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अन्तर्वासना के सभी यूज़र्स को मेरा नमस्कार! मैं नितीश कुमार मेरठ उत्तर प्रदेश से हूं और अन्तर्वासना पर हर रोज़ आने वाली कहानियों को पढ़ता रहता हूं। आज मैं आप सब के बीच अपनी कहानी लेकर आया हूं। कहानी लिखने में यदि मुझसे कोई गलती हो जाये तो माफ करना। यह कहानी मेरी और मेरी एक दूर के रिश्ते में लगने वाली भाभी की है।
बात उस समय की है जब मैं 18 साल का था और भाभी 32 साल की थी। मैं अपने चचेरे भाई भाभी के यहाँ अक्सर छुट्टियों में जाया करता था जिस वजह से मैं और भाभी बहुत क्लोज हो गए थे. हम दोनों एक दूसरे से सब तरह की बातें शेयर करते थे। मैं भाभी के साथ नॉनवेज बात भी कर लेता था।
भाभी का फीगर 38-36-38 का था और उनके दो बच्चे भी थे. आज जिस घटना की बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ वह उस दिन की है जब मैं भाभी के यहाँ एक शादी अटेंड करने गया हुआ था. शादी सर्दियों के दिनों में थी और उस रात मैंने शराब का सेवन कर लिया था. जब भाभी को यह बात पता चली कि मैंने ड्रिंक ली हुई है तो वो मुझ पर गुस्सा हो गईं.
मगर मैंने किसी तरह से उनको मना लिया. उन्होंने मुझसे कसम ले ली कि आइन्दा मैं कभी शराब को मुंह भी न लगाऊं तभी वो मुझसे बात करेंगी नहीं तो नहीं करेंगी. चूंकि वो मेरी प्यारी भाभी थी इसलिए मैंने उनकी कसम ले ली और वादा किया कि मैं कभी शराब को हाथ तक नहीं लगाऊंगा.
शादी में काफी मेहमान आये हुए थे और भाभी की बहन भी आई हुई थी. जिस कमरे में उनकी बहन बैठी थी उसी में मैं और भाभी भी बैठ कर बातें कर रहे थे. सब लोग अपनी बातों-बातों में लगे हुए थे.
कुछ ही देर में सब लोग तितर-बितर हो गये और उस कमरे में मैं और भाभी ही रह गये. उसके बाद भाभी की चूचियों का साइज देख कर मेरे मन में ख्याल आया कि उनसे थोड़ा फ्लर्ट कर लिया जाये. मैंने भाभी से कहा- एक बात पूछूं? वो बोली- हाँ. मैं- लगता है आप भैया के साथ रात में खूब मजे लेती हो भाभी. वो बोली- क्यूं, तुझे ऐसा क्यों लगता है? मैं- आपके ब्लाउज के साइज को देख कर लग रहा है. वो बोली- तुझे शर्म नहीं आ रही ऐसी बातें करते हुए अपनी भाभी से? मैं- भाभी और देवर के बीच में कैसी शर्म भाभी जी? वो बोली- बहुत ही हरामी हो गया है तू.
मैं- बताओ न भाभी, मैंने जो कहा वो सच है न? वो बोली- ऐसी किस्मत कहाँ है मेरी! मैं- क्यों, ऐसी बात क्यूं कह रही हो आप? आपको मजा नहीं आता क्या भैया के साथ? या आपका ही दिल नहीं करता है कुछ करने का अब? वो बोली- दिल तो बहुत करता है लेकिन … मैं- लेकिन क्या? भाभी- तुम्हारे भैया को अब मेरे बदन में कोई रुचि नहीं रही. मैं- क्यों? भाभी- मैं बहुत मोटी हो गई हूं, शायद इसलिए अब वो मुझ पर बहुत कम ध्यान देते हैं. लेकिन मुझे भी ऐसा लगता है कि उनमें भी अब वो पहले वाली बात नहीं रही. मेरी चूत की चुदाई जैसे बहुत दिनों से बंद सी पड़ी है. भाभी ने मेरे कंधे पर सिर रख लिया और उनका गला जैसे भर सा आया था.
मैंने पूछा- तो कितने दिन में करते हैं भैया आपके साथ? भाभी- महीने में मुश्किल से बस एक या दो बार ही करते हैं. वो भी तब, जब मैं उनके लिंग को पकड़ कर सहलाती हूं. मैं- तो आपने कभी उनसे इस बारे में बात नहीं की? भाभी- नहीं, मैं बात नहीं करना चाहती उनसे इस बारे में. अब बच्चे भी बड़े हो गये हैं इसलिए इन सब बातों का कोई फायदा नहीं है. मैंने कहा- मैं कुछ हेल्प करूं क्या? भाभी बोली- तुम क्या हेल्प करोगे?
भाभी ने मेरे कंधे से सिर उठाते हुए पूछा. मगर तब तक मेरा लंड मेरी पैंट में तन कर ऊपर आ चुका था. भाभी ने मेरे लंड को पैंट में तना हुआ देख लिया था. मगर एक नजर देख कर उन्होंने फिर से नजर ऊपर कर ली. मैंने भाभी के गालों से आंसू पौंछ दिये और उनके गालों को सहलाने लगा. भाभी ने भी मेरी इस हरकत पर किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई.
उसके बाद मैंने भाभी के हाथ को पकड़ लिया और अपनी पैंट में तने हुए लंड पर रखवा लिया. भाभी का हाथ रखते ही मेरा लंड जोर से झटके देने लगा. भाभी थोड़ी हिचक रही थी. वो मेरे लंड को पकड़ना तो चाहती थी लेकिन शर्म के मारे पूरे तरह से खुल नहीं पा रही थी.
फिर मैंने ही अपना हाथ भाभी के हाथ के ऊपर रख लिया. मेरे हाथ के नीचे दबकर भाभी का हाथ मेरे लंड पर दबाव बनाने लगा. वो थोड़ी सी गर्म होने लगी. भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और मैंने भाभी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
भाभी एकदम से डर गई और मुझे अपने से अलग कर लिया. मैंने पूछा- क्या हुआ. आप रुक क्यों गई? वो बोली- नहीं, ये ठीक नहीं है. मैं मानती हूँ कि तेरे भैया अब मेरी चूत को शांत करना जरूरी नहीं समझते लेकिन मैं उनकी पत्नी हूँ और इस तरह से मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करना चाहती. मैंने कहा- इसमें गलत क्या है भाभी. भाभी और देवर में प्यार का रिश्ता होता ही है.
भाभी मेरे तने हुए लंड की तरफ देख रही थी. मैं भी जान बूझ कर अपने लंड को बार-बार पैंट में उछाला दे रहा था. मैं भाभी को गर्म कर देना चाहता था. उसके बाद मैंने उनके चूचों को छेड़ते हुए कहा- अगर इन दूधों पर भैया ध्यान नहीं दे रहे तो क्या हुआ, मैं उनका ही भाई तो हूं. मैं आपको वो हर खुशी दूंगा जो भैया आपको नहीं दे पा रहे. फिर इसमें गलत क्या है भाभी?
इतना कह कर मैं भाभी के चूचों को दबाने लगा और मैंने फिर से भाभी के गालों पर हाथ रख कर उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. भाभी का हाथ फिर से मेरे तने हुए लंड पर आ गया. भाभी मेरे लंड को दबाने और सहलाने लगी. मैंने भाभी के चूचों को जोर से दबाना शुरू कर दिया और जल्दी ही भाभी गर्म हो गई.
अचानक से भाभी उठी और उन्होंने उठ कर कमरे की लाइट बन्द कर दी. लाइट बन्द करने के बाद वो एक रजाई उठा कर ले आईं और मेरे ऊपर डाल दी. फिर वो खुद भी रजाई में घुस गईं. अंदर आकर मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनके चूचों पर अपनी छाती सटा कर उनके होंठों को जोर से चूसने लगा. मैंने नीचे से भाभी की साड़ी को पेटीकोट समेत उठा लिया और एक हाथ से उनकी पैंटी को सहलाने लगी.
हम दोनों के जिस्म रजाई में गर्म हो गये थे. सेक्स की गर्मी भी बढ़ती जा रही थी. मैंने अपनी पैंट खोल कर अपनी पैंट को नीचे कर लिया और अंडरवियर भी उतार लिया. मेरा लंड भाभी की जांघों के बीच में फंसा लिया मैंने. उनके ब्लाउज को मसलता हुआ मैं उनके बदन को चूम रहा था. मेरा लंड बस भाभी की चूत में घुसने के लिए तड़प उठा था.
मैंने भाभी की पैंटी को निकलवा दिया और उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा. भाभी जोर-जोर की सांसें ले रही थी. अंदर ही अंदर इतनी गर्मी हो गई थी कि मुझे रजाई को अपने ऊपर से हटाना पड़ा नहीं तो अंदर ही दम घुट जाता.
उसके बाद पीठ तक रजाई हटाने के बाद मुझे थोड़ी राहत की सांस आई. मैंने भाभी की पैंटी को पूरी तरह से निकाल दिया. उसके बाद मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर लगा दिया और धकेलने की कोशिश की. मगर मेरा 6 इंच का लंड उनकी चिकनी हो चुकी चूत पर फिसल गया.
जब दो-तीन बार ऐसा ही हो गया तो भाभी ने खुद ही मेरे तने हुए लौड़े को अपने हाथ में लेकर अपनी चूत के मुंह पर सेट करके मुझे अपने ऊपर खींचा और लंड अंदर उनकी चूत में चला गया. लंड जब पूरा का पूरा भाभी की चूत में उतर गया तो मैंने उनकी चूत में लंड के धक्के देने शुरू किये.
चूत में लंड को लेकर भाभी को मजा आने लगा और वो मुझे प्यार करते हुए गर्दन पर चूमने लगी. उनके हाथ मेरे बदन को सहलाने लगे. मैं भी बीच-बीच में भाभी की गर्दन पर, कभी उनके ब्लाउज में फंसे चूचों पर किस कर देता था.
चूंकि शादी का माहौल था इसलिए हमने पूरे कपड़े नहीं उतारे थे.
मैं भाभी की चूत को चोदने में लगा हुआ था. दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था. उसके बाद मैं जल्दी ही भाभी की चूत में झड़ गया. मैं शांत होकर भाभी के ऊपर लेटा रहा. मेरा लंड भाभी की चूत में ही था और वो सिकुड़ कर बाहर आने लगा. जब लंड पूरा सिकुड़ गया तो चूत से बाहर आकर बिल्कुल छोटा हो गया. मैं एक तरफ आकर लेट गया.
भाभी ने फिर से मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया. कुछ देर तक भाभी मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाती रही. मगर उनके सहलाने से अभी लंड में तनाव नहीं आ पा रहा था. उसके बाद भाभी नीचे रजाई में घुस गई और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. सर्दी के मौसम में भाभी के गर्म मुंह में जाकर लंड में कुछ गुदगुदी सी हुई और मुझे मजा आने लगा.
कुछ देर में भाभी ने चूस-चूस कर मेरा लंड फिर से खड़ा कर दिया. शायद भाभी का पानी अभी नहीं निकला था इसलिए वो दोबारा मेरे लंड को लेने के लिए इतनी मेहनत कर रही थी. जब मेरी लंड पूरा खड़ा हो गया तो भाभी मेरे ऊपर आकर लेट गई. उनका वजन बहुत ज्यादा था. मगर मैं फिर भी उनके वजन को सहने की कोशिश करने लगा.
भाभी ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और पीछे से अपनी चूत मेरे लंड के पास लाकर पीछे से मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा लिया. भाभी मेरे लंड पर अपनी गांड को चलाने लगी. भाभी के चूचों की दरारें मेरे मुंह को ढके हुए थी. मैं भाभी के ब्लाउज को खोलने की कोशिश करने लगा लेकिन भाभी ने ब्लाउज नहीं खोलने दिया. मगर वो अपनी गांड को मेरे लंड पर चलाती रही और मेरे लंड से चुदती रही. काफी देर तक भाभी ने मेरे लंड पर अपनी चूत इसी तरह रगड़ कर मजा लिया. उसके बाद मैंने भाभी को साइड में गिरा लिया क्योंकि काफी देर से मैं भाभी के नीचे दबा हुआ था. मैंने रजाई एक तरफ हटाई और भाभी की टांगों को एक हाथ में उठा कर उनकी चूत पर लंड को सेट करके उनकी चूत में लंड को धकेल दिया.
भाभी की उठी हुई टांगों को थामे हुए मैं नीचे से भाभी की चूत को चोदने लगा. फच-फच की आवाज होने लगी. भाभी की चूत से कामरस निकल रहा था जिससे चूत बिल्कुल चिकनी हो गई थी. भाभी की चूत को इस पोजीशन में चोदते हुए बड़ा मजा आ रहा था क्योंकि इस पोजीशन में उनकी चूत थोड़ी टाइट सी लग रही थी.
मैं जोर जोर से भाभी की चूत में धक्के लगाने लगा. भाभी के मुंह से अंदर ही उम्म्ह… अहह… हय… याह… की दबी हुई सी आवाज आ रही थी. भाभी मुंह खोलने से बचना चाहती थी क्योंकि अगर आवाज बाहर जाती तो किसी को भी हमारी चुदाई के बारे में शक हो सकता था. मैं तेजी के साथ भाभी की चूत को चोदने लगा. भाभी को और ज्यादा मजा आने लगा और वो अपने हाथों से मेरी गांड को अपनी चूत में धकेलने लगी.
मेरा जोश और ज्यादा बढ़ गया और मैंने भाभी की चूत की चुदाई और तेजी से करनी शुरू कर दी. मशीन की तरह मैं भाभी की चूत में लंड को पेल रहा था. कुछ ही देर में भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया जो मुझे मेरे लंड पर महसूस हुआ. उसके बाद भी मैंने चुदाई जारी रखी क्योंकि अभी मेरा पानी नहीं निकला था.
भाभी ने अपने हाथ मेरी गांड से हटा लिये और अब वह शांत होकर आराम से चूत में लंड को ले रही थी. मैंने और जोर पकड़ते हुए पूरी ताकत के साथ भाभी की चूत को चोदते हुए दूसरी बार उनकी चूत में अपना माल गिराना शुरू कर दिया. हाँफता हुआ मैं भाभी के ऊपर लेट गया. भाभी ने मेरी पीठ को सहलाया.
कुछ देर हम ऐसे ही नंगी चूत और लंड के मिलन के साथ रजाई में लेटे रहे. उसके बाद हमने उठ कर अपने कपड़े पहन लिये. भाभी ने उठ कर कमरे की लाइट फिर से जला दी. भाभी ने अपने कपड़ों को ठीक किया और अपने बालों को सही करने लगी.
तभी भाभी की बहन अंदर कमरे में आ गई. एक बार तो उसको देख कर मैं सकपका गया क्योंकि मैंने अभी अभी तक पैंट नहीं पहनी थी. मैं अंडरवियर में ही था और मेरी पैंट भी रजाई में ही निकली हुई कहीं पड़ी थी.
भाभी की बहन भी एक बार तो भाभी की तरफ अजीब सी नजरों से देखने लगी. इधर मेरी भी हवा टाइट हो गई थी. लग रहा था कि हमारी चोरी कहीं पकड़ी न जाये. मगर रजाई होने के कारण कुछ पता नहीं लग पा रहा था कि मैंने नीचे से पैंट निकाल रखी है.
मगर मैंने अपना चेहरा सामान्य बनाने की कोशिश की. मैंने भाभी की तरफ देखा और एक हल्की सी मुस्कान दी तो भाभी भी नॉर्मल हो गई. उसके बाद भाभी की बहन भी नॉर्मल हो गई.
भाभी की बहन मेरे पास आकर बैठने लगी. भाभी की बहन बेड पर मेरे साथ ही बैठी थी और मैं नीचे से नंगा था. उनकी बहन ने कुछ बात छेड़ना चाही मगर भाभी भी खतरे को भांप गई थी. उसी वक्त भाभी ने दिमाग से काम लिया और अपनी बहन का ध्यान अपनी तरफ बंटाने की कोशिश करने लगी. भाभी उसको वहां से उठाते हुए किसी काम के बहाने से कमरे से बाहर लेकर चली गई. तब जाकर मेरी सांस में सांस आई.
उस रात भाभी की चूत चोद कर मेरा सारा नशा उतर गया था. मगर नशे में चूत मारने में मजा बहुत आया.
सुबह हुई तो भाभी का चेहरा खिला हुआ था. उस दिन के बाद मैंने भाभी को खुश करने की जिम्मेदारी ले ली थी. मगर हम दोनों को इतना मौका नहीं मिल पाता था कि हम पूरे नंगे होकर चुदाई का मजा ले सकें. हमने चुदाई तो कई बार की लेकिन वह हमेशा जल्दी-जल्दी में ही हो पाई. उसके बाद मैं अपने घर चला गया. मगर चुदाई की शुरूआत तो हो चुकी थी. कई बार भाभी की चूत चोदने के बाद उसने अपनी सहेलियों से भी मेरा परिचय करवाया.
भाभी की सहेलियों की चुदाई की कहानी मैं आपको फिर कभी बताऊंगा. फिलहाल के लिए इस कहानी में इतना ही बताना चाहता था कि किस तरह मेरे और भाभी के बीच चुदाई की शुरूआत हुई. अगली कहानी में मैं अपनी भाभी के साथ चुदाई की अन्य घटनाएं भी लिखूंगा. वो कहानियां मैं विस्तार से लिखूंगा.
इस कहानी को पढ़ कर आप लोगों को मजा आया या नहीं, आप कहानी पर कमेंट करके बताना और अगर आप मैसेज करना चाहते हैं तो मुझे मेल भी कर सकते हैं. [email protected]
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