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कामुकता से भरी इस सेक्स कहानी में अभी तक आपने पढ़ा कि मैं अपनी कुंवारी गर्लफ्रेंड को उसकी सहेली के कमरे में एक बार चोद चुका था. अब आगे:
सुहानी सिम्मी से बोली- हम तेरे कमरे में जा रहे हैं। सिम्मी चौंकते हुए- फिर से?
सुहानी सिम्मी को आंख मारते हुए ‘हां’ बोलकर मुझे पीठ से धकेलकर कमरे में ले गई और दरवाज़ा बंद कर दिया।
सुहानी को छूते ही मुझे फिर सेक्स का नशा चढ़ने लगा। सुहानी मुझे बेड में चढ़ने के लिए बोली तो मैं चढ़ कर बैठ गया। सुहानी ने बिना देर किए अपनी स्कर्ट और टॉप और फिर ब्रा उतारी और सीधे मेरी गोद में आकर बैठ गई।
मैं- मरना चाहती हो क्या फिर से? सुहानी- मार ना यार, मना किसने किया है और इतनी मार कि हम दोनों को याद रहे ये सेक्स। और अपनी पैंटी मेरी जीन्स से घिसने लगी।
मुझे उसकी पैंटी से ही चूत की गर्माहट का अहसास हो रहा था।
मैंने उसे अपनी गोद से उतारा, पलंग पर ही खड़े होकर अपनी जीन्स और अंडरवियर एक साथ नीचे कर दी और उतार फेंकी। लंड उछल कर सुहानी के सामने आया तो सुहानी देखकर हंस दी। मैंने उसके हंसने का कारण पूछा तो बोली- बस ऐसे ही।
मैं फिर जैसे ही पलंग पर बैठा, सुहानी फिर से मेरी गॉड में छड़ कर बैठ गयी और बोली- इस बार इस स्टाइल में करते हैं। मैं- तो क्या पैंटी के साथ ही डाल दूं अंदर?
इस पर सुहानी उठी और अपनी चड्डी उतारी और वो बैठने को हुई तो मैंने उसे रोक लिया। उसकी चिकनी, मुलायम और गुलाबी चूत ठीक मेरी आंखों के सामने थी।
मैंने हाथ सुहानी के पैरों के पीछे ले जाकर सुहानी की गुदाज़ गांड को दबाया और उसे अपनी तरफ आगे बढ़ाया। अब मैंने सुहानी के पैर थोड़े फैलाये और उसकी चूत को चूम लिया। उसकी चूत सेक्स की खुमारी से पहले ही गर्म थी। सुहानी ने अपने एक हाथ की दो उंगलियों को मुंह में लिया और फिर चूत के आस पास गीला करने लगी।
उसने मेरे सिर के बाल खींचकर अपनी चूत से हटाया और लंड के ठीक ऊपर अपनी चूत रख दी। उसने मेरे बाल अब भी पकड़ रखे थे। मैंने भी उसके सिर को पकड़ा और एक ज़ोरदार चुम्मा उसके होंठों में दिया और फिर होंठों, गालों को जंगलियों की तरह चूमने चाटने लगा।
सुहानी ने भी मुझे कस लिया, उसे मज़ा भी आ रहा था। हम पागलों की तरह एक दूसरे को चूम और चाट रहे थे। इसी बीच उसने मेरी शर्ट भी उतार दी थी।
अब मैंने सुहानी के बालों को खींचा तो सिहानी के मुंह से ‘आह’ निकली। उसका चेहरा पीछे की ओर हुआ और उसकी गर्दन मेरे सामने आई तो मैं उसकी गर्दन को बेतहाशा चूमने और चाटने लगा। अब वो जैसे पागल ही होने लगी। उसकी गर्दन को चूमने चाटने से उसे भी मज़ा आ रहा था।
मैंने फिर उसके बालों को पीछे की ओर खींचा तो वो और झुकी और मैंने उसके बोबों और गुलाबी निप्पल्स को मुंह में लेकर चूसने और चाटने लगा। सुहानी की चूत से रस बहने लगा था जो मेरी जांघों पे लग रहा था। मेरे लंड से भी प्रीकम निकल रहा था जिससे लंड में चिकनाहट आ गयी थी।
सुहानी के बोबे चूसते हुए ही मैं अपने हाथ नीचे ले जाकर सुहानी की चूत से निकल रहे रस से ही उसकी चूत के इर्दगिर्द अच्छे से मलने लगा जिससे लंड डालने में आसानी हो। सुहानी की चूत रस को अपने लंड पर भी मल के मैंने उसे भी चिकना कर लिया।
मैंने सुहानी के बालों को छोड़ा तो सुहानी ने आगे होकर मुझे देखा तो मैंने उसे गांड उठाने का इशारा किया। वो मेरा इशारा समझ कर ज़रा सा उठी तो मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटा लिया। अब उसने अपने दोनों हाथों से मेरे कंधे को पकड़ा और अपनी चूत का दबाव लंड पर देने लगी। चूत रस की चिकनाहट की वजह से लंड चूत में आसानी से जाने लगा। सुहानी से जितना हो सका उसने उतना लंड अंदर लिया और फिर हिलने लगी जैसे लंड को अपनी चूत में सेट कर रही हो।
अपने हाथ से मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करने लगा। अब सुहानी भी धीरे धीरे और दबाव बनाने लगी थी। जब उससे और अंदर नहीं लिया गया तो उसने उतना ही अंदर लिए उचकने लगी। मैंने मौका देखते हुए उसके कंधे को पकड़ा और जैसे ही वो उठके बैठने लगी मैंने उसके कंधे को कस कर पकड़ते हुए उसकी चूत में धक्का दे मारा जिससे लंड और अंदर हो गया।
सुहानी की आंखें फटने लगी लगी। उसने हिलना बन्द किया और दर्द सहने लगी मगर उठी नहीं। मैंने उसके बाल खींचे तब उसे होश आया. तो मैंने ही उसकी कमर हिलानी शुरू कर दी. धीरे धीरे वो भी सामान्य हो गयी और अपनी कमर हिलाने लगी।
अब मैंने उसे ऐसे ही उठाकर बिना लंड निकाले पलंग में लिटा दिया। सुहानी ने पैर उठकर मेरी कमर में बांध लिए और मैं उसकी चूत में धक्के मारने लगा। मैं झुक और सुहानी को होठों में किस करने लगा और एकाएक चूत में एक जोरदार धक्का मारा जिससे मेरा पूरा लंड सुहानी की चूत में घुस गया।
सुहानी की आँखों से आंसू आ गए मगर उसकी आवाज़ मेरे मुंह में घुट गयी। मैंने धीरे से अपने हाथ उसके मुंह में रखे और उसके गालों को थपथपाया जिससे उसे होश आये … और उसके आंसू पौंछे।
वो कुछ नहीं बोल पा रही थी।
मैं वैसे ही लंड को चूत में रखे थोड़ी देर रुका। कुछ ही देर में सुहानी हिली तो मैंने उसकी तरफ देखा। उसकी आँखों में अब भी आंसू थे मगर उसने मुझे इशारा करके धक्के मारने को बोला।
अब मैं धीरे धीरे हिलने लगा। लंड को धीरे से थोड़ा निकालता फिर धीरे से अंदर डालता, थोड़ी देर इस तरह करने से सुहानी भी राहत महसूस करने लगी। अब मैंने थोड़ी तेजी दिखाई तो सुहानी अइईई उम्म्ह… अहह… हय… याह… उहहह ओहहह आऊऊऊ करने लगी।
मैं तेजी से लंड अंदर बाहर करने लगा जिससे सुहानी भी मज़े लेने लगी। अब सुहानी ही मुझे अपने पैरों से मेरी गांड को अपनी ओर खींच रही थी। मैंने और तेज और और ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब सुहानी फिर से अइईई, उहह हहहह, आआह, ओहहह, आऊऊ करके सिसकारने लगी जिससे मेरा जोश और बढ़ने लगा। मैंने एकदम लंड बाहर निकाला तो सुहानी ने चौंककर मुझे देखा।
मैंने उसे उठने को बोला तो वो हैरत में पड़ गयी कि मुझे क्या हो गया।
तभी हम दोनों की नज़र मेरे लंड पर पड़ी जिसपर सुहानी की चूत फटने से खून के धब्बे लगे हुए थे।
मैंने उसे सहारा देकर पलंग से उठाया और जहां कुर्सी और टेबल रखी थी वहां लाकर खड़ा लिया और कुर्सी को पकड़कर झुकने को बोला। अब सुहानी समझ गयी कि क्या होने वाला है।
उसे शायद दर्द हो रहा था सीधे खड़े हो कर झुकने में तो उसने अपना एक पैर मोड़ कर कुर्सी को पकड़कर झुक गई। सुहानी मेरी हर बात मान रही थी। ऐसे झुकने से उसकी गुदाज़ और मुलायम गांड मस्त लग रही थी।
मैंने उसे बताए बिना दोनों हाथों से चूतड़ों में एक जोरदार चपत लगा दी जिससे सुहानी बोली- आईईई, मार क्यों रहे हो यार, दर्द हो रहा है पहले ही! मैं- इतनी सेक्सी तरीके से खड़ी हो और इतने सेक्सी चूतड़ देखकर रुका नहीं गया इसलिए चपत लगाई थी। इच्छा तो हो रही है कि चपत मार मार कर लाल कर दूं गांड!
और फिर दबा दबा कर मसलने और फिर सहलाने लगा।
अब मैंने सुहानी की पीठ को थोड़ा और झुकाया जिससे उसकी गांड और ऊपर उठी और नीचे से फूली हुई चूत दिखने लगी।
मैंने एक हाथ से सुहानी की बायीं तरफ की कमर को पकड़ा और एक हाथ में लंड लेकर उसकी गांड के छेद पर मारने लगा। इस पर सुहानी बोली- प्लीज आर्यन, वहां नहीं यार। मैं- यहां नहीं डाल रहा! और लंड को गांड के छेद में घिसकर बोला- बस इसे अपनी एक और जगह दिखा रहा था।
फिर मैं भी अपने पैरों को मोड़ कर थोड़ा नीचे हुआ और लंड पकड़कर सुहानी के चूतरस से भीगी हुई चूत में लंड घिसने लगा जिससे लंड भी थोड़ा चिकना हो जाए। सुहानी बेचैनी में फिर बोली- आर्यन, पहले धीरे धीरे करना! मैंने सुना है कि इस स्टाइल में ज़्यादा अंदर जाता है और दर्द भी होता है तो प्लीज।
मैं ‘ठीक है बेबी’ बोलकर लंड को चूत के खुले होंठों में लगाकर थोड़ा दबाने लगा तो लंड धीरे धीरे अंदर घुसाने लगा. जिससे सुहानी हल्की आवाज़ में ऊऊऊऊ, सससस करते हुए लंड अंदर लेने लगी। मैंने जितना आसानी से लंड घुसा, उतना लंड अंदर बाहर करके धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर धीरे धीरे चोदने पर सुहानी ने मुझे रुकने को बोला और लंड को चूत में लिए हुए ही अपने हाथ ऊपर करके अपने बालों का शायद जूड़ा बनाने लगी। मैंने उसके हाथ झटककर उसे फिर झुकाया और उसके चेहरे और सिर से पूरे बालों को पीछे किया और एक हाथ से बाल पकड़े और दूसरे हाथ से कमर पकडकर सुहानी के बालों को खींचा तो सुहानी ने आईईई करते हुए चेहरा ऊपर उठाया और हंस दी। वो समझ गयी थी कि मैं यही करूँगा।
अब सुहानी भी मस्त होने लगी थी तो मैंने फिर लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और उत्तेजना में उसके बाल खींचने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे मैं घुड़सवारी कर रहा हूं।
मैंने लंड को थोड़ा ज़्यादा बाहर खींचा और एक जोरदार धक्का मारा तो सुहानी की जैसे सांस रुक गयी। उसने अपना मुंह बंद किये हुए अपनी आवाज़ दबा रखी थी। फिर वो धीरे धीरे सांस लेने लगी और अपना चेहरा पीछे की ओर किया तो मैं भी रुककर उसकी पीठ और कमर में हर जगह चूमने चाटने लगा जिससे सुहानी का दर्द कम हो और वो मज़े ले।
धीरे धीरे सुहानी को मेरा उसके कमर को चूमना अच्छा लगने लगा तो उसने मुझे करने का इशारा किया. मगर मैंने लंड फिर बाहर खींचा और फिर एक जोरदार धक्के से लंड पूरा पेल दिया। सुहानी शायद इस वार के लिए तैयार थी तो वो इसे सह गयी।
अब मैं बार बार इसी तरह करता रहा और सुहानी हर धक्के तो से जाती और मज़े लेती। फिर थोड़ी देर इस स्टाइल में छोड़ने के बाद में फिर रुक गया और खड़ा लंड चूत से निकाल लिया। यहां मैं एक बात सबको बताना चाहूंगा कि मैंने किताबों और ब्लू फिल्म्स से समझ लिया था कि सेक्स में बीच बीच में स्टाइल/पोजीशन बदलने से जल्दी स्खलन नहीं होता. तो मैं वही सुहानी के साथ भी कर रहा था। यह तरीका कारगर भी साबित हुआ। मुझे जब भी लगता कि मेरा अब निकल जाएगा, मैं स्टाइल बदल देता। हो सके तो आप कभी आजमाकर देखना।
सुहानी पर वासना अब हावी होने लगी थी, वो 1 बार झड़ चुकी थी, मगर सेक्स करते रहने से वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। सुहानी ने मुड़कर मुझे पलंग पर धकेल दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। मैं भी यही चाहता था कि अब वो मेरी सवारी करे।
उसने मुझे सीधा लेटने को बोला और अपने एक हाथ से लंड पकड़कर चूत में सेट करके उस पर बैठने लगी। मैं अपना हाथ अपने सिर के नीचे रखकर लेटा हुआ था। सुहानी लंड चूत में लिए बस हिल रही थी जिससे लंड कम रगड़ खा रहा था।
उसे तो पूरा मज़ा मिल रहा था मगर मुझे उतना मजा नहीं आ रहा था तो मैंने उससे झुकने को बोला. तो वो झुकी और उसके लटके हुए गोरे मुलायम और मक्खन जैसे बोबों को मैंने मुंह में ले लिया और निप्पल्स को ज़ोरों से चूसने लगा।
सुहानी और मचलने लगी और पहले से ज़्यादा हिलने लगी थी। कुछ देर मैंने बोबों को अच्छे से चूसा फिर सुहानी के रसीले होंठों को मुंह में लेकर स्मूच करना चालू कर दिया।
मैंने इसी बीच अपने पैर को मोड़ा और सुहानी के होंठ चूसते हुए सुहानी की चूत में तेज़ी से तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा तो सुहानी भी गांड हिला रही थी। उसकी सिसकारियां मेरी मुंह में दबी हुई थी और उसकी गर्म सासें और बदन की खुशबू और उसके चेहरे के भाव मुझे उसे चोदने में और ज़्यादा उकसा रहे थे।
इस तेज़ी से सुहानी तड़प उठी और अपना दायां हाथ नीचे ले जाकर चूत को तेज़ी से सहलाने लगी। तभी मुझे अपने लंड पर गर्माहट का अहसास हुआ, मैं समझ गया कि सुहानी झड़ गई।
झड़ने के बाद वो और उसकी चूत ढीली पड़ गयी। उसकी चूत की गर्माहट से में भी झरने के करीब पहुंच गया और धक्के तेज़ कर दिए।
मगर अब ज़्यादा मज़ा नहीं आ रहा था क्योंकि सुहानी की चूत ढीली पड़ चुकी थी. मैंने अपना लंड बाहर निकाला और सुहानी का हाथ लंड पर रखकर मुठियाने का इशारा किया तो उसने मना कर दिया और मुझे खुद ही मुठ मारकर पानी निकालने का इशारा किया। फिर मैंने तेज़ी से अपनी मुट्ठ मारनी चालू कर दी और जैसे ही मेरा वीर्य निकला तो मैंने सुहानी की नाभि और चूत के इर्द गिर्द अपना गर्म वीर्य निकाल दिया।
सुहानी की गोरी और हल्की गुलाबी चूत पे ऊपर मेरा सफेद वीर्य मुझे अच्छा लग रहा था।
अब मैं भी थककर सुहानी के बाजू में लेट गया और उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख लिया, मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया।
हम करीब आधे घंटे एक दूसरे को चूमते चाटते हुए धीमी आवाज़ में प्यार भरी बातें करने लगे.
फिर सुहानी पलंग से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी मगर अपनी पैंटी और ब्रा नहीं पहनी। और बाहर चली गयी।
मैं नंगा पलंग पर ही लेटा रहा थोड़ी देर!
फिर सुहानी आयी। उसने अपनी कमर पर तौलिया बाँधा हुआ था। उसने अपना तौलिया उतारकर मेरी तरफ फेंका और मुझे बाथरूम जाकर साफ होने को बोला।
तब मैं उठा और सुहानी के गालों और होंठ को किस किया और बाहर जाकर बाथरूम जाने लगा. मुझे बाहर सिम्मी नहीं दिखी और मैंने बाथरूम जाकर खुद तो साफ किया और फिर रूम में घुस गया। तब तक सुहानी अपनी स्कूल यूनिफार्म पहन चुकी थी और अपने बाल बना रही थी।
मैंने उससे पूछा- सिम्मी कहाँ है? तो सुहानी बोली- शायद दूसरे रूम में सो रही होगी।
फिर हम दोनों तैयार होकर बाहर निकले तो सुहानी ने दूसरे रूम का दरवाजा खटखटाया तो सिम्मी की आवाज़ आयी- अभी आती हूं। हम दोनों वहीं बैठ गए तो सिम्मी भी बाल संवारते हुए बाहर आ गयी।
फिर हम तीनों इधर उधर की बातें करने लगे और जब कोचिंग छूटने के समय हो गया तो सुहानी और मैं दोनों साथ निकले। हम दोनों ने अपनी अपनी गाड़ी निकाली। हमें वहां गार्ड भी नहीं दिखा और दोनों वहां से निकल कर थोड़ी दूर साथ चले फिर वो अपने घर के रास्ते चली गयी और मैं अपने।
तब से हमें जब भी मौका मिलता, हम अपनी प्यास और हवस मिटा देते। मैंने इसी बीच सुहानी की जमकर गांड भी मारी। मगर सिर्फ 1-2 बार, ज़्यादातर चूत ही मारी। चूत की खुजली के आगे सुहानी का बस भी नहीं चलता था और गांड में दर्द ज़्यादा होता था।
धीरे धीरे सुहानी के परिवार को उसपर शक होने लगा तो उसकी शादी लखनऊ तय कर दी। सुहानी की उम्र तब सिर्फ 22 साल थी जब उसकी शादी हुई। अब उसकी 3 साल की बेटी है। ये उसे भी नहीं पता कि उसकी बेटी का बाप मैं हूँ या उसका अपना पति। जो भी हो है तो वो सुहानी की ही।
धीरे धीरे हम दोनों पुरानी बातें भूल गए। मैं भी नहीं चाहता था कि उसकी शादीशुदा जिंदगी खराब हो और अपनी ज़िंदगी जीने लगा।
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदाई। आप सबको कैसी लगी, ज़रूर बताइयेगा।
मेरी इस कहानी के बारे में अपने विचार और अपनी भावनाएं और अपनी चाहत ज़रूर मुझे मेल करके बताइयेगा। [email protected]
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