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मैं आपका दोस्त ज़ीशान अपनी चुदाई कहानी का 6वां भाग लेकर आया हूँ. ये कहानी बड़ी है, क्योंकि ये सच्ची घटना है. आप सब मज़े लीजिये.
अब तक आपने पढ़ा कि रेशमा चाची की मदद से मैंने उनकी बहन परवीन आंटी को भी चोद दिया था और दूसरे दिन उनसे गांड मारने की बात भी तय हो गई थी.
लेकिन आंटी की चुदाई के चक्कर में रेशमा चाची को हम दोनों ने भुला दिया था. जिस वजह से चाची उदास थीं.
मैंने चाची का दुःख समझ लिया और उनसे कहा- चाची, आज रात मैं यहीं पर रुकूँगा, आप चिंता न करो. चाची- थैंक्यू … लव यू बेटा.
इतने में दरवाजे की घंटी बजी, चाचा आ गए थे. अब आगे:
उस रात मैं रेशमा चाची के घर ही रुका था. रात को मैं छत पर सो रहा था. चाचा चाची अन्दर सो रहे थे.
आधी रात में चाची छत पर आईं. मैं आज दिन की चुदाई से कुछ ज्यादा ही थक गया था … इसलिए मुझे गहरी नींद आ गई थी. चाची मुझे बिना जगाए ही मेरे लंड को चूसने लगीं और लंड खड़ा होते ही मेरे लंड पर चूत फंसा कर चढ़ गईं. चाची मुझे चोदने लगीं. मैं जाग चुका था. हम दोनों छत पर ही सेक्स कर रहे थे, जिस वजह से ज़ोर से आवाज भी नहीं कर पा रहे थे.
चाची का दिल खुश था, क्योंकि उनकी चूत को भी मेरे लंड से चुदने का मौका मिल गया था. फिर चाची चुदने के बाद नीचे चली गईं.
सुबह हुई, मैंने एक्सरसाइज की और दूध पिया.
अभी तक मुझे आदत थी, हर दिन दो बार झड़ने तक स्ट्रांग रहने की. अगर मैं 2 बार झड़ जाता हूँ, तो तीसरी बार के लिए मुश्किल हो जाता था. मैं अपने आपको उस दिन के लिए तैयार करने लगा … जिस दिन मैं इन तीनों बहनों को मिलकर एक साथ चोदूंगा. उस दिन तो शायद मुझे 4 या 5 बार झड़ना होगा. मेरे को अभी और मजबूत बनना था. इसके लिए मैं रोज ज्यादा एक्सरसाइज करने लगा.
सुबह चाचा काम पर निकल गए. मैं घर में तैयार हो रहा था. चाची रसोई में काम कर रही थीं. चाची को चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी.
मैं- चाची … क्या हुआ? आपको चलने में तकलीफ क्यों हो रही है? चाची- एक हफ्ते से मैं ऐसे ही चल रही हूँ … और तुझे अब दिखी चाची की तकलीफ! मैं- मैंने तो ध्यान नहीं दिया. बताओ क्या हुआ? चाची- तुझे चुत और गांड के अलावा कुछ और ध्यान ही कहां रहता है. हमेशा नई चुत और गांड की तलाश में रहता है.
मैं- चाची … यार अब बता भी तो दो, क्या हुआ? चाची- ये तेरी बेरहमी से गांड मारने का नतीजा है. देख मेरी गांड अब कैसे मटक रही है. मैं- सॉरी चाची … अब तो आपकी गांड भी परवीन आंटी के जैसी बड़ी हो गयी है.
मैंने चाची के चूतड़ों पे एक ज़ोर से चपत मार दी. चाची दर्द से आह भरने लगीं. चाची- अब जा तू … वहां तेरी लिए दीदी की गांड तैयार होगी.
चाची की जलन मुझे अच्छी लगने लगी. मैं चाची को झट से पीछे से पकड़ने लगा और उनके गले पे चूमने लगा, उनके मम्मों को दबाने लगा.
मैं- चिंता न करो चाची … मैंने प्लान बना लिया है. हिना आंटी की चुत जल्दी दिला दो. फिर हम चारों लोग मिलकर मजे करेंगे. मैं आपको एक और मज़ा देने वाला हूँ. चाची- मैं भी उसी के इंतज़ार में हूँ. तू दीदी से बात कर लेना, वो दोनों ज्यादा क्लोज हैं … और जल्दी प्लान बना. मैं भी तैयार रहूंगी.
इतने में परवीन आंटी का फ़ोन आ गया.
मैं- हैलो. परवीन- हैलो ज़ीशान, मैंने सब सैट कर लिया है … अभी घर पर कोई नहीं है, तू आ जा. अगर रेशमा फ्री है, तो उसको भी लेकर आ जा.
यही बात मैंने चाची को बताई. लेकिन चाची मना करने लगीं.
चाची- अगर अभी आऊँगी, तो तेरे प्लान में शामिल नहीं हो पाऊंगी. चाचा को डाउट होने मत दो. तुम जाओ मज़े करो और जल्दी प्लान बनाओ, सब मिल के मज़े करेंगे.
मैं चाची को किस करके वहां से निकलने लगा. आंटी का घर उसी टाउन में था और बाइक से सिर्फ 10 मिनट का रास्ता था.
मैं दस मिनट में वहां पहुंच गया. मैंने दरवाजे की घंटी बजायी. दरवाजा खुला था, लेकिन कोई दिख नहीं रहा था. मैं धीरे धीरे अन्दर जाने लगा.
मैं- आंटी … कहां हो? तभी फट से दरवाजा बंद होने लगा. मैं पीछे मुड़ कर देखा, तो आंटी दरवाजे के पीछे छुपी थीं.
वो तुरंत मेरे पास आकर मुझे किस करने लगीं. उनकी इस तेजी से मैं नीचे गिर गया. आंटी मेरे ऊपर चढ़ गईं और बहुत अन्दर तक जीभ डालने लगीं. आज वो कल का बदला ले रही थीं. मैं मज़े ले नहीं पा रहा था. वो 75 किलो की औरत थीं और वो मेरे ऊपर लदी हुई थीं. मुझे सांस लेने के लिए तकलीफ हो रही थी.
मैं झट से उन्हें अपने ऊपर से हटा दिया और हांफने लगा.
मैं- मार दोगी क्या मुझे … मेरी जान चली जा रही थी. परवीन- हा हा हा … कल मुझे यही हो रहा था. वैसे ये सब मज़े हैं … तू मज़े लेते रहना.
आंटी आज नाइटी में थीं. मैं आंटी को कभी नाइटी में देखा नहीं था. उनको देखते ही लंड खड़ा हो गया था. आंटी की वो मोटी गांड मुझे पागल कर रही थी. मैं सिर्फ गांड को सहला रहा था और उनके मोटे मम्मों को मुँह से मसल रहा था. आंटी आज सेक्स की परी जैसी लग रही थीं.
परवीन- तू मेरी गांड को इतना पसंद क्यों करता है? मैं- सिर्फ मैं नहीं … हर कोई जो आपको देखेगा, वो पहले आपकी गांड मारने का ही सोचेगा. आपकी गांड इतनी मस्त है … और आपके ये चुचे … आह जितने बड़े, उतना अधिक मज़ा आता है. ये अभी भी तने हुए हैं आंटी … आप गजब की माल हो.
परवीन मुस्कुरा दीं- लेकिन इसको इस्तेमाल करने वाला कौन है. तू मुझे अब मिला है. पिछले दो साल में मैं सिर्फ 10 बार चुदी हूँ मैं. तू ही समझ ले मेरी प्यास. तेरी चाची को रोज़ लंड मिलता है, फिर भी तेरा लेती हैं … और जलन भी दिखाने लगती है.
मैं- चाची चुदती तो हैं, लेकिन उनको सैटिस्फैक्शन नहीं होता है. चाचा का सिर्फ 4 इंच का लंड है … और वे 5 मिनट में झड़ जाते हैं. चाची उंगली करके सोती हैं. परवीन- बेचारी … च्चच … अब हम दोनों का सहारा सिर्फ तू ही है. लगता है हिना को अच्छी खासी खुशी मिलती होगी.
मैं- उनको और खुश करना है … मुझे हिना आंटी की चुत दिला दो. परवीन- मैं कोशिश तो करूँगी ज़ीशान. तुझे वो इतनी अच्छी लगती है? मैं- मुझे तो तुम तीनों बहुत अच्छी लगती हो. मैं तुम तीनों को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदना चाहता हूँ.
परवीन- क्या तेरे में इतना दम है, जो तीनों को खुश कर सकेगा? मैं- सच कहूं … तो मैं दो बार अच्छे से चुदाई कर लेता हूँ. तीसरी बार तो अभी मुश्किल है. परवीन- तो कैसे कर पाएगा?
मैं- इसीलिए दवाई मंगवाई है. ये दवा इम्पोर्टेड है … इससे 6 से 7 बार कर तक चुदाई सकते हैं … और बहुत देर देर तक … वो दवा जल्द ही आने वाली है. परवीन- वाह रे … तू तो सब तैयार कर चुका है.
मैं- बस 15 दिन में मेरी एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट आने वाला है, उसके बाद तो हम शायद एक महीने में सिर्फ एक बार ही मिल पाएंगे. परवीन- यही तो चिंता हो रही है … तू यहीं पे नज़दीक वाले कॉलेज में एडमिशन ले ले और रोज आने जाने का तय कर ले. मैं- ऐसा नहीं होगा, क्योंकि मैं अच्छे कॉलेज में पढ़ना चाहता हूँ. परवीन- हां पता है … और वहां की लड़कियों को भी चोदना चाहता है.
मैं सर हिलाते हुए उनकी बात से हामी भर दी.
फिर मैं उनको चूमते हुए बेडरूम में ले गया. आज मैं आंटी की गांड मारने वाला था.
दोस्तो, अगर मैं आपको एक सच बात बता दूँ … तो ये कि औरत को गांड मरवाने से कुछ भी संतृप्ति नहीं होती है. असली आग तो चुत में लगी होती है. गांड मारना तो सिर्फ मर्द की चाहत होती है, क्योंकि गांड टाइट होती है और इससे औरत को ज़्यादा दर्द भी होता है, वो ज़ोर ज़ोर से चीखती है. इससे उत्तेजित होकर मर्द और ज़ोर से चुदाई का सुख महसूस करते हैं और अपने आपको खुश करते हैं. अगर आप किसी की गांड मारने वाले हैं, तो पहले औरत को खुश कीजिएगा, फिर ही उसकी गांड मारना. मतलब उसकी चुत चाट कर और थोड़ी चूत की चुदाई भी करके पहले उसको झड़ने दो. फिर आराम से गांड मार लो.
मैं भी आंटी को खुश करना चाहता था. इसलिए पहले मैं उन्हें अच्छे से चूमने लगा. आंटी की मादक सिसकारियां निकलने लगीं. फिर मैंने उनकी नाइटी को निकाला. आंटी अब मेरे सामने ब्रा और पैंटी में रह गयी थीं. मैंने बिना समय गंवाए, उनकी ब्लू कलर की रेशमी जालीदार ब्रा को भी निकाल दिया. आंटी के मोटे मोटे मम्मों से बिना खेले भला मैं कैसे छोड़ सकता था. मैं आंटी के मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
परवीन- आआह ऊऊऊह … धीरे.. मैं- इतने बड़े मम्मों को, आंटी, कोई कैसे छोड़ सकता है.
मैं दीवानों की तरह आंटी के मम्मों को चूसने लगा. आंटी के दोनों चुचे एकदम लाल हो गए थे. फिर मैं उनका पूरा बदन चूमने लगा और चूसने लगा. उनके कड़क निप्पलों को काटने लगा.
परवीन- आआह … साले इतना ज़ोर से कोई काटता है कमीने … धीरे चूस ऊऊऊफ्फ … जालिम..
अब तक आंटी पूरी गर्म हो चुकी थीं. मैंने बिना देर किए उनकी पैंटी उतार दी और उनकी चुत को मसलने लगा. आंटी की सिसकारियां बढ़ने लगीं. उनकी चुत में आग लगी थी. मैं नीचे बैठ गया और उनकी चुत को चूमने लगा.
आंटी मचल उठीं- मेरे मर्द ने कभी मेरी चुत को चाटा ही नहीं है. … आह मेरी ख्वाइश तू अब पूरी कर दे.
मैं आंटी की मखमली चुत चाट रहा था. चुत काफी नमकीन थी. अब शहद ढूंढने का समय भी नहीं था. परवीन- आआह ऊह … ऊम्म …
आंटी मेरे बाल खींचने लगीं और तरह तरह की हरकतें करने लगीं. उनका बदन पूरा मचल उठा था. औरत को जितना लंड मजा देता है, उससे कहीं ज़्यादा मज़ा आपकी जीभ देता है.
परवीन- वाओ … क्या चूस रहा है. मेरे लाल … दाने तक चला गया … शाबाश..
मैं और अन्दर जीभ को धकेलने लग. करीब 5 मिनट चूत चाटने के बाद आंटी झड़ने वाली थीं.
परवीन- आह … मैं झड़ने वाली हूँ … आआह ऊम्म्म.. उन्होंने मेरे सर को चुत के और करीब दबा दिया और चुत ने पानी छोड़ दिया. मेरे मुँह में उनका पानी आ गया था. मैं बाथरूम जाकर मुँह धोकर आया.
आंटी खुश थीं. लेकिन मेरी खुशी अभी बाकी थी.
परवीन- अब तू जो बोलेगा, मैं वो करूँगी. मैं- पहले मेरा लंड को चूस लो.
आंटी लंड चूसने को एकदम रेडी थीं. मैं बेड पर बैठ गया और वो नीचे बैठ कर लंड को हिलाने लगीं. फिर आंटी ने एकदम से पूरा लंड अन्दर ले लिया.
मैं- बाप रे … आपने तो पूरा अन्दर ले लिया.
उनकी लंड चुसाई देख कर मेरे तो होश उड़ गए. आंटी एक पोर्न स्टार के जैसे लंड चूस रही थीं. लंड को खाए जा रही थीं. मेरी सिसकारियां और आंटी की चूसने का साउंड मिलकर मज़ा आने लगा.
आआआह ऊऊम्म पप्पपच …
मैं झड़ने वाला था. मैंने आंटी को तुरंत हटा दिया. मैं जल्दी नहीं झड़ना चाहता था.
परवीन- क्यों हटा दिया? मैं- मैं झड़ने वाला हूँ. परवीन- कोई बात, नहीं मैं रस पी लूंगी. मैं- मैं पूरा माल आपके मुँह में दूंगा … लेकिन इतना जल्दी मैं झड़ना नहीं चाहता हूँ.
मुझे मालूम था कि ज़्यादा देर तक करने की ये एक कला है.
परवीन- तुम तो बहुत कुछ सीख गए हो … बदमाश.
मैं आंटी को ज़ोर से हग किया और उन्हें पेट के बल लेटा दिया. फिर मैं उनकी कोमल गांड को सहलाने लगा. मैं- आंटी तेल कहां है. परवीन- मैं लेकर आती हूँ. मैं- आप कहीं नहीं जाओगी … मैं लेकर आऊंगा … आप बस बता दो. परवीन- ड्रेसिंग टेबल के पास कोकोनट आयल रखा है.
मैं तेल लेकर आया. आंटी बिल्कुल वैसे ही लेटी थीं. मैं एकदम से उनके ऊपर लेट गया. मेरा लंड उनकी गांड के छेद में लग रहा था. मैं तेल से गांड को मसाज करने लगा. आंटी तो मज़े ले रही थीं.
मैंने आंटी को कुतिया बनाया और मैं शुरू हो गया.
परवीन- धीरे करना बेटा … गांड की चुदाई करे 5 साल हो गए हैं.
मुझे यही चाहिए था. मैंने ये बात सुनते ही एक ज़ोर का झटका दे मारा. आधा लंड गांड में घुस गया था. आंटी की चीख इतनी तेज थी कि क्या बोलूँ … यूं समझो कि कोई औरत बच्चे को जन्म देने के वक़्त चीखती है … वैसी चीख निकली थी. मुझे डर था कि कहीं बगल वाले घर के लोग ना आ जाएं.
परवीन- मुझे इतना दर्द कभी नहीं हुआ था. साले अपने मूसल को बाहर निकाल मादरचोद … मुझसे नहीं होगा. तुझे जितना चाहिए, तू उतनी मेरी चुत मार ले .. उसके अलावा भी तू जो बोलेगा, वो करूँगी. मुझे बक्श दे.
लेकिन एक बार लंड जो अन्दर घुस गया, मैं कहां रुकने वाला था.
मैं- कुछ भी करोगी … सोच लो? परवीन- कुछ भी करूँगी. मैं- हिना आंटी की चुत दिलाओगी? परवीन- हां मंज़ूर है. मैं- तेरी बड़ी बेटी आशना की चुत दिलवाएगी? परवीन- साले मादरचोद, मेरी बेटी के ऊपर भी नज़र डाल रखी है. तेरे मूसल से जो मैं दर्द सह रही हूँ, वो काफी है. मैं अपनी बेटी को भी इतना दर्द नहीं दे सकती.
ये सुनते ही मैंने एक और ज़ोर से धक्का मारा. मेरा पूरा लंड आंटी की गांड में चला गया था. आंटी तो मुझसे दूर जाने की नाकाम कोशिश करती रहीं और चीखती रहीं.
परवीन- आआह … ऊऊऊफ्फ … मर गयी मैं … पहले वो रंडी रेशमा को मारूँगी, फिर तेरी माँ को ये सब बोलूंगी.
मैं- क्या बोलेगी रंडी … यही कि तुमने मुझे अपने घर बुलाया था चुदाई के लिए. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
परवीन- अब निकाल भी दो … मैं किसी को कुछ नहीं कहूंगी. मेरी बेटी को भी कनविंस करूँगी. मैं- ज़रूरत नहीं है … तेरी बेटी तो आलरेडी सैट है … मैं उसे खुद पटा लूँगा.
मैं ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. आंटी आगे पीछे कर रही थीं. इसके कारण थोड़ा तकलीफ होने लगी. इसलिए उनके बाल मैंने हाथ में पकड़ लिए और खींचने लगा. साथ ही उनके चूतड़ों को बजाने लगा.
परवीन- मादरचोद, मार क्यों रहा है … साले मुझे छोड़ दे प्लीज. एक और विनती है, तू तो मेरी बेटी को लेकर ही रहेगा. लेकिन उसे ऐसा बेरहमी से चोदना मत. मैं- जहां दर्द आता है, वही तो मज़ा आता है. परवीन- अब बस भी कर दे … और कितनी देर पेलेगा मुझे … आह.. मैं- अपना माल तेरे मुँह में छोड़ दूँ? परवीन- हां … तू प्लीज जल्दी लंड निकाल दे.
मैंने गांड से लंड निकाला और तुरंत आंटी के मुँह में लगा दिया. आंटी लंड चूस नहीं रही थीं. इसीलिए मैं ही उनका मुँह चोदने लगा. दो मिनट तक मैं उनके मुँह में लंड आगे पीछे करता रहा. फिर उनके मुँह में ही झड़ गया.
परवीन- क्या तूने रेशमा की गांड भी ऐसे ही मारी है? मैं- फार्म हाउस में तो रेशमा चाची की गांड इसे भी बहुत बुरी तरह से मारी है. परवीन- उसने कुछ नहीं कहा? मैं- पहले तो चीखती रहीं, फिर सहयोग करने लगीं. आपकी तो 42 की गांड है, फिर भी आप इतना क्यों मचल रही थीं. परवीन- सच कहूं … तो मुझे इतना दर्द नहीं हुआ. लेकिन ऐसा चीखने से तुझे और मज़ा आएगा ना … इसलिए ऐसे किया. तेरा लंड तो मूसल है.
मैं- इतनी फिक्र करती हो मेरी खुशी की? परवीन- तू बाकी के सब मर्दों जैसा नहीं है … मैंने तुझे गांड मारने बुलाया, लेकिन तूने मुझे पहले खुशी देकर खुश किया, फिर मेरी गांड मारी. तू औरत की प्यास को समझता है. तुझे जो मदद चाहिए, वो मैं करूँगी. तू मेरी लाइफ में मिला हुआ सबसे बेहतर मर्द है. तेरे बीवी बहुत खुश नसीब है. तुझे हिना चाहिए, आशना चाहिए, मैं तेरी हेल्प करूँगी.
मैं आंटी को इमोशनल किस किया.
मैं- फिलहाल तो मुझे हिना आंटी चाहिए. परवीन- तू प्लान बना ले, मैं उसे फ़ोन करती हूं.
अगले भाग में हिना आंटी को मैंने कैसे पटाया और कैसे चोदा, ये सब जानिए.
मेरा विचार है कि सेक्स में पहले औरत को खुश करो, फिर तुम वैसे भी खुश हो जाओगे.
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