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नमस्कार दोस्तो! मेरा नाम अंशु है और मैं रीवा, मध्य प्रदेश के एक नजदीकी कस्बे से हूं। मेरी उम्र 25 साल और हाइट 5 फीट 6 इंच है। मेरे लिंग का साइज लगभग सामान्य है. मुझे औरों का तो पता नहीं लेकिन मेरा लिंग नॉर्मल ही है. वैसे मैंने कभी अपने लिंग को नाप कर उसका आकार जानने की कोशिश नहीं की लेकिन फिर भी इतना तो कह सकता हूँ कि जैसा कि सभी का होता है उतना ही है.
मेरे हिसाब से मेरा लिंग लगभग 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है, जो कि किसी लड़की को संतुष्ट करने के लिए काफी है। मैं एक साल से प्लेब्वॉय के पेशे में हूं। मुझे यह काम मजबूरी में शुरू करना पड़ा था। मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है और मैंने यही काम करना सही समझा। इससे एक तो मुझे भी मजा मिलता है और दूसरा कुछ कमाई भी हो जाती है.
बहुत सी औरतें अपने साथी से संतुष्ट नहीं हो पाती इसलिए उन्हें संतुष्ट करना ही मैंने अपना पेशा बना लिया। कई लड़कियां गोपनीय तरीके से खुल कर सेक्स करना चाहती हैं और मैं उन्हें पूरा मजा देता हूं। इसके बदले में कुछ हद तक मेरी आर्थिक तंगी का समाधान हो जाता है।
दोस्तो, मैं अंतर्वासना पर काफी समय से कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और कहानी शुरू करने से पहले मैं अंतर्वासना का धन्यवाद करना चाहता हूँ कि इस साइट पर हमें उच्च कोटि की गर्म और सेक्सी कहानियाँ पढ़ने को मिलती हैं जैसा कि अन्य साइट्स पर नहीं होता. मेरा मानना है कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ पर हम अपने मन की बात आसानी से शेयर कर सकते हैं क्योंकि सेक्स संबंधी बातें अक्सर घनिष्ठ मित्रों के साथ शेयर करने में भी कई बार संकोच पैदा होता है.
मगर अंतर्वासना पर पाठकों के साथ अपनी उलझनें और अपने जीवन की घटनाएँ आसानी से शेयर की जा सकती हैं इसलिए यह मेरी पसंदीदा साइट है. सभी लोगों की जिन्दगी में कुछ सीक्रेट्स होते हैं. मेरे भी हैं. उन्हीं गुप्त बातों को आज मैं आप लोगों के साथ शेयर करने जा रहा हूँ. चूंकि अंतर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है तो जो भी गलतियाँ हों उनके लिये आप कृपया मुझे माफ कर दीजिएगा.
यह बात लगभग सात साल पहले की है. उस वक्त मैं बाहरवीं कक्षा में पढ़ता था. मैं बचपन से ही बहुत शर्मीले स्वभाव का था. मैं ज्यादा किसी से बात भी नहीं करता था. बस घर से स्कूल चला जाता था और स्कूल से घर आ जाता था. घर आकर पढ़ने बैठ जाता और फिर शाम को स्कूल का पढ़ाई का काम खत्म करने के बाद कुछ देर क्रिकेट खेल लिया करता था. यही मेरी रोज़ की दिनचर्या थी.
एक दिन जब मैं क्रिकेट खेलने के लिए जा रहा था तो रास्ते में मुझे एक लड़की दिखाई दी. वह दिखने में काफी खूबसूरत थी. पहली बार किसी लड़की पर मेरी नजर इस तरह से पड़ी थी कि मैं उसको देखता ही रह गया. शायद वह अपने रिश्तेदार के यहाँ आई हुई थी क्योंकि इससे पहले मैंने उसको कभी आसपास नहीं देखा था. उस दिन तो मैं उसको एक नजर भर देख कर आगे निकल गया.
अगले दिन सुबह जब मैं स्कूल जा रहा था तो वह लड़की मुझे फिर से दिखाई पड़ गई. आज उसकी नजर मुझ पर भी पड़ गई. मैंने उसे देखा और उसने मुझे. उसे एक नजर देख कर मैं आगे बढ़ गया. दोपहर के बाद जब मैं स्कूल से घर वापस आया तो वह मेरे घर पर बैठी हुई थी. माँ से बात करने पर पता चला कि वह हमारे पड़ोसी के घर आई हुई है. जिस पड़ोसी की मैं बात कर रहा हूँ वह रिश्ते में उस लड़की के मामा लगते थे. उसका नाम रंजना (बदला हुआ) था. वह भी बाहरवीं क्लास में ही पढ़ाई कर रही थी.
बात काफी पुरानी है और मुझे उस वक्त उसके फीगर का नाप भी कुछ खास पता नहीं लग रहा था. मगर मैं कह सकता हूँ कि उसका शरीर देखने में बहुत आकर्षक था. आप लोग उसके फीगर की दीपिका पादुकोन के फीगर के साथ तुलना कर सकते हैं. रंग भी काफी गोरा था उसका.
पहले तो मैं बात करने में संकोच कर रहा था मगर फिर जब थोड़ी बहुत बात हुई तो पता चला कि वह अपने मामा के यहाँ यानि कि हमारे पड़ोसी के घर रह कर ही पढ़ाई करेगी. धीरे-धीरे उसकी तरफ मेरा आकर्षण बढ़ने लगा और मैं उसको पसंद करने लगा. जब भी वह मेरे सामने आती थी तो वह अपनी नजर नीचे करके निकल जाती थी. मैं उसे बहुत पसंद करने लगा था.
उसको देख कर मन करता था कि दिल की बात कह दूं लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि शुरूआत कैसे और कहाँ से करूं. मैं तो ये भी नहीं जानता था कि वो मुझे पसंद करती भी है या नहीं.
एक दिन हमारे घर में कुछ प्रोग्राम चल रहा था. वह भी कार्यक्रम में आई हुई थी. उस दिन मैंने ध्यान दिया कि वह मुझे नीचे ही नीचे तिरछी नजर करके देख रही है. मुझे कुछ लगा कि वह भी शायद मुझे पसंद करती है.
उसी दिन रात को घर में खाने का बंदोबस्त भी किया गया था. सारे मेहमानों के लिए खाना बनाया गया था. रात के समय खाना खाने के बाद सारे मेहमान सोने की तैयारी में लग गये. वह जब अपने मामा के घर जाने लगी तो मेरी माँ ने उसे रुकने के लिए कह दिया. मैं भी चाहता था कि किसी तरह उससे बात करने का मौका मिले. किस्मत को भी शायद मंजूर था कि हम दोनों का मिलन हो जाये. मेरी माँ के कहने पर वह रात में हमारे घर रुकने के लिए मान गयी. हॉल में मेरा बिस्तर लगा हुआ था. उसका बिस्तर भी मेरी बगल में ही था. सब लोग सो गये.
मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं सब लोगों के सोने का ही इंतजार कर रहा था. रात को करीब 12 बजे के आस-पास मैंने उसके बिस्तर पर हाथ ले जाते हुए उसके हाथ को धीरे से सहला दिया. मैं देखना चाह रहा था कि वह कितनी गहरी नींद में है. पहली बार में तो उसको कुछ पता नहीं चला लेकिन जब मैंने दूसरी और फिर तीसरी बार उसके हाथ को सहलाया तो उसकी नींद खुल गई. उसने मेरी तरफ देखा और उठ कर मेरी माँ के कमरे में चली गई.
मेरी गांड फट गई यह सोच कर कि कहीं यह घर में किसी को इस बात के बारे में बता न दे कि मैं उसको छेड़ रहा था. मुझे अपने किये पर पछतावा हो रहा था कि ये मैं क्या कर बैठा. मेरे घर वाले और पड़ोसी मुझे बहुत ही सीधा लड़का समझते थे. मेरी हवा टाइट हो गई थी. फिर पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।
सुबह उठा तो वह अपने घर जा चुकी थी. उसने घर में किसी से कुछ नहीं कहा था। अगर कहा होता तो कहीं न कहीं से बात मेरे सामने आ ही जाती. यह जान कर कि उसने किसी से कोई शिकायत नहीं की, मेरी हिम्मत और बढ़ती गई.
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए और मैंने उसको प्रेम-पत्र देने का विचार बना लिया. मैं जानता था कि रात को छेड़ने के बाद जब उसने कुछ नहीं कहा तो वह लव-लेटर भी आसानी से ले लेगी. मैंने उसको अपने प्यार का इजहार करते हुए सारी बात पत्र में लिख दी. उसने वो लेटर पढ़ा और मुझे कुछ इशारा किया. उसके इशारे को मैं समझ नहीं पाया.
तीन या चार दिन के बाद रंजना ने मुझे एक लेटर दिया जिसमें लिखा था कि मैं उसको अरहर के खेत में जाकर मिलूं. मैंने उसका लेटर पढ़ा और उससे मिलने के लिए प्लान करने लगा.
गांव में लोग शौच इत्यादि के लिए लोटा लेकर बाहर खुले में जाया करते हैं. मैं भी इसी बहाने से शाम को खेत में पहुंच गया.
जब मैं पहुंचा तो रंजना पहले से ही अरहर के पौधों के बीच में खड़ी हुई मेरा इंतजार कर रही थी. उसने सूट भी हरे रंग का ही पहना हुआ था ताकि कोई ये न जान सके कि खेत में कोई है. मैं उसके चातुर्य पर चकित हो गया था. वह मुझसे कहीं अधिक हिम्मत वाली लड़की थी.
मुझे आता हुआ देख कर वह खेत में अंदर चली गई. मैं भी इधर-उधर देख कर यह सुनिश्चित करने के बाद कि कोई मुझे देख तो नहीं रहा है, मैं भी खेत में उसी के रास्ते पीछे-पीछे अंदर चला गया. मेरे पास पहुंचते ही उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझे अपने आगोश में ले लिया. मैंने भी अपनी बांहों में उसके जिस्म को जकड़ लिया और उसे कस कर हग करते हुए उसको ‘आई लव यू’ कह दिया.
वह बोली- मैं तो तुम्हें पहले दिन से ही पसंद करने लगी थी अंशु. तुमने ही इतना टाइम लगा दिया अपने मन की बात कहने में. मैंने कहा- सॉरी. कहकर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और दोनों एक दूसरे के आगोश में खोने लगे.
वो मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी लार को अपने मुंह में लेकर जा रही थी और कुछ इसी तरह मैं भी उसके मुंह के रस को पीने में लग गया. जब हम मिले तो ऐसा लगा कि हम कई जन्मों से एक दूसरे के लिए प्यासे हैं.
उसके शर्ट के ऊपर से ही मैं उसके चूचों को दबाने लगा. कुछ ही देर में मेरे हाथ अपने आप ही उसकी चूत को ढूंढते हुए नीचे चले गए. मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरा तो उसके मुंह से सिसकारी निकल गई. मैंने उसके कमीज को ऊपर उठा दिया और उसकी ब्रा के अंदर दबे चूचों को दबाने लगा. वह मेरी लोअर में तने हुए मेरे लंड पर हाथ रख कर उसको सहलाने लगी. मेरा लंड बेकाबू सा होने लगा.
उसके चूचों से मैंने ब्रा को हटा दिया और उसके चूचे नंगे हो गये. मैंने उसके दूधों को बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. फिर उसके दोनों दूधों को मुंह में लेकर चूसने के बाद मैंने उसकी सलवार को खोल दिया. रंजना की सलवार नीचे गर गई और वह नीचे से नंगी हो गई. मैंने उसकी जांघिया पर हाथ फिराया तो पता लगा कि उसकी कच्छी गीली हो चुकी है. मैंने उसकी कच्छी को भी निकाल दिया और जैसे ही मैंने उसकी नंगी योनि पर हाथ रखा वह एकदम से गनगना गई। उसने मुझे ज़ोर से जकड़ लिया और जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी।
कुछ देर उसकी योनि को हाथ से सहलाने के बाद मैंने उसकी ब्रा को भी पूरी तरह से खोल दिया जिससे उसके बूब्स बाहर आ गए और बाहरने आने के बाद उसकी छाती पर जैसे अमरूद की तरह लटक रहे थे। फिर मैंने उसके अमरूदों जैसी चूचों को अपने हाथ में लेते हुए कस कर भींच दिया. वह दर्द से कराह उठी. उसने धीरे से करने के लिए कहा. मैं धीरे-धीरे उसके चूचों को दबाने लगा. अब मेरा दूसरा हाथ फिर से नीचे की ओर चला गया. अब मैं एक हाथ से उसकी योनि सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूचियां दबा रहा था जिससे वह मदहोश होने लगी।
वह मेरी लोअर के ऊपर से मेरे लिंग को पकड़ कर तेजी के साथ सहला रही थी. उसने मेरी टी-शर्ट को उतरवा दिया और फिर मेरी लोअर मैंने खुद ही निकाल दी. मेरे अंडरवियर में तने हुए लिंग को उसने अपने हाथ में भरा और उसको पकड़ कर दबाने लगी.
मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया और अपना गर्म लौड़ा उसके हाथ में दे दिया. उसके नर्म हाथों में आकर मेरे लौड़े को कमाल का मजा आने लगा. फिर रंजना ने मेरा लिंग पकड़ा और तेजी के साथ सहलाने लगी। उसके हाथों द्वारा मेरे लिंग को सहलाने से मुझे और जोश आने लगा. अब मैं जोर-जोर से उसकी योनि को मसलने लगा।
अब वह अपनी योनि को ऊपर उठाने लगी। जोश में आकर मैं कभी उसके दूध को मसल देता था तो कभी उसकी योनि में उंगली कर देता. मेरी इस तरह की हरकतों से वह एकदम गर्म हो चुकी थी। उसने कहा- बस अंशु, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा … प्लीज कुछ करो जल्दी, मुझे बहुत अजीब-सा लग रहा है।
मुझे पता था कि वह संभोग के लिए गुहार लगा रही है लेकिन अंधेरा होने वाला था और खेत के अंदर लेटने की जगह दिखाई नहीं दे रही थी. फिर मेरी नजर खेत के अंदर बनी मेढ़ पर पड़ी. मैंने उसको खेत की मेढ़ पर सीधा लिटाया और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख लिया। रंजना को नीचे लेटाने के बाद उसकी योनि मेरे सामने थी. अब मैंने उसकी योनि के दाने को अपने लिंग से रगड़ना शुरू कर दिया।
अब वह खुद मेरे लिंग को अपनी योनि में डालने का प्रयास करने लगी और कहने लगी- प्लीज जल्दी करो … आह्ह … अब नहीं बर्दाश्त हो रहा है … प्लीज। मैंने जोश में आकर उसके दूधों को फिर से मसलना शुरू कर दिया. दोस्तो, क्या बताऊं, नंगी सेक्सी जवान लड़की मेरे सामने मेरे लिंग को अपनी योनि में लेने के लिए तड़प रही थी. मेरा तो यह पहला अनुभव था. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या सही है और क्या गलत. बस मन कर रहा था कि लिंग को उसकी योनि में डाल कर उसकी योनि को चोद दूं.
मगर मैं उत्तेजना का आनंद ज्यादा समय तक लेना चाहता था. बहुत मजा आ रहा था उसकी योनि पर अपने चिकने लिंग को रगड़ने में. उसके चूचों को दबाते हुए मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा. आह्ह … क्या अहसास था वह मैं बता नहीं सकता.
उसके होंठों को चूसते हुए मैंने नीचे से अपने लिंग को उसकी योनि में प्रवेश करवाने की शुरूआत कर दी, धीरे-धीरे मैं अपना लिंग उसकी योनि में डालने लगा। जब आधा लिंग उसकी योनि में चला गया तो वह कसमसाने लगी और कहने लगी- बस इतना ही … प्लीज, और अंदर मत डालो प्लीज … दर्द हो रहा है।
रंजना को मैं भी आराम से चोदना चाहता था इसलिए उसके कहने पर मैंने खुद की उत्तेजना को पीछे धकेला और अपना ज़ोर उसकी योनि पर लगाना बंद कर दिया. लगभग 1 मिनट तक मैं रुका रहा और फिर से धीरे-धीरे लिंग को अंदर डालने लगा. उसके होंठों को जोर से किस करने लगा और फिर एक झटके में अपना पूरा लिंग उसकी योनि में प्रवेश करा दिया।
उसकी आंखों से आंसू चल कर बाहर गिरने लगे। फिर मैं उसी अवस्था में उसके ऊपर लेट गया। लगभग दो मिनट के बाद मैंने धीरे-धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया। मेरे धक्कों से धीरे-धीरे उसको मजा आने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. मुझे मेरी पहली चुदाई का मजा आने लगा. मुझे नहीं पता था कि रंजना ने इससे पहले किसी के साथ संभोग किया था या नहीं, लेकिन मेरा तो यह पहली बार था. उस वक्त मुझे जो मजा आ रहा था उसकी कल्पना करने में भी मेरा लिंग कामरस छोड़ देता है.
कुछ ही देर के धक्कों के बाद रंजना आनंद में मग्न होने लगी और मेरे लिंग के धक्कों के साथ ही मेरे लिंग से चुदाई करवाते हुए अपने धक्कों के साथ ताल में ताल मिलाने लगी। जब मैं अंदर डालता तो वह अपनी कमर उठा देती जिससे जबरदस्त धक्के लगने लगे। हमारे आनंद की कोई सीमा नहीं थी। वह जोर-जोर से आहें भर रही थी. मैं धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. वह हर धक्के के साथ हां … हांह्ह … हांआ … और जोर से … और जोर से … हां तेजी से करो मेरे अंशु! … बोल रही थी। उसके इस तरह के संबोधन से मेरे अंदर का आनंद और जोश दोनों ही चरम पर पहुंचने लगे.
मैं जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। मेरे शरीर से पसीना छूटने लगा. लेकिन साथ ही मजा भी उतना ही आ रहा था. मन कर रहा था उसकी योनि को अपने लिंग से ऐसे ही भेदते हुए दिन-रात उसका चोदन करता रहूं.
लगभग दस मिनट के घमासान संभोग के बाद उसकी योनि सिकुड़ने लगी और उसी समय उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और अपनी टांगें मेरी कमर में फंसा दीं. कुछ ही पल के बाद रंजना निढाल होकर लेट गई। अभी मेरा पानी नहीं निकला था. अब मैं भी पूरी ताकत के साथ धक्के मारने लगा और लगभग 2 मिनट बाद मेरा पानी निकलने को हुआ तो मुझे ऐसा लगा कि दुनिया में योनि के अंदर वीर्यपात करने से ज्यादा सुख किसी और क्रिया में नहीं है. इसी आनंद का लुत्फ उठाते हुए मैं उसकी योनि में ही झड़ने लगा और सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ने के बाद उसके ऊपर लेट गया।
दो मिनट तक लेटे रहने के बाद हम दोनों उठे और एक-दूसरे को किस किया। काफी देर हो गई थी और खेत में किसी के आने का भी डर था. इसलिए वहाँ पर ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं था. फिर हमने अपने कपड़े पहने और पहले रंजना खेत से बाहर निकल गई. उसके पांच मिनट के बाद मैंने भी हल्का सा बाहर झांक कर देखा और फिर मैं भी जल्दी से बाहर आ गया. रंजना मुझसे आगे काफी दूर जा चुकी थी.
घर पहुंच कर मैंने रंजना के साथ हुए पहले संभोग के बारे में सोच कर फिर से मुट्ठ मारी. मुट्ठ मारने में भी बाकी दिनों की अपेक्षा कहीं ज्यादा मजा आया. इतने में भी जब मन नहीं भरा तो मैंने रात को सोते समय फिर से उसकी योनि की चुदाई के आनंद के बारे में सोच कर फिर से लिंग को तेजी के साथ हिलाते हुए मुट्ठ मारी. अपने अंडरवियर में ही वीर्य गिराने के बाद फिर मैं थक कर सो गया.
चूंकि रंजना के साथ संभोग करने का यह मेरा पहला अनुभव था इसलिए लिंग चुसवाने और योनि चाटने का मेरा मन नहीं किया और न ही मुझे उसके आनंद के बारे में कोई ज्ञान था. उसके बाद फिर धीरे-धीरे लिंग चुसवाना और योनि चाटते हुए उसका रस पीना मेरे लिए आम बात हो गयी।
तो मेरे प्यारे दोस्तो, ये थी मेरे पहले संभोग की कहानी. आपको यह कहानी कैसी लगी आप इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया जरुर दीजियेगा. अगली बार मैं अपने जीवन के और भी अनुभवों को आप लोगों के साथ साझा करना चाहूंगा. [email protected]
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