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नमस्कार दोस्तो, कैसे हो? आपने मेरी पिछली कहानी पापा ने अपनी सगी बेटी की कुंवारी चूत चोदी पढ़ी.
मैं राना आज एक बार फिर लाया हूँ आपके लिए सच्ची कहानी … यह कहानी मेरी और मेरी माशूका स्मृति की है.
क्या गजब की सेक्सी और हॉट थी स्मृति … उसे देखते ही लंड खड़ा हो जाता था … कसी हुई चूचियां, पतली कमर, काले और लम्बे बाल, प्यारा सा मुखड़ा … फिगर एकदम मस्त था. किसी बॉलीवुड हिरोइन से कम नही थी. उसके फिगर का साईज़ 32-30-34 है.
मेरी प्रेमिका स्मृति के परिवार में उसके माँ-पापा और भाई हैं. गाँव की मस्त गोरी … हर कोई चोदना चाहता था उसे … मगर वो सिर्फ मुझसे ही प्यार करती थी.
यह बात तब की है जब हम दोनों ने पहली बार सेक्स किया था. तब से पहले हम दोनों अक्सर मिलते थे, चूमा चाटी करते थे लेकिन पूरा सेक्स कभी नहीं किया था. हम ऐसे ही चूम चाट कर अपनी अपनी संतुष्टि कर लेते थे, कपड़ों में ही झड़ जाते थे.
उस दिन उसका बर्थडे था. मैंने मिलने के लिए उसे बाज़ार बुलाया था. मैंने पहले से ही होटल का रूम बुक करा रखा था उसे उसकी जिन्दगी की पहली चुदाई का उपहार देने के लिए. सुबह के 10 बजे वो आ गयी नीली साड़ी पहनकर … उफ़ … क्या कातिल लग रही थी. आज तो सच में उसके हाथों कत्ल होने का मन हो रहा था.
इतनी हॉट एंड सेक्सी … कई बार उसे कहा कि बॉलीवुड में क्यूँ नहीं चली जाती … वो अगर किसी भी निर्देशक या अभिनेता को अपना हुस्न दिखाती तो वैसे ही अनगिनत फ़िल्में मिलती. खैर उसकी इच्छा!
पहले हमने केक काटा और फिर एक दूसरे के मुँह में केक रखकर ओठों को चूमते हुए केक खाया. फिर मैंने उसको हग किया, गोदी में उठाया और उसके होंठों को चूसने लगा. बहुत देर तक हम यह सब करते रहे, अब हमारे हाथ एक दूसरे के जिस्म को छू रहे थे, जिसकी वजह से हम दोनों धीरे धीरे जोश में आ रहे थे.
फिर मैंने लाईट को बंद कर दिया और अब मैं उसको बेड पर लेकर खुद भी उसके पास लेट गया. अब मैं उसकी गर्दन पर किस करता तो कभी होंठों पर, कभी कानों पर तो कभी गालों पर! और उधर मेरा एक हाथ उसके छोटे लेकिन बहुत मुलायम एकदम गोल गोल चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसल रहा था, ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और वो मेरे लंड को मेरे ट्राउज़र के ऊपर से ही मसल रही थी.
मैं स्मृति के साथ इतना उत्तेजित हो जाता हूँ कि मैं इस चूमा चाटी से ही झड़ जाता हूँ, आज भी मैं झड़ चुका था और वो भी एक बार झड़ चुकी थी. फिर मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोना शुरू किया और ब्लाउज को उतार दिया. मैं उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही चूमने, चूसने, दबाने लगा था और वो मेरे सर पर हाथ घुमा रही थी.
उस समय हम दोनों को एक अजीब सा नशा हो गया था और जिसमें हम दोनों बिल्कुल पागल हो चुके थे और मैं उसके बूब्स को लगातार दबाता रहा, जिसकी वजह से वो जोर ज़ोर से कराह रही थी. उसकी वो सेक्सी आवाजें मुझे और भी जोश से भर रही थी.
फिर कुछ ही देर में मैंने तुरंत उसकी ब्रा को भी उतार दिया और जब उसके वो बूब्स मेरे सामने आए तो मैं अब बिल्कुल पागल हो गया. मैं उन पर एकदम टूट पड़ा और मैं उन्हें अपने दोनों हाथों से बहुत ज़ोर से दबाता रहा. वो अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी- आऊफ्फ़ आआआहह आईईईई प्लीज थोड़ा धीरे करो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है! यह कहने लगी और चीखने चिल्लाने लगी.
अब मैंने सही मौका देखकर उसकी साड़ी भी उतार दी. अब वो पेटीकोट में थी. पेटीकोट नाभि से नीचे बंधा था. उसकी गहरी नाभि मानो जैसे घायल कर रही हो. फिर मैंने धीरे धीरे उसका पेटीकोट हटाकर उसे नीचे से भी पूरी नंगी कर दिया और उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
हम दोनों नंगे थे. मैंने पहले बहुत सारी ब्लूफिल्म देख रखी थी तो मैं उसी तरह से रज़ाई के नीचे जाकर अब उसकी कुंवारी चूत को चाटने लगा. दोस्तो, उसकी अजीब सी महक और एक अजीब सा स्वाद था, लेकिन मैं जोश में आकर लगातार चूसता रहा. हल्के हल्के बाल और टाइट चूत … ऐसी चूत तो लाखों-करोड़ों में भी नहीं मिलती. क्या गजब का आकर्षण था उसकी चूत में … 80 साल के बुड्डे का लंड भी कड़क हो जाय.
मैं स्मृति की चूत कुत्ते की तरह चाटे जा रहा था. तभी मैंने महसूस किया कि वो मेरे कुछ देर चाटने के बाद झड़ चुकी थी और अब उसने अपना सारा गर्म पानी मेरे मुँह पर डाल दिया लेकिन फिर भी मैं उसकी चूत को लगातार चाटता रहा और उसने अपनी गोरी गोरी जांघों के अंदर मेरा सर दबा दिया और फिर आगे पीछे होने लगी.
अब मैंने उसकी चूत के अंदर अपनी एक उंगली को डाल दिया तो उसकी वजह से उसको हल्का सा दर्द हुआ और मैं पांच मिनट तक अपनी एक ही उंगली को डालता रहा. वो आहह उउहह ओफ़फ्फ़ और तेज तेज साँसें लेने लगी.
फिर मैं उठा और उसे स्मूच करने लगा. अब मैंने उससे कहा- तुम भी अब मेरे लंड को चूसो! तो स्मृति अब मेरा लंड चूसने लगी, मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था लेकिन मैं भी उसके चूसने के थोड़ी ही देर बाद उसके मुँह में झड़ गया और थककर उसके ऊपर लेटकर उसके बूब्स को चूसने लगा, उसकी चूत में उंगली करने लगा. वो भी मेरे साथ पूरा पूरा मजा ले रही थी, वो भी मेरे लंड पर अपने एक हाथ से सहला रही थी.
फिर कुछ देर तक यह सब करने के बाद हम एक बार फिर से तैयार हुए. मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा और उससे कहा- तुम मेरा लंड अपनी चूत के मुँह पर लगाओ. उसने तुरंत ऐसा ही किया, मैंने हल्का सा धक्का दे दिया लेकिन मेरा लंड अंदर नहीं गया क्योंकि स्मृति की चूत अब तक एक बार भी नहीं चुदी थी.
और चार पाँच ज़ोर से ज़ोर धक्के लगाने के बाद अंदर चला गया और वो भी आधा … लेकिन मेरी तरह उसे भी अब बहुत दर्द हो रहा था, क्योंकि स्मृति की चूत बहुत टाइट थी और अब वो दर्द से एकदम तड़प उठी, मचलने लगी चीखने चिल्लाने लगी और मुझसे बार बार अपनी चूत से लंड को बाहर निकालने को कह रही थी. उसने मुझे धक्का देकर और अपने ऊपर से हटाने की बहुत बार कोशिश की लेकिन मैंने उसको नहीं छोड़ा और मैं उसको बहुत कसकर पकड़े रहा और उसे धीरे धीरे चोदता रहा.
अब वो बहुत ज़ोर से रोने लगी और मुझसे कहने लगी- प्लीज अब इसे बाहर निकाल लो, उह्ह आह्ह्ह मैं इस दर्द से मर जाऊँगी प्लीज. मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और मैंने उसको स्मूच करते हुए एक ज़ोर का धक्का मारा दिया, जिसकी वजह से मेरा 6 इंच लंबा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत के अंदर चला गया और वो उस दर्द से छटपटाने लगी, बिन पानी की मछली की तरफ तड़पने लगी.
मैंने उसे पूरी तरह से अपनी बांहों में बंद कर रखा था. फिर कुछ देर बाद वो थोड़ा सा शांत हो गई और मैं उसे धीरे धीरे धक्के देकर चोदने लगा. कुछ देर बाद उसे भी मेरे साथ साथ अपनी चुदाई का मजा आ रहा था और उस पूरे रूम में चुदाई की आवाजें और महक फैल रही थी.
मेरे आंड जब उसकी चूत के होंठ पर लगते तो पुकच्छ पूउक्छ की आवाज़ आती. अब वो मेरी कमर पर अपने दोनों हाथ रखकर खुद भी आगे पीछे होने लगी और आहह औहह ओफ ओ ऊह्हह ऐसी आवाज़ निकाल रही थी. स्मृति कहने लगी- ह्ह्ह मेरे राना, फाड़ दो आज अपनी स्मृति की कुंवारी चूत … मसल दो मुझे अपने लंड से … आज पूरा निचोड़ दो मुझे … जी भर कर चोदो मुझे … मेरी फुद्दी के चीथड़े उड़ा दो.
फिर मैं स्मृति को एक टांग उठा के चोदने लगा. कुछ देर स्मृति को ऐसे चोदता रहा. फिर मैंने उसे कुतिया बना कर भी चोदा.
उस दिन मैंने स्मृति को अलग अलग आसन में चोद कर चुदाई का पूरा मजा दिया. चोदते चोदते मेरे लंड का माल स्मृति की चूत के अंदर ही झड़ गया. कुछ देर तक हम दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर लेटे रहे.
कुछ देर बाद स्मृति ने मेरे मुरझाये लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया. चूसते चूसते उसने मेरा लंड फिर से खड़ा कर दिया … एक बार फिर मैंने स्मृति की जमकर चुदाई की. उसके बाद हम बाथरूम गये मैंने स्मृति की चूत के बाल भी बनाये. एक बार फिर मैंने उसे बाथरूम में चोदा. स्मृति कहने लगी- आज ही मुझे अपने बच्चे की माँ बना दोगे क्या?
दोस्तो, अपने पहले सेक्स की कहानी को ज्यादा लम्बा ना करते हुए मैं अब आपसे आज्ञा लेना चाहता हूँ. बहुत जल्दी अगली कहानी लेकर आऊंगा. आपको यह कहानी कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करना. मेरी मेल आईडी है [email protected]
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