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मेरी चूत चुदाई की कहानी के पहले भाग ममेरे भाई के साथ मेरी कुंवारी चूत की चुदाई-1 में अब तक आपने पढ़ा कि मेरे ममेरे भाई अर्पित ने मेरे मामा मामी की गैरमौजूदगी में मुझे सेक्स के लिए पटा लिया था. इस वक्त मैं उसके साथ बिस्तर पर लगभग नंगी पड़ी थी. अब आगे:
मेरे मम्मों को दबाते दबाते उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था, वो बोला- आशना, कैसा लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोली और बस ‘उन्नह..’ बोल कर शर्मा गई. वो समझ गया कि मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है. अब वो कुछ सख्त होने लगा था और अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को बेदर्दी से मसलने लगा था.
थोड़ी देर बाद उसने मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया. उसने जैसे ही मुझे सीधा लेटाया, तो मेरे दोनों तने हुए मम्मों को देखकर वो बहुत ही उत्तेजित हो गया. अगले ही पल उसने मेरी दोनों चुचियों को हाथों से दबोच लिया. मेरे एक दूध को मेरा भाई अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी चूची को मसलने लगा. वो अपने हाथ से मेरे चुची के निप्पल को मींजने लगा. फिर उसने मेरे दोनों मम्मों को एक साथ किया और एक साथ ही मेरे दोनों दूध अपने मुँह से चूसने लगा. मेरी दोनों चुचियां एक साथ उसके मुँह में जाने से और दोनों होंठ से दबाने से में भी बहुत उत्तेजित हो गई.
थोड़ी देर यूं ही मेरी चुचियों से खेलने के बाद वो बेड पर उठा. फिर धीरे से वो मेरी पेंटी को निकालने लगा. मैंने कहा- अर्पित बस बस … यहीं तक ठीक है … और आगे नहीं प्लीज़.
यह सुनते ही वो मेरे सामने हंसने लगा, उसने कहा- क्या बोल रही हो यार … इतना सब कुछ होने के बाद तुम ना बोल रही हो. अभी हमने शुरुआत ही तो की है. तुमको जो देखना था, वो तो अभी तुमने देखा ही नहीं. ये सुनते ही मैं बहुत शरमा गई और मैं भी उसके साथ हंसने लगी.
जैसे ही उसे समझ आया कि मैं भी तैयार हूँ, तो तुरंत ही उसने अपने हाथों से मेरी पेंटी को नीचे की ओर खींच दिया. आअहह … अब मैं उसके सामने पूरी नंगी पड़ी थी. उसने मेरी कोमल सी भीगी सी चूत को देखा.
वो बोला- आशना, तेरी चूत बहुत ही जवान है यार. आज तेरी चूत मारने में मुझे बहुत ही मज़ा आने वाला है. ऐसा बोल कर उसने मेरी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
ओह माँ … मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं अपनी आंखें बंद करके बस उसके मज़े ले रही थी. थोड़ी देर बाद चूत पर हाथ फेरते फेरते उसने अपनी एक उंगली धीरे से मेरी चूत के अन्दर डाल दी. आहह … मैं और उत्तेजित हो गई और मेरी चूत पूरी गीली हो गई.
उसकी उंगली मेरी चूत के अन्दर घूमने से मैं थोड़ी ही देर में ही अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई. मुझे मेरी चूत के अन्दर इतनी गुदगुदी हुई कि मैं अंगड़ाई लेने लगी. उसको पता चल गया कि मैं अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई हूँ.
तब उसने धीरे से अपनी उंगली मेरी चूत में से बाहर निकाली और वो अपनी उंगली चाटने लगा. मैंने कहा- ये क्या कर रहे हो? तो उसने कहा- इसमें जो मज़ा है, तुम्हें नहीं पता. उसकी इस बात से मैं शरमा गई.
फिर वो धीरे धीरे मेरे पूरे बदन को चूमते चूमते अपना मुँह मेरी चूत के पास ले गया. मेरे भाई ने मेरी चूत पर अपनी जीभ लगा दी और मेरी चूत की फांकों में ऊपर से नीचे तक जीभ फेरते हुए चूत चाटने लगा. मेरी चूत पर उसकी जीभ फिरते ही मैं बहुत ही गर्म हो गई. मैंने अपने हाथ उसके सिर पर रख दिए. मैं भी पूरा आनन्द लेने लगी ‘आअहह … अहह …’ मुझे अपने भाई से अपनी चुत चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा था. वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चाट रहा था.
थोड़ी देर बाद मेरी चूत बहुत गीली हो गई. तभी उसने मुझे बेड पर उल्टा लेटा दिया और मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा. वो मुझे लेटा कर वो थोड़ी देर बेड से उठ गया. मैं औंधी लेटी थी, इसलिए मुझे पता नहीं चल रहा था कि वो क्या कर रहा है, पर थोड़ी देर बाद मुझे मेरी गांड पर कुछ गर्म गर्म एहसास हुआ.
आअहह जैसे ही उसने मेरी गांड को छुआ, तो मुझे पता चल गया कि ये तो मेरे भाई अर्पित का लंड था. उसका लंड बड़ा ही सख़्त और बेहद गर्म था. मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई. क्योंकि आज मैं किसी लड़के का लंड पहली बार देखने वाली थी.
वो मेरी पीठ पर चढ़ कर मेरे बदन पर लेट गया. उसका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था. उसने कहा- आशना आगे की ओर घूम जाओ … पर अपनी आंखें बंद रखना … ठीक है! वो मेरे ऊपर से हट गया. मैंने कहा- ठीक है.
मैं अपनी आंखें बंद रखकर आगे की ओर घूम गई. मैं आंखें बंद करके महसूस कर रही थी कि वो अपना लंड लेकर मेरे सामने ही खड़ा है. पर मैंने अपनी आंखें बंद ही रखीं. उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मूसल लंड पर रख दिया. आआअहह … आज मैंने किसी लंड को पहली बार अपने हाथों में लिया था.
तभी उसने थरथराती आवाज में कहा- आशना … अब आंखें खोलो. मैंने अपनी आंखें खोल दीं. मैंने जैसे ही आंखें खोलीं कि सामने अर्पित का बहुत लंबा लंड मेरे हाथ में था. पहले तो मैं थोड़ी डर गई और मेरे हाथ से लंड छूट गया. अर्पित हंस पड़ा और बोला- अरे तुम तो लंड देखकर ही डर गईं. मैंने कहा- नहीं नहीं ऐसा नहीं.
मैं शर्मा गई. उसने कहा- आशना शरमाओ मत … बस इसके मज़े लो. मैंने भी हंसते हुए उसको ज़ोर से किस किया और उसके साथ साथ अपने हाथ से फिर से उसके लंड को पकड़ लिया. मैं अपने भाई के मूसल से लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी. उसको भी मज़ा आने लगा. मैं भी उसके पूरे बदन को चूमने लगी. धीरे धीरे चूमते चूमते में उसके लंड के पास चूमने लगी.
उसने कहा- आशना यस आशना यस …
मुझे पता चल गया कि वो लंड चूसने के लिए कह रहा है … पर मैंने पहले कभी लंड नहीं चूसा था, तो मुझे पसंद नहीं था. मैंने ना बोला. उसने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं.
थोड़ी देर बाद उसने मेरी आंखों पर मेरी ही ब्रा की पट्टी बनाकर बांध दी और मुझे बेड पर बिठा दिया.
फिर उसने कहा- आशना अपना मुँह नहीं खोलोगी?
उसके यह कहने पर मैंने अपना मुँह खोल दिया. मेरे मुँह खोलते ही उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया. मैंने हटने की कोशिश की पर उसने थोड़ी देर के लिए मेरे सिर को ज़ोर से पकड़ लिया. अब मेरी आंखें बंद थीं और मेरे मुँह में अर्पित का लंड था. मैं उसका लंड बाहर भी नहीं निकाल सकती थी … क्योंकि उसने मेरा सिर अपने हाथों से ज़ोर से पकड़ रखा था.
थोड़ी देर बाद मेरे मुँह में उसका लंड रहने से मुझे भी मज़ा आने लगा और मैं उसका लंड चूसने लगी. अब अर्पित ने मुझसे पूछा- क्यों आशना, तुमको तो लंड पसंद नहीं था ना … मुँह में लेना?
मैंने कुछ नहीं कहा और बस लंड को चूसने का मज़ा लेती रही. एक ओर मुझे ऐसा लग रहा था कि ये सब ग़लत है और एक तरफ लग रहा था कि अब पूरे मज़े कर ही लूँ. न जाने फिर कब ऐसा मौका मिले. ये सोचकर उसका लंड में चाटती रही.
जब मेरे मुँह में उसका लंड था और मैं जब उसका लंड ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी, तब अचानक मेरे मुँह के अन्दर कुछ हुआ. जब तक मैं उसका लंड मुँह से निकाल पाती कि उसके पहले ही मेरा मुँह उसके वीर्य से पूरा भर गया. भाई का लंड मेरे मुँह के अन्दर होने की वजह से उसकी पिचकारी बहुत अन्दर तक चली गई. उसके लंड का आधा वीर्य मेरे गले के अन्दर भी चला गया.
आअहह … मैंने तुरंत ही अपने मुँह से उसका लंड बाहर निकाला. मैं पूरी डर गई थी. उसने हंसते हुए कहा- क्या हुआ? मैंने कहा- तुम्हारा वीर्य मेरे अन्दर भी चला गया है … कुछ हुआ तो?
ये सुनते ही वो ज़ोर से हंस पड़ा. उसने कहा- इस मुँह से निगलने से कुछ नहीं होता … मेरी रानी … नीचे के मुँह से निगलोगी तो कुछ होगा समझी. फिर कुछ कैसे होता है, तुम्हें पता ही होगा. मैं हंस दी. चूंकि मुझे उसके लंड का स्वाद मजेदार लगा था इसलिए मैं अपने मुँह में बचे वीर्य का स्वाद लेने लगी.
कुछ देर तक हम दोनों यूं ही ऐसे पड़े रहे.
फिर मेरे भाई ने कहा- आशना बस अब तुम मेरा लंड फिर से चूसो और खड़ा कर दो. मुझे उसका लंड चूसने में बहुत मज़ा आया था. इसलिए मैंने फिर से उसका लंड मेरे मुँह में लिया और बहुत ही शांति से लंड को चूसने लगी. अबकी बार मैं उसके लंड को ऐसे प्यार से चूस रही थी, जिससे उसे भी मज़ा आए. मैंने पूरे लंड को गले गले तक लेकर बड़ी मस्ती से चूसा.
उसने मेरे दूध मसलते हुए कहा- आशना, तुम बहुत ही मस्त लंड चूसती हो यार. यह सुनते ही मुझे भी मजा आ गया और बहुत ही प्रेम से उसका लंड चूसा. थोड़ी देर में उसका लंड एकदम लंबा और कड़क हो गया. उसने मुझे बेड पर लेटा दिया. अब उसने कहा- आशना अब तुम ज़न्नत के नज़ारे देखने के लिए तैयार हो जाओ.
यह सुनकर मैं बहुत शर्मा गई, मैं समझ गई थी कि भाई का लंड अब मेरी चूत फाड़ेगा.
भाई ने ये कहते कहते मेरी टांगें फैला दीं और अपना लंड सैट करके मेरी चूत में डाल दिया.
‘आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओओओ उहह.’ उसका लंड जैसे ही मेरी चूत के अन्दर गया, तो मेरे मुँह से चीख निकल गई. मुझे बहुत ही दर्द हो रहा था. मैंने अर्पित से कहा- बहुत दर्द हो रहा है … प्लीज़ निकाल लो … मुझे नहीं चुदवाना. प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लो. वो बोला- अरे डार्लिंग … अभी तो मेरा लंड सिर्फ़ आधा ही अन्दर गया है. अगर तुमको बहुत दर्द हो रहा है, तो निकाल देता हूँ.
ऐसा बोल कर वो थोड़ी देर मुझे किस करता रहा. उसका आधा लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था. उसके एक ही वार ने मेरा चूत का परदा तोड़ दिया था. कुछ पल बाद मेरा दर्द कुछ कम हो गया. तो मैंने उससे पूछा- मुझे इतना दर्द क्यों हो रहा है? वो बोला- तुम्हारी सील मेरे एक ही झटके से टूट गई है इसलिए … पर अब दर्द नहीं होगा.
थोड़ी देर वो अपना लंड मेरी चूत में डालकर मेरे साथ बातें करता रहा. थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कम होते ही उसने बातों ही बातों में मेरी चूत में अपने लंड से और एक ज़ोर से धक्का दे दिया. इस बार उसने अपना पूरा छह इंच का लंड मेरी चूत को चीरते हुए अन्दर तक डाल दिया. मेरे मुँह से फिर से सिसकारी निकल गई- आआअहह … मर गई अर्पित … मर गई मैं तो!
पर वो अपने लंड से मेरी चूत में धक्के देता ही रहा और मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदता रहा. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, पर वो मुझे बेरहमी से चोदता ही रहा. ‘आआहह … आअहह … आआअहह … उउइई माँआअ … मैं मर गई … आअहह…’
थोड़ी देर बाद उसने मेरे होंठ पर होंठ जमा दिए. उसने मुझे किस करते करते चोदना चालू रखा. उसके किस करते ही मेरे मुँह से आवाज़ निकलना बंद हो गई और मैं भी चुदाई का मज़ा लेने लगी.
उस दिन अर्पित ने मुझे पूरा एक घंटा चोदा. उस दौरान मैं न जाने कितनी बार पिघली होऊंगी, मुझे होश ही नहीं है.
काफी देर बाद अपनी कुंवारी चूत चुदाई का मज़ा लेते लेते मुझे मेरी चूत के अन्दर कुछ अहसास हुआ. मैंने अर्पित को देखा, तो वो अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ चुका था. वीर्य छोड़ते ही वो ओर ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगा. ये उसके लंड के अंतिम धक्के थे.
थोड़ी देर बाद वो निढाल होकर मेरे बदन पर ही ढेर हो गया. उसने मेरे होंठ पर अपने होंठ जमा दिए और मुझे किस करने लगा. मैं भी उसको किस करने लगी.
थोड़ी देर बाद वो मेरे बदन से उतर कर मेरे बाजू में बेड पर लेट गया. फिर उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया. वो बोला- आशना आज तुमको चोदकर मुझे बहुत मज़ा आया. मैंने भी कहा- आज मैंने अपनी लाइफ की पहली चुदाई अपने ही भाई से करवा ली. उसने कहा- आशना अब फिर से कब? मैंने हंस कर कहा- मम्मी पापा बाहर जाएंगे तब!
हम दोनों हंस कर एक दूसरे से चिपक गए. मेरी चुदाई न जाने कितनी बार हुई होगी. मैं अपने भैया के लंड की शैदाई हो चुकी थी.
आपको मेरी कुंवारी चूत की चुदाई की कहानी कैसी लगी … प्लीज़ मुझे मेल जरूर कीजिएगा. आपकी आशना [email protected]
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