भाभी के साथ मजेदार सेक्स कहानी-2

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मेरी सेक्स की कहानी के पहले भाग भाभी के साथ मजेदार सेक्स कहानी-1 अब तक आपने पढ़ा कि मेरी बिल्डिंग में रहने वाली पारुल भाभी का दिल मुझ पर आ गया था. हम दोनों में चुदाई छोड़ कर सब कुछ होने भी लगा था. बस अब चुदाई की आग बुझाने का इन्तजार था. अब आगे:

उसी रात को उनके मैसेज से मेरी आंख खुली, जिसमें लिखा था ‘शनिवार रात को अगर चाहो, तो बात बन सकती है क्योंकि मेरे पति को ऑफ़िस के किसी कार्यक्रम की तैयारी के लिए उधर ही 2 दिन रहना पड़ेगा, जो जयपुर है. वो शनिवार सुबह चले जाएंगे और मेरे बेटे को संडे की छुट्टी होने के कारण उसके मामा उसे अपने घर लेके जाएंगे. मैंने भी ऑफ़िस का कोई काम ख़त्म करने का बहाना बनाके ख़ुद घर रहने का पक्का कर दिया है.’

दोस्तो, फिर उस दिन के बाद हम मिले नहीं, बस पार्क में देखा देखी हुई और फ़ोन पे बात होती रही.

मैं उस दिन कंडोम, क्रीम-स्प्रे आदि ख़रीद के तैयार हो गया. फिर भाभी का शनिवार दोपहर मैसेज आया कि मैं 2-3 बीयर की बोतल भी लेके रखूँ, मैंने वैसा ही किया. मैंने अपने मकान-मालिक को बोल दिया कि मैं आज रात अपने किसी दोस्त के यहां रहूँगा और सुबह ही आऊंगा.

शाम तक मैं बहुत व्याकुल हो गया, तो भाभी ने बोला- तुम 8 बजे चुपके से मेरे फ़्लैट में आ जाना.

वो समय भी आ गया और मैं ठीक 8 बजे अपने फ़्लैट से सीढ़ियों के रास्ते चुपके से उनके फ़्लैट में घुस गया. वो दरवाज़े के पास ही खड़ी थीं. उन्होंने मेरे अन्दर घुसते दरवाज़ा बंद किया और प्यार से पूछा- सामान किधर है? किसी ने देखा तो नहीं?

मैंने मना किया, अपना बैग साइड पे रखके उन्हें अपने आग़ोश में ले लिया. उन्होंने मेरे पसंद की डार्क ब्लू साड़ी, स्लीव्लेस ब्लाउस पहना था. आज उन्होंने मम्मों पे कुछ किया था, जिससे उनके मम्मे ज़्यादा तीखे लग रहे थे. वो एकदम तैयार हुई खड़ी थीं. वैसे वो ज़्यादा मेकअप नहीं करतीं, लेकिन उनका चेहरा बहुत सुंदर लग रहा था.

हम कितनी देर दरवाज़े से लगे स्मूच करते रहे. तभी उनका हाथ नीचे मेरे जींस पे लंड पे घूमने लगा और मेरा हाथ उनके मम्मों और पीठ पे.

मैंने अपना हाथ उनकी कमर से उनकी साड़ी में और उनके ब्लाउज के हुक पे घुमाना चालू रखा. उन्होंने मेरे होंठ पूरे चूस लिए थे और उनकी लिप्स्टिक फैल चुकी थी. वो मेरी जीभ अपने मुँह में ले रही थीं.

अब तक मैं समझ चुका था कि घर में कोई नहीं है, तो मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए.

भाभी बोलीं- आज रुकना नहीं, जितना सब्र किया है, सारा पूरा कर लो, कोई कमी ना रह जाए, तुम्हें पूरी छूट है.

बस फिर क्या था … मैंने उन्हें ख़ुद से अलग किया, अपनी आंखों से पूरी तरह उन्हें निहारा. फिर उनका पल्लू साइड को करके ब्लाउज उतार दिया. उन्होंने आज मेरी ही गिफ़्ट की हुई अंगूरी रंग की ब्रा को पूरी फ़िटिंग से मम्मे ऊपर करके पहनी थी. मैंने उनको दीवार से लगाया और उनके इधर उधर चूमने लगा.

फिर मैं झुककर उनकी नाभि को चूमने लगा. उनके कटाव बहुत आकर्षक लग रहे थे … तो मैंने उनके पल्लू से साड़ी खींचकर वहीं उनको किस करते हुए बाकी की साड़ी निकालनी चालू कर दी. फिर उनके पेटीकोट का नाड़ा भी खींच कर खोला और पेटीकोट उतार दिया.

दोस्तों, वो मेरा दिन था, उन्होंने नीचे अंगूरी रंग की ही थोंग (बिल्कुल छोटी डोरी वाली पैंटी) पहनी थी. उनकी साड़ी और पेटीकोट ब्लाउज वहीं दरवाज़े के पास बिखरे पड़े थे और वो एक अप्सरा की भाँति मेरे सामने चमक रही थीं. उनकी आंखें भूखी और ललचाई हुई थीं.

मैंने उनसे पानी पिलाने को बोला, तो वो पानी लेने चली गईं. मैं उन्हें आते जाते निहारता रहा. उन्होंने अपनी सैंडल पहनी हुई थी, तो उनके भरे हुए चूतड़ गांड, उनकी पीठ, कटाव, जाँघें, सब कुछ बहुत मस्त लग रहा था.

मैंने उनसे पानी का गिलास लिया और पीने लगा. कुछ बूँदें मेरे मुँह से नीचे गिरीं, तो वो हाथ से साफ़ करके, मेरी शर्ट खोलते हुए मेरी छाती पे चाटने लग गईं,

फिर भाभी मेरी पूरी छाती चाटते हुए, बेल्ट खोलकर मेरी जींस उतारने लगीं. बटन खोल कर उन्होंने मेरे वहां किस किया और मेरी तरफ़ नशीली आंखों से देखा. यूं ही मदभरी निगाहों से देखते हुए भाभी ने मेरी पूरी पैंट नीचे तक उतार दी. मैंने स्लेटी रंग की फ़्रेंची अंडरवियर पहनी थी, जिसमें से मेरा लंड पूरे तने हुए आकार में दिख रहा था.

पारुल भाभी मेरी टांगों को चाटते हुए मेरे लंड को सहलाती रहीं. फिर धीरे से मेरा अंडरवियर उतार कर मेरे लंड को हाथ में लेकर देखने लगीं और मसलते मसलते उन्होंने मेरा खड़ा लंड चाटना चालू कर दिया. फिर तने हुए लंड को मुँह में लेकर चूसने में लग गईं.

आह … क्या मजा था उस समय.

उनका चूसना कमाल का था और उनके चूसने से ‘सलर्रप- सलर्रप’ की आवाज़ें आने लगी थीं.

कोई 5 मिनट चूसने के बाद भाभी बोलीं- इंद्र, अभी हमारे पास बहुत समय है, पहले अन्दर बैठकर कुछ बातचीत करते हैं, बाक़ी काम उसके बाद. मैंने बोल दिया- कपड़े ऐसे ही रखो.

वो तो जैसे पहले से ही तैयार थीं. उन्होंने अपने कपड़े और मेरा बैग उठाके एक साइड के टेबल पे रखा और मुझे फ़्रेश होने को बोलकर ख़ुद किचन में कुछ लेने चली गईं.

दोस्तो, मैंने वहीं अपने जूते और पैंट-शर्ट निकाल दिए और मुँह हाथ धोने व पेशाब की धार मारने वाशरूम चला गया.

जब वापिस आया, तो उन्होंने डाइनिंग टेबल पे जूस और खाने का सामान सजाया हुआ था. मैंने भी अपने बैग से बीयर की बोतलें निकालीं और उनको दे दीं. उन्होंने उनको वहीं टेबल पर रख लिया.

वो अब भी अपनी अंगूरी रंग की ब्रा-पैंटी में ही थीं. बस उसके ऊपर उन्होंने एक सिल्की सा गाउन पहन लिया था. वो क़यामत लग रही थीं. उनके मम्मे गाउन से बाहर को निकल रहे थे. मैंने उन्हें बांहों में जकड़ लिया और किस करने लगा.

उसके बाद हम क़रीब आधे से एक घंटा तक वहीं बैठे खाते पीते रहे. इस बीच हम दोनों 1-1 बीयर मार चुके थे. वो थोड़ी नशे में लगने लगी थीं. मैं दूसरी बोतल पीने लगा और उन्हें गाउन उतारने को बोला.

मेरी बात सुनकर उन्होंने खड़े होकर गाउन उतार दिया और मेरी गोद में आकर मुझे स्मूच किया. फिर उन्होंने मेरे सामने अपनी ब्रा पैंटी निकाल दी. उनकी फुद्दी एकदम संगमरमर जैसी चमक रही थी, एक भी बाल नहीं था. फिर मुझे खड़े करके मेरा अंडरवियर भी निकाल दिया.

अब हम बिल्कुल नंगे थे. उनके मम्मे बहुत ही आकर्षक और एकदम भरे हुए हैं. मैं उन्हें चूसने लगा, तो भाभी ने रुकने का इशारा करके मुझे पास सोफ़े पे बिठाया और ख़ुद नीचे बैठके मेरा लंड चूसने लगीं. मैं लंड चुसाई के मजे लेता रहा और लंड चुसवाता रहा.

उन्होंने चूस-चूस कर मेरा लंड और उसके नीचे के बॉल्ज़ बिल्कुल गीले कर दिए. तभी मैंने उन्हें ऊपर लिया और उनके चूचुक और मम्मे चूसने में लग गया.

मैं भाभी का एक मम्मा दबाता और दूसरा मुँह में ले लेता. वो मेरा सिर अपनी छाती पे दबा रही थीं और कराह रही थीं. भाभी को बहुत मजा रहा था.

मैं थोड़ा रुका, तो उन्होंने और करने को कहा. मैंने उनके दूध पीते हुए एक हाथ उनकी फुद्दी पे ले गया. वो बहुत गीली हो चुकी थीं. मैंने उनकी फुद्दी की फांकों को रगड़ा, तो वो मचल उठीं और पीठ के बल सोफ़े पे ही गिर गईं.

मैंने फांकों को रगड़ते हुए उनकी फुद्दी के अन्दर उंगली करनी चालू की, वो अन्दर से बहुत मुलायम और गीली थी. मैंने उंगली करना तेज़ किया, तो भाभी आनन्द से मचलने लगीं.

उनकी अकड़न और हिलजुल से लग रहा था कि वो झड़ने वाली हैं. तभी उन्होंने एक लम्बी सांस ली और मेरे हाथ को अपने हाथों से भींच लिया. फिर एक लम्बी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ के साथ झड़ गईं. मेरा हाथ भाभी के पानी से गीला हो गया था.

उन्होंने उठके मुझे चूम लिया और वहीं घोड़ी बनके मेरा लंड मुँह में ले लिया. अब वो एक बार फिर से मेरा लंड पूरा गले तक अन्दर लेकर चुसके मारने लगीं. वो ये सब बहुत बढ़िया करती थीं. वो जुबान से चूसते हुए मेरे लंड के अगले भाग को अपने मुँह के अन्दर लेकर तालू से रगड़ रही थीं. वो लंड को अपने गले तक ले जा रही थीं. मुझे इस वक्त अतिउत्तेजना का भाव बन रहा था. तभी मैं उठा और उनके सिर को पकड़ के उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा.

वो इस बीच मेरे लंड पर अपनी उंगलियों से कुछ ना कुछ करती रहीं. तभी मेरा रस निकालने वाला हो गया. मैंने उन्हें बता दिया, तो उन्होंने इशारा किया कि माल मेरे मम्मों पर डालो. कुछ तेज़ झटके देने के बाद मैंने लंड निकाल कर उनके मम्मों पर लंड की पिचकारी छोड़ दी. भाभी मस्त होके उस रस को अपने शरीर पर मलने लगीं.

मैं साइड में पड़ी बीयर पीने में लग गया. अभी वो भी बियर लेकर मेरे ऊपर ज़फ़्फ़ी डालके पड़ सी गईं. भाभी के नंगे जिस्म से लिपटे होने के कारण मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. उनको भी इसकी भनक लग गई. वो ख़ुश हो गईं और उसने मुझे बेडरूम में चलने को कहा.

मैं बैग से कंडोम का पैकेट लेकर उनके पीछे बेडरूम की तरफ़ चल दिया. तब तक बीयर का नशा बोलो या उनके जिस्म का, मैंने काफ़ी नशे में आ चुका था. शायद यही स्थिति भाभी की भी थी. बेड के साइड टेबल पे सुगंधित मोमबत्तियां उन्होंने जला दीं और बाक़ी लाइट्स बंद कर दीं. अब वो उस उजाले में सोने की तरह चमक रही थीं. उन्होंने मेरे हाथ से बीयर की बोतल लेके एक सिप मारके साइड में रखी और कंडोम के पैकेट से एक कंडोम निकाल कर मेरे लंड पे चढ़ाने लगीं. फिर मेरी तरफ़ पीठ करके बेड को पकड़ कर झुक गईं और मुझे लंड उसकी फुद्दी के अन्दर डालने के लिए लंड को सैट करके उकसाने लगीं.

मैंने भाभी के कूल्हों को पकड़ कर लंड अन्दर धीरे धीरे डालना चालू किया. दोस्तों मेरा लंड उसकी फुद्दी गहराइयों में मस्ती से फिसलता चला गया.

उन्होंने मुझे पकड़ते हुए थोड़ा रुकने को कहा. वो लंड को अपने अन्दर महसूस करना चाहती थीं.

उनका इशारा समझ कर मैं रुक गया, पर वो अपने होंठों को भींचती ‘ओह इंद्र …’ बोल कर अपनी गांड हिलाने लगीं, तो मैंने उनकी कमर पकड़के लंड और अन्दर ठूँस दिया. इस करारे झटके से वो वहीं घोड़ी बने बने थोड़ा लड़खड़ा गईं. फिर उसी टाइम सैट होकर बोलीं- अब कर लो … मगर प्यार से करना.

दोस्तो, मैं धीरे-धीरे से चालू हुआ और तेज़ धक्कों तक पहुँच गया. उनके मम्मे आम की तरह हिल रहे थे. वो हर धक्के के साथ मधुर सी सिसकारी ले रही थीं.

उनकी आवाज़ सुनकर मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी. इसी पोज़ में चोदते हुए हमें 5-7 मिनट हुए थे कि पारुल भाभी ने एकदम मेरे हर झटके पे ख़ुद पीछे को धक्का मारना चालू किया. बस 4-5 झटकों में वो स्खलित हो गईं, पर मैं उनकी चूत में लंड ठोकता रहा. उन्होंने सिर नीचे गिरा दिया, जिससे मैं और जोश में उनकी फुद्दी ठोकता रहा.

कुछ पल बाद भाभी ने मुझे आगे से करने को बोला. वो बेड पे लेट गई और मैं नीचे खड़े होके उनकी टाँगें अपने कंधों पे रखके लंड उनकी फुद्दी की फांकों में रख दिया. मैंने धक्का लगाया तो लंड फुद्दी की तमाम दीवारों को चीरते हुए आगे निकल गया. उनकी ऊफ़् के साथ मैंने धक्के चालू कर दिए.

ऐसे धक्के पे धक्के चल रहे थे, तो मैंने उनके मम्मों को मसलना चालू कर दिया. भाभी ने मेरे कंधों से मुझे अपने ऊपर खींचा और एक प्यारा सा चुंबन देकर मेरा मुँह अपने दूध पे लगा दिया. दोस्तो, हालत ये थी कि हम दोनों इतने गर्म थे कि अगर मैं उसके दूध ना चुसूँ, तो वो ख़ुद टपकने जैसे थे.

इतने में मैंने जोश में आकर अपने पाँव उठाके अपना पूरा लंड उनकी फुद्दी में डाल दिया और गांड उछालकर धक्के मारने लगा. मेरा लंड भाभी के बहुत अन्दर तक जा रहा था. उन्होंने अपनी टाँगें कसके ऊपर को करके पकड़ लीं. अभी हम पूरे ज़ोर से जानवरों जैसी चुदाई कर रहे थे.

कुछ समय बाद मैं थोड़ा धीमा हुआ, तो वो मेरे नीचे से निकलकर मुझे उलटा कर मेरे ऊपर आ गईं और चालू हो गईं. उनकी धक्कापेल घुड़सवारी गजब ढा रही थी. दोस्तो, वो समय जन्नत का नज़ारा था, मेरे को भी लग रहा था कि मेरा माल जल्दी निकल जाए. वो भी थोड़ा ब्रेक लेना चाह रही थीं.

वो थक चुकी थीं, तो मैंने उन्हें अपना निकालने तक रुकने का बोला.

वो मान गईं और ऊपर से उन्होंने फुद्दी पूरी टाइट करके लंड अन्दर धक्के की तरह मारना चालू किया. पर मेरा निकल ही नहीं रहा था. जबकि वो फिर से झड़ने वाली थीं. मैंने उनकी कमर पकड़ कर उन्हें काउगर्ल स्टाइल में चोदना चालू रखा, तो वो एक तेज आह … के साथ झड़ गईं और ऊपर से साइड में गिर गईं.

अब उन्होंने कहा- मैं हाथ और मुँह से तुम्हारा रस निकाल दूंगी. मैं हां कह दिया.

उन्होंने अपने हाथ से लंड को रगड़ना चालू किया. उन्होंने बहुत ज़ोर लगाया, तो मैंने बोल दिया- अगर गांड में डालने दो, तो वहां जल्दी निकल जाएगा. भाभी ने बोला- वो कुछ देर बाद कर लेना.

अब भाभी मेरी छाती पर चूमने लगी, जिससे मैं और उत्तेजित हो गया. मैंने उन्हें वैसे ही उलटा लिटाकर लंड को ऊपर से उनकी फुद्दी में डालकर बहुत ज़ोर से घस्से मारे, तो मेरा निकलने वाला हो गया. मैंने पूछा- कहां करना है. उन्होंने अन्दर झड़ने का ही बोला.

मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी, हालांकि लंड पे कंडोम चढ़ा था, लेकिन वो भी स्पर्म की गर्मी से अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँच कर छूट गईं. हम दोनों साथ में ही झड़ गए.

मैं कुछ देर के बाद उनके ऊपर से हटा, तो लंड भी फिसलकर बाहर निकल गया. वो झट से अपने फुद्दी पे हाथ से चैक करते हुए बोलीं- तुम्हारा नाम लगेगा अगर ये चूत फट गई तो. भाभी हँस कर मेरे गले लग गईं. उन्होंने वीर्य से भरे कंडोम को निकाल के साइड में रख दिया. फिर कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे.

बाद में उठकर हमने होटल से डिनर ऑर्डर करके खाया और फिर सारी रात और 3 बार चूत ठोकी और एक बार मैंने भाभी की गांड भी मार ली.

लेकिन वो कहानी आपके रेस्पॉन्स [email protected] पर मिलने के बाद लिखूंगा. उसके बाद मेरा लंड हमेशा चूत और गांड के लिए तैयार रहने लगा.

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