अंकल ने मेरी कुंवारी बुर की सील फाड़ दी

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नमस्कार दोस्तो, मैं वैशाली हूँ. मैं एकदम गोरी, स्लिम और 21 वर्ष की एक मध्यम वर्ग की लड़की हूँ. मेरे परिवार में मेरी मम्मी, जो कि एक हॉउस वाइफ हैं, मेरे भैया जो कि 25 वर्ष के हैं और एक अंतर्राष्ट्रीय कम्पनी में काम करते हैं. मेरे भैया मजबूत कद काठी के बहुत ही समझदार व्यक्ति हैं.

यह बात उस समय की है, जब मैं 19 साल की कच्ची कली थी. उस समय मेरे अधखिले बूब्स जो एकदम टाइट 28 इंच नाप के थे. मेरी कमर 30 के आस पास थी और गांड 32 या 34 के आस पास रही होगी. मुझे देख कर मेरे स्कूल के लड़के और मेरे भाई के दोस्त अक्सर आहें भरने लगते थे, परन्तु मैं इन सब में कुछ नहीं समझती और अपनी ही मस्ती में मस्त रहने वाली एक अल्हड़ कच्ची कली थी. मेरी सहेलियां, जिनके बॉयफ्रेंड हुआ करते थे, अक्सर ही मुझे अपने किस्से सुनाती रहती थीं. उसमें से कई तो अपने ब्वॉयफ्रेंड से सील भी फड़वा चुकी थीं. पर मेरी एक ही खास फ्रेंड थी काजल, मैं उससे कुछ नहीं छुपाती थी.

मेरी जिन्दगी ने करवट जब ली, जब हम जहां रहते थे. वहां एक अंकल आंटी और उनके 2 बच्चे रहने आये. उनके बच्चों में बड़ा 5 साल का और छोटा एक साल का था.

वो परिवार बहुत ही मिलनसार था, तो थोड़े ही दिन में मेरी मम्मी से उन आंटी की दोस्ती हो गई और हमारा एक दूसरे के घर आना जाना चालू हो गया.

अंकल यही कोई 38 साल के आस पास के थे. वो जब भी मुझे देखते, तो खा जाने वाली नजरों से देखते. मैं अधिकतर तो सलवार सूट पहनती थी, पर घर में लोवर और टी-शर्ट में होती. अंकल बस मेरे बूब्स को ही ऐसे घूरते रहते, जैसे खा ही जाएंगे. उनसे मुझे ज्यादा कोई मतलब नहीं था, पर मैं उनके घर उनके छोटे बेटे अवि को खिलाने और हमारा घर का टीवी ख़राब हो जाने के कारण टीवी देखने जाती थी. उनकी वाइफ उनके विपरीत बहुत ही मिलनसार और बहुत प्यारी थीं.

अंकल सुबह 10 बजे निकल जाते, तो शाम 5 बजे अपने काम से वापस आते. मैं उस परिवार से अच्छा घुल मिल गई और उनके घर आने जाने लगी थी.

एक बार जब मैं उनके घर गई, तो अंकल घर पर ही थे. मैंने उन्हें नमस्ते की और उनके बेटे अवि को उनसे माँगा. अंकल ने अपने बेटे को देते हुआ अचानक से अपनी कुछ उंगलियां मेरे मम्मों पर टच कर दीं. उनकी उंगलियों की छुअन से मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई.

ये सिलसिला अब रोज का ही हो गया. अधिकतर अंकल अपने बेटे को देने के चक्कर में मेरे मम्मों को छू लेते, कभी कभी मेरे हाथ को छू लेते, उनका यूँ मुझे हाथ लगाना … मुझे जरा अजीब लगता, पर हल्की सी मन में गुदगुदी भी कर जाता था. यही गलती मैं कर गई और मेरे कोई विरोध न करने से अंकल की हिम्मत बढ़ गई.

अब वो जब भी अवि को मुझे देते, तो जानबूझ कर मेरे मम्मों को पकड़ कर मसल देते … और मैं कसमसा के रह जाती. मैं कई बार सोचती कि किसी को इनकी हरकतों के बारे में बता दूं, पर अजीब से डर और गुदगुदी के कारण मैं किसी से कुछ नहीं बोली.

इसका नतीजा ये हुआ कि एक दिन मौका देख कर अंकल ने मुझे छत पर एक छोटा सा कमरा बना था, उसमें किसी बहाने से बुला कर पकड़ लिया और मेरे मम्मों को जोर जोर से दबाने लगे. मेरे मुँह से ‘उईई … अई … उईई … माँ आह दुःख रहा है अंकल ..’ निकल गया. मैं ज्यादा जोर से चिल्ला भी नहीं सकती थी, वरना बदनामी मेरी ही होती. मुझे सबसे ज्यादा डर अपने भाई का था.

अंकल ने उस दिन मेरे चुचे लपक लपक के दबाए और मुझे छोड़ दिया. अब अंकल एक भी मौका नहीं छोड़ते. कभी मेरे मम्मों को दबाते, कभी कमर में हाथ लगाते, कभी मेरी गांड मसल देते. मैं उनसे बच कर रहने लगी. फिर भी वो मौका देख कर मुझे मसल जरूर देते. किस्मत भी उनका साथ दे रही थी. मुझे भी कुछ कुछ अच्छा लगता था, तो मैं भी अपने मम्मे अंकल से दबवा लेती. मैं सोचती कि अंकल को इससे ज्यादा कुछ नहीं करने दूंगी.

एक दिन तो अंकल ने हद ही पार कर दी. मैं उनके घर टीवी देखने गई हुई थी. आंटी किचन में काम कर रही थीं. मैं सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी. तभी अंकल भी मेरे पास आकर बैठ गए और मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे मम्मों को मसलने लगे. मैं कुछ बोल भी नहीं सकती थी … वरना आंटी सुन लेतीं.

अब उन ठरकी अंकल ने मेरे होंठ चूसना चालू कर दिए ‘मूऊऊऊ … आआह … मुईई … उई … मूऊऊआ..’ मैं भी इस चुम्बन से मस्त हो गई और अपने होंठ अंकल से चुसवाती रही. बल्कि यूं कहूँ कि मैं भी उनका साथ देने लगी. ये बात मैंने अपनी फ्रेंड काजल को भी बताई, तो वो बोली कि चलने दे, जो चल रहा है. तू भी मजे ले. इतने लोग घर में रहते हैं, तो वो इससे आगे थोड़ी बढ़ेगा.

पर यही हमारी सबसे बड़ी भूल थी. किसी को उंगली पकड़ने का मौका दो, तो वो हाथ जरूर पकड़ने की कोशिश करता है. दोस्तो, किस्मत को भी शायद यही मंजूर था.

हुआ यूँ कि एक दिन अचानक मेरे नाना जी की तबियत ख़राब हो गई और मेरी माँ उनके पास गांव चली गईं. अचानक से उसी रात उन अंकल की बीवी को भी घर से बाहर जाना पड़ गया. उनके पीहर के परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने के कारण आंटी भी बाहर चली गईं.

इस बात का मुझे पता भी नहीं था कि आंटी यहां नहीं हैं. उसी दिन करीब 2 बजे अंकल ने मुझे आवाज लगाई. अंकल- वैशाली यहां आ तो. मुझे लगा कि अंकल को कोई काम होगा … तो मैं चली गई. उनके करीब जाकर मैं बोली- हां अंकल बोलो क्या हुआ … और आंटी कहां गई हैं? अंकल बोले- बेटा वो पास में सिलाई के कपड़े डालने गई हैं. अंकल उस समय अपनी आंख मसल रहे थे. आंखें मसलते हुए बोले कि बेटा मेरी आंख में कुछ गिर गया है, जरा देख तो क्या हुआ है.

ऐसा बोलते हुए वो पलंग पर बैठ गए. मैं उनके पास खड़ी होकर उनकी आंखों में देखने लगी और फूंक मारने लगी.

अंकल ने मेरी कमर में हाथ रख कर पकड़ लिया, मुझे अजीब इसलिए नहीं लगा क्योंकि अब तो ये उनका और मेरा रोज का काम था. पर आज उनके इरादे कुछ और ही थे.

अब उन्होंने मेरी टी-शर्ट थोड़ी सी ऊपर करके मेरी नंगी कमर में हाथ लगा दिया. उनके इस कदम से मैं सिहर उठी और मेरी एक हल्की सी आह निकल गई ‘आईई …’

उन्होंने तुरंत अगला कदम ले लिया और टी-शर्ट को मेरे मम्मों तक चढ़ा दिया. मैंने एकदम से उनसे दूर जाना चाहा, पर उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया. अंकल बोले- थोड़ी देर मुझे मसल लेने दे … फिर छोड़ दूंगा. मैं उनकी बात सुन कर चुप हो गई. अब उन्होंने पहली बार मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स मसले और मेरी नंगी कमर और पीठ पर अपने हाथ फेरे. मैं मदहोश हो गई.

उन्होंने पता नहीं कब मेरी ब्रा ऊपर कर दी और मेरे कच्चे नंगे बूब्स कब दबा दिए, मैं समझ ही नहीं पाई. मुझे होश तब आया, जब उन्होंने मेरे एक बूब को अपने मुँह में ले लिया- मूऊऊऊआह …

अंकल ने मेरे बूब के निप्पल को हल्का सा काटा, तो ‘उईई ईई … आह अंकल छोड़ दो … कोई आ जाएगा..’ करके मेरी आह निकल गई. वो बोले- कोई नहीं आएगा. मैं बोली- दरवाजा भी खुला है … छोड़ दो ना!

उस टाइम दरवाजे पर बस एक पर्दा ही अटका था. उन्होंने मुझे छोड़ा और जल्दी से जा कर दरवाजा बंद कर दिया. मैं कुछ बोलती या समझती, इतने में उन्होंने अपनी शर्ट उतारी और बनियान में ही मुझे आकर गले लगा लिया. अब अंकल ने एक दीवार के पास ले जाकर मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे नंगे मम्मों को कस के दबा दिया. मेरे मुँह से एक तेज चीख निकल गई- उई … माँ आआआह ओह आई ऊऊह..

अंकल को मेरी इस चीख से कोई दया नहीं थी. उन्होंने एक झटके में मेरी ब्रा और टी-शर्ट को निकाल फेंका और जोर जोर से मेरे बूब्स और निप्पलों को चूसने लगे. अंकल ‘मूऊऊऊऊ … मूऊ … पुच पुच … मूऊऊ … पुच आह ओह उईईई …’ करके मेर दूध निचोड़कर चूसने लगे. मुझे भी मजा सा आने लगा.

तभी साले अंकल ने मेरे बूब को काटा, मैं चिल्ला दी- उई अंकल आहह … ये क्या कर रहे हो … छोड़ो मुझे.

लेकिन उन पर तो भूत सवार था. उन्होंने मेरे दर्द की कोई परवाह नहीं की. बल्कि अंकल मेरे होंठ चूसने लगे ‘मूऊऊ ऊऊह मुईई …’ इससे मैं भी बहक गई और उनके सर में हाथ डाल कर मैं भी उनका साथ देने लगी. शायद होंठ चुसवाना मेरी कमजोरी थी. वो लगातार मेरे होंठ चूस रहे थे. अब इतना सब होने से मैं भी गर्म हो गई और बहक गई.

दोस्तो, उन ठरकी अंकल ने मेरे मम्मों को तो पहले ही आजाद कर लिया था और लगातार मसल रहे थे. अब उन्होंने होंठ चूसते चूसते मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया और मेरी पेंटी में हाथ डाल कर मेरी कुंवारी बुर मसल दी. इससे मैं अपना आपा ही खो गई.

मेरे कंठ से बस ‘शीईई उई आआह उई …’ निकलने लगा. वो मेरी बुर पर अपना मुँह ले आये और मेरी बुर को चूसने लगे. मैं उनके इस कदम से एकदम मदहोश हो गई. मेरी बुर में से खुजली के साथ रस भी बहने लगा. उन्होंने बुर मसलते मसलते ही अपनी पेन्ट और चड्डी नीचे कर दी और मेरे ऊपर 69 की पोजिशन में आ गए. मतलब अब वो तो मेरी बुर तो चाट ही रहे थे, साथ ही उनका लंड मेरे मुँह के आस पास था. मैं उनका मकसद समझ गई थी, पर उनका लौड़ा मुँह में नहीं ले रही थी. हालांकि अंकल के उस हब्शी लौड़े को मैंने अपने हाथ में जरूर पकड़ लिया था.

अंकल बड़े ही शातिर थे, उन्होंने मेरी बुर को बहुत ही पास से जुबान अन्दर घुसेड़ घुसेड़ के चूसना जारी रखा … तो पता नहीं कब मैंने भी उनका लंड अपने मुँह में ले लिया. अब वो मेरी बुर को चूस रहे थे और लंड से मेरे मुँह को चोद रहे थे.

जब उनका मन भर गया, तो वो पलट गए और लंड को मेरी बुर पर रगड़ने लगे. मेरी बुर पहले ही उनके चूसने के कारण गीली थी. मैं भी उत्तेजित हो कर अपनी गांड नीचे से हिलाने लगी.

जब मैं पूरी गर्म हो गई, तो उन्होंने फक से अपना टोपा मेरी कच्ची बुर में घुसेड़ दिया. मेरी सारी उत्तेजना हवा हो गई. मैं जोर से चीख पड़ी- उई माँआह … मर गई … अंकल छोड़ दो … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ.

उन्होंने छोड़ने की जगह एक झटका और दे दिया, तो अंकल का आधा लंड मेरी बुर में अन्दर घुस गया. मेरी आंखों से आंसू निकल गए, मेरी बुर फट चुकी थी और झिल्ली फटने से खून बहने लगा था. अब अंकल आधे लंड को ही अन्दर बाहर करते रहे और कोई पांच मिनट बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा.

अंकल ने अब अपनी रफ्तार बढ़ा दी और वो पूरे लंड से लम्बे लम्बे झटके देने लगे. बीच बीच में अंकल मेरे मम्मों और होंठ भी चूसते रहे. मैं इस चुदाई में इतनी मस्त हो गई कि ‘आह ऊऊ आआ अंकल … ऐसे ही … हां दे दो झटका..’ कहने लगी.

अब अंकल भी मस्त होकर मुझे भोग रहे थे और अपनी किस्मत पर नाज कर रहे थे कि मुझे कुंवारी बुर भोगने को मिली.

लंड बुर के झटके मारते मारते हम दोनों चरम मंजिल की ओर बढ़े. कुछ ही पल बाद अंकल ने अपना सारा पानी मेरे अन्दर डाल दिया. उसी समय मैं भी उन से चिपक गई और मेरी बुर से भी रस बह निकला.

दोस्तो, भले ही मैं चाहती थी कि अंकल मेरे साथ ये सब करें फिर भी अंकल को ना रोकना … किसी बात पर विरोध न करना मुझे महंगा पड़ा और मैंने अपनी बुर एक ऐसे व्यक्ति से फड़वा ली, जिससे शायद मैं कभी सपने में भी ऐसा करने की सोच नहीं सकती थी.

अभी के लिए बस इतना ही … आगे क्या क्या हुआ, वो फिर कभी लिखूंगी. आप मुझे मेल करके बताएं कि आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी. [email protected]

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