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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रॉकी है, मेरी उम्र 23 वर्ष है. मैं 5 फुट 6 इंच का यू पी वाला बन्दा हूँ. हालांकि मैं महाराष्ट्र में रहता हूँ. मुझे महाराष्ट्र में रहते हुए काफी दिन हो गए. तकरीबन 6 साल तक मैं एक क्रेन ऑपरेटर हूँ … इसलिए एक जगह अस्थायी नहीं रहता हूँ. शायद मुझे एक जगह ज्यादा दिन काम करना भी पसंद नहीं है. मैं थोड़ा आजाद टाइप का हूँ, इसलिए ज्यादा दिन कहीं नहीं रुकता हूँ.
नसीब की बात कहें या मजबूरी कहूँ कि एक बार मुझे एक ही जगह पर दो साल हो गए थे.
कहानी का मेन पॉइन्ट यही से शुरू होता हूँ. मैं सोलापुर में 2 साल रहा, सोलापुर में मैं बहुत चुदासा हो गया था, इधर मुझे कोई ढंग का माल चोदने को नहीं मिला था.
फिर वहां से छोड़कर पुणे शिफ्ट हो गया. इधर मेरा एक दोस्त था, जिससे मेरी काफी पुरानी पहचान थी. हम लोग पहले साथ में काम कर चुके थे, लेकिन मैं बाद में वहां से काम छोड़कर चला गया था.
वो मुझे मिला, तो उसने मुझसे बोला- मेरे पास यहीं आ जाओ. मैं उसके पास ही आ गया. इधर मेरा मन भी लग रहा था. क्योंकि पहले मैं इधर काम कर चुका था, तो काफी लोगों से पहले से पहचान थी.
हम दोनों एक ही रूम में रहते थे. उसकी शादी हो गयी थी, लेकिन मैं अभी भी कुंवारा था. मेरा मानना है कि जितनी आजादी मिलती है, वो बस शादी से पहले तक की ही होती है. चाहे वो लड़के की हो या लड़की की हो.
हमारे पड़ोस में एक भाभी अपने पति के साथ रहती थी. उसका एक तकरीबन डेढ़ साल का बच्चा भी था.
मुझे यहां रहते हुए करीब आठ महीने हो गए थे, लेकिन हम लोगों ने कभी बातचीत नहीं की थी.
एक दिन की बात है, क्रेन में कुछ मैकेनिकल प्राब्लम हो गई थी, जिसके वजह से मैकेनिक को बुलाना पड़ा. हमारा आफिस हमारे रूम से तकरीबन 2 किलोमीटर लम्बा पड़ता है … और वहां लाईट की व्यवस्था नहीं थी. जिसकी वजह से क्रेन को रूम पर ही लाना पड़ा.
वैसे हम लोगों के रूम के आगे काफी बड़ा ग्राऊन्ड है, जो खाली पड़ा रहता है. उसमें हम लोगों ने क्रेन लाकर लगा दी और मरम्मत का काम शुरू हो गया.
दिन भर काम चला … शाम को 6 बज गए थे. फिर हम लोग काम बन्द करके नाश्ता करने चले गए.
बाद में फिर तकरीबन डेढ़ घण्टे बाद हम लोग वापस आए, तो पूरी तरह अन्धेरा हो चुका था. कुछ दिखाई न देने के कारण काम में बाधा होने लगी. लेकिन काम भी जरूरी था, इसलिए हम लोगों ने लाईट की व्यवस्था की और फिर से काम चालू हो गया. वैसे वहां पर हमारा कुछ काम ख़ास नहीं था, बस सिर्फ मैकेनिक के साथ रुके थे.
हम लोग जहां रुके थे, ठीक हमारे सामने पड़ोसी भाभी का रूम था और वो खिड़की के पास आके खड़ी होकर हम लोगों को देख रही थी. पहले तो हम लोगों ने भाभी की तरफ कुछ खास ध्यान नहीं दिया. क्योंकि उस वक्त तक हमारे मन में उसके लिए कोई कामवासना नहीं थी और ना ही हमने कभी उसकी चुत चुदाई के बारे में सोचा था.
काम होते होते दस बज गए. हम सभी खाना खाने चले गए. जब खाना खाके बाहर आए, तो देखा कि भाभी अभी भी खिड़की के पास खड़ी थी. हम लोग भी मतलब (मैं और मेरा दोस्त) उसे देखने लगे … पर कभी एक दूसरे से बात ना होने के कारण मेरी उससे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी. उसे देखते-देखते हम लोगों ने रात के बारह बजा दिए. अब हम दोनों के मन में उसकी नंगी चुत की तस्वीर घूमने लगी थी. हमारा मन हमारे काबू से बाहर हुए जा रहा था.
वैसे मैंने उस भाभी के बारे में आप लोगों को अब तक कुछ भी नहीं बताया है. उसका नाम शालू (बदला हुआ नाम) था. उसकी उम्र तकरीबन 30 वर्ष तक होगी. कोई 5 फुट की हाईट, आंखें एकदम नशीली थीं. उसको देख कर तो यही लग रहा था कि अभी पकड़ कर चोद दें, पर ये मुमकिन नहीं था. उसके चूचे कुछ खास बड़े नहीं थे. मुझे लगता था कि मम्मों के बड़े न हो पाने का कारण उसका पति था, जो एक शराबी था. वो एक छोटी सी कम्पनी में पैन्टर का काम करता था. उसका लगभग रोज का काम था कि शराब पीने के बाद हमेशा घर पर आकर झगड़ा करना. मानो ये झगड़ा करना उसका पेशा बन गया था.
आप सभी तो जानते ही हैं कि एक शराबी पति के साथ पत्नी का कैसा रिश्ता होता है. इसी तरह यहाँ भी था, भाभी के और उसके पति के बीच सेक्स सम्बन्ध कुछ खास नहीं थे.
खैर … अब तक काफी रात हो चुकी थी. हम लोगों को भी नींद आने लगी थी. इसलिए हम लोग भी रूम में जाकर सो गए.
दो तीन दिन क्रेन का काम चलता रहा और हम लोगों का एक दूसरे को देखने का अपना खेल चालू रहा. इतना देखने के बाद भी मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं भाभी से कुछ बातें कर सकूँ.
क्रेन का काम करके मिस्त्री तो चला गया. लेकिन हमको तो बस भाभी के चुत की नशा चढ़ चुका था. मैं सोच रहा था कि कैसे भाभी चोद दूँ. मैं भाभी की चुदाई की प्लानिंग करने लगा. उनकी नंगी चुत में लंड डालने का ख्वाब देखने लगा.
मैंने कोशिश करनी शुरू की. मैं धीरे-धीरे उसके बच्चे से सम्पर्क बढ़ाने लगा, पर वो न जाने क्यों मुझसे डरता था. शायद इसलिए क्योंकि वो मुझे पहचानता नहीं था. मैं जैसे ही उसे अपने पास बुलाता, तो वो दूर भाग जाता था या रोने लगता था. उसकी मम्मी देख कर बोलती थी- अरे ये तो अंकल हैं … कुछ नहीं करेंगे.
ऐसा करते हुए मेरी भाभी से बातें होने लगी थीं. मुझे ऐसा लग रहा था कि बहुत जल्दी मुझे उसकी चुत के दर्शन हो जाएंगे. अब जब भी हम लोग एक दूसरे को देखते थे, बस मुस्करा देते थे. हम दोनों में बहुत कुछ बातें होनी चालू हो गयी थीं. मैं अब उससे थोड़ा बहुत मजाक भी करने लगा था.
एक दिन उसने मुझे बुला कर कहा- मेरा मोबाइल खराब हो गया है, उसे बनवाने के लिए मार्केट में दिया हुआ है … क्या आप लेते आएंगे? मैं बोला- हां ठीक है, मैं बाजार जाऊंगा तो ले आऊंगा.
मैंने उस दुकान का पता लिया और बाजार जाकर भाभी का मोबाइल लाकर उन्हें दे दिया. भाभी ने मुझे बड़ा मुस्कुरा कर धन्यवाद कहा. फिर मैं उसके घर से चला आया.
थोड़ी देर बाद एक छोटे बच्चे से उसने अपना मोबाइल मेरे पास भिजवाया और कहलवाया कि मेरा मोबाइल काम नहीं कर रहा है, जरा आप चैक कर लीजिएगा.
मैंने मोबाइल में देखा तो सिम काम नहीं कर रही थी. मैंने मोबाइल लेकर उसको खोल कर देखा तो सिम भी उल्टी डाली हुई थी. मैंने सिम ठीक करके लगा दी और अपने मोबाइल पर फ़ोन करके ट्राई किया. अब फ़ोन लग रहा था. मैंने उस बच्चे को मोबाइल दे दिया.
इस प्रक्रिया में मेरे पास उनका नम्बर आ चुका था. मैंने उसे वॉट्सएप्प पर चैक किया और भाभी को हाय लिख कर भेजा.
शाम को उसने भी हाय लिख कर मैसेज किया. भाभी ने पूछा- क्या कर रहे हो? मैंने कहा- कुछ नहीं बस टाईम पास कर रहा हूँ. मन नहीं लग रहा है क्या करूं? इस पर उसने रिप्लाई किया कि मन क्यों नहीं लग रहा है … गर्लफ्रेंड नाराज है क्या? मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है और वैसे भी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. उसने कहा कि ऐसा हो नहीं सकता कि आजकल कोई बिना गर्लफ्रेंड के रहता हो. फिर मैंने रिप्लाई किया कि आज भी मेरे जैसे बहुत हैं, जो बिना गर्लफ्रेंड के रहते हैं.
मेरे लिए चौका मारने का यही मौका था. मैंने झट से रिप्लाई किया- आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नहीं होंगी ना? उसने कहा- पूछो ना … मैं भला क्यों नाराज होऊंगी. मैंने कहा कि आपका कोई ब्वॉयफ्रेंड है क्या? वो बोली- मेरी शादी हो गयी है … ब्वॉयफ्रेंड की क्या जरूरत होगी मुझे? मैंने कहा- ठीक है … शादी से पहले तो होगा ना कोई? वो बोली- हां एक था, लेकिन अब सम्पर्क में नहीं है. मैं ‘हम्म..’ लिख दिया.
फिर भाभी बोली कि क्या तुम्हारे लिए एक गर्लफ्रेंड की व्यवस्था करूं? मैंने कहा- आप हैं ना, काम चला लूंगा. इस पर उसने हंसते हुए कुछ इमोजी भेजकर कहा कि मेरा खर्चा महंगा पड़ जाएगा. मैंने भी कह दिया- सस्ती चीजें मुझे पसंद नहीं हैं.
उसके बाद हमने चैटिंग खत्म कर दी.
रोज थोड़ी हाय हैलो होती रही.
तकरीबन चार पांच दिन बाद रक्षाबंधन था, तो उनके पति अपनी बहन के पास मुंबई चला गया. इधर भाभी छोटे बच्चे के साथ घर पर अकेली रह गई थी.
आखिर मैं वो समय आ गया था, जिसका मुझे बेसब्री से इन्तजार था.
रक्षाबंधन के अगले दिन, करीब रात के 9 बजे उसने मुझे कॉल किया कि मुझे तुमसे कुछ काम है, क्या जरा आ सकते हो? मैंने कहा- ठीक है आता हूँ.
मैं उसके रूम पर गया, तो भाभी दरवाजे पर ही खड़ी थी. उसने मुझे देखा और कहा कि अन्दर आ जाओ. मेरे अन्दर जाने के बाद उसने दरवाजा लगा दिया और मुझसे पूछा कि खाना हो गया? मैंने कहा- हां हो गया है.
उस दिन भाभी लाल साड़ी में गजब की लग रही थी, उसके बाल भीगे हुए थे. शायद वो कुछ देर पहले ही नहायी हुई थी.
वो मेरे पास ही बैठ गयी और टीवी चालू कर दिया. उसके शरीर से गजब की सुगंध आ रही थी, जो मुझे पागल किए जा रही थी. अब मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो रहा था, मेरा पैंट टाइट होने लगा था.
मैंने भाभी से नजर बचाते हुए पैंट को सीधा किया लेकिन उसने मेरी पैन्ट को फूला हुआ देख लिया था. वो बोली- कोई दिक्कत है क्या? मैंने कहा- नहीं. पर वो समझ चुकी थी कि दिक्कत किस बात की है.
इसके बाद दो पल की चुप्पी के बाद मैंने कहा- आपको कुछ काम था ना? उसने कहा- हां है ना तुमसे काम.
इतना कहकर उसने अपने होंठ मेरे होंठ पे और एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मुझे किस करने लगी. उसकी इस पहल से पहले तो मैं हड़बड़ाया, लेकिन तुरंत ही सम्भल गया और उसका साथ देने लगा. मैं भी अब पूरी तरह खुल चुका था. मुझे उसकी तरफ से पूरी इजाजत मिल चुकी थी. उसकी चुत में लंड डालने के लिए मैं पूरी तरह से आजाद था.
अब मैं भी उसे पकड़ कर किस करने लगा. चुदास दोनों तरफ लग चुकी थी, हमारे शरीरों से मानो आग निकल रही थी. भाभी मेरा साथ खुल कर देने लगी थीं. मैंने भाभी की पैंटी में हाथ डाल दिया. उसकी चुत एकदम गर्म भट्टी सी लग रही थी. भाभी की चूत पर हल्के बालों का भी एहसास हो रहा था.
मैं अपनी उंगली को उसकी चुत में डाल कर हल्के हल्के से अन्दर बाहर करने लगा. भाभी को मेरी उंगली का चूत में चलाना बड़ा मजा दे रहा था.
मैं उसे किस किए जा रहा था. भाभी भी पूरी जोर से मुझे किस किए जा रही थी. भाभी की कामुकता भयंकर रुप ले चुकी थी. उसकी टांगें पूरी तरह खुल चुकी थीं. उसकी चुत में उंगली करने से वो एकदम मचलने लगी थी.
फिर मैं वहां से उठा और मैंने टीवी की आवाज को जरा बढ़ा दिया. इसके बाद मैं भाभी को अपनी गोद में उठा कर अन्दर वाले रूम में ले गया. कमरे में ले जाकर उसे बेड पर पटक दिया.
इसके बाद मैंने एक एक करके उसके सारे कपड़े उतार दिए. अब वो पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. भाभी के जिस्म पर सिर्फ पैंटी बची थी. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि वो मेरे सामने नंगी पड़ी है. मैं अब पूरी तरह उसके मम्मों पर टूट पड़ा और उनका रस चूसने लगा. मैं एक हाथ से उसके एक चुच्चे को दबा रहा था और एक चुच्चे का रसपान कर रहा था, हालांकि उसके चुच्चे थोड़े छोटे थे, लेकिन उनसे खेलने में बहुत मजा आ रहा था.
भाभी भी पूरी तरह वासना के इस खेल के आनन्द में डूब गयी और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आउच..’ जैसी तरह तरह की आवाजें निकालने लगी. मैं अब ये समझ चुका था कि भाभी पूरी तरह गरमा गयी है और अपनी गर्म चुत में मेरा लंड डलवाने को मचल रही है.
काफी देर उनके मम्मों से खेलने के बाद वो मुझसे अलग हो गई. अब वो मेरे कपड़े उतारने लगी. जब मेरे पूरे कपड़े उसने उतार दिए, तो वो मेरा 8 इंच का लंड देख कर मस्त होकर बोली- वॉओ यार तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले … इतना बड़ा औजार तो मुझे आज तक नहीं मिला. मुझे लगता है आज कुछ ज्यादा ही मजा आने वाला है.
बस इतना कहकर भाभी ने मेरे लंड पर हाथ फेरा और अपने मुँह में लंड डाल कर चूसने लगी. लंड चुसाई शुरू होते ही मेरी सांसें तेज हो गईं. मैं भी भाभी के मुँह में लंड से हल्के हल्के से धक्का देने लगा. भाभी को भी काफी मजा आ रहा था, वो मजे ले लंड चूस रही थी. वो लंड चूसने में माहिर औरत थी. लंड चुसाई के साथ वो मेरे आंड भी सहला रही थी.
मस्त लंड चुसाई से मैं थोड़ी देर में ही उसके मुँह में झड़ गया. उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया, फिर लंड चाट चाट कर साफ कर दिया.
इसके बाद मैंने भाभी को अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा. भाभी भी पागल हुए जा रही थी और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी थी. मैंने भाभी को सीधा लिटा दिया और उसकी चुत पर जीभ घुमाने लगा. हल्के हल्के से रेशमी झांटों से घिरी हुई भाभी की चुत को चाटने में गजब मजा आ रहा था. भाभी भी अब अपनी गांड हिला रही थी और आवाजें निकाल रही थी- आह्ह आह्ह आउच अम्म्म … हाय आआह …
उसकी मादक सिसकारियां अब और भी बढ़ने लगी थीं. उसकी चूत की खुशबू मुझे और भी पागल किए जा रही थी. मैं पूरी मस्ती में उसकी चुत को चाट रहा था और वो कामुक सिसकारियाँ भर रही थी. मैं अपनी जीभ को भाभी की चुत में जितनी अन्दर जा सकती थी, डाल कर उसकी चुत चटाई का मजा लेने लगा. भाभी मेरे बालों को कसके जकड़े हुए थी और सिसकारियाँ भरे जा रही थी. वो कहे जा रही थी- रॉकी बस यार अब सहा नहीं जाता … मार डालोगे क्या..? मैंने कहा- नहीं भाभी अभी तो शुरूआत हुयी है, तुम्हें तो अभी बहुत मजा मिलने वाला है.
थोड़ी देर बाद भाभी अकड़ने लगी. मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है. मैं तब भी उसकी चुत चटता रहा. फिर उसकी चुत से गर्म पानी निकलने लगा. वो तेज आवाज निकालते हुए झड़ चुकी थी. इसके बाद वो कुछ देर के लिए निढाल होकर पड़ी रही.
तब तक मैंने अपने लंड पर हल्का तेल लगाया और उसकी चुत पर रगड़ने लगा. भाभी गांड उठाते हुए बोली- यार अब बर्दाश्त नहीं होता … मुझे और मत तड़पाओ … जल्दी से अपने लंड को मेरी चुत में डाल कर मुझे तृप्त कर दो.
मैंने लंड पर हल्का जोर देते हुए उसकी चुत में डालने लगा. अभी थोड़ा ही डाला था कि भाभी की आंखें बाहर निकल आईं, वो बोलने लगी- आह … थोड़ा रुक जाओ … बहुत दर्द हो रहा है.
मैं हौले हौले से उसकी चुत पर हाथ घुमाने लगा और धीरे धीरे करके मैंने अपने पूरे लंड को उसकी चुत में घुसेड़ दिया. उसकी आंखों में आंसू आ गए थे. मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका पति उसे सेक्स का सुख नहीं दे पा रहा था.
खैर … मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा और उसको किस करने लगा. जब उसका दर्द थोड़ा शान्त हुआ, तो मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा. अब उसे भी मजा आने लगा था. उसकी मादक सिसकारियों से पूरा कमरा गूँज उठा था, लेकिन टीवी की तेज आवाज की वजह से कोई समस्या नहीं थी.
काफी देर तक मेरा लंड भाभी की चुत का सामना करता रहा. फिर मैंने उसे उल्टा कर दिया. लेकिन भाभी डर गयी और बोलने लगी- अभी तक मैंने गांड नहीं मरवायी है … प्लीज उधर रहने दो, बहुत दर्द होगा. मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, लेकिन मजा भी बहुत आएगा. वो डरते हुए मान गयी.
फिर मैंने तेल लिया और भाभी की गांड के छेद पर लगा दिया. कुछ तेल अपने लंड पर भी मल लिया. उसके बाद मैंने उसकी गांड में पहले अपनी अनामिका उंगली को डाला और अन्दर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को उसकी गांड के द्वार पर रखा और धक्का देते हुए पूरी तरह अन्दर डाल दिया …
इससे भाभी पूरी तड़प उठी और चिल्लाने लगी. मैंने झट से अपने लंड को बाहर निकाला और हल्का तेल और लगा कर दुबारा से पेल दिया. इस बार मैंने एक जोरदार धक्के के साथ उसकी गांड में पूरा लंड डाल दिया. मैं लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. उसकी आंखें आंसुओं से भीग चुकी थीं.
थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो मजे से गांड हिलाने लगी. तकरीबन पांच मिनट तक भाभी की गांड मारने के बाद मैंने फिर से उसकी चुत में लंड डाल दिया.
अब हम दोनों ही कामवासना का भरपूर आनन्द ले रहे थे. काफी देर तक ये सिलसिला चलता रहा और भाभी मादक सिसकारियाँ भरे जा रही थी.
कुछ देर बाद वो अकड़ने लगी, मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है. मैंने भी थोड़े धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसे चोदता रहा. भाभी झड़ चुकी थी. पर मैंने स्पीड और बढ़ा दी. कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला था. मेरी सांसें तेज हो गयी थीं. मैंने भाभी से कहा- चुत में रस डाल दूँ क्या? उसने कहा- नहीं.
वो उठ कर बैठ गयी और मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी. मेरा माल निकल गया और उसने पूरे माल को अपने मुँह में गटक लिया. भाभी मेरा लंड चूसने लगी.
थोड़ी देर हम दोनों एक दूसरे को किस करते रहे और फिर एक बार हम लोगों ने जबरदस्त चुदाई का भरपूर मजा लिया.
रात के करीब 12 बज चुके थे. मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश हुआ और कपड़े पहन लिए.
उसके बाद मैंने भाभी को किस किया और जाने लगा. तभी भाभी ने रोक कर मुझे एक किस किया और बोली- कैसी लगी नयी गर्लफ्रेंड? मैं बस मुस्करा दिया.
फिर उसने कहा- कल फोन करूंगी. मैंने कहा- ठीक है. क्या मैं अपने दोस्त को भी साथ ला सकता हूँ. भाभी बोली- मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
मैंने मुस्कुराकर उसको चूम लिया और उसके दूध मसल दिए.
फिर मैं अपने रूम पर चला आया. मेरा दोस्त अपनी पत्नी से फ़ोन पर लगा था.
मुझे देख कर बोला- कहां थे? मैंने कहा- जन्नत में … कल दोनों जन जाएंगे. वो समझ गया और मुस्करा दिया.
दोस्तो, अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है, आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी. अपना फीडबैक जरूर दीजियेगा ताकि आगे की कहानी लिख सकूँ. [email protected]
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