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नमस्कार दोस्तो! मेरा नाम मनोज है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और रोज़ अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ कर अपना पानी निकालता था। और जब भी पानी निकल जाता था तो सोचता था कि ऐसा कैसे हो सकता है कि एक माँ या एक बहन अपने सगे बेटे या भाई से ही सेक्स करवा ले। पर यकीन मानो दोस्तो, ये चूत और लंड चीज़ ही कुछ ऐसी है कि रिश्ता याद ही नहीं रहता।
अब वक्त बर्बाद न करते हुए सीधे उन बातों पर आता हूँ जिसका आप भी इतंज़ार कर रहे हैं और मैं भी आपको बताने के लिए बेताब हूँ।
बात आज से करीब 7 साल पहले की है जब मैंने बी. कॉम. में दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। जब कॉलेज में मैंने खूबसूरत लड़कियों को उनके बॉयफ्रेंड या शायद फ्रेंड्स के साथ देखा था तो मुझे भी कोई गर्लफ्रेंड बनाने का मन करने लगा।
माफी चाहता हूँ दोस्तो, पर इन सब बातों में, मैं आपको अपने बारे में बताना तो भूल ही गया। मैं 5’7″ की लंबाई वाला साधारण सा दिखने वाला लड़का हूँ। मेरे अंदर कुछ भी ऐसा खास नहीं है जो मैं आपको बता सकता हूँ। अन्तर्वासना की कहानी और पोर्न फिल्म देख कर हमेशा हाथ से ही किया है। कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी इसीलिए पोर्न फिल्म देख कर ही खुश(या मज़बूर) रहता था।
कहानी पर आते हैं।
क्योंकि कॉलेज घर से दूर था इसीलिए घर वालों ने एक बाइक दिलवा दी थी। बाइक से ही रोज़ कॉलेज आना जाना होता था। पर बदकिस्मती से एक बार घर जाते हुए मेरी बाइक फिसल कर गिर गयी जिससे मुझे भी थोड़ी चोट आई और बाइक का भी बहुत नुकसान हो गया था। इस वजह से मेरी मम्मी और पापा ने मुझे कॉलेज के पास ही कमरा लेकर रहने के लिए बोल दिया।
वैसे जो भी मेरे दोस्त मेरी मम्मी का नाम आने का इंतज़ार कर रहे थे उन्हें बताना चाहता हूँ। मेरे पापा एक सरकारी बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत हैं और मम्मी पूनम घरेलू महिला है। पापा की उम्र लगभग 45 साल है पर वो बहुत बूढ़े और थके हुए लगते हैं जबकि मम्मी की उम्र 42 साल है और वो कितनी हसीन है शायद सिर्फ मेरे पापा जानते हैं। गोल गोल चुचे, मोटी गांड, काले घने रेशमी बाल। मतलब हर वो इंसान जिसे जन्नत देखनी है वो मेरी माँ को देख ले। मेरी माँ को देखना ही जन्नत से बड़ा सुख है तो उन्हें पाना तो खुद सोचो क्या है।
मैंने कॉलेज के पास फ्लैट ले लिया और कॉलेज जाने लगा। धीरे धीरे कॉलेज में दोस्त तो बहुत बन गए पर गर्लफ्रैंड एक भी नहीं थी। जब अन्तर्वासना के अलावा मेरे पास कुछ नहीं था तो अन्तर्वासना की माँ बेटे की कहानी पढ़ कर हाथ से करता रहता था पर मुझे नहीं पता था कि किस्मत मुझ पर कुछ ऐसे मेहरबान हो जाएगी।
मैंने फेसबुक पर एक फेक आईडी बनाई जिसमें अपना प्रोफेशन जिगोलो बताया। पहले तो बहुत फेक लोग मिले पर किस्मत से एक दिन छाया नाम की महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी। उससे बात करने पर पता चला कि उसका पति 6 महीने से विदेश में रहता है और वह सेक्स की भूखी है। उसे खुश करने पर वो मुझे 20,000 रूपये भी देगी। मुझे और क्या चाहिए था मैं उसकी बताई हुई जगह पर दिन में 12 बजे पहुँच गया।
अब कहानी शुरू होती है।
मैं काले रंग के कोट में जब उस महिला के घर पहुँचा तो उस महिला ने ही गेट खोला और मुझे सोफे पर बैठने के लिए बोला। फेसबुक पर वो महिला इतनी खास नहीं लग रही थी पर सामने जब वो बैठी थी तो उसके खुले घुंघराले बाल, नशीली आंखें, कांपते हुए गुलाबी होंठ, सुराही जैसी गर्दन और उनके नीचे 38 साइज के बिल्कुल गोल और मोटे चुचे उसे किसी अप्सरा से कम होने का अहसास नहीं होने दे रहे थे।
उसे देख कर मेरा लन्ड पैंट में ही फटने के लिए तैयार हो गया। मन कर रहा था कि बस अभी पकड़ लूँ पर जानता था कि ये थोड़ी देर में मुझसे ही चुदेगी इसीलिए नार्मल होने का नाटक करने लगा। छाया- कब से ये कर रहे हो? मैंने झूठ बोला- 6 महीने हो गए है। छाया- तो इंतज़ार किसका?
छाया अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी कि मेरे होंठ और होंठों से चिपक गए थे। उसके शरीर से बहुत मादक सी खुशबू आ रही थी जो मेरे शरीर को बेकाबू कर रही थी। क्योंकि यह मेरा पहला अनुभव था इसलिए मैं किस करते हुए पैंट में ही झड़ गया।
क्योंकि मेरा लौड़ा पूरी तरह से उफान पर था और पैंट के ऊपर से ही छाया के पेट को छू रहा था इसीलिए छाया को मेरे लन्ड के छूटते हुए झटके महसूस होने लगे और वो हँसने लगी जिससे मेरे होंठों की पकड़ उसके होंठों से फिसल गई।
मुझे शर्म आने लगी कि मैं 20 साल की उम्र में नामर्द हूँ क्या? इस 35 साल की हसीन औरत को छूते की मेरा लन्ड पानी छोड़ गया। छाया- क्या हुआ? मैं- तुम्हें देख कर रहा नहीं गया बस पता नहीं कैसे पर मेरा पानी निकल गया। छाया- अगर लौड़ा पानी नहीं छोड़ेगा तो दूध छोड़ेगा क्या? उसके मुंह से लौड़ा शब्द सुन कर जान में जान आयी।
मैं- नहीं जान, दूध के लिए तो ये हसीन चूची है। बोलते हुए मैंने उसके चूची दबा दी और हम दोनों हँसने लगे।
पता ही नहीं चला कब हमारी हँसी बन्द हो गयी और हम भूखे भेड़िये की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े। हम दोनों की आँखें बंद थी। सांस टकरा रही थी। होंठ से होंठ और जीभ से जीभ लड़ रही थी। मेरा एक हाथ उसके चुचे सहला रहा था और दूसरा हाथ उसके चूतड़ दबा रहा था। उसने भी दोनों हाथ से मेरे शरीर को दबा रखा था। मेरा लौड़ा फिर से तन चुका था।
उसने मुझसे बेड पर चलने के लिए बोला पर मैं तो अलग ही मूड में था। मैंने उसका टॉप गले से पकड़ा और दो टुकड़ों में बाँट दिया और यही हाल उसकी ब्रा के साथ किया। अभी तक हमारे होंठ जुड़े हुए थे और हम अलग ही दुनिया में थे।
जैसे ही मेरा हाथ उसकी नंगी चूची पर पड़ा छाया के मुँह से एक सीत्कार सी निकली- आ आह … रा…हु…ल, खा लो न मुझे। मैंने फेसबुक पे अपनी आईडी राहुल नाम से बनाई थी।
मैंने आँखें खोली और छाया को निहारा। उसका दूध से भी गोरा बदन काँप रहा था। बिल्कुल गोल चुचों पर गुलाबी सी घुंडी पागल कर रही थी। उसकी आंखें बंद थी और मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे. वो मदहोशी में अपना शरीर उठा रही थी जिससे उसके चुचे मेरे मुंह के बहुत पास आ चुके थे। मैंने अपने दांतों से उसकी घुंडी को हल्का सा दबाया और उस पर धीरे धीरे जीभ फेरने लगा।
छाया जो अभी तक सिर्फ आंख बंद कर के सीत्कार मार रही थी वो चिल्लाने लगी- आह आ…ह … आजा राहुल … जल्दी आजा! और मेरे पैंट की बेल्ट खोल के अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया। अचानक उसने आंख खोली और मुझे पीछे की और धक्का दिया। जिससे मैं सामने वाले सोफे पर गिर गया।
मैं- क्या हुआ जान? छाया- राहुल जरा अपना हथियार दिखाना। “जरा क्यों, पूरा देखो!” मैंने खुश होते हुए अंडरवियर पूरा उतार दिया।
पैंट में ही झड़ने की वजह से वो पूरा गीला था। मैं समझ चुका था कि गीले लन्ड की वजह से छाया गुस्से में आ गयी है। मैं- सॉरी जान, तुम्हारा शरीर ही ऐसा है कि मैं खुद को रोक नहीं पाया था और पैंट में ही झड़ गया था। आप नाराज़ नहीं होना मैं बस एक मिनट में साफ कर के आ रहा हूँ।
इतना बोल कर बाथरूम में चला गया अच्छी तरह खुद को साफ करके और पूरे कपड़े उतार कर 5 मिनट में छाया के सामने आ गया। जब छाया के सामने पहुँचा तो देखा कि छाया अभी भी सोफे पर वैसे ही बैठी है और कुछ सोच रही है। क्योंकि अब मैं पूरी तरह नंगा था और छाया भी ऊपर से बिना कपड़ों के थी तो मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह बिल्कुल टाइट हो गया था।
मैं सोफे पर बैठ गया और छाया को अपनी गोद में बैठा लिया जिससे उसकी और मेरी छाती एक दूसरे से रगड़ खाने लगी. फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटाते हुये पूछा- परेशान क्यों हो? वो बोलने लगी- राहुल, मैंने बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया। मुझे बहुत डर लग रहा है। मैंने बहुत मर्दों के साथ सेक्स किया है पर मैंने कभी इतना बड़ा लन्ड नहीं देखा।
मुझे लगा कि वो मुझे खुश करने के लिए ऐसा बोल रही है तो मैंने भी उसे बांहों में भर कर चूमना शुरू कर दिया। चूमते हुए वो थोड़ी ऊपर उचक गयी जिससे उसकी चूची मेरे मुँह में आने लगी। उसका शरीर अकड़ रहा था, नहीं … नहीं … आह … की मादक आवाज़ कमरे में गूंज रही थी।
अब हम दोनों से रहा नहीं जा रहा था, वह सोफे पर ही खड़ी हो गयी जिससे उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आ गयी। मैंने उसकी जीन्स नीचे की तो देखा उसने पेंटी नहीं पहनी थी और मेरे आंखों की 2 इंच की दूरी पर एक बालो की गुलाबी रंग की चूत थी। पोर्न मूवीज में तो हर तरह की चूत देख चुका था पर चूत के असली खुशबू आज महसूस हो रही थी। मैंने उसकी चूत में एक प्यारा सा किस किया तो महसूस हुआ कि छाया के दोनों हाथ मेरे सिर पर हैं और वो अपनी चूत पर मेरे मुंह का दबाव बना रही थी।
मुझे भी वो खुशबू अच्छी लग रही थी, मैंने मेरी जीभ निकाली और छाया की चूत में फेरने लगा। मैं चाट रहा था, चूस रहा था, काट रहा था। मन कर रहा था खा जाऊँ इस चूत को! और चूसते हुए मैंने अपनी बीच वाली उंगली छाया की चूत में डाल दी।
छाया मदहोशी में चिल्लाने लगी। उसने सोफे पर ही लिटा दिया मुझे … और मेरे मुंह पर बैठ कर अपनी चूत रगड़ने लगी। मुझे सांस नहीं आ रही थी पर मैं भी रुकना नहीं चाहता था। आआ … आ … आ..ई … की तेज आवाज के साथ अचानक से हल्की पानी की धार मेरे मुंह में आयी और मैंने बिना वक़्त बर्बाद किये वो पानी पी लिया। पता नहीं क्यों पर आज सब कुछ अच्छा लग रहा था।
निढाल होकर छाया मेरे शरीर पर गिर गयी, वो थकी हुई लग रही थी, उसके पैर अभी भी काँप रहे थे। वो बिना कपड़ों के मेरे ऊपर आंख बंद कर के लेटी थी। छाया का थका हुआ बदन, उसके थरथराते होंठ, खुले बाल, नंगी छाती उसकी खूबसूरती में 4 चाँद लगा रहे थे।
छाया अपनी चूत चटवा कर पानी छोड़ चुकी थी पर मेरी तो शुरुआत थी। हम बिना कपड़ों के एक दूसरे से लिपटे हुए थे। छाती से छाती, होंठ से होंठ और साँसों से सांसें टकरा रही थी। मैं उसके कांपते बदन को फिर से चूमने लगा.
वो मेरे ऊपर ही लेटी थी तो मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत पर टिका दिया। गीली चूत होने की वजह से टोपा अंदर जाने लगा तो मैंने भी छाया के चूतड़ पकड़ के थोड़ा दबाव बनाया जिससे थोड़ा था हिस्सा चूत में चला गया। हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे इसीलिए वो कुछ बोल तो नहीं पायी पर मना करते हुए गर्दन हिलाने लगी और मुँह से गूँ … आह … की आवाज़ से उनसे अपनी चूत पीछे कर ली जिससे मेरा थोड़ा सा घुसा हुआ लौड़ा पच्च की आवाज़ के साथ निकल गया। मैं- क्या हुआ जान? उसने अपनी चूत हथेली से दबाते हुए इशारे में कुछ नहीं कहा।
छाया मुझे और भी खूबसूरत लगती जा रही थी। मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाने लगा। हम दोनों के जिस्म नंगे होने की वजह से उसके चूतड़ों में मेरा लौड़ा टकरा रहा था जो हम दोनों को मदहोश कर रहा था। वो अपने नाखून मेरी छाती में चुभा रही थी उसकी आंखें बंद थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और लौड़ा उसकी चूत पर टिका दिया।
मैं बेकाबू था और एक झटके में आधा लौड़ा उसकी चूत में डाल दिया। वो बहुत तेज़ चिल्लाई और मुझे पीछे धकेलने लगी। पर मैं खुद को रोक नहीं पाया और उसके होंठ अपने होंठों में दबा कर दूसरा झटका मारा। मेरा लौड़ा उसकी चूत को चीरते हुए जड़ में समा गया। उसका शरीर काँप रहा था वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी। उसकी आंसू भारी आँखें मुझे रहम की भीख मांग रही थी। पर मेरा लौड़ा रहम शब्द का मतलब भूल चुका था। मैं एक हाथ से उसका सिर और एक हाथ हाथ से उसका गाल सहला रहा था।
जब उसने छूटने की कोशिश करनी बंद की तो मैंने उसके होंठ छोड़ कर धक्के लगाने शुरू किए। उसकी चूत बहुत टाइट थी जो हर धक्के पर उसे चिल्लाने के लिए मजबूर कर रही थी।
18-20 धक्के लगते ही उसने पैरों से मुझे बांध लिया। अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए और अपनी गांड उठा के पूरा लौड़ा अपनी चूत में समाने लगी। उसके पैर फिर से कांप उठे और पानी की हल्की सी धार मेरे लौड़े को भिगोते हुए मेरे पैरों को भिगाने लगी। उसका बदन काँप रहा था जो मुझे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था। वो निढाल हो कर गिरी थी पर मेरे धक्के तेज़ हो गए। छाया के शरीर और चेहरे पर कोई भाव नहीं था। पर मैं फच्च फच्च की आवाज़ के साथ लगातार उसे चोद रहा था।
15 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अचानक से मैं और वो तेज़ सीत्कार के साथ एक साथ पानी छोड़ गए। मैं उसकी चूत पर सिर रख के उसकी गीली चूत की खुशबू का अहसास ले रहा था और वो प्यार से मेरे बालों को सहला रही थी। उसके बाद बाथरूम में एक बार और हमने चुदाई का खेल खेला।
शाम के 5:30 बज चुके थे। मैंने कपड़े पहने और अपने रूम के लिए में जाने लगा तो छाया ने मेरे होंठ चूमते हुए 25,000 रुपये दिए। मैं तो भूल ही चुका था कि मैं यहाँ जिगोलो बन कर आया था। इसके बाद छाया ने अपनी बहुत सहेलियों को मुझसे चुदवाया और तब मुझे पता चला कि मुझमें भी कुछ खास है। मेरे लौड़े का साइज थोड़ा बड़ा होने की वजह से छाया बोलने लगी कि तुम्हारा शरीर आम इंसान जैसा है पर लौड़ा किंग साइज का है इसीलिए आज से तुम ही मेरे किंग हो। उसकी सारी सहेलियाँ भी मुझे किंग बोलती थी। छाया लगभग रोज़ मुझसे चुदाई करवाती थी। अब मैं छाया से पैसे भी नहीं लेता था। उसकी सारी सहेलियाँ ही मेरे खर्चे निकाल देती थी।
फिर कैसे मैंने अपनी माँ को चोदा? ये कहानी के अगले भाग में बताऊंगा। तो दोस्तो आपको मेरी कहानी कैसी लगी। कृप्या मेल में अपने सुझाव ज़रूर दें।
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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