्याल ही नहीं आया. मैं बेड पर पड़ा हुआ यही सब सोच रहा था. बार-बार उसकी सांवली चूत और उसके गुलाबी निप्पल मेरे ख्यालों में आ रहे थे. लग रहा था कि जैसे कुछ रह गया है. मैं उसके नंगे बदन के बारे में सोचने लगा. मैं उसको पूरी नंगी करना चाह रहा था अब.
मैं उठा और अपने कमरे से बाहर निकल कर उसके कमरे की तरफ चलने लगा. दोपहर के तीन बजे थे और मैं जानता था कि उसके बच्चे आज शाम तक ही वापस आयेंगे. मेरे लंड में उसके मखमली बदन को सोच कर फिर से करंट सा दौड़ने लगा था. अब उसके पास जाते हुए मुझे कोई डर या भय नहीं लग रहा था.
उसके कमरे के पास जाकर मैंने दरवाजा खटखटाया और उसने जल्दी ही दरवाजा खोल दिया. मैंने देखा कि वो अभी अभी नहा कर निकली है. उसने एक मैक्सी पहनी हुई थी. वो मुझे कुछ हैरानी से देख रही थी.
मैंने कदमों को आगे बढ़ाया तो वो पीछे हट गयी. मैं भीतर चला गया और उसने दरवाजा बंद कर दिया. इससे पहले की वो मुझसे कुछ कहती मैंने उसको अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये.
उसने मेरा जरा सा भी विरोध नहीं किया. हम दोनों वहीं पर खड़े हुए एक दूसरे से लिपटने लगे. वो मुझे चूसने लगी और मैं उसको चूसने लगा. उसके बदन से ताज़ा खुशबू आ रही थी.
मैं अब पहले से ज्यादा कामुक होकर उसको चूसने में लग गया था. मैंने उसकी गर्दन को चूसा, उसकी गांड को अपने हाथ से दबाया और फिर उसकी कमर के पास नीचे बैठ कर उसकी मैक्सी को उठा दिया. उसकी गीली सी चूत पर मैंने किस किया तो उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी जांघों के बीच में दबा लिया. मैंने उसकी चूत को चाट लिया. वो मेरे बालों को सहलाने लगी.
मैं उसको चूसते हुए पीछे बेड की तरफ ले गया और उसे नीचे गिरा लिया. मैंने उसकी मैक्सी को ऊपर कर दिया और जैसा मैंने सोचा था कि वो उसने नीचे से कुछ भी नहीं पहना होगा तो वो बिल्कुल ही नंगी थी.
मैंने उसकी मैक्सी को एक तरफ निकाल कर उसे नंगी कर दिया. उसका गोरा बदन चमक उठा और वो एक परी की तरह दिख रही थी. मैंने उसको देखता रहा तो वो बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? मैंने कहा- मैंने आज से पहले ऐसा तराशा हुआ खूबसूरत बदन कभी नहीं देखा. वो मेरी बात पर अंदर ही अंदर खुश होकर फूली नहीं समा रही थी.
कहानी अंतिम भाग में जारी रहेगी. [email protected]
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