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दोस्तो, मैं ज़ीशान आपके लिए कहानी का 5वां भाग लेकर आया हूँ. यह बहुत ही मजेदार भाग है. आंटियां और भाभियां चुत में उंगली रख के तैयार रहना और सब मर्द अपना लंड हाथ में पकड़ना.
अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने चाची की गांड मार ली थी. रात को सोते समय चाची ने अपनी चूत में खुजली होने के कारण खुद से मेरा लंड चूसा, जोकि उन्हें पसंद नहीं था.
फिर चाची ने मेरे लंड पर चढ़ कर चुदाई का मजा लिया.
चाची- आह अब आया मजा … मैं कितना भी चोद लूँ … मगर अभी जो तू चोद रहा है … उसके बराबर कोई मजा नहीं है.
हम दोनों झड़ने के बाद बात करने लगे.
चाची- अगले हफ्ते बड़ी दीदी परवीन को अकेली घर बुलाऊंगी, तू आ जाना. मैं- थैंक्यू सो मच चाची … आप दुनिया में सबसे बेस्ट चाची हो. चाची- मैं मेरी बात निभा रही हूँ. तू अपनी निभा, हर हफ्ते मुझे आकर चोदना.
फिर चाची तैयार हो गईं, कुछ देर बाद चाचा को आना था, उनका फोन आ गया था.
वे आए और चाची को घर ले गए. मैं अगले हफ्ते का इंतज़ार करने लगा और प्लान बनाने लगा.
अब आगे:
चाची के निकलने के बाद मैं उदास हो गया. मुझे चाची की बहन, परवीन आंटी को चोदने के लिए एक हफ्ते रुकना पड़ रहा था. मैं उनके नाम से मुठ मार रहा था. इस हफ्ते के बीच में मैंने उनके घर जाकर दो बार चाची को चोदा.
मुझे परवीन आंटी की याद आ रही थी. मैं उनके फोटोज देखने लगा. परवीन आंटी सेक्सी माल थीं. उनकी 42 इंच की गांड थी. चाची के तीनों बहनों में सबसे बड़ी गांड और सबसे बड़े चुचे थे.
मैं आपको उनके परिवार के बारे में बताऊं, तो परवीन का पति शराबी है. उस कमीने ने बेटे के चाह में 4 बेटियां पैदा कर दी हैं. आंटी के बेटा नहीं देने के कारण वो उनसे ठीक से पेश नहीं आता था और शराबी बन गया था.
आंटी की दो बेटियों की शादी हो गयी थी. तीसरी और चौथी अभी हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थीं. परवीन आंटी की पहली बेटी बहुत मस्त है. उसका नाम आशना है. एकदम दूध जैसी गोरी है. उसका आकार बहुत मस्त है. उसके 30 के मम्मे, 24 की कमर और 32 की गांड है. उसकी अलग कहानी है. आशना की शादी आंटी के रिश्तेदार से ही हुई है. उसका पति एक नंबर का चूतिया है, अंकल के जैसा ही दिखता है. खैर उसका जिक्र अभी छोड़िये. अभी तो परवीन आंटी की बात हो रही है.
आखिर वो दिन आ ही गया, जब चाची परवीन आंटी के आने का बोली थीं. मैं सुबह खूब सज धज कर चाची के घर पहुंचा. दरवाजे की घंटी बजाई, चाची ने दरवाजा खोला.
मैं अन्दर जाकर पूछने लगा- कहां हैं आंटी? चाची- रुक जा ठरकी … इतनी भी जल्दी क्यों? मैं- आपको पता नहीं … मैं कब से आंटी का इन्तजार कर रहा हूं. चाची- देख देख … साले को … कैसे दीदी को चाह रहा है. … अब तू मुझे पक्का भूल जाएगा. मैं- कभी नहीं चाची, तुम मेरी पहली ख्वाहिश हो.
मैं चाची को किस करने लगा. इतने में दरवाजे की घंटी बजने लगी. मैं चुपचाप सोफे पर बैठ गया. चाची जाकर दरवाजा खोलने लगीं.
मेरी बांछें खिल गईं, जिसका इंतज़ार था … वो परवीन आंटी आ गयी थीं.
चाची- तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी दीदी. परवीन- सॉरी थोडा लेट हो गई. तुम्हारे जीजू के लिए खाना बनाकर आने में देर हो गयी.
इतने में आंटी मुझे देखकर हाथ हिलाने लगीं- जीशान, तुम कब आए? मैं- अभी अभी आया आंटी.
हम सब सोफे पे बैठ गए. इधर उधर की बातें करने लगे.
मैं- अंकल कैसे हैं आंटी. परवीन- तेरा अंकल तो हमेशा नशे में रहता है. पता नहीं मैंने क्या गलती की, जो अल्लाह ने मुझे ऐसा पति दिया.
चाची उनको संभालने लगीं.
चाची- सब लोग टीवी देखोगे.
सबने हां बोला, चाची टीवी में हिना खान की मूवी लगा दी. आंटी हिना खान की बड़ी फैन हैं. चाची को मैं जाने का इशारा करने लगा. मूवी चालू हो चुकी थी.
चाची- मैं थोड़ी देर में आती हूँ. कुछ सामान लेने जा रही हूँ. परवीन- कहां जा रही है? कब आएगी? मुझे बुला कर अब अकेली छोड़कर जा रही है. चाची- आधा घण्टे में आ जाउंगी दीदी. अकेली थोड़ी छोड़ कर जा रही हूँ, जीशान है ना.
ये बोल कर चाची एक ताला हाथ में लेकर गईं, मैं पीछे से दरवाजा बंद करने चला गया, लेकिन मैंने कुंडी नहीं लगाई. चाची बाहर से लॉक करके गई थीं.
मैंने बोला- मिस कॉल दूंगा, तब आ जाना. चाची बोलीं- ठीक है.
उधर टीवी में बॉडीगार्ड मूवी चल रही थी. आंटी को फिल्म्स बहुत पसंद हैं … और सांग्स डांस भी बहुत पसंद है. वो थोड़ा फ़िल्मी टाइप की हैं.
परवीन- आई लव हिना खान, ये मूवी बहुत पसंद है. वो ‘तेरी मेरी …’ वाला गाना बहुत पसंद है. मैं- हां आंटी, वो गाना मुझे भी बहुत पसंद है.
इतने में वो गाना आने लगा. मैं आंटी का हाथ पकड़कर बोला- आओ आंटी, चलो डांस करते हैं.
आंटी इधर उधर देख कर डांस के लिए उठ गईं. मैंने उनकी कमर में हाथ डाल दिया और दूसरे हाथ से उनका हाथ पकड़ कर सालसा जैसा डांस करने लगा.
मैं- आप अभी भी मस्त डांस करती हो आंटी. परवीन- थैंक्यू बेटा … और तुम भी बहुत मस्त कर रहे हो. मैं- आप अभी भी इतनी सुंदर हैं. शादी की उम्र में तो अंकल का होश उड़ गया होगा. परवीन- तुम तो काफी चालू हो गए हो और जवान भी.
मैं उनको और करीब करने लगा. आंटी थोड़ा असहज महसूस करने लगीं. फिर भी उन्होंने कुछ नहीं बोला. मैंने अपना हाथ कमर से हटा कर उनके बड़े चूतड़ों के ऊपर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा. आंटी की तरफ से कुछ प्रतिक्रिया नहीं थी. मैंने हिम्मत करते हुए अपना दूसरा हाथ उनके मम्मों पे रख दिया.
आंटी अब विरोध करने लगीं. मैंने ज़ोर से दोनों हाथों से उन्हें पकड़ लिया. परवीन- ज़ीशान ये तुम क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे.
मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनको चूमने के लिए आगे हुआ. आंटी ने पीछे सरकती गईं. मैं उनके साथ आगे होता गया. आंटी अब दीवार से टकरा गईं … उनके पीछे दीवार थी, आगे मैं था. मैं अपने दोनों हाथों से उनका चेहरा पकड़कर उन्हें चूमने लगा. वो बिल्कुल सहयोग नहीं कर रही थीं.
मैं- मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ आंटी, प्लीज किस मी. परवीन- हो क्या गया है तुमको जीशान? इतने अच्छे बच्चे थे तुम … मैं तुम्हारी अम्मी की उम्र की हूँ. मैं- प्यार में उम्र बाधा नहीं होती है.
ये कहते हुए मैं उनको ज़ोर से चूमने लगा. दोनों हाथों से उनका चेहरा पकड़ कर मुँह में मुँह लगा दिया और उनकी जीभ को चूसने लगा. मुझे बड़ा मजा आ रहा था. आंटी ने मुझसे छूटने की नाकाम कोशिशें की. मैं और ज़ोर से चूमने लगा.
करीब 5 मिनट तक मैं ऐसे ही चूमता रहा. मैं एक बात पर ध्यान दिया. चाची अब विरोध नहीं कर रही थी. इससे मैं थोड़ा ढीला पड़ गया लेकिन तभी अचानक से एक ज़ोर से धक्का देकर आंटी ने मुझे गिरा दिया.
परवीन- मेरी सांस रुक गयी … इतनी भी देर कोई लिप टू लिप करता है … आआह..
आंटी हांफने लगीं. दो मिनट सांस लेने के बाद मैं आंटी के पास फिर आ गया और उनके मम्मों को छूने लगा और साड़ी के अन्दर हाथ डालकर पेट को सहलाने लगा.
परवीन- ये सब गलत है … तुम जाओ … मुझसे दूर जाओ, नहीं तो तुम्हारी चाची को बोलूंगी. मैं- नहीं आंटी ऐसा मत कीजिये. प्लीज़ आंटी, प्लीज आंटी. मैं कब से आपको अपने सपनों में देखता चला आ रहा हूँ. आई लव यू आंटी.
ये कहते कहते मैं फिर से उनको चूमने लगा. अब आंटी सहयोग करने लगीं. अब वे धीरे धीरे सिसकारियां भरने लगीं ‘ऊऊऊह ऊऊम्म..’ परवीन- कोई देख लेगा, रेशमा आ जाएगी. मैं- अगर चाची आ जाएंगी, तो पहले दरवाजे की घंटी बजेगी … उन्हें देख लेंगे.
ये कहते हुए मैंने उन्हें चूमते चूमते उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया. आंटी लाल रंग के ब्लाउज में मस्त दिख रही थीं. मैं उनके पेट को सहलाने लगा और नीचे बैठकर उनका पेट चूमने लगा. आंटी की कामुक सिसकारियां बढ़ने लगीं ‘ऊऊऊम्म्म्म … आआह..’
तभी मैंने ज़ोर से साड़ी को खींच दिया. परवीन- ये क्या कर रहा है … रेशमा आ जाएगी. मैं- आने पर मालूम हो जाएगा.
अब आंटी ब्लाउज और पेटीकोट में थीं. मैं आंटी को चूमते चूमते बेडरूम ले जाने लगा. बेडरूम में ले जाकर मैंने उन्हें धक्का देकर बेड पे गिरा दिया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया. उनका ब्लाउज खोलने लगा.
परवीन- किसी को पता चलेगा, तो क्या होगा? खास करके तेरी चाची को. वो मुझसे कभी बात नहीं करेगी. मैं- किसी को पता नहीं चलेगा आंटी.
यह सुनकर आंटी ब्लाउज खोलने में मदद करने लगीं. मैंने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. अब सिर्फ आंटी ब्रा और पैंटी में रह गई थीं. आंटी तो कयामत लग रही थीं. मैं देखते रह गया. इतने बड़े बड़े बूब्स, इतनी मोटी मोटी जांघें.
परवीन- क्या देख रहा है? मैं- आपका जिस्म … आप बहुत ही सेक्सी हो आंटी. परवीन- देखो हम जो कर रहे हैं, ये एक बड़ी गलती है, इससे हमें बहुत प्रॉब्लम आएगी. तुम प्लीज़ किसी को बताना मत. तुझे जो भी करना है, जल्दी कर ले. फिर रेशमा आ जाएगी. तो हम शायद नहीं कर पाएंगे. मैं- ऐसा मत बोलो आंटी … आई लव यू. मैं आपको मिलने हर हफ्ते आऊंगा.
इतना कहते हुए मैं उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से मसलने लगा और पैंटी के ऊपर से चुत को सहलाने लगा.
आंटी गरमागरम सिसकारियां लेने लगीं- आह … ऊऊह … वो मेरे शर्ट के बटनों को खोल रही थीं. मैंने भी अपना पैंट निकाल दिया और बनियान भी. अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था. आंटी मेरे लंड का उभार देख कर चौंक गईं.
परवीन- रुको … मुझे जरा इसे देखने दो. ये कहते हुए आंटी ने लंड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़ लिया और फट से अंडरवियर को नीचे खींच दिया. लंड देखते ही आंटी हैरान हो गईं.
परवीन- जीशान, तू इतना जवान कब हो गया. मैंने तो सोचा था कि तेरी 4 इंच की लुल्ली होगी … ये तो उसका दोगुना है. बाप रे. और इतना मोटा … याल्लाह.
आंटी मेरा लंड आगे पीछे करने लगीं … मैंने उसी वक्त चाची को मिस कॉल कर दिया. इधर परवीन आंटी मेरे लंड को प्यार से मुठ मारने लगीं. मैं आंटी के बूब्स का दीवाना था. मैंने भी तुरंत आंटी की ब्रा को खोल दिया.
आंटी के चूचे इतने बड़े थे कि मेरे दो हाथों की पकड़ में ही नहीं आ रहे थे. मैं खुशी के मारे एक को दबाने में लग गया और दूसरे को चूसने लगा.
आंटी की ‘ऊऊह आआह …’ की सिसकारियां तेज़ होने लगीं.
परवीन- जीशान इस सभी के लिए अभी समय नहीं है … जो भी करना है, जल्दी से कर दे.
इतने में रेशमा चाची डायरेक्ट हमारे सामने आ गईं. उन्होंने इतने दबे पांव आने की कोशिश की थी कि दरवाजा खुलने की आवाज भी नहीं आयी.
जब रेशमा चाची सामने आईं, उस वक्त मेरे मुँह में आंटी की एक चुची दबी थी और दूसरी मेरे हाथ में थी.
चाची ये सब देख कर ड्रामा करने लगीं.
चाची- ज़ीशान ये क्या कर रहा है तू? मैंने तुमको कितना मासूम समझा था और तुम दीदी … ये सब क्या है? इसके साथ ऐसा करने में आपको जरा भी शर्म नहीं आई. अगर ये सब बाहर वालों को पता चलेगा, तो क्या होगा?
चाची की एक्टिंग देख कर मैं भी ड्रामा करने लगा.
मैं- चाची प्लीज़ … ये बात तुम किसी से मत कहना प्लीज.
उधर परवीन आंटी तो एकदम से डर ही गई थीं. उनको काटो तो खून नहीं था- रेशमा … प्लीज़ ये बात किसी को मत बताना. ये सब कुछ मुझसे अनजाने में गलती हो गयी है … प्लीज़ माफ कर दे, इसमें जीशान की गलती नहीं है. चाची- अब फटाफट उठो और जल्दी कपड़े पहनो. मैं- दस मिनट रुक जाओ चाची … अभी कुछ नहीं हुआ है. परवीन- तू चुप रह ना. चाची- वाह रे बदमाश इतना बड़ा हो गया तू?
चाची मेरा कान पकड़कर खींचने लगीं. मैंने चाची को खींच कर बेड पे लेटा दिया.
मैं- बस कर रंडी … खत्म कर अपना ये ड्रामा. तेरे को भी मेरे लंड से चुदना है, तो जल्दी आ जा.
ये देख कर परवीन आंटी चौंक गईं. आंटी को पता नहीं चल रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.
तभी चाची मुस्कुराते हुए आंटी को जाकर लिप टू लिप किस करने लगीं.
परवीन- ये क्या कर रही है? और हो क्या रहा है ये? चाची- कुछ नहीं … तुम अच्छे से मज़े लो. परवीन- नहीं मुझे अभी बात बताओ. मैं- आपके से पहले ही मैं चाची को चोद चुका था. अब चाची की मदद से मैंने आपको पटाया.
आंटी गुस्सा होकर मुझे और चाची को गाली देने लगीं- साले मादरचोद, साली रंडी. अब समझ में आ रहा है कि तू मुझे और हिना को भी क्यों फार्म हाउस बुला रहा था. मैं और चाची हँसने लगे.
परवीन- मतलब हिना को भी? मैं- अभी तक नहीं, प्लान बना रहा हूँ.
चाची मेरा लंड पकड़कर बोलने लगीं- कोई पता नहीं, इस मादरचोद के लंड के नसीब में कितनी चुत चुदना बाकी हैं. परवीन- रेशमा, कभी सोचा था कि ये जीशान इतना बदमाश बनेगा.
चाची- इसकी बदमाशी अभी तक तुमने नहीं देखी है. मैंने तो बहुत सह लिया है और बहुत मज़े भी ले चुकी हूँ. अब तुम्हारी बारी है. परवीन- वो क्या सह लिया तूने … और कौन से मजे ले लिए? चाची- तुम्हें सब पता चल जाएगा. हमारे पास एक घंटे का समय है. जल्दी करो.
चाची मुझे चूमने लगीं और मैं उनके कपड़े उतारने लगा. आंटी चाची को नंगी करने में मदद करने लगीं.
कुछ ही पलों में हम तीनों नंगे थे. आंटी अभी भी पैंटी पहनी हुई थी. मैंने झट से उनकी पैंटी को भी खींच दिया. आंटी की चुत एकदम साफ थी. छोटे छोटे से थोड़े बाल थे. मैं आंटी की चुत में उंगली करने लगा. परवीन- आआआह ऊऊऊह ऊऊम्म्म्म.
चाची और आंटी दोनों अपने मम्मों को अपने ही हाथों से सहला रही थीं. मैं देर न करते हुए आंटी की चुत चाटने लगा. जीभ को अन्दर तक डालने लगा.
आंटी- ऊऊऊफ आआआह … ये तो कमाल कर रहा है रेशमा … आआआह चाची- और बहुत कुछ है इसके पास … थोड़ा मुझे भी तो मज़े ले लेने दो.
चाची आंटी के मुँह के ऊपर बैठ गईं. आंटी चाची की चुत चाटने लगीं. पोजीशन ऐसी बन गई थी कि नीचे आंटी. आंटी के ऊपर चाची 69 में लेटी थीं. चाची का मुँह मेरे तरफ था और उनकी चुत आंटी के मुँह के ऊपर. मैंने 5 मिनट आंटी की चुत को चाटा.
हम तीनों लोगों के कामुक और गरमागरम कामुक सिसकारियों से कमरा एक पॉर्न मूवी के सैट जैसा लग रहा था.
परवीन- अब लंड भी डाल दे बेटा. आंटी की चुत चाची से बड़ी थी. मैं लंड चुत के ऊपर रगड़ने लगा. परवीन- किसका इंतज़ार कर रहा है. पेल दे मुझे.
मैंने एक ज़ोरदार धक्का दे दिया, मेरा पूरा लंड उनके अन्दर घुसता चला गया. परवीन- आई मैं मर गई. … तेरा अंकल पहले ऐसा ही मर्द था … पर अब तो वो शराब के नशे में नामर्द हो गया. उसका लंड लुल्ली हो गया है. अब मुझे तेरे लंड का ही सहारा चाहिए … आह जल्दी से पेल दे मुझे.
मैं जोरदार धक्के मारने लगा, आंटी मेरे सब धक्कों का जवाब अपनी गांड उछाल कर दे रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और ज़ोर से चोद … कितना मज़ा देने लगा.
चाची बीच में आकर मुझे किस करने लगीं. मैं उनकी चुत में उंगलियां करने लगा. मानो जन्नत जैसे लग रहा था. दो दो हूरें मुझे नसीब हो गई थीं. लेकिन असली जन्नत तो हिना आंटी के पास थी.
मैं- मुझे अब हिना आंटी की चुत कौन दिलवाएगा? परवीन- हिना को पाना इतना आसान नहीं है. मैं- इसीलिए तो आप दोनों से मदद मांग रहा हूँ.
परवीन और चाची सहमति दे दी. मैं मस्त हो कर आंटी का जी भर के चोदने लगा.
मैं- आंटी, मेरा लंड आपकी गांड देख कर खड़ा हो जाता था. आज मुझे आपकी गांड मारनी है … पहले कभी गांड मरवाई है? परवीन- इतनी बड़ी गांड है … तुम्हें क्या लगता है … बिना मरवाए हो गई. तेरे अंकल पहले बहुत कुछ करते थे, लेकिन अब कुछ नहीं करते. मैं- लेकिन आंटी आपकी गांड मारने के लिए अभी समय नहीं है. परवीन- कल मेरे घर आ जाना, मैं सब इंतज़ाम करती हूं … आआआह..
कोई पांच मिनट में ही आंटी एक बार झड़ चुकी थीं. मैं लगा रहा और आंटी भी जल्दी ही दुबारा गरम हो गईं. इस बार मैं और आंटी दोनों एक साथ एक दूसरे के बांहों में झड़ गए.
हम दोनों एक बार चीख उठे- आआह ऊऊह … बहुत मज़ा आया … परवीन- कैसा मस्त लंड पकड़ा है तूने रेशमा … थैंक्यू जीशान.
आंटी मुझे किस करने लगीं. मैंने जोश में आकर उनका एक होंठ काट लिया. आंटी की चीख निकल गई.
मैं- आंटी अभी बहुत कुछ बाकी है.
चाची उदास थीं. क्योंकि हम दोनों ने उनको नज़रअंदाज़ कर दिया था.
मैं- चाची रात यहीं पे रुकूँगा, तुम चिंता न करो. चाची- थैंक्यू … लव यू बेटा.
इतने में दरवाजे की घंटी बजी, चाचा आ गए थे. हम सभी ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने. मैं कपड़े पहनते वक्त भी सोच रहा था कि कल तो परवीन आंटी की मोटी गांड मिलने वाली है ही.
कल परवीन आंटी की मोटी गांड की चुदाई होगी. आपको कहीं जाना नहीं है.
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