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ये मेरी यानि रेखा की सच्ची सेक्स कहानी है. उसी की जुबानी इस सेक्स कहानी का मजा लें.
हमारे मकान में कोई ना कोई किराएदार रहा करता था. इस बार मकान के ऊपरी मंजिल को पापा ने एक मद्रासी को दे दिया था. वह रेलवे में गार्ड था. मम्मी और पापा को उससे बहुत सहानुभूति थी. क्योंकि उसकी बीवी की मृत्यु हो चुकी थी. उसने बच्चों की वजह से दूसरी शादी नहीं की थी. उसकी केवल दो लड़कियां थीं.
बड़ी लड़की पूरी जवान ही चुकी थी, उसका नाम सरिता था, वो 20 साल की थी और छोटी लड़की अभी कमसिन 18 साल की थी, उसका नाम नीना था. नीना मेरी उम्र की थी, इसलिए मेरी उससे फ्रेंडशिप हो गई थी. नीना की तरह सरिता को मैं भी दीदी कहती थी. दोनों बहनें बड़ी खूबसूरत थीं, पर चूंकि दक्षिण से थीं … इसलिए उन दोनों का रंग काला था. जब उनके पापा बाहर ड्यूटी पर होते, तो वे दोनों नीचे ही रहती थीं, पर जब अंकल आ जाते, तो वे दोनों नीचे झांकती भी ना थीं.
उनको यहां रहते हुए तीन महीने हो चुके थे. मैं और नीना एक ही क्लास बारहवीं में थीं. इसलिए हम दोनों साथ ही स्कूल आती जाती थी. नीना मुझसे ज्यादा जवान लगती थी. उसकी चूचियां भी मुझसे बड़ी थीं. स्कूल में जब लड़के हमें छेड़ते थे, तो मैं शरमा जाती थी, वहीं नीना चंचल हो जाती थी और इठलाने लगती थी. नीना मुझे चालाक नज़र आती थी. वह बनती संवरती भी खूब थी.
एक बार ऐसे ही छेड़खानी का मजा लेकर हम दोनों घर वापस आ गए. मैं उससे कुछ बात करना चाहती थी. लेकिन इस बीच उसके पापा आ गए, तो बस हमेशा की तरह उन दोनों का दिखना मुहाल हो गया.
नीना मुझसे एक इंग्लिश की बुक ले गई थी. मैं उसे लेने के लिए ऊपर गई. उनके कमरे की एक खिड़की खुली थी, जो रास्ते में थी. मेरी नज़र उससे अन्दर चली गई. तो अन्दर का नजारा देखकर मैं दंग रह गई, मेरा कलेजा धक-धक करने लगा. मेरी पूरी बॉडी में करंट दौड़ने लगा. ऐसा सीन देखकर मुझे वापस हो जाना चाहिये था, पर मेरे पैर वहीं जम गए.
मैंने दोबारा अन्दर देखा, तो बाप और दोनों बेटियों यानि उन तीनों को बिना कपड़े के देखकर मैं गनगना गई. बाप भी नंगा था और दोनों बेटियां भी नंगी थीं. दोनों बेटियां नंगी होकर बाप के अगल-बगल बैठकर अपनी एक एक चूचियों को अपने बाप से दबवा रही थीं. उन दोनों को सगे बाप से चूचियों को दबवाते देखकर मुझे अजीब तो लगा, पर मज़ा भी बहुत आया.
फ़िलहाल उन तीनों में से किसी को भी मेरे आने का पता नहीं चला था. सगे बाप के साथ दोनों बहनों को गंदी हरकतें करते देखकर मुझे अजीब सा मज़ा आया और मेरी चूत में सनसनाहट सी होने लगी. मैं वापस नीचे आई, पर दोनों को नंगी चूचियों को दबवाते देखने में मुझे मज़ा आ गया था, इसलिए मुझसे रहा नहीं गया और मैं वापस ऊपर जाकर फ़िर से खिड़की से अन्दर देखने लगी. अब मुझे और भी मज़ा आया.
उस रूम में छोटी वाली नीना बैठकर अपनी बड़ी बहन की जवान काली चूत पर अपनी जीभ चला रही थी और बड़ी वाली सरिता अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को हाथ से उचका रही थी, जिसे उसका बाप अपने मुँह से दबा दबा कर चूस रहा था. नीना बड़े प्यार से अपनी दीदी की चूत को ऐसे चाट रही थी जैसे कुत्ता कुतिया की चूत चाटता है.
सरिता और नीना की कामुकता से भरी ये मस्ती को देखकर मेरा मन भी बेकरार हो गया. मेरी चूत में चीटियां रेंगने लगीं. मैं भी जवान हो चुकी थी, मैंने भले ही अब तक कभी किसी से चुदवाया नहीं था, पर चुदाई के बारे में मैं सब कुछ जानती थी.
जब बाप अपनी बेटी की चूची चूसता तो सरिता तड़फ कर कहती- हाय पापा अब मेरी शादी कर दीजिए … हाय पापा आप चोद नहीं पाते तो किसी जवान लड़के से हमको चुदवा दीजिए … अब मुझे उंगली से मज़ा नहीं आता. “क्या बताऊं बेटी मेरा लंड अब खड़ा नहीं होता … वरना मैं तुमको खूब चोदता.”
ये कह कर बाप ने बेटी सरिता के एक निप्पल को अपने होंठों में भर लिया और चुभलाने लगा. वो दूसरे हाथ से उसकी चूत को फैलाकर नीना से चटवाने लगा. इस मज़े को पाकर सरिता और भी बेचैन होकर बोली- हाय पापा कितना मजा आ रहा है … बिना लंड के तो मैं मर ही जाऊंगी. आप मेरी चूत में आग लगा देते हैं. “घबराओ नहीं बेटी … आज रात किसी ना किसी को ज़रूर ले आऊंगा, आज रात किसी न किसी से तुम दोनों को चुदवा दूंगा.” उसके बाद उसने अपनी जवान लड़की की चूत में अपना अंगूठा कचाक से घुसेड़ दिया.
बाप ने अपनी बड़ी बेटी सरिता की चूत में 20-25 बार उंगली से चुदाई की, तो वह एकदम से मस्त होकर बोली- हाय पापा! बाप ने अपने अंगूठे को पक्क से बाहर किया, तो सरिता झुक कर अपनी चूत देख कर बोली- रस निकला पापा?
छोटी वाली नीना, जो मेरी सहेली थी, जल्दी से खड़ी हुई और अपनी काली रानों के बीच की अपनी काली चूत पर हाथ रखकर बोली- इसका हो गया पापा, अब मुझको मज़ा दीजिए.
सरिता वहां से हटकर नंगी ही बेड पर लेट गई. फिर अपने बाप के सामने मस्त होकर पूरी नंगी खड़ी छोटी वाली नीना की चूत और चूचियां मुझको साफ़ दिख रही थीं. अंगूठे से अपनी जवान चूत को कच कच चुदवाने के बाद सरिता तो झड़कर बेड पर लेट गई थी, पर छोटी वाली में अभी भरपूर मस्ती चढ़ी थी.
यह सब देखने और उनके बीच का वार्तालाप सुनने से मेरे बदन में भी हलचल मच गई थी. मेरी चूत के होंठ भी फड़फड़ाने लगे थे.
तभी नीना की एक हरकत ने मुझे और तड़पा दिया. वह अपनी चूत को अपने हाथ से फैलाकर बोली- आह … चाटो पापा बड़ा मज़ा आ रहा है. मुझको भी दीदी की तरह चुदवाकर मज़ा दिला दो पापा. अपनी छोटी लड़की की बात पर वह अपने मुँह को उसकी रानों के बीच ले गया और उसकी चूत को चाट चाट कर उसको मज़ा देने लगा.
नीना अपने होंठों को भींचकर चूत की फांकों को पूरी तरह से फैलाकर अन्दर से गुलाबी दिखती चूत को बाप की जीभ पर रगड़कर कहने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… पापा बहुत मज़ा आ रहा है … आह और जोर से चाटो पापा. दीदी से चूत चटवाने में इतना मज़ा नहीं आता, जितना आप से … ओह पापा मैं भी दीदी के साथ रात में लड़के से चुदवाऊंगी.
इस पर बाप नीना की कमसिन और गदराई काली चूत को और तेजी से चाटने लगा. नीना जिस मस्ती से अपने सगे बाप से अपनी चूत चाटवा रही थी, उससे मेरे पूरे बदन में आग लग गई. मुझे यकीन हो गया था कि नीना को अपने बाप के साथ बहुत मज़ा आ रहा है.
पहले जहां उनको नंगा देखकर मुझे अचरज हुआ था, वहीं अब मेरा मन भी इस मज़े के लिए बेहाल हो गया था. मेरी सांसें भारी हो गई थीं और मेरी चूचियां हार्ड हो गई थीं. उसके बाप का झांटों से भरा लंड मुझे साफ़ दिख रहा था. वह अभी भी ढीला लटका हुआ था.
उसके मुरझाए लंड को देख कर मैं समझ गई कि वह अब चूत चोदने लायक नहीं रहा. इसलिए रात में किसी लौंडे को लाकर अपनी लड़कियों को चुदवाने को कह रहा है. अब तो मेरा मन भी उन दोनों लड़कियों के साथ शामिल होने को कर रहा था.
तभी मैंने देखा कि नीना अपनी चूत से बाप का मुँह अलग करके बोली- पापा, मेरी भी दीदी की तरह उंगली से चोदते हुए थोड़ी चूचियां पीजिए न. बाप बोला- हां बेटी … उंगली से चुदवाकर अपना छेद फैलवा लो, जिससे जो लड़का तुम्हारी दीदी को चोदेगा, वह तुमको भी तेल लगाकर चोद देगा. अपनी चुत देखो, कैसे मस्त हो रही है. नीना अपनी चाटी गई चूत देखते हुए बोली- हां पापा.
ये सब देख कर एक अजीब सा नशा मुझको बेहोश किये जा रहा था. तभी बाप बेड पर नंगी लेटी अपनी बड़ी लड़की की चूचियों को पकड़कर बोला- उठो बेटी, तुम ज़रा नीना की चूचियां चूसो … तो में इसकी चूत को उंगली से चोद दूं.
सरिता एक कामुक मुस्कान के साथ बेड से उठी और एक मादक अंगड़ाई लेकर बोली- पापा आज किसी को पक्के में बुलाकर हम दोनों को मज़ा दिलवा दो … आप तो रोज़ ही कहते हैं. कि ज़रूर लाएंगे … पर लाते ही नहीं हैं “हां बेटी … आज तुम दोनों की चूत की आग जरूर शांत करवा दूंगा.”
फ़िर बड़ी वाली ने छोटी बहन की कमर में हाथ डालकर उसे झुकाया और जीभ से उसकी चूचियां चाटते हुई बोली- लो अब चोदिये इसकी चूत को पापा. इस पर बाप ने अपनी मिडिल फिंगर को कच से नीना की चूत में घुसेड़ दिया. उधर नीना की चूत में उंगली घुसी इधर मैंने भी मस्त होकर अपना हाथ पेंटी के अन्दर ले जाकर अपनी कुंवारी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी.
उधर कमीना बाप अपनी पूरी फिंगर को नीना की चूत में डालकर बोला- देखा सरिता … इसकी चूत में कितने आराम से मेरी पूरी उंगली चली गई. सरिता- हां पापा, ये भी लंड से चुदवाने लायक हो गई है. बाप- हां तुम्हारी तो बिना तेल के चुद जाएगी, पर इसकी चूत में तो तेल लगाकर ही चुदवाना होगा.
इतना कह कर बेटीचोद बाप नीना की चूत में जो सकासक उंगली डालने निकालने लगा, तो नीना आंख बंद करके बड़ी बहन की तरह मादक आवाज निकाल कर सिसकने लगी.
अब तो मैं भी एकदम गीली ही गई थी. कुछ देर बाद दोनों बहनें अगल बैठकर अपने बाप के लंड को चाटने लगीं. बाप ने मस्ती के साथ करीब दस मिनट तक अपनी दोनों बेटियों से अपने लंड को चटाया और लंड का पानी निकाल कर अलग हो गया.
कुछ देर बाद वे दोनों लड़कियां अपने कपड़े पहनने लगीं तो मैं चुपके से नीचे खिसक आई.
किराएदार की इस हरकत को देखकर मेरे मन में वासना की भूख पूरी तरह जाग गई थी. मैं बार बार दोनों बहनों को मज़ा लेते हुए उसी बात को सोचती और बाप को ये कहते हुए सुनती कि घबराओ नहीं, आज रात किसी लड़के को बुलवाकर तुम दोनों को चुदवा ही दूंगा. उनके बाप की ये सुनकर मुझको भी चूत चुदवाने के शब्द से प्यार होता जा रहा था. मैंने अपनी पेंटी हटाकर चूत को देखा, तो लगा कि सारा मज़ा इसी खरबूजे की फांक में भरा रहता है.
कहावत सच है कि जहां चाह वहां राह. मैंने सोचा कि जब वह अपनी दोनों सगी लड़कियों को मज़ा दे सकता है, तो मौका मिलने पर मुझे क्यों नहीं देगा. मैं तो उन दोनों से ज्यादा सुन्दर हूँ. जब मैं भी सरिता और नीना की तरह उनसे मज़ा लेने लगूंगी, तो उन दोनों का बाप मेरी चूत भी किसी से चुदवा देंगे. मैं ये सब सोचते अंकल के साथ मज़ा लेने का प्लान बनाने लगी.
इस समय 2 बजे थे. मुझे एक रास्ता सूझा. मैं मम्मी के पास गई और बोली- मम्मी अंकल आए हैं … वे नीना को इंग्लिश समझा रहे हैं, क्या मैं भी चली जाऊं? भला इस काम के लिए मम्मी मुझे क्यों मना करतीं. उनके हां कहने पर में इंग्लिश की नोट-बुक लेकर ऊपर आ गई.
मैंने आवाज लगाई- सरिता दीदी. बड़ी बहन सरिता ने मुझे अन्दर बुलाया- आ जाओ. मैं- दीदी नीना कहां है? सरिता- वो पापा के कमरे में होगी. “उधर अंकल भी हैं?” “हां … चली जाओ.”
तभी बगल के कमरे से नीना आई, तो उसे देख मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई. मैंने उससे कहा- अंकल से इंग्लिश पढ़नी है. यह बात कहते हुए मेरी चूत फड़क उठी थी. अंकल ने मेरी बात शायद सुन ली थी. वे रूम से बाहर आ कर बोले- पढ़ना है … आओ आओ.
मैंने सर हिलाकर हां किया. वो इस वक्त लुंगी बनियान में था. मैं उसकी दोनों लड़कियों से कई गुना अधिक सुन्दर थी. जब वो अपनी लड़कियों से मज़ा लेता था, तो मेरे जैसी लड़की से लिफ्ट पाकर तो फ़ौरन तैयार हो जाता. वह ऊंचे दर्जे का खिलाड़ी था और मैं उसे लिफ्ट देने जा रही थी.
मैं- अंकल मेरी इंग्लिश वीक है. आप पढ़ा दिया करें. मैंने अपनी चूचियों को उसके सामने उभारकर कहा. उसकी आंखें मेरी चूचियों पर ही जमी थीं. मेरी इस हरकत पर उसके मुँह में पानी आ गया. वह लोलुपता भरी निगाहों से मुझे घूरता हुआ बोला- ठीक है, जब मैं इधर रहूँ, तो तुम आ जाया करो, मैं इंग्लिश में स्ट्रोंग कर दूंगा … आओ आ जाओ अन्दर.
मैं रूम में आ गई. मेरे साथ नीना भी थी. मैं सोच रही थी कि नीना के रहते वो मुझे पहली बार कैसे हाथ लगाएगा. वैसे मैं तो दोनों बहनों की तरह दिल खोलकर नीचे ऊपर दोनों का मज़ा लेने को बेकरार थी. अंकल के साथ उन दोनों को जो मज़ा आया था, वह पूरा सिनेमा मैं देख चुकी थी. मुझे तो बस केवल मज़ा चाहिए था, जवान या बूढ़ा कोई भी हो … बस मेरी जवानी की आग को बुझा दे. मेरी कमसिन जवानी की कमसिन चूत की चुदाई की कहानी में आगे क्या हुआ. मुझे अन्तर्वासना पर पढ़ते रहिये.
कहानी का अगला भाग: पहला नशा पहला मज़ा-2
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