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मेरी सेक्सी कहानी के पहले भाग खूबसूरत पड़ोसन और उसकी बहू की चुदाई-1 में आपने पढ़ा कि कैसे हमारी नयी पड़ोसन ने मेरी बीवी को अपनी वासना के बारे में बताया और मैंने मौक़ा ताड़ कर उसे पटा कर चोद दिया. अब आगे:
बेबी के रूप में मेरे हाथ अलादीन का चिराग लग गया था. किसी भी समय, किसी भी स्थान पर, किसी भी आसन में बेबी मजे से चुदवाती थी.
एक दिन शाम के पाँच बजे थे, मैंने फोन किया- कहाँ हो बेबी? “घर पर हूँ, आज मूड कुछ ठीक नहीं है. बहू भी सुबह अपने मायके गई है, कल लौटेगी.” “मूड हो तो आ जाऊं?” “मूड तो नहीं है लेकिन तुम आ जाओगे तो बन जायेगा.” “अभी दस मिनट में आता हूँ.”
इतना कहकर मैं बाथरूम गया, फ्रेश हुआ और बेबी की डोरबेल बजा दी. बेबी ने दरवाजा खोला, हल्के से मुस्कुराई, मैं अन्दर हो गया. उसने दरवाजा बंद किया और हम लोग बेडरूम में आ गये.
वो बेड पर लेट गई और मैं उसके बगल में. मैंने पूछा- क्या बात है? “कुछ नहीं, बस ऐसे ही.” “ये तो कोई बात न हुई?” “कुछ नहीं, मैं यह सोच रही थी कि जब जवानी थी तो भगवान ने पति छीन लिया और अब बुढ़ापे में ऐसा शेर दे दिया है कि जान निकाल लेता है.”
बेबी बोली- दूसरी बात मैं यह सोचती हूँ कि क्या गिन्नी की किस्मत भी मेरी जैसी है? “क्यों? अब गिन्नी को क्या हो गया?”
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उस बेचारी का हाल भी मेरे जैसा ही दिखता है. मेरी जब शादी हुई तो मेरी उम्र 18 साल थी. सुहागरात को ही मेरे सारे सपने टूट गये. रात बारह बजे ये कमरे में आये, दारू पिये हुए थे, मेरे बगल में लेट गये और मेरी चूचियां मसलने लगे. फिर उठे और मुझे पूरी नंगी कर दिया. मैंने नजाकत में मना करना चाहा तो डांट दिया. उसके बाद खुद नंगे होकर मेरे ऊपर चढ़ गये. मैंने अपनी दोनों टांगें सटा लीं ताकि कुछ तो प्यार तकरार हो. इन्होंने अपना लण्ड मेरी टांगों के बीच डाल दिया और धक्के मारने लगे, तुरन्त ही डिस्चार्ज कर दिया, अपने कपड़े पहने और सो गये. मैं उठी, अपनी टांगें साफ कीं, चादर साफ की, कपड़े पहने और अपनी किस्मत को कोसते हुए लेट गई. इसी तरह से दिन गुजरते गये. कभी दो चार दिन में एक बार टांगों को या झांटों को चोद कर सो जाते.
धीरे धीरे शादी को एक साल, फिर दो साल और तीन साल निकल गये. सास ने बच्चा न होने के उलाहने और छोड़कर दूसरी लाने की धमकी देना शुरू कर दिया था. मेरे मायके वाले बहुत गरीब थे, वहां वापस जाकर मैं उन्हें तकलीफ नहीं देना चाहती थी और सास के सामने उनके बेटे की हकीकत बयां करना भी समस्या का हल नहीं था.
ऐसे में कई दिन सोचने के बाद मैंने एक कठिन फैसला लिया कि मैं बच्चा पैदा करुंगी. लेकिन उसके लिए एक मर्द की जरूरत थी. इधर उधर सोचने के बाद मेरी नजर पापा जी (मेरे ससुर जी) के दोस्त चोपडा अंकल पर पड़ी. चोपड़ा अंकल पापा जी के दोस्त थे, दोनों एक साथ सुबह की सैर पर जाते थे और वापस लौट कर हमारे यहाँ चाय पीते थे. उनकी रेडीमेड कपड़ों और हौज़री की दुकान थी.
उनको मैंने अपना टारगेट इसलिये बनाया था क्योंकि मैं बहुत दिन से देख रही थी कि उनकी कामुक निगाहें हर पल मेरा पीछा करती हैं.
अगले दिन जब पापा जी और चोपड़ा अंकल सैर से लौटे तो पापा जी बाथरूम चले गए. अंकल अकेले बैठे थे, मैंने पूछा- अंकल आपकी दुकान में ब्रा भी बिकती है? “हाँ, खूब बिकती हैं. तुझे चाहिए क्या?” “हाँ अंकल, दो ला दीजियेगा.” “तुम्हारा साइज क्या है?” “साइज तो याद नहीं है, आप ऐसे अन्दाज़ से ला दीजिये.”
इतना कहकर मैंने अपना दुपट्टा सीने से हटाकर अंकल को दिखा दिया. अंकल सन्न रह गये.
अब पापा जी आ गये और बोले- अभी चाय नहीं आई? “अभी लाई.” कहकर मैं चली गई.
चाय पीने के बाद जब अंकल जाने लगे तो मैंने धीरे से कह दिया- अंकल सण्डे को सब लोग गुरुद्वारे जाते हैं. सुबह नौ से बारह बजे तक मैं अकेली होती हूँ, उस बीच दे दीजियेगा.
इतवार का दिन सुबह पौने नौ बजे के आसपास सब लोग गुरुद्वारे चले गये. उनके जाने के पाँच मिनट बाद ही अंकल आ गये. मेरे हाथ में पैकेट देते हुए बोले, इसमें 36 और 38 साइज की एक एक है. तुम साइज चेक लेना, उसी साइज की ला दूंगा.
मैंने पैकेट लिया और बेडरूम में आ गई, अंकल ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गये थे.
मैंने अपना कुर्ता उतारा, फिर अपनी ब्रा निकाल दी. मुझे मालूम था कि मेरा साइज 38 है फिर भी मैंने 36 साइज का बॉक्स खोला, ब्रा निकाल कर पहन ली. बेडरूम के दरवाजे की तरफ मेरी पीठ थी. ब्रा पहनकर मैं हुक बंद करने लगी. छोटा साइज होने के कारण हुक बन्द नहीं हुआ तो मैंने उतार दी और 38 साइज पहना. मुझे अहसास हो चुका था कि अंकल दरवाजे तक आ चुके हैं फिर भी मैं अनजान बनी रही.
जब ब्रा के हुक बन्द किये तो अंकल बोले- ये साइज ठीक है. मैंने पलट कर देखा और शरमाते हुए दुपट्टा अपने सीने पर डाल लिया.
अंकल अन्दर आ गये और मेरा दुपट्टा हटाकर बोले- यह साइज ठीक है, सामने से भी ठीक है. इतना कहकर अंकल ने मुझे बांहों में लेकर पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया. मैंने कहा- ये क्या कर रहे हैं अंकल? “कुछ नहीं, साइज चेक करने के लिए ऑर्डिनरी क्वालिटी लाया था, अब इसी साइज में अच्छी क्वालिटी ला दूंगा.”
मैंने दुपट्टा फिर ओढ़ लिया था. झीने दुपट्टे में से चूचियां झांक रही थीं. अंकल ने मेरा दुपट्टा हटाया और चूची पकड़ते हुए बोले- तेरे कबूतर बड़े सुन्दर हैं. “बस करो, अंकल बस करो.” “सिर्फ एक बार चूस लेने दे, फिर चला जाऊंगा.”
और अंकल ने चूची चूसना शुरू कर दिया. चूची चूसते चसते अंकल मेरी चूत पर हाथ फेरने लगे. मैंने जानबूझकर पैन्टी नहीं पहनी थी. अंकल ने सलवार का नाड़ा खोला तो सलवार उतर गई और अंकल नंगी चूत को सहलाने लगे. “अंकल, बस. अब आप जाइये. बस करिये प्लीज़.” “अच्छा एक बार अपनी चूत देख लेने दे.” कहकर अंकल ने मुझे बेड पर लिटा दिया और चूत सहलाने लगे.
अब अंकल उठे और अपना कुर्ता पायजामा उतार दिया. अंकल बनियान और पटरेदार जांघिया पहने थे. ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी उठाकर बेड पर आ गये. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं लेकिन कनखियों से सब देख रही थी.
अंकल ने अपना जांघिया उतारा, हथेली में तेल लेकर अपने लण्ड पर मला और मेरी टांगों के बीच आ गये. मेरी चूत के लब खोलकर अंकल ने अपने लण्ड का सुपारा रख दिया. इतना गर्म और चिकना सुपारा चूत को कसमसा रहा था. अंकल ने मेरी कमर पकड़ी और धक्का मारकर पूरा लण्ड पेल दिया. लण्ड पेलते ही अंकल चालू हो गये और मेरी चूत का भुर्ता बना दिया.
अब हर इतवार यही होने लगा.
जब मैं गर्भवती हो गई तो अंकल ने आना बंद कर दिया. मैंने अपनी इच्छा पूरी करने के लिए अपने पति को चोदना सिखाया. मैं उसका लण्ड चूसकर खड़ा करती, चूत के मुहाने पर रखती और चुदवाती.
अब बेबी वर्तमान में आयी और बोली- मुझे लगता है कि हैप्पी का हाल भी इनके जैसा ही है. दारू पीकर आ जाता है और बहू गिन्नी की बातों से ऐसा लगता है कि ठीक से करता नहीं है. अगर तुम मदद करो तो गिन्नी की गोद भर जाये.
बेबी की बहु भी सेक्सी दिखती है, मैंने कहा- गिन्नी से कहो कि आगे बढ़कर पहल करे तभी कहानी आगे बढ़ेगी. बेबी हैरान होकर बोली- मैं कैसे कहूँ? मैंने कहा- अपनी कहानी अपनी किसी सहेली की कहानी बताकर उसको आइडिया दो और घुमा फिरा कर मेरा नाम सजेस्ट कर दो.
बेबी ने गिन्नी को समझाया और गिन्नी उस दिन से मेरे इर्दगिर्द मंडराने लगी. बेहद खूबसूरत गिन्नी कैटरीना कैफ की कॉपी थी. अक्सर हमारे घर आने लगी, मुझसे बातें भी करती और लटके झटके भी दिखाती.
एक दिन बातों बातों में बात निकली कि गिन्नी कार चलाना सीखना चाहती है लेकिन हैप्पी सिखाता नहीं. कहता है कि मोटर ट्रेनिंग स्कूल से सीख लो. गिन्नी ने कहा- किसी अपरिचित से कैसे सीख लूँ? मैंने कहा- मैं सिखा दूँ? तो बोली- इससे अच्छा और क्या हो सकता है? तय हो गया कि सुबह छह बजे चला करेंगे.
अगले दिन सुबह छह बजे हम लोग निकले. हमारे घर से आठ दस किलोमीटर दूर एक नया इण्डस्ट्रियल एरिया डेवलप हुआ था, चौड़ी चौड़ी नई सड़कें और दूर दूर तक कोई आदमी नहीं. गाड़ी में बैठते ही स्टीरियो में रोमांटिक गाने बजने लगे. हल्के गुलाबी रंग का चिकन सूट पहने गिन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी. मैं उसको क्लच, ब्रेक, एक्सीलेटर के बारे में समझा रहा था.
थोड़ी देर में ही हम उस सुनसान जगह पर पहुंच गये. मैंने गाड़ी रोकी और गिन्नी से ड्राइविंग सीट पर आने को कहा. गिन्नी अपनी सीट से उतर कर ड्राइविंग सीट पर आई तो मैंने सीट थोड़ा सा पीछे खिसकाई और अपनी टांगें फैलाकर बीच में उसको बैठा लिया. स्टेयरिंग उसको पकड़ा कर गाड़ी स्टार्ट की और धीरे धीरे चल पड़ी. क्लच, ब्रेक सब मैं कन्ट्रोल कर रहा था.
मेरा लण्ड टनटना रहा था. गिन्नी ने अपने चूतड़ हिलाते हुए कहा- कुछ चुभ रहा है. मैंने उसको एक पल के लिए उठाया और लण्ड को उसके चूतड़ों के बीच सेट करके बैठा लिया. करीब एक घंटे तक उसे गाड़ी चलाना सिखाया और हम घर वापस आ गये.
अगले दिन सुबह फिर चल पड़े. आज गिन्नी ने लाल रंग का टॉप और प्रिन्टेड लॉंग मिडी पहनी थी, कहर ढा रही थी. वहां पहुंच कर गिन्नी ड्राइविंग सीट पर आ गई और कार चल पड़ी. थोड़ी देर बाद बोली- फिर चुभ रहा है. मैंने कहा- कुछ नहीं चुभ रहा यार. ये जो इतने बड़े घेर की मिडी पहने हो यही डिस्टर्ब कर रही है. एक मिनट खड़ी हो.
वह खड़ी हुई, मैंने उसकी मिडी कमर तक उठाई और उसको गोद में बैठा लिया. वह पैन्टी नहीं पहने थी. उसकी चूत और मेरे लण्ड के बीच सिर्फ मेरा लोअर था. चूतड़ हिला डुला कर उसने लण्ड सेन्टर में सेट कर लिया और बोली- चलिये. मैंने कहा- चलते हैं, बस एक सेकेंड उठो.
वह उठी और मैंने अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल लिया और उसको बिठा लिया. लण्ड का सुपारा उसकी चूत के पास था. वह हाथ फेरने लगी तो मैंने कहा- एक बार फिर उठो, प्लीज. वह उठी, मैंने उसकी कमर से पकड़कर उसको घुमाया और उसका चेहरा अपनी तरफ कर लिया. अपनी मिडी ऊपर उठाकर वह पैरों के बल मेरी सीट पर बैठ गई.
अब उसकी चूत मेरे लण्ड के सामने थी. उसकी चूत के लबों को खोलकर उसको अपने लण्ड के सुपारे पर बैठा लिया. गिन्नी का टॉप ऊपर उठाकर मैं उसकी चूचियों से खेलने लगा और वो मेरे लण्ड पर दबाव बढ़ाने लगी और लण्ड का सुपारा पक्क से चूत के अन्दर हो गया. ‘ऊई मां …’ कहकर चिल्लाई तो मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और कंधों से पकड़ कर नीचे दबाया तो पूरा लण्ड गुफा के अन्दर हो गया.
मेरे कहने पर वह उचकने लगी. थोड़ी देर में पिचकारी छूटी और गिन्नी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव आ गये.
इसके बाद हम लोग लौट आये और जब जब मौका मिला, चुदाई करते रहे. अब गिन्नी गर्भवती है और मुझसे दूर है लेकिन मुझे कोई दिक्कत नहीं क्योंकि बेबी तो है. मेरी सेक्सी कहानी आपको कैसी लगी? कमेंट्स करें! [email protected]
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