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दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार. चूंकि मैं एक जवान लड़का हूँ, तो खास करके सभी महिलाओं को मेरा गले लग कर प्यार … और लड़के तो अपने भाई हैं ही, उनको नमस्ते.
मेरा नाम विवेक है. मेरी उम्र 23 साल है. मैं अहमदाबाद गुजरात से हूँ. अन्तर्वासना के पटल पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. ये एक सच्ची कहानी है. उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को ये कहानी अच्छी लगे.
अब मैं अपने बारे में बताता हूं. मेरा कद 159 सेंटीमीटर है. मेरा रंग गेहुंआ है. मैं दिखने में एकदम सामान्य सा हूँ. मेरे लंड का साइज 6 इंच तथा गोलाई 3 इंच है. मैं किसी भी महिला को संतुष्ट कर सकता हूँ.
बात हाल ही की है. मैं 23 साल का होने के बाद भी अभी तक वर्जिन था. मेरे सभी दोस्तों का कोई न कोई माल था, पर मेरा नहीं था. ऐसी कोई बात नहीं थी कि कोई लड़की मुझ पे फिदा नहीं थी. क्लास मैं होशियार होने के कारण सभी मुझसे इम्प्रेस रहती थीं. चूंकि मैं ही थोड़ा शर्मीला था … तो कम ही बोलता था.
मैं मिडल क्लास घर का लड़का था और मुझे ये सब सिर्फ अपनी बीवी के साथ ही करना था.
मैं अहमदाबाद में रहता हूं. इसलिए साल में दो बार दीपावली और गर्मी की छुट्टियों में ही गांव जाता हूं.
यह बात गर्मी की छुट्टी की है. मैं अक्सर छुट्टियों में ननिहाल जाया करता था. वहां मेरे मामा के लड़के से मेरी बहुत अच्छी बनती है. वो मेरे से छोटा है.
वैसे तो सभी से अच्छी बनती है. वहां मामा के घर के पास दूसरे भी घर थे. वैसे तो सब सामान्य था.
फिर बातों बातों मैं मेरे भाई ने, जो मेरे से छोटा है, मुझसे कहा कि तू अभी तक इस बात को लेकर वर्जिन है कि भाभी से अपनी शुरुआत करेगा. मगर इस बात की क्या गारंटी है कि तुझे भाभी भी वर्जिन ही मिले. ये बात मुझे भी खटकी. तभी मैंने सोचा कुछ तो करना ही है. ऐसे जवानी बर्बाद नहीं करनी.
तभी मुझे मामा के घर के पास की लड़की शीतल (बदला हुआ नाम) का ख्याल आया. हम दोनों साथ में ही बड़े हुए हैं.
मैंने उसको लेकर अपने भाई से अपने लिए पूछा. पहले तो उसने मना किया, पर बार बार कहने पर वो मान गया.
शाम को मैं शीतल से मिला. मैंने उससे दोस्ती की और हम दोनों काफी देर तक बातें करते रहे. उसकी बातों से मुझे लगने लगा था कि ये तो मुझसे खुद ही पटी हुई निकली. मेरी ही चूतियापंती के वजह से मुझे बात करने में हिचक रही थी.
तब भी मेरा सिद्धांत है कि मैं महिलाओं की इज्जत करता हूँ. उनकी मर्जी के बिना कुछ नहीं करता.
दूसरे दिन मैंने उसको फ़ोन लाकर दिया ताकि उससे बात हो सके. उन दिनों मेरी मौसी की शादी भी होनी थी. शादी को चार दिन बचे थे.
हल्दी की रात हम सब डीजे पे नाच रहे थे. तभी मेरा फ़ोन वाइब्रेट हुआ. मैंने देखा तो शीतल का कॉल था. मैंने उठाया उसने मुझसे मिलने का कहा और मुझे बुलाया.
हमने मिलने के लिए खेत चुना. थोड़ी देर बाद हम दोनों वहां पहुंच गए. मैं पहली बार किसी लड़की के इतने करीब था. मेरी सांसें भी तेज हो गई थीं. वो थोड़ा मुस्कुराई और उसने मेरे साथ बातें करना शुरू कर दीं.
कुछ मिनट बाद अब माहौल ठीक हो गया था. मैंने उसको अपने हाथों से उसके हाथ सहलाया. वो कुछ नहीं बोली. फिर मैंने उसे अपनी तरफ खींच कर किस किया. मेरा वो स्मूच 10 मिनट का था. मानो मैं जन्नत में था. मेरी हालत खराब थी. मेरा लंड सातवें आसमान में था. वो मानो पेन्ट फाड़ने को उतावला था. मैंने अपना हाथ शीतल की सलवार में डाल दिया. पहले तो उसने मना किया, पर बाद में वो मान गई.
यार लड़कियों में बहुत ताकत होती है. यह बात मुझे तब पता चली, जब मैं उसका नाड़ा खोल रहा था और वो मेरे हाथ पकड़ रही थी.
उसकी पैंटी को छूते ही वो सिहर उठी और मुझे किस करने लगी. वो किसी भट्ठी की तरह गर्म लग रही थी. मुझे लगा कि वो कहीं जल न जाए.
मैंने उसकी चूत को सहलाया और उंगली करने लगा, साथ में किस करने लगा. वो किसी मछली की तरह छटपटाने लगी. बस 5 मिनट के बाद वो अकड़ने लगी और मेरी बांहों में निढाल हो कर पड़ी रही. उसकी सांसें फूली हुई थीं, अब वो उसे नियंत्रित कर रही थी. चूँकि वो झड़ चुकी थी … इसलिए मेरा हाथ भी उसकी चूत के रस से सन गया था.
उसने मुझसे कहा- आज तक ऐसा मजा कभी नहीं आया.
शादी का माहौल था, तो खेत में चुदाई करने की उसने मना की. उसने कहा कि रात को घर में ही करेंगे.
मैंने भी हां कहा और किस करके वापिस आ गया. हमारे यहां पूरी रात सब नाचते थे. मैंने पूरी रात उसको फोन किया, पर उसने उठाया ही नहीं. मैंने सोचा कि शायद उसका काम तो हो ही गया था, वो इसलिए नहीं आई.
फिर सुबह उसका फ़ोन आया. उसने सॉरी बोला और कहा- उसका भाई और माँ, उसके साथ सो गए थे, इसलिए वो नहीं आ सकी. मैं चुप रह गया.
उसने बोला- आज भाई माँ और मेरे पापा काम करने बाहर जा रहे हैं. मेरी भाभी भी जा रही हैं. सिर्फ मेरा छोटा भाई ही मेरे साथ रहेगा, वो भी रात को खेत में सोएगा. इसलिए आज रात हम दोनों खूब मस्ती करेंगे. मैंने उससे पूछा- कल मजा आया था कि नहीं? इस पर उसने चहकते हुए बताया कि कल तुम्हारे साथ तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश थी.
अगले दिन मौसी की शादी हो गई, तो सभी उनके विदा होने से मायूस थे. मगर मैं खुश था … क्योंकि आज मेरी सुहागरात थी. मैं इंतजार नहीं कर पा रहा था. आखिर वो घड़ी आ ही गई.
रात को 11 बजे उसका फ़ोन आया. उसने मुझे पीछे के रास्ते से आने को कहा. उसने ये भी कहा कि मैंने कमरे का पीछे का दरवाजा खोल दिया है. तुम बस धक्का देना, तो दरवाजा खुल जाएगा.
मैं जल्दी से उसके कमरे के पीछे के रास्ते से गया और हल्का सा धक्का देते ही दरवाजा खुल गया. मैं झट से दबे पाँव अन्दर चला गया. दरवाजा बंद करते समय मैंने देखा कि वो पीठ करके मेरा इन्तजार कर रही थी. मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया. मेरा लंड उसकी पीछे की दरार में घुस रहा था.
उसने कहा- थोड़ा रुको, अभी रात बाकी है.
पर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पे लेटा दिया. मैं भी उस पर चढ़ गया और किस करने लगा. वो मेरे चूमने से ही गर्म हो गई थी.
फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसको जी भर के देखा. आपको उसका फिगर बता दूँ. उसका फिगर 34-28-36 का था. उसकी हाइट 157 सेंटीमीटर की थी.
वो दिखने में साउथ की एक्ट्रेस अनुष्का शेट्टी के जैसी थी. इतनी मस्त कांटा माल थी कि यूं समझो कि उसे देखते ही सभी के लंड पानी छोड़ने लगें. नामर्द का लंड भी उसे देख कर खड़ा हो जाए. वो अभी 18 साल की थी.
मैं बायोलॉजी का स्टूडेंट हूँ, इसलिए मुझे सेक्स के बारे में सब पता था. मैंने इस विषय में बहुत सी रिसर्च भी की है.
मैंने उसके साथ फ़ोरप्ले शुरू किया. उसको किस करने के साथ मैं उसे सहलाए जा रहा था और उसके मम्मे मसल रहा था. वो आहें भर रही थी. फिर मैंने उसका टॉप और पेंट को निकाल दिया. उस रात उसने पिंक टॉप और ब्लैक जींस पहन रखी थी जोकि मैंने उतार दी थी. अब वो सिर्फ ब्रा पेंटी में रह गई थी.
कमरे की लाइट चालू थी, तो मैं उसका यौवन भलीभांति देख सकता था. नशीली आंखें, गुलाबी होंठ, जिस पर मेरी लव बाईट चल रही थी. वो सब मुझे पागल बना रहे थे.
मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा. उसकी ब्रा भी निकाल दी. अब मैं उसके एक मम्मे को चूसने में लगा था … साथ ही दूसरे को मसल रहा था. उसके मम्मे एकदम कड़क हो गए थे. फिर मैंने नीचे आते हुए उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी, इससे वो सिहर गई.
मैंने उसकी कमर को सहलाया और खूब चूमा. वो सिर्फ पैंटी में मेरे सामने थी. उसकी पेंटी चूत के पानी से पूरी तरह से भीग चुकी थी. उसमें से मादक खुशबू आ रही थी. मैंने उसकी चूत पर पेंटी के ऊपर से ही किस किया और ऊपर से ही चूत को रगड़ने लगा. इससे वो एकदम पागल हो गई. दो तीन पलों में ही वो मेरा सिर चुत पे दबाए जा रही थी और एक हाथ से अपने गद्दे को नोंच रही थी. मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी. मुझे औरतों की पेंटी सूंघना बहुत अच्छा लगता है.
उसकी चूत के बीचों बीच एक पतली सी रेखा और उसमें से एक छोटा सा गुलाबी छेद दिख रहा था. जिसके पीछे मैं पागल था.
उस दरार पर मैंने जीभ लगा दी, तो वो उछल पड़ी और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जैसी आवाजें निकालने लगी. उसकी कामुक सिसकारियां मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थीं. मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और चुत चोदने लगा. साथ में उंगली भी चूत में डाल दी. कुछ ही देर बाद वो अकड़ने लगी और मेरे मुँह पर झड़ गई. मैं उसका सारा माल पी गया.
ये किसी की चूत के पानी को पीने का मेरा पहला अनुभव था. मेरी बारी थी. उसने फटाक से मेरे कपड़े निकाले और लंड हाथ में ले लिया.
पहले उसने मेरे लंड को बड़ी गौर से देखा और बोला- इतना बड़ा लंड मैं अपनी चुत मैं नहीं ले पाऊँगी. मेरी फट जाएगी. मैंने उससे कहा- जब इसमें से बच्चा बाहर आ सकता है, तो लौड़ा क्यों नहीं घुस सकता.
इस बात पर वो मुस्कुरा उठी और लंड चूसने लगी … चूसने क्या, समझो खाने लगी.
करीब 5 मिनट बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ. मैंने उसे बताया, तो उसने बोला- आने दो, मैं लंड का माल पीना चाहती हूँ. उसकी इस कामुक बात से ही मेरी उत्तेजना बढ़ गई और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. वो मेरा सारा माल पी गई.
अब मैंने फिर से उसकी चुत चाट चाट कर उसे चुदाई के लिए तैयार कर दिया. मुझे चुत चाटना ज्यादा पसंद है. उसने मुझसे कहा- अब और मत तड़पाओ, जल्दी से चोद दो … वरना मैं मर जाऊँगी.
मैंने भी देर न करते हुए अपना लंड उसकी चुत पे रखा और झटका दे मारा. टाईट चूत थी मुझे भी कोई बड़ा अनुभव नहीं था तो लौड़ा फिसल गया. अब उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चुत की दरार पर रखा. मैंने सुपारा लगते ही तगड़ा झटका दे दिया. मेरा आधा लंड अन्दर घुस गया. लंड घुसते ही वो दर्द से चीख रही थी, पर उसकी चीख मेरे होंठ उसके होंठ पे होने से मुँह में ही दबी रह गई. वो रोने लगी. उसकी चूत का परदा फट चुका था.
मैंने थोड़ी देर में ही दूसरा झटका मार दिया और पूरा लंड शीतल की चूत में जड़ तक पेल दिया.
वो दर्द के मारे छटपटा रही थी, पर मैं कहां उसे छोड़ने वाला था. उसने मेरे कंधे पर अपने दांत गड़ा दिए और नाखून से मेरी पीठ कुरेद दी. मगर मुझे कुछ नहीं हुआ. बल्कि मुझे तो लव बाईट से अच्छा लगा. हालांकि चुदाई के बाद उसने मुझसे सॉरी भी बोला था.
थोड़ी देर बाद वो अपने चूतड़ उठाने लगी थी. मैं समझ गया कि अब इसका दर्द खत्म हो गया है. बस मैं भी घमासान चुदाई में लग गया. मैं लगातार लंड पेल रहा था. वो ‘आह … उम्म … आ … आ … उम्म ओह … फ़क मी विवेक … फ़क मी विवेक चोद दो मुझे … अपना बना लो. मैं आज से तुम्हारी बीवी हूँ … आह इस चुत को फाड़ दो … मुझे ये बहुत तंग करती है … मैं तुम्हारी दासी हूँ..’ बोलती जा रही थी.
कुछ ही देर बाद वो अकड़ गई और झड़ गई. मेरा लंड उसके पानी से भीग गया और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा.
मेरी एक खास बात है, मैं जल्दी नहीं झड़ता … कम से कम आधे घंटे तक लगा रहता हूँ और ज्यादा से ज्यादा डेढ़ से दो घंटे तक बिना थके चूत पेल सकता हूँ. मैं कोई दवाई लेकर चुदाई की बात नहीं कह रहा हूँ, बल्कि ये मेरी कुदरती स्टेमिना है. मैं योगा ज्यादा करता हूँ.
शीतल मेरी चुदाई से तीन बार झड़ चुकी थी. उसका बुरा हाल था.
फिर मेरा भी होने वाला था. मैं उसकी चुत में ही झड़ गया. मेरा वीर्य उसकी चुत से बाहर आ रहा था. साथ में उसका खून भी था.
हम ऐसे ही चुत में लंड डाल कर पड़े रहे. मैं उसे सहला रहा था … उसके बालों से खेल रहा था. उसकी खुशी साफ उसके चेहरे पर दिख रही थी. वो मुझे बांहों में जकड़े हुए हंस रही थी. वो बोली- मुझे आज बहुत खुशी मिली है, मैं आज से सिर्फ तुम्हारी हूँ. तुम जब चाहो, जितना चाहो मुझे चोद लेना.
इसके बाद हमने उस रात 4 बार चुदाई की. हर बार मैं उसकी चुत में ही झड़ा. मुझे पता था कि औरतों को लंबी चुदाई पसंद है, जो कि सही है.
वो अब तक मुझसे कई बार चुदवा चुकी है. वो पलंग पर मुझसे इस तरह से खेलती है, मानो वो मेरी बीवी ही हो.
गर्मियों की छुट्टियों में मैंने उसकी हर रात चुदाई की. एक दिन भी ऐसा नहीं गया, जब रात को मैंने उसे न चोदा हो. मैं उसे पूरी रात ही चोदता हूँ. मैंने उसे कई बार एक एक घंटे तक चोदा है.
अब वो मेरे से दूर नहीं जाना चाहती. उसे मेरी आदत पड़ गई है. मगर पढ़ाई के लिए वापस अहमदाबाद आना ही था.
अब उससे सिर्फ फ़ोन पर ही बात होती हैं. उसने मुझसे कहा कि मेरी भाभी ने मुझसे बोला है कि मैं लकी हूँ कि मुझे तुम जैसा चोदू मिला. वरना लम्बा चोदने वाले आज कल कहां मिलते हैं.
मैंने उन दिनों उसकी गांड भी मारी थी और हर जगह खेत में, सीढ़ी पर, बेड पे, कुर्सी पर उसको पूरी दम से पेला था. उसे मैंने डॉगी स्टाइल में भी चोदा था. मतलब मैंने उसे हर स्टाइल से चोदा. हर बार नए तरीके से उसकी चूत को संतुष्ट किया.
अब मैं अहमदाबाद मैं सिर्फ उसे याद कर पाता हूं और उसेक साथ फोन सेक्स ही कर पाता हूं. दीपावली में फिर से उधर जाने वाला हूँ, तो मैं फिर उसे हरा भरा कर दूंगा. वो सेक्स कहानी भी मैं जल्दी ही भेजूंगा.
यह चुदाई की कहानी सच्ची है. आप सभी दोस्तों को मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना. मेरी ईमेल आईडी है [email protected] मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा. आपका दोस्त विवेक
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