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मेरी ज़िन्दगी मस्त चल रही थी। अजय अब सिर्फ आधार कार्ड में था। मुझे लगता ही नहीं था कि मैं आदमी हूँ। अब मैं खुद को औरत समझती थी और अपने दोनों पतियों अंशु और उपिंदर के साथ खुश रहती थी।
फिर एक दिन:
सुबह का समय था, मैं और अंशु चाय पी रहे थे, तभी फोन आया, अंशु ने देखा और स्पीकर ऑन कर दिया। “कैसी हो अंशु?” “मैं अच्छी हूँ डॉक्टर शोभा, आप कैसी हैं?” “ठीक हूँ, एक काम है अंशु!” “मैं समझ गयी.” “तुम समझ गयी? क्या, कैसे?” “आपको आज कामिनी चाहिए.” “सब याद रखती हो तुम!” और दोनों हँस पड़ीं।
“हाँ आज एक छोटी सी पार्टी है, 3 फैमिली फ्रेंड्स हैं, आज तू कामिनी को भेज दे तो मज़ा आ जाए!” “भेज तो दूंगी, पर तीन आप और फिर तीन आपके पति!” “अरे नहीं, बस हम तीनों के लिए। हमारे पतियों की पसंद दूसरी है, उनका काम सिर्फ चूचियों और गांड से नहीं चलता, इसलिए वो दूसरे कमरे में दारू पीते रहेंगे। समझ गयी न तू?” “बिल्कुल समझ गयी। पतियों को अलग कमरे में भेजने की ज़रूरत नहीं है। सबका इंतज़ाम कर दूंगी। कामिनी तो होगी ही, साथ में उसकी मम्मी। याद है न आपको जिसका आपने एबॉर्शन किया था। अभी आने वाली है। आपने तो उसे पूरा देखा है। क्या ख्याल है तीनों मर्दों को पसंद आएगी?” “अरे वाह अंशु। मज़ा आ जाएगा.” “ठीक है शोभा जी, आप पार्टी की तैयारी करिए.”
थोड़ी देर में मम्मी आ गयी। “मालिनी आज दिन में आराम कर लो, शाम को तुम दोनों को एक पार्टी में जाना है.” “कैसी पार्टी?” “कामिनी बता देगी.”
शाम को हम दोनों शोभा के घर पहुंचे। मैं जीन्स और टॉप में और मम्मी साड़ी में। हॉल में 6 लोग बैठे हुए थे। तीनों औरतें हट्टी कट्टी, रोज़ जिम जाने वाली और तीनों मर्द लंबे तगड़े। सब शराब पी रहे थे। हम भी बैठ गए। हल्की फुल्की बातें होती रहीं। शराब का नशा सबको चढ़ने लगा।
फिर शोभा खड़ी हुई हाथ पकड़ के मुझे खड़ा किया- चलिए मैं सबका परिचय करवा दूं. मेरी बगल में हाथ डाल के चूची दबाईं- ये है कामिनी, मेरी सहेली अंशु उसके आशिक उपिंदर की पत्नी! “और ये है सुजाता!”
सुजाता उठी और मुझे बांहों में भर के मेरे होंठ चूसे और मेरे चूतड़ मसलते हुए मुझे अपने होंठों का रस पिलाया- शोभा, ये माल तो अच्छा है, अब देखते हैं मज़ा कितना देती है. “ये है लक्ष्मी!” वो लम्बी कद्दावर मद्रासन थी। लक्ष्मी खड़ी हुई और मेरा टॉप उतार दिया- मुझे ऐसे मज़ा नहीं आता. मुझे घुटनों पे बिठाया और मेरा चेहरा अपनी जांघों में दबा लिया- बेबी, अभी मेरी खुशबू का मज़ा ले, थोड़ी देर में पूरा स्वाद दूंगी.
फिर शोभा ने मम्मी को खड़ा किया और साड़ी उतार दी- ये मालिनी है, कामिनी की मम्मी। कुछ दिन पहले ही मैंने इसकी बच्चेदानी की सफाई की थी. “कल तक फिर तैयार कर देंगे इसे एक और एबॉर्शन के लिए!” कोई मर्द बोला और सबने ठहाका लगाया।
“और ये मेरे पति विनोद!” विनोद ने मम्मी का पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया। ब्रा पैंटी में मम्मी के उभारों को अच्छे से मसला।
“ये सुजाता के पति हरीश!” हरीश ने ब्रा भी खोल दी, मम्मी को पीछे से दबोच लिया और चुचियाँ का पूरा बैंड बजाया।
“और ये विजयन!” लम्बा काला तमिलियन … उसने मम्मी की कच्छी उतार के पूरा नंगा कर दिया और चूत को दबाया। “अब शुरुआत विजयन और लक्ष्मी करेंगे उसके बाद जो जैसे चाहे मज़े ले!” शोभा बोली।
विजयन और लक्ष्मी कपड़े उतार के सोफे पे अगल बगल बैठ गए। मैं और मम्मी सामने घुटनों पर … और चेहरे दो जोड़ी मज़बूत जांघों के बीच! मैं चूत चाटने लगी और मम्मी खड़ा लंड चूसने लगी। मम्मी तो नंगी थी ही पीछे से सुजाता ने मेरी जीन्स और कच्छी उतार दी- शोभा, इसके चूतड़ मस्त हैं.
शोभा ने एक मोटी सी गाजर मेरी गांड में घुसा दी और उससे चोदने लगी- हाँ अंशु का बॉयफ्रेंड खूब पेलता है इसे! और अंशु कह रही थी ये चूत गांड लंड सब मस्त चूसती है” “सच। लक्ष्मी के बाद मेरी गांड और इसका मुंह” “सुजाता ये रात भर के लिए हमारा माल है, खूब मज़े लेना” मेरी जीभ चूत में तेज़ी से मचलने लगी और लक्ष्मी की चूत गीली हो गयी।
वही ज़मीन पर बिस्तर लगे हुए थे। शोभा और सुजाता मुझे बिस्तर पे ले गयीं, गाजर अब भी मेरी गांड में थी। वहां देखा तो मम्मी का प्रोग्राम चल रहा था, वो लेटी हुई थी, हरीश उनकी छाती पे बैठ के लौड़ा चुसवा रहा था और विजयन तबियत से चोद रहा था। विनोद उनकी वीडियो बना रहा था- आज तो मज़ा आ रहा है पार्टी में। अच्छे से ठोक साली को!
हरीश ने मेरी मम्मी के मुंह में पानी छोड़ दिया और विजयन के धक्के लगातार जारी थे। विनोद बोला- अब मालिनी को अपने ऊपर ले ले और नीचे लेट के मज़े ले! मम्मी ऊपर आयी और विनोद ने चढ़ के गांड में लंड पेल दिया और गांड ठोकने लगा।
मम्मी सैंडविच बन गयी। एक लौड़ा चूत में दूसरा चूतड़ों के बीच में। डबल चुदाई पूरी रफ्तार से चल रही थी।
सुजाता बोली- माँ की चुदाई बाद में देखना, आ मेरी गांड का स्वाद ले. और वो उल्टी लेट गयी।
खूबसूरत गोरे चिकने चूतड़ … मैं झुकी और चूमने लगी हल्के हल्के। सुजाता ने थोड़ी अपनी टांगें चौड़ी कीं और मेरे होंठ फिसलते हुए सुंदर से भूरे छेद से जुड़ गए। मैं चूसने लगी, चाटने लगी। शोभा ने गाजर प्रोग्राम फिर शुरू कर दिया। मैं और मम्मी दोनों एक साथ बज रही थीं।
तभी लक्ष्मी ने शोभा को बोला- मैं ज़रा वाशरूम जाकर आती हूँ. “क्यों?” “क्यों का मतलब? वाशरूम क्यों जाते हैं?” “अरे लक्ष्मी, ज़रा सुजाता को मज़े ले लेने दे … उसके बाद तू कामिनी की प्यास बुझा देना.” “मतलब… उसके मुंह में?” “और क्या … अंशु बता रही थी कि वो तो रोज़ एक बार तो अपना प्रशाद ज़रूर देती है.” “मज़ा आ जाएगा फिर तो!” “और पता है एक बार तो अंशु के सामने उसके प्रेमी ने सिनेमा हॉल में कामिनी को अपने दोनों पानी पिलाये थे। सफेद भी और सुनहरी भी” “मस्त माल पटाया है तेरी सहेली ने!”
सुजाता की गांड को प्यार करने कर बाद लक्ष्मी ने मुझे लिटाया, मेरे चेहरे पर बैठी और मेरे मुंह में पेशाब किया।
उधर मम्मी के दोनों छेदों में सफेद बरसात हो चुकी थी और अब हरीश घोड़ी बना के मेरी माँ को चोद रहा था। रंगारंग प्रोग्राम रात भर चला। मैंने तीनों की चूत और गांड को चूमा चाटा चूसा। मेरी मम्मी को तीनों ने दो दो बार रगड़ा। कभी मुंह में कभी चूत में कभी गांड में।
जब घर जाने का टाइम हो गया तो शोभा बोली- सुबह हो गयी, दोनों को नहला के भेजते हैं।
हम दोनों बाथटब में बैठे, 6 लोग घेरा बना के खड़े हुए, 3 चूतों और तीन लौड़ों से बरसात शुरू हो गयी.
शोभा बोली- कपड़े पहन लो। फिर घर जा कर कामिनी की गांड से गाजर निकाल के दोनों खा लेना। सब हँसने लगे।
फिर एक शानदार पार्टी के बाद हम वापस आ गए।
उस दिन पार्टी के बाद मम्मी बहुत खुश थीं, उन्हें बड़ा मज़ा आया था। मैं निश्चित नहीं थी, मुझे वहां मज़ा तो आया था पर सोच रही थी कि अंशु ने मुझे क्यों भेजा। लेकिन फिर धीरे धीरे वो ख्याल निकल गया, सोचा ज़िन्दगी मज़े लेने के लिए ही है और फिर अंशु और उपिंदर भी यही चाहते हैं तो अच्छा है।
मैं अपने दोनों पतियों के साथ खुश तो बहुत थी पर अब कभी कभी ख्याल आने लगा था कि उस दिन की पार्टी जैसा कुछ हो।
हॉर्मोन दवाइयों की वजह से छातियाँ अच्छी हो गयी थीं। घर में या वहां जहां मैं अपने औरतों वाले कपड़ों में जाती थी, बड़ा अच्छा लगता था लेकिन जब कभी मजबूरी में आदमियों के कपड़े पहनने पड़ते थे तो शर्ट में से उभार कुछ अजीब लगते थे। और मैं आदमी हूँ ये ख्याल आता ही नहीं था।
फिर एक दिन … उपिंदर आया, मैं चाय बना रही थी, वो और अंशु कमरे में थे, मुझे उनकी आवाज़ें आ रही थी। “अंशु एक खास बात है.” “हाँ बोलो?” “आज राजेश मिला था, ये तो तुझे पता ही है कि अब वो मेरे से बहुत खुल गया है.” “हाँ, तुमने उसे कामिनी की मम्मी की दिलवाई थी न!”
“हाँ, आज भी हम सेक्स की बात कर रहे थे। तब वो बोला कि मैं अब तक 2/3 को बजा चुका हूँ। और मालिनी की तरह बाकियों की भी आगे पीछे दोनों तरफ से ली है। लेकिन एक काम मैंने अब तक नहीं किया, पर करना चाहता हूँ। मैंने पूछा- वो क्या? तो थोड़ा झिझकते हुए बोला- जब भी जीजा जी को टाइट जीन्स में देखता हूँ तो मुझे उनके कूल्हे बड़े अच्छे लगते हैं। वैसे ज्यादातर वो ढीली शर्ट्स पहनते हैं, पर मुझे कभी कभी लगता है कि उनकी छाती के उभार भी बड़े बड़े हैं। सब देख कर मेरा दिल करता है कि … मैंने कहा- मतलब अगर अजय मान जाए तो तू उसकी मारेगा। बोला- अरे मज़ा आ जाएगा. “ओह, तो राजेश कामिनी को पेलना चाहता है. ठीक है मैं बात करूँगी.”
मैं चाय ले गयी। आगे इस बारे में कोई बात नहीं हुई।
फिर रात को जब मैं और अंशु बिस्तर पर थे चिपके हुए नंगे। वो मेरी चुचियाँ दबा रही थी और मैं उसकी चूत सहला रही थी तब … “कामिनी एक बात करनी है.” “मुझे पता है। मैंने आज तुम्हारी और उपिंदर की बात सुन ली थी.” “ओह … तो बता, राजेश से मरवाएगी?”
मैं उसकी जांघों के बीच में गयी और चूत को खूब प्यार किया- अंशु मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। जो तुम कहोगी मैं करूँगी ख़ुशी ख़ुशी।” “मेरी प्यारी कामिनी!” और उसने मेरे होंठों का भरपूर चुम्बन लिया।
प्रोग्राम बन गया। अगले दिन राजेश का जन्मदिन था। वो और उपिंदर दोनों आये। मैं भी था अजय की तरह क्योंकि राजेश को और कुछ पता नहीं था। आज मैंने जानबूझ के टाइट जीन्स के साथ टाइट टी शर्ट पहनी थी। और मैं देख रही थी कि राजेश बीच बीच में मेरे ऊपर और नीचे के दोनों उभारों को देख लेता है।
फिर राजेश ने केक काटा, हम तीनों ने उसे बधाई दी। फिर शराब शुरू हुई। एक पेग के बाद मैं बहाना बना के निकल गया और बाहर जा के खिड़की से बैडरूम में पहुंच गया। वहां पूरी तैयारी थी, मेरे कपड़े भी थे, शराब भी थी।
मैंने पीते पीते कपड़े बदले, गुलाबी साड़ी … अंशु लाल चाहती थी जिससे उसके भाई को सुहाग रात का मज़ा आये। पर मैंने मना कर दिया कि मेरे पति सिर्फ दो हैं। साड़ी पहन के पूरा मेकअप करके मैं तैयार हो गयी।
बाहर से आवाज़ें आ रही थीं। “राजेश, तू हैरान तो हुआ होगा कि हमने कोई तोहफा नहीं दिया.” “क्या बात कर रहा है उपिंदर?” अंशु बोली- लेकिन तोहफा है. “कहाँ है?” “बैडरूम में!”
राजेश बैडरूम में आया। उपिंदर बोला- मस्त चुदाई की शुभ कामनाएं! और दरवाज़ा बाहर से बन्द कर दिया।
राजेश मेरे पास आया, बिस्तर पे बैठा और ठोड़ी पकड़ के मेरा चेहरा ऊपर उठाया, कुछ देर देखता रहा और फिर बोला- अरे जीजा जी आप? “नहीं, मैं कामिनी” और मैंने उसके गले में बांहें डाल दी। उसने मुझे जकड़ लिया और एक लम्बा बहुत लम्बा चुम्बन लिया मेरे होंठों पे।
मेरा पल्लू गिर चुका था वो मेरे उभारों को दबाने लगा- कामिनी, मैं जब भी टाइट जीन्स में तुम्हारे कूल्हे देखता था मेरा खड़ा हो जाता था. “तुम्हें जो भी अच्छा लगता था, आज तुम्हारे हवाले है.” उसने मेरी साड़ी, ब्लाउज और ब्रा उतार दी। “हाय … इतनी प्यारी चुचियाँ!” और वो ज़ोर से मसलने लगा- कामिनी आज मेरी तमन्ना पूरी होगी तुम्हारी लेने की!
“मैंने तो तुम्हें एक बार बेलिबास भी देखा है.” “कब?” “जब तुम मेरी मम्मी को चोद रहे थे। तुम्हारी मज़बूत बांहें, जबरदस्त जाँघें, चौड़ा सीना, मर्दाने चूतड़ और तूफानी लण्ड सब मुझे बहुत बहुत अच्छे लग रहे थे। अब क्यों सब कुछ छुपा के रखा है?” उसने एक मिनट में अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैं उसके सीने से लग गयी और धीमे धीमे उसकी छाती को अपने होंठों से सहलाने लगी। उसके हाथों ने मेरा पेटीकोट और चड्ढी दोनों उतार दिए।
वो बैठा हुआ था, मैं लेट गयी उल्टी … चेहरा उसके जांघों के बीच में। उसका शान से तना हुआ लौड़ा मेरे होंठों में … प्यार से चूस रही थी, चाट रही थी। वो हाथ बढ़ा के मेरे चूतड़ दबाने लगा। “क्या चिकने चूतड़ और मस्त गांड है तेरी!” “जैसी भी है तुम्हारे लिए है.” “तो आ जा मेरी जान!” “मैं तो तैयार हूँ.”
और मैं घोड़ी बन गयी। वो मेरे पीछे आया, मेरे चूतड़ों को फैलाया, उसके लौड़े के सुपारे ने मेरे छेद को छुआ और मेरे सारे बदन में एक सनसनी दौड़ गयी। फिर एक करारा धक्का और लण्ड दनदनाता हुआ मेरी गांड में घुस गया। वो पेलने लगा, मैं मस्त हो के मरवाने लगी। धुआंधार गांड चुदाई हुई, ताबड़तोड़ मेरी गांड ठोकने के बाद राजेश ने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया। हम दोनों लिपट गए। “मज़ा आ गया कामिनी” “मुझे भी राजेश!” “अच्छा तुम अंशु की बीवी हो न?” “अंशु और उपिंदर दोनों की!” “तीन पति कर लो!” “नहीं राजेश, वो दोनों मेरे पति हैं और तुम मेरे प्रेमी और मुझे प्रेमी बहुत प्यारा है.” उसने मुझे बांहों में कस लिया। हम सो गए।
अगले दिन सुबह हम उठ के कमरे से बाहर आये। उपिंदर ने पूछा- क्यों राजेश तोहफा कैसा लगा? मज़ा आया? अंशु बोली- अरे कामिनी का देवर है, मज़े लेने का हक है उसका तो मज़ा क्यों नहीं आएगा.
ऐसी हल्की फुल्की बातें चलती रहीं।
तभी राजेश बोला- 2-3 दिन छुट्टी है, कहीं घूमने चलते हैं। “कहाँ?” “मनाली!” “नहीं, बहुत सर्दी होगी.” “अरे मज़ा आ जाएगा, बर्फ पड़ी होगी.”
प्रोग्राम बन गया, सबने पैकिंग की और हम मनाली पहुंच गए। रात में आराम किया और सुबह घूमने निकल गए रोहतांग पास। चारों तरफ बर्फ … काफी सैलानी। हम भी घूमने लगे।
सर्दी के हिसाब से मैं और अंशु दोनों जीन्स टॉप और स्वेटर में थे। दोनों लड़के भी गर्म कपड़ों में थे। चलते चलते राजेश मेरे चूतड़ दबा देता था। शराब की बोतल साथ थी, सब उसमे से घूंट लगा के सर्दी भगा रहे थे।
फिर हम ऐसी जगह पहुंच गए जहां कोई नहीं था। बस बर्फ की चादर और हम चार। राजेश ने मुझे बोतल दी- थोड़ी पी ले, सर्दी बहुत है. मैंने एक घूंट लिया। वो बोला- थोड़ी और! “पर अब मुझे ठंड नहीं लग रही.”
उसने मुझे बांहों में भरा, मेरे होंठ चूसे और- अभी लगेगी सर्दी क्योंकि तुझे कपड़े उतारने हैं. “इतनी सर्दी में? क्यों?” “क्योंकि हम यहीं चुदाई करेंगे.” “हाय राम … कोई आ गया तो? और इतनी ठंड में मुझे जीन्स और पैंटी नीचे सरकानी पड़ेगी.” “नहीं मेरी जान कपड़े थोड़े नीचे सरका के नहीं बल्कि पूरी नंगी करके लिटा के मज़े लूंगा.”
ये बातें सुन कर उपिंदर का भी मूड बन गया और उसने अंशु को मना लिया। फिर …
अंशु उपिंदर की बांहों में थी, होंठ चुसवा रही थी, चूतड़ दबवा रही थी और मुझे राजेश ने पीछे से दबोच रखा था, मेरे गाल चूम रहा था, चुचियाँ मसल रहा था। सब गर्म हो रहे थे।
दोनों मर्दों ने ज़िप खोली और फ़नफनाते हुए लण्ड बाहर आ गए पूरे तने हुए। मैं और अंशु सामने घुटनों पे बैठी और हमारे होंठ हमारे प्रेमियों के लौंड़ों पे लिपट गए।
लण्ड चुसवाने के बाद राजेश मेरे और उपिंदर अंशु के कपड़े उतारने लगा और अगले ही पल कड़कती ठंड में मैं बर्फ में नंगी उल्टी लेटी हुई थी। लगा चुदाई की सारी गर्मी निकल जाएगी. तभी राजेश ने मेरे चूतड़ चौड़े किये और अपना लण्ड पेल दिया, वो मेरे ऊपर लेट गया, उसके हाथ मेरी बगल से मेरे नीचे पहुंचे और मेरी चुचियाँ से लिपट गए। मेरी चुचियाँ दबने लगीं और धक्के शुरू हो गए। नीचे ठंडी बर्फ और ऊपर गांड चुदाई की गर्मी। सच कह रही हूँ ज़िन्दगी का मज़ा आ रहा था।
मैंने साइड में देखा … अंशु घोड़ी बनी हुई थी और उपिंदर दनादन उसकी चूत बजा रहा था। उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, उसने लण्ड निकाला, अंशु को बर्फ में लिटाया और गांड में लण्ड घुसा दिया। अब दोनों जोड़ों का एक ही प्रोग्राम चल रहा था … गांड चुदाई … हर धक्के के साथ हम नर्म ताज़ी बर्फ में दब रहे थे।
हमारी मस्त गांड मार के वे दोनों ने पानी छोड़ दिया। मैंने और अंशु ने फटाफट कपड़े पहने और अपने प्रेमियों के साथ लिपट गयीं। हम फिर आराम से घूमने लगे।
बर्फ गिरने लगी, मौसम और खूबसूरत हो गया। अब हमारी लेने के बाद दोनों मर्द साथ साथ थे और मैं और अंशु साथ साथ। “कामिनी, इतने प्यारे मौसम में हम दोनों प्यार नहीं करेंगे क्या?” “ज़रूर करेंगे। चलो वहीं चलते हैं वहाँ कोई नहीं है,”
और गिरती बर्फ में हम दोनों लिपट गए। चुचियाँ चुचियाँ से दबती हुईं और ढेरों चुम्बन लिए। अंशु ने मेरे स्वेटर और टॉप के अंदर हाथ डाल के मेरी चुचियाँ खूब दबाईं। “आजा मेरी बीवी, मेरे नीचे प्यार कर!” “जरूर मेरे प्यारे पतिदेव!” उसने जीन्स और कच्छी नीचे सरकाई और बोली- पीछे आ जा मेरी रानी!
मैं बैठी और चूतड़ चौड़े कर के होंठ जोड़ दिये। अंशु की गांड की खुशबू और उसमें से टपकते हुए उपिंदर के वीर्य का स्वाद … मैं बहुत देर तक चूसती रही चाटती रही। उसके बाद हम वापस होटल की तरफ चल पड़े। सब खुश … बहुत खुश!
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