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मेरा नाम मानुष है मैं 20 साल का हूं और हरियाणा के एक नगर में रहता हूं। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी सुमंगला और छोटी बहन वृतिका रहती है। मेरे पापा काम के कारण बाहर रहते हैं। वे साल में एक दो महीना आते हैं।
मेरी मम्मी की उम्र 41 वर्ष है, वह मस्त गदराई हुई है। वैसे तो उनकी गांड भी खूब मोटी है लेकिन लोगों की नज़र उनके तरबूज जैसे बड़े बड़े बोबों पर ही टिकी रहती है। मेरी बहन वृतिका की उम्र 18 साल है, वह भी मस्त गदराई हुई है और उसकी गांड मस्त बाहर निकली हुई है। लेगी पहनने के कारण हर आदमी मेरी बहन को देखते ही उसको घोड़ी बनाने की सोचता है।
दोस्तो, मेरी मम्मी शुरू से ही चालू थी और उसके असर से मेरी बहन भी चुदक्कड़ बन चुकी है।
बात आज से 5 साल पहले की है जब मैं और वृतिका एक दिन कॉलेज गए। उस दिन किसी नेता की मौत हो गई थी इसलिए मौन प्रार्थना करवा कर तुरंत छुट्टी कर दी। हम वापस घर लौटे मैंने देखा कि घर का दरवाजा अंदर से बंद है। लेकिन हम तो अभी अभी मम्मी को छोड़ कर गए थे।
वृतिका बोली- भैया हम पीछे की खिड़की से अंदर चल कर देखते हैं। जब हम खिड़की के पास गये तो हमें ‘आह ऊह …’ की आवाज सुनाई दी।
थोड़ा सा धकेलने पर खिड़की हल्की सी खुल गई क्योंकि अंदर से सिटकनी नहीं लगाई हुई थी।
अब हमने अंदर जो देखा; उसे देख कर हमारी आंखें फ़टी रह गई। अंदर गुलाब काका(चाचा) और मम्मी आपस में लिपटकर चुम्मा चाटी कर रहे थे। मम्मी एक हाथ से गुलाब काका का लंड पजामे के ऊपर से ही मसल रही थी। गुलाब काका उस वक्त 32 साल के हट्टे कट्टे नौजवान थे। मम्मी उनके होंठों को बुरी तरह से चूस रही थी मानो जन्म-जन्मांतर की भूखी हों।
गुलाब काका मम्मी के मोटे बोबे दबा रहे थे। मम्मी ने अब गुलाब काका की शर्ट उतार दी और उनकी चौड़े सीने पर अपनी उंगलियां फिराने लगी। उसके बाद मम्मी अपने घुटनों पर खड़ी हो गई और गुलाब काका का पजामा और अंडरवियर एक साथ उतार दी।
हाय राम … गुलाब काका का लंड करीब 7 इंच लंबा और करीब ढाई इंच मोटा था। मम्मी ने उसे हाथ में पकड़ कर कुछ देर आगे पीछे किया और फिर उसको अपने मुंह में लेकर कुल्फी की तरह चूसना शुरू कर दिया।
मेरी छोटी बहन वृतिका बोली- छी भैया, हमारी मां कितनी गंदी है ना! उसके चेहरे पर घृणा के भाव थे.
कुछ देर बाद हमारी मम्मी ने खड़ी होकर अपनी कुर्ती व घाघरा उतार दिया; वो अधनंगी हो गयी. तभी गुलाब काका ने मेरी मां को पलट कर उनकी पीठ पर हाथ लेजाकर उनकी ब्रा के हुक खोल दिए और ब्रा की पट्टियां उनके कंधे से उतार दी तो मां ऊपर से नंगी हो गई.
गुलाब काका ने कुछ देर तक उनकी गोरी नंगी पीठ को चूमा, चाटा और सहलाया. फिर काका हमारी माँ को वापस पलट कर उनका दूध पीने लगे। वे अपनी जीभ से मम्मी के नुकीले निप्पलों को चुभलाने लगे।
फिर गुलाब काका ने अपने घुटने नीचे धरती पर टिका दिए और हमारी मम्मी की पैंटी को भी अपने दोनों हाथों की उँगलियों को पैंटी में फंसा कर उतार दिया। अब मम्मी पूरी नंगी खडी थी. अपनी मम्मी की टांगों के बीच की जन्नत को मैंने पहली बार देखा था, एकदम गोरी चूत पूरा फुलाव लिए हुए।
गुलाब काका ने कुछ देर तक उस जगह को सूंघा, चूमा और फिर चाटना शुरू कर दिया। मम्मी कामुक सिसकारियां लेने लगी; उनसे अब खड़ा नहीं जा रहा था; वह वासना के वशीभूत बार-बार अपनी गांड मटका रही थी।
उन्होंने गुलाब काका के बाल खींच कर उनको अपनी टांगों में दबाना शुरू कर दिया। उनके मुंह से निकल रहा था- आह गुलाब … ओह गुलाब … तुम कितने अच्छे हो! तुम नहीं होते तो आपके भाई के भरोसे तो यहां मेरी जवानी का रस ही सूख जाता। ऊपर दाने को चूसो गुलाब, मजा आ रहा है।
अब मेरी मम्मी की सांसें अनियंत्रित होने लगी और टांगें कांपने लगी जिसके कारण खड़ा होना भी मुश्किल हो गया। मम्मी की कामवासना अपने चरम पर दिख रही थी.
गुलाब काका बोले- भाभी, आओ शुरू करते हैं, मेरे रहते हुए आप चिंता क्यों करती हो, कहो तो डबल मजा दिलवा दूं? मम्मी ने कहा- नहीं गुलाब … अभी ज्यादा लालच ठीक नहीं, फिलहाल तुम मुझे जल्दी से चोदो; नहीं तो मैं अपने जिस्म की आग से पागल हो जाऊंगी।
गुलाब काका ने मम्मी को बिस्तर पर लिटाया और खुद उनके नंगे बदन पर लेट कर उनके होंठ चूसने और बोबे दबाने लगे। मम्मी ने एक हाथ नीचे ले जाकर गुलाब काका के लंड को पकड़कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया और दूसरे हाथ से गुलाब काका के चूतड़ों पर थप्पड़ मार कर धक्का देने का इशारा किया। गुलाब काका ने अपने कूल्हे उचकाये और एक ही झटके में पूरा लंड अपनी भाभी और हमारी मम्मी की चूत में उतार दिया। मम्मी के मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… गुलाब!
हमारी मम्मी की जोर से आह निकल गई। वह बोली- उई मां गुलाब … क्या कर रहे हो तुम? भाभी हूँ तुम्हारी, प्यार से करो। गुलाब काका कुछ भी नहीं बोले और हम भी बहन की मम्मी की चुदाई करते रहे।
मम्मी कभी चचा के चूतड़ों पर थप्पड़ मार कर जोश बढ़ाती तो कभी अपनी गांड को उनकी तरफ उछालती। दस मिनट के बाद मम्मी गुलाब की गर्दन पर बुरी तरह चुम्मे लेने लगी और उनकी पीठ पर नाखून गड़ाने लगी। मम्मी अब कामतृष्णा से पागल होकर जंगली बिल्ली की तरह हरकतें कर रही थी। उन्होंने अपनी टांगों को मोड़कर गुलाब काका को कसना शुरू कर दिया और थोड़ी जोर जोर से आवाज करने लगी।
कुछ देर बाद उनका शरीर अकड़ा और वो ढीली पड़ गई। लेकिन गुलाब काका धक्के लगाए जा रहे थे।
मम्मी बोली- गुलाब रुको … एक बार अंदर ही रहने दो और मेरे ऊपर लेट जाओ, कुछ देर बाद कर लेना।
थोड़ी देर बाद मम्मी ने गुलाब काका को अपने नंगे शरीर के ऊपर से हटने को कहा और फिर वह घोड़ी बन गई। मतलब अब मामी पीछे से लंड चूत में लेकर अपनी चूत चुदाई करवाना चाह रही थी. गुलाब काका अपने के उठे हुए चूतड़ों के पीछे आये और दोनों हाथों से दोनों कूल्हे फैला कर अपना लंड बीच में टिका कर अपना लंड अपनी चुदासी भाभी की चूत में डालने लगे. चाचा का खड़ा लंड जब मेरी मम्मी की गीली गर्म चूत में गया तो मम्मी आगे को उचक गयी और उनके मुख से आनन्द से परिपूर्ण लम्बी सिसकारी निकल गयी.
और काका बकरे की सी आवाज करते हुए जैसे सांड गाय को चोदता है वैसे मम्मी को चोदने लगे।
करीब 10 मिनट के बाद उन्होंने मम्मी को दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा कर दिया और पीछे से खड़े खड़े ही मम्मी को चोदने लगे। 5 मिनट के बाद उन्होंने कहा- मेरी प्यासी भाभी, अब मैं झड़ने वाला हूँ। मम्मी बोली- 2-3 मिनट रुको, मैं भी बस झड़ ही रही हूं।
फिर मम्मी अचानक से थरथराकर कांपने लगी और नीचे बैठ गई। गुलाब काका का लंड जो अभी भी खड़ा था मम्मी की चूत से बाहर निकल आया। मम्मी ने पास पड़े सूती कपड़े से उसे पौंछा और उसके टोपे को चूसने लगी। कुछ देर बाद उसे सफेद मलाई निकली जिसे मम्मी पी गई।
थोड़ी देर तक मम्मी और गुलाब काका नंगे ही लिपट कर लेटे रहे, दोनों देवर भाभी के चेहरे पर असीम संतुष्टि के भाव दिखायी दे रहे थे.
कुछ देर के बाद गुलाब काका उठे, अपने कपड़े पहने, मम्मी के होंठों को चूमा, मम्मी की चूचियां मसली और चले गए. और साथ ही मम्मी भी उठ गयी और उन्होंने भी अपने कपड़े पहन लिए।
थोड़ी देर बाद जब मम्मी रसोई की तरफ गई तो हम बाहर के गेट से अंदर आ गए। जैसे ही मम्मी ने हम दोनों भाई बहन को देखा, एक पल के लिए तो उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी लेकिन शीघ्र ही खुद को संयत करके बोली- अरे … तुम दोनों यहाँ? कॉलेज से इतनी जल्दी कैसे आ गए? हमने जल्दी छुट्टी होने का कारण बताया और अपने कमरे में चले गए. लेखक की इमेल आईडी नहीं दी जा रही है. धन्यवाद.
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