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हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम परवेज़ आलम (बदला हुआ) है. मैं मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. ये स्टोरी पूर्णतया सत्य घटना है. कहानी में नाम आदि प्राइवेसी के चलते बदल दिए हैं.
मैंने अपनी बारहवीं की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर में एडमिशन ले लिया. यह लगभग 2011 के समय की बात है. जयपुर पहुंचने के बाद मैंने वहां एक कमरा किराए पर लिया. उसमें मैं और मेरा दोस्त हम दो लोग रहने लगे. इधर हमारी पढ़ाई भी ठीक-ठाक चलने लगी.
हमारे मकान में अन्दर एक किराएदार अंकल और आंटी भी रहते थे. उनकी वैसे तो 5 बच्चे थे, पर उनकी एक लड़की, जो लगभग 18 साल की गदराये शरीर की मालकिन थी, वो बहुत मस्त माल थी. वो ज्यादातर अपने दादा के यहां गांव में ही रहती थी. लेकिन बीच बीच में वहां आती रहती थी. उससे कभी ज्यादा बात नहीं हुई थी, पर 2013 में वो अब हमारे मकान में ही रहने लगी थी.
उस मस्त फिगर वाली गदराई हुई लड़की का नाम परवीन था, शुरू शुरू में तो उससे ज्यादा बात नहीं हुई, क्योंकि वो बहुत शर्मीली थी. लेकिन जैसे जैसे वक़्त आगे बढ़ता गया, उससे बातें होने लगीं और हंसी मजाक चलने लगा.
फिर 2013 के अंत में एक बार हम दोनों सक्रेबल गेम खेल रहे थे तो मैंने अक्षर लेकर उसे ‘आई लव यू …’ लिखकर दे दिया. उसने मेरी तरफ देखा और कहा- मैं सोच कर बताऊंगी.
उसने सोचना क्या था, वो तो पटी हुई ही दिख रही थी. अगले दिन इस शर्त पर हां कर दी कि मैं ये बात अपने दोस्त को न बताऊं.
अब जब भी वक़्त मिलता, तो मैं उसे बहला फुसलाकर अपने पास बैठा लिया करता और उसके गाल पर किस कर लेता, वो भी जवाब देने लगी थी.
फिर एक बार मैंने उससे कहा कि वो रात को 10 बजे के बाद मेरे कमरे में आ जाए, जब सब सो जाएं.
ये सर्दियों के दिन थे. जैसे ही वो आयी, मैं उसके साथ अपनी रजाई में चला गया.
कमरे में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था लेकिन बाहर उसके मम्मी डैडी थे तो उनके उठने का डर था. इसलिए उस दिन 15-20 मिनट उसे अपनी रजाई में रखकर उसके किस करता रहा. साथ ही मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया. पहली बार में तो उसने हाथ हटा लिया, लेकिन दुबारा रखा, तो उसने लंड पकड़ लिया और मसलने लगी.
मैंने भी उसके चुचियां खूब मसलीं, वो आहें भरने लगी थी. लेकिन उसके बाद वो चली गयी.
इस तरह हमारा मिलना और एक दूसरे को किस करना चलता रहा.
साथियो, आपके लौड़े खड़े हो रहे होंगे और आप सोच रहे होंगे कि वो लौंडिया कैसी दिखती होगी. सॉरी मैं आपको उसकी फिगर बताना भूल गया था. उसकी फिगर 34-28-36 की थी. वो बड़ी ही कंटीली छमिया लगती थी. जब वो चलती थी तो उसकी गांड इतनी जबरदस्त मटकती थी कि लंड आन्दोलन करने लगता था.
एक दिन अपने कमरे के बाथरूम में मैंने उसे पकड़ लिया. उसे किस करने लगा और उसके चूचों से होते हुए नीचे को आ गया. मैंने उसकी कैप्री को नीचे खिसकाकर उसकी चूत से मुँह लगा दिया. उसकी चूत पर मेरा मुँह क्या लगा, वो तड़पने लगी. मैंने उसको तब तक चूसा, जब कि वो झड़ नहीं गयी.
वो झड़ने के बाद चली गयी लेकिन अब वो मुझसे चुदने के लिए बिल्कुल तैयार थी.
अब परवीन का और मेरा लगभग रोज़ का काम हो गया था. हम दोनों एक दूसरे को किस करते और मैं उसके मम्मे दबा देता था. वो मेरा लंड सहला देती.
एक दिन परवीन अकेली छत ओर सो रही थी, तब मैं छत पर गया. वहां वो सोई थी. मैंने देखा कि परवीन सोती हुई कितनी मासूम लग रही थी. उसकी कैप्री ढीली थी, जो उसकी आधी टांगों तक ऊपर उठ चुकी थी. उसकी मखमली टांगें देखकर तो मेरा लंड खड़ा होने लगा था. ऊपर बढ़ते हुए मैंने उसकी चूत पर देखा, तो उसकी बिना चुदी चूत हल्की झीनी सी कैप्री में फूली हुई नजर आ रही थी. मेरा दिल तो कर रहा था कि अभी मुँह लगाकर चूत चूसने लगूँ.
फिर मैंने ऊपर नज़रें उठाईं, तो उसके पेट पर उसकी नाभि तक उसकी शर्ट उठी हुई थी. चांदनी रात में उसकी नाभि चमक रही थी.
मैं परवीन के पास बैठ गया और उसके होंठों को मुँह में भरकर किस करने लगा. मेरे किस करते ही उसकी आंख खुल गयी. पहले तो वो हड़बड़ाई, लेकिन जब उसे पता चला कि मैं हूँ. तो उसने मुझे कसकर बांहों में जकड़ लिया और मुझे किस करने लगी.
कुछ ही पलों में वो मेरे होंठों को बहुत बुरी तरह चूसने लगी थी.
मैं उसके होंठ छोड़कर उसकी शर्ट ऊपर करके उसकी चूची चूसने लगा, वो अब वासना में जलने लगी थी और मेरा लंड पकड़कर मसलने लगी थी. इसके बाद मैं उसकी नाभि में जीभ घुसा कर चाटने लगा, जिससे वो और भी ज्यादा उछलने लगी.
मैंने हाथ से उसकी चूत सहला कर देखी तो वो कैप्री के ऊपर से ही गीली नज़र आई. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. मैं उसकी कैप्री को हल्का सा नीचे करके परवीन की अनचुदी चूत पर अपनी जीभ से हल्का सा चुभलाने लगा. परवीन तड़पने लगी थी. उसकी वासना बढ़ती जा रही थी. मैं अपनी जीभ से परवीन की चूत को चूस रहा था.
वो ‘आह उफ्फ ओह्ह …’ की आवाजें निकाल रही थी.
लगभग 10 मिनट चूसने के बाद उसने अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया और परवीन की चूत से उसके रज का फव्वारा छूट गया. जब तक वो पूरी तरह से खाली नहीं हो गयी, मैंने चूसना जारी रखा.
अब वो निढाल हो चुकी थी.
इसके बाद मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया, वो लंड सहलाने लगी. अभी एक ही मिनट हुआ था कि छत के दरवाजे के खुलने की आवाज़ आयी. वो एकदम से अपनी कैप्री ऊपर करके चादर ओढ़ कर सो गई. मैं तेजी से जाकर छत की रेलिंग के पास उससे दूर खड़ा हो गया. छत पर उसकी मम्मी आई थीं.
उसकी मम्मी ने मुझे छत की रेलिंग से लग कर खड़ा देखा तो पूछने लगीं.
मैंने कह दिया कि आंटी नींद नहीं आ रही थी, तो यहां खड़ा होकर दोस्तों से फ़ोन पर बात कर रहा हूँ.
वो नीचे चली गईं और मैंने भी उनके साथ ही नीचे आकर बाथरूम में मुठ मारी और अपने कमरे में जाकर सो गया.
इसके लगभग आठ दिन बाद परवीन की मम्मी ने मुझसे नींद की दवा लाने के लिए कहा. मुझे समझ आ गया कि अंकल आंटी को नींद की गोली लेकर सोने की आदत है. मैंने उन्हें और अंकल दोनों को नींद की गोली खिला दी. अब मैं उन दोनों के जागने की तरफ से बेफिक्र हो गया था.
रात को लगभग एक बजे मैं परवीन को अपने कमरे में उठा लाया. उसके बाद मैंने उसे ऊपर से नीचे तक चूमते हुए उसके पूरे कपड़े उतार दिए. उसने ब्रा पेंटी पहनी नहीं थी.
अब मैं उसकी मस्त चूचियों का रस पीने लगा, जिससे परवीन भी मस्त होकर आहें भरने लगी थी. उसके बाद मैंने अपने भी टी-शर्ट और कैप्री उतार दिए. मैं सिर्फ अंडरवियर में रह गया और मैंने अपना 6 इंच का खड़ा हुआ लंड परवीन के हाथ में दे दिया. वो मेरे खड़े लंड को मसलने लगी.
इसके बाद मैंने परवीन की चूचियों को छोड़कर उसकी मस्त सीलपैक चूत को चूसना चालू किया. लगभग 5 मिनट चूत चूसने के बाद उसने पानी छोड़ दिया. अब मैंने परवीन का मुँह अपने खड़े लंड की तरफ किया, तो उसने थोड़ी नानुकुर के बाद मान लिया. वो मेरा 6 इंच लम्बा लंड अपने रसीले होंठों से चूसने लगी. मैं भी काफी दिन से नहीं झड़ा था, तो जल्दी ही मेरा पानी भी निकल गया. जिसे उसने एक तरफ को डस्टबिन में थूक दिया.
अब मैं उसको अपने बिस्तर में खुद से चिपका कर लेट गया और उसके बदन पर हाथ फिराने लगा. अंकल आंटी को नींद की गोली दी थी, तो आज कोई डर नहीं था.
थोड़ी ही देर में वो फिर से गर्म होने लगी और मेरे सोए हुए लंड को हाथ में लेकर मसलने लगी. थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से सलामी देने लगा. परवीन की चूत में भी आग लगी हुई थी और मैं भी मौका खोना नहीं चाहता था.
मैंने परवीन की मस्त गदराई गांड को ऊपर उठाकर उसके नीचे तकिया लगाया और अपने लंड पर कंडोम लगा लिया, मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था.
अब मैंने उसकी दोनों टांगें उठाकर अपने कंधों पर रखी और अपना खड़ा 6 इंच का लंड परवीन की सील पैक चूत पर रगड़ने लगा. परवीन मजे में आहें भरने लगी थी. इसके बाद जैसे मैंने देखा कि परवीन अब मेरा लंड लेने के लिए तैयार है, तो मैंने हल्के से उसकी चूत में अपना लंड लगभग 2 इंच अन्दर डाल दिया. उसे थोड़ा दर्द हुआ, पर मैं वहीं एक जगह रुककर उसकी चुचियों को पीने लगा, जिससे उसका दर्द कम हो गया.
फिर मैं हल्के हल्के से लंड को चूत में अन्दर बाहर करने लगा था. परवीन भी मजे में आ चुकी थी. वो बोल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
तभी मैंने परवीन को कंधों से पकड़कर कस लिया और एक जोरदार धक्का दे मारा. यदि मैंने अपने होंठ से उसका मुँह बंद नहीं किया होता, तो उसकी चीख बहुत दूर तक जाती.
वो दर्द से तड़पने लगी थी, पर मैं ठहरा मेडिकल स्टूडेंट, मुझे सब पता था कि पांच मिनट में यही लौंडिया गांड उठाकर चुदने लगेगी.
थोड़ी देर उसका तड़पना भूलकर मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा और उसे सहलाने लगा. जैसे ही उसका कुछ दर्द कम हुआ, मैंने लंड हल्का हल्का अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. वो दर्द से तड़पने लगी और कराहने लगी.
थोड़ी देर में उसे मज़ा आने लगा और वो आह आह की आवाज़ निकाल कर सिसकारियां भरने लगी. अब मैं उसे तेज़ी से लंड अन्दर बाहर करके चोदने लगा था और वो भी पूरा साथ दे रही थी.
लगभग 5 मिनट की जबरदस्त धकापेल चुदाई के बाद वो झड़ गयी, तो मैंने पोजीशन बदल ली.
उसको मैंने घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत में पूरा लंड एक बार में ही डाल दिया. उसकी फिर से हल्की सी चीख निकल गयी ‘आहहहह उफ्फ्फ..’ पर उसकी ये चीख दर्द की नहीं थी, ये चुदाई के मजे की चीख थी.
फिर इसी पोजीशन में मैंने परवीन को 10 मिनट चोदा और मैं भी कंडोम में ही लंड उसकी चूत के अन्दर डाले डाले झड़ गया.
मैंने कंडोम निकाल कर फेंक दिया और परवीन से चिपककर लेट गया.
थोड़ी देर में ही परवीन मेरे लंड को फिर से सहलाने लगी. मैं उसके सहलाने दिया और वो मेरे लंड को यूँ ही पांच मिनट तक सहलाती रही. उसके बाद मैंने उसे 69 की पोजीशन में ले लिया. परवीन मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत को चाट रहा था. चूत को चाटने से पहले मैंने चूत को साफ किया, फिर हल्के हल्के सहलाने लगा. परवीन मेरे लंड पर अपने होंठों को घुमा रही थी, तो मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा. अब वो मेरे लंड और अपने हाथों को हल्के हल्के लगाने लगी थी.. जिससे मेरी वासना और ज्यादा बढ़ रही थी.
परवीन मेरे लंड को अपने दांतों से एक बच्चे की तरह हल्का हल्का काटने लगी थी और मुझे जन्नत का मजा करा रही थी. मैंने भी अब परवीन की चूत को सहलाना छोड़ दिया. मैं उसकी चूत को अपने होंठों में भरकर चूसने लगा. परवीन मजे में आह आह करने लगी.
लगभग 5 मिनट की चूत चुसाई के बाद परवीन का सब्र जवाब दे गया और अपनी चूत मेरे मुँह से उठाकर मेरे लंड पर बैठ गयी. उसने मेरा पूरा लंड कराहते हुए अपनी चूत में ले लिया और मेरे ऊपर खुद घुड़सवारी करते हुए ऊपर नीचे धक्के लगाने लगी.
लगभग 5 मिनट में ही उसके धक्के तेज़ हो गए और परवीन कराहते हुए झड़ गयी. झड़ने के बाद परवीन थककर नीचे लेट गयी. मैं उसके बाद उसके ऊपर आ कर उसे चोदने लगा. वो मस्त आवाजें निकाल रही थी.
परवीन- आहह आह उफ्फ उफ्फ.. तुम पहले से कहां थे.. आह ऐसे ही मुझे चोदते रहो.. आह मम्मीई.. और तेज़ज़्ज़.. आह.. मैं- हां परवीन डार्लिंग ये ले.. लंड खा.. और ऐसे ही चुदते रहना मुझसे.. आह ये ले और ले..
मैं परवीन की चूत में धक्के पर धक्का मारता रहा और और परवीन ‘आहह अऊह ह्म्म्म आऊर्रर जजोरर से.. आह मजा आ रहा है..’ कहती रही और चुदती रही. पूरे कमरे में हमारी चुदाई की फचफच की आवाजें आ रही थीं.
लगभग 10 मिनट इसी तरह की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए. मैं झड़ कर परवीन के ऊपर ही ऐसे ही पसर गया. उसकी चूत में मेरा बिना कंडोम का लंड था और मेरा पानी उसकी चूत में भर गया था. मेरा लंड सिकुड़ कर बाहर आने लगा, तो परवीन की कली से फूल बन चुकी चूत से मेरा और परवीन का रज और वीर्य निकल रहा था.
मैंने परवीन को अपनी बांहों में भर लिया और हम नींद के आगोश में चले गए.
उसके बाद मेरी आँख खुली, तो परवीन के बदन की गर्मी से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था. मैंने उसे एक बार और चोद दिया. उसके बाद जब वो जाने लगी, तो उससे ठीक से चला नहीं जा रहा था. मैंने उसे दर्द की गोली खिलाई और उसके कमरे तक छोड़ कर आया. उसके बाद मैं वापस आकर सो गया.
इसके बाद जब तक मैं जयपुर में रहा मैंने कई बार परवीन को चोदा, अब उसकी शादी होने वाली है. अब मैं मुरादाबाद आ गया हूँ, तो यहां मेरे पास कोई सेक्स पार्टनर नहीं है.
ये मेरी अन्तर्वासना पर पहली सेक्स कहानी है, पाठक और पाठिकाएं मुझे [email protected] पर मेल करके अपने सुझाव दे सकते हैं.
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