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पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि काजल के भाई ने मेरे माता-पिता की गैर-मौजूदगी में मेरी बहन सुमिना की चूत मेरे ही घर में चोद दी। मैंने उन दोनों को देख भी लिया था लेकिन इसी कश्मकश में डूबा रहा कि अगर मैं सुमिना की सहेली की चूत चोद सकता हूँ तो फिर कोई मेरी बहन की चूत भी चोद सकता है. अब आगे:
सुमिना और कुणाल की चुदाई देखने के बाद मैंने अपनी बहन पर नजर रखना बंद कर दिया था. मैं जानता था कि जो रिश्ता मेरे और काजल के बीच में है वो रिश्ता कुणाल और सुमिना के बीच में भी है। यह उन दोनों की आपसी सहमति का मसला था इसलिए मैं बीच में अपनी रूढ़िवादी सोच को नहीं आने देना चाहता था.
इम्तिहान खत्म होने के बाद काजल का हमारे घर आना फिर से जारी हो गया. हम भाई-बहनों को एक दूसरे के बारे में सब कुछ पता था लेकिन न तो कभी सुमिना ने मुझसे कुछ कहने या पूछने की इच्छा जताई और न ही मैंने। अब सब नॉर्मल सा लगने लगा था. उसके बाद कुणाल से भी मुझे कोई शिकायत नहीं रह गई थी.
फिर एक दिन की बात है जब मेरे इम्तिहान चल रहे थे. काजल और सुमिना के कॉलेज की इम्तिहान के बाद की छुट्टियां हो गई थीं. एग्जाम देने के बाद मैं जल्दी ही घर आ जाता था. पापा अपने काम पर चले जाते थे और माँ भी पड़ोस में अपनी सहेलियों के साथ बतियाने चली जाया करती थी.
यह बात उस दिन की है जब मेरा आखिरी इम्तिहान था. मैं घर वापस आया तो घर में सन्नाटा था.
मैंने आने के बाद आवाज लगाई तो सुमिना के कमरे से आशा निकल कर आई. वो थोड़ी घबराई सी लग रही थी मुझे. मगर मैंने ज्यादा इस बात को तवज्जो नहीं दी क्योंकि आशा हमारी नौकरानी थी और वो हमारे घर के किसी भी हिस्से में जाने के लिए आजाद थी. मैंने उससे पानी मांगा तो वो किचन से पानी लेकर आ गई.
जब वो मुझे पानी का गिलास दे रही थी तो उसका बदन पसीना-पसीना हो रहा था. मैंने पूछा- क्या बात है आशा? तुम्हारी तबियत तो ठीक है न? वो बोली- हां सुधीर भैया, मैं तो ठीक हूँ.
उसकी आवाज में एक घबराहट सी थी. मगर फिर भी मैंने ज्यादा पड़ताल करने की कोशिश नहीं की। मैं अपने कमरे में चला गया. फिर मेरी भी छुट्टियां शुरू हो गई थीं. काजल की चुदाई करे हुए मुझे भी काफी दिन हो गये थे. चूंकि मेरे इम्तिहान भी खत्म हो चुके थे इसलिए मैं अब उसकी चूत चोदने के लिए मचल रहा था.
मगर अभी तक मुझे ऐसा कोई मौका नहीं मिल पाया था. हां, सुमिना जरूर काजल के घर जाकर शायद कुणाल से अपनी चूत चुदवा रही थी लेकिन मेरे यहां पर सूखा पड़ा हुआ था. मैंने काजल को फोन करके अपने मन की बात बताई तो वो कुछ टाल-मटोल सा करने लगी. मैंने सोचा कि शायद अभी उसका मन नहीं होगा इसलिए मना कर रही है.
कुछ दिन उसने ऐसे ही निकाल दिये. मैं जब भी उससे चुदाई करने की कहता तो वो कोई न कोई बहाना बना देती थी. अब मेरे सब्र का इम्तिहान होने लगा था. मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो अब मुझे अपने करीब क्यों नहीं आने देती है.
फिर एक दिन की बात है कि दोपहर के समय में मैं अपने दोस्त के घर गया हुआ था. वहां पर हम दोनों ने मिलकर ब्लू फिल्म देखी और फिर साथ में मुट्ठ मार कर अपने लौड़ों को शांत किया. मैं जब घर वापस आया तो काजल का बैग बाहर मेज पर पड़ा हुआ था.
मगर काजल कहीं दिखाई नहीं दे रही थी. मैंने सोचा कि सुमिना के कमरे में होगी. मैंने उसको फोन किया तो उसका फोन भी कवरेज क्षेत्र से बाहर बता रहा था. चूंकि सुमिना भी घर पर ही थी इसलिए मैं फोन पर बात करके चुदाई की सेटिंग करना चाहता था. मगर उसका फोन लग ही नहीं रहा था.
फिर मैंने सोचा कि क्यों न सुमिना के रूम में जाकर ही देख लूं. जब मैं उसके कमरे की तरफ जाने लगा तो दरवाजे के पास पहुंच कर मुझे अंदर से कामुक आवाजें सुनाई दे रही थीं. इन आवाजों को सुन कर एक बार तो मैंने सोचा कि शायद आज फिर सुमिना ने कुणाल को अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए मेरी गैरमौजूदगी में बुला रखा है. मन में ख्याल आया कि क्यों न इनकी चुदाई ही देख ली जाये. मैंने दरवाजे पर हल्का सा जोर लगाया तो पता चला कि दरवाजा अंदर से लॉक था.
फिर मैंने चाबी वाले छेद से झांका तो देखा कि काजल, सुमिना और आशा तीनों ही बेड पर नंगी थी. काजल ने सुमिना के मुंह पर अपनी चूत लगा रखी थी और आशा सुमिना की चूत में उंगली कर रही थी. मेरी बहन सुमिना काजल की चूत को चाट रही थी और काजल उसके चूचों को भींच रही थी.
वो तीनों अपनी ही मस्ती में खोई हुई थी. हमारी नौकरानी आशा भी उनके साथ मस्ती में लगी हुई थी.
मैं ये नजारा देखता रहा और फिर काजल उठ खड़ी हुई. अब आशा ने सुमिना की चूत से उंगली निकाल ली और वो सुमिना के सिर की तरफ आकर अपनी चूत खोल कर बैठ गई. सुमिना ने उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी और काजल नीचे की तरफ सुमिना की चूत से चूत लगाकर उसकी चूत में ऐसे धक्के देने लगी जैसे वो उसकी चूत को अपनी चूत से चोद रही हो.
वो मस्ती में अपनी चूत को सुमिना की चूत पर रगड़ रही थी. साथ ही अपने चूचों को भी दबा रही थी. उधर सुमिना आशा की चूत में उंगली कर रही थी और आशा अपने चूचों को दबा रही थी. तीनों ही अपनी धुन में खोई हुई थीं.
आशा सुमिना के चूचों को दबा रही थी और काजल मेरी बहन की चूत पर चूत रगड़ कर इतनी आनंदित हो रही थी कि जैसे उसको सबसे ज्यादा सुख इसी में मिल रहा है. अब शायद मैं समझ गया था कि वो मुझे चुदाई के लिए मना क्यों कर रही थी. वो मेरे लंड में नहीं बल्कि मेरी बहन सुमिना की चूत में ज्यादा रूचि ले रही थी.
फिर उसने तेजी के साथ अपनी चूत को सुमिना की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया. उधर सुमिना ने भी उत्तेजित होकर आशा की चूत में अपनी उंगलियों की स्पीड दोगुनी तेज कर दी. आशा सुमिना के चूचों के निप्पलों का मसलने लगी. कुछ देर तक वो तीनों सिसकारियां भरती हुईं मजे लेती रहीं. फिर तीनों ने ही अपनी-अपनी चूतों में उंगली करनी शुरू कर दी. कभी काजल सुमिना के चूचों को चूस लेती तो कभी सुमिना आशा के चूचों को मुंह में भर रही थी.
इस तरह से तीनों ही पूरी मस्ती के साथ समलैंगिक सेक्स का आनंद लूट रही थीं. फिर एक-एक करके तीनों ही धीरे-धीरे शांत होती चली गईं. जब तीनों शांत हो गईं तो आशा ने अपनी साड़ी पहननी शुरू कर दी. सुमिना ने कहा- आशा देख, कहीं सुधीर न आ गया हो. काजल बोली- वो तो मेरी चूत के लिए तड़प रहा है बेचारा. सुमिना ने कहा- तो फिर दे दे उसको अपनी चूत. काजल ने कहा- नहीं यार, मुझे उसका लंड लेने में कोई रूचि नहीं है. मुझे तो तेरे साथ चूत का ये खेल खेलने में ज्यादा मजा आता है. सुधीर के साथ तो मैंने सेक्स इसलिए किया था ताकि मेरा तेरे घर आने का रास्ता हमेशा खुला रहे। यह कहकर वो दोनों हंसने लगी.
मैं वहां से वापस होते हुए अपने कमरे में आ गया. मुझे काजल पर गुस्सा आ रहा था. उसने मुझे इस्तेमाल किया था. अब मैं अपना बदला लेना चाहता था क्योंकि काजल ने मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिये यूज किया। साथ ही साथ मैं ये भी सोच रहा था कि वो मेरी बहन को बिगाड़ रही है।
इसलिए मैंने अब काजल से बात करना बंद कर दिया था. काजल का मेरे इस बर्ताव पर कोई असर नहीं होता दिखाई दे रहा था. वे दोनों जब साथ में बैठी होती तो मैं उनके पास भी नहीं जाता था. मैं सोच रहा था कि इन दोनों सहेलियों के संबंध को कैसे तोड़ा जाये.
मैंने माँ को सुमिना की शादी के लिए उकसाना शुरू कर दिया. मां भी चाहती थी कि सुमिना की उम्र अब शादी लायक हो गई है इसलिए मेरा काम आसान हो गया था.
मां ने सुमिना के लिए लड़का खोजना शुरू कर दिया. जब काजल को ये बात पता लगी तो उसका मुंह उतरा-उतरा सा रहने लगा. लेकिन मुझे उसका ये चेहरा देख कर खुशी होती थी. मैं नहीं चाहता था कि वो मेरी बहन के आस-पास भी रहे.
इस बीच सुमिना जब भी काजल के घर जाने के लिए कहती तो हम उसको रोक देते थे. मां को तो मैंने कुणाल के बारे में नहीं बताया था लेकिन मैं अच्छी तरह जानता था कि काजल, कुणाल और सुमिना के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है. फिर कुछ ही दिन बाद सुमिना का रिश्ता पक्का हो गया. उसकी शादी की डेट फिक्स हो गई. दिन बीतते गये, सुमिना शादी करके हमारे घर से विदा हो गई.
अब न तो कुणाल का ही डर रह गया था और काजल से भी सुमिना का रिश्ता खत्म हो गया था. मैंने भी अपने करियर पर फोकस करना शुरू कर दिया और उसके बाद मेरी कभी काजल से बात नहीं हुई। न ही उसने कभी मुझसे बात करने की कोशिश की। फिर मैंने अपने पड़ोस में एक नयी लड़की पटा ली और उसके साथ चुदाई का खेल खेलना लगा. मगर काजल मुझे बहुत कुछ सिखा गई.
काजल के हरकतों से मुझे पता चला कि लड़कियों के मन में क्या चल रहा होता है ये एक लड़का कभी पता नहीं लगा सकता क्योंकि इसका उदाहरण मेरी बहन भी थी. मैं आज तक भी नहीं समझ पाया हूँ कि वो कुणाल का लंड लेकर ज्यादा खुश होती थी या काजल की चूत चूस कर। मगर अब तो उसकी शादी हो गई है और उसके दो बच्चे भी हैं. इसलिए मैं अब इन सब बातों पर ध्यान नहीं देता. वो अपनी जिन्दगी में उलझी हुई रहती है.
यह थी एक भाई की कहानी। कहानी पर अपनी राय देने के लिए कमेंट जरूर करें। धन्यवाद।
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