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दोस्तो, यह कहानी एक मित्र ने मेरी कहानियां पढ़ने के बाद मुझे भेजी है और गुज़ारिश की है कि उसके इस अनुभव को मैं आपके सबके साथ शेयर करूं. ये कहानी मैं उसकी ही भाषा में लिख रहा हूँ. मेरे इस पाठक मित्र का नाम अजय है.
हैलो, मेरा नाम अजय है और मैं नियमित रूप से अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ता आ रहा हूँ. आज मैंने सोचा कि चलो मैं भी अपनी ज़िन्दगी का तज़ुर्बा आप लोगों से शेयर करूं. मैं एक 30 साल का नौजवान आदमी हूँ और एक इंश्योरेंस कम्पनी में जयपुर में काम करता हूँ. मेरा काम है कि जो क्लेम आते हैं, उन्हें जाचूं और सही होने पर उसका क्लेम अपने ग्राहक को दिलाऊं.
अभी कुछ महीने पहले की बात है. हमारी एक क्लाइंट विनीता का क्लेम आया. उसमें कुछ कमियां थीं, तो मैंने विनीता को फोन करके बताया, फिर उसकी वो सब कमियां दूर करने में मदद भी की. हालांकि ऐसे मदद तो मैं हर क्लाइंट की करता हूँ, पर उसे कुछ ऐसा लगा कि मैं उसे स्पेशल मदद कर रहा हूँ. इसलिए उसका क्लेम पास होने के बाद उसने मुझे बहुत बार फ़ोन करके धन्यवाद दिया.
मैं उस बात को भूल गया और अक्सर, लोग भी क्लेम मिलने के बाद भूल जाते हैं पर विनीता का कुछ दिन के बाद सुबह सुबह गुड मॉर्निंग का मैसेज आया … तो मैंने भी जवाब दे दिया. फ़िर तो सुबह शाम उसके कुछ ना कुछ मैसेज आने लगे. दो हफ़्ते बाद उसका मैसेज आया कि वो मिलना चाहती है और कुछ बात करनी है. तो मैंने उसे कहा- ठीक है.
मैंने उसे शाम को एक रेस्टोरेन्ट में मिलने के लिये बुलाया. हमने 6 बजे मिलने का समय तय किया था. जब मैं वहां पर 5:55 पर पहुंचा, तो देखा वो तो पहले से ही वहां खड़ी थी. फ़िर हम दोनों रेस्टोरेन्ट में गए और एक फ़ैमिली केबिन में बैठ गए.
मैंने उससे पूछा- बोलो क्या बात करनी है? तो वो बोली- कुछ नहीं, बस ऐसे ही तुमसे मिलने का दिल कर रहा था. मुझे उसकी इस बात से कुछ अजीब सा लगा, पर उसकी किसी भावना को ठेस न पहुंचे, इसलिए मैं उसके साथ बातचीत करने लगा.
फ़िर धीरे धीरे हमारी मुलाकातें बढ़ने लगीं और फ़िर हमने अपनी फैमिली के बारे में भी एक दूसरे को बताया, तो पता चला हम दोनों ही शादीशुदा हैं. मैंने उससे पूछा- तुम मेरे से दोस्ती क्यों बढ़ा रही हो? वो बोली- मेरे पति का बिज़नेस है और वो मुझे बहुत ही कम समय दे पाते हैं. मैं बहुत बोर हो जाती हूँ, इसलिये एक दोस्त खोज़ रही थी. तुम मुझे बहुत समझदार लगे, इसलिये मैं तुमसे दोस्ती बढ़ा रही हूँ. मैंने भी मजा लेते हुए कहा- बस दोस्ती ही बढ़ानी है या और भी आगे जाना है? वो मुस्कराते हुए बोली- वो तो वक्त बताएगा.
धीरे धीरे हम एक दूसरे से फ़्लर्ट करने लगे और फ़ोन पर भी बहुत बातें करने लगे. फ़िर हमारी बातें सेक्स को ले कर शुरू हो गईं. वो मुझे बताने लगी कि कैसे उसके पति उसे चोदते हैं और बस 2-4 मिनट में पानी निकाल कर सो जाते हैं. मुझे सब समझ आ गया था कि वो सेक्स की भूखी है.
हम दोनों अपने घरों पर नहीं मिल सकते थे क्योंकि दोनों की फैमिली संयुक्त है … और सब साथ में रहते हैं. इसलिए पहले प्लान बनाया गया कि चलो कहीं बाहर घूमने के लिये जाते हैं और वहां मज़े करते हैं.
लेकिन जब मैंने घर पर बोला कि ऐसे मुझे बाहर जाना है काम से दो दिन के लिये … तो मेरी पत्नी भी मेरे साथ जाने के लिये तैयार हो गयी. वो बोली- मैं भी बहुत दिन से बाहर नहीं गयी हूँ और कुछ समय मैं तुम्हारे साथ अकेले बिताना चाहती हूँ. मुझे झक मार कर विनीता को मना करना पड़ा और अपनी पत्नी के साथ वो दो दिन बिताने पड़े.
अब प्लान तो कैंसिल कर नहीं सकता था क्योंकि होटल की बुकिंग हो चुकी थी और पैसे भी भर चुका था.
हाँ उन दो दिनों में कुछ गुस्से में और कुछ विनीता की याद में मैंने अपनी पत्नी को खूब रगड़ रगड़ कर चोदा और उसने भी खूब मज़े ले ले कर चिल्ला चिल्ला कर चुदाई करवाई. मेरी पत्नी इस तरह की चुदाई से मजा लेकर बोली- इसलिये मैं तुम्हारे साथ आना चाहती थी. शादी के बाद जब हम हनीमून पर गए थे, तो तुमने ऐसे ही मुझे दिन रात चोद चोद कर मज़े दिए थे. घर पर तो ये सब हम कर नहीं पाते हैं … और अब जब मौका मिला तो मैं कैसे छोड़ देती. आज मैं फ़िर से जवान हो गयी हूँ.
मैंने सोचा कि ये तो उल्टा हो गया. मैं सोच रहा था कि ये रोएगी और बोलेगी अब मैं तुम्हारे साथ नहीं आऊंगी, पर इसको तो मजा आ रहा है. फ़िर दो दिन बाद हम वापस आ गए और मैंने विनीता को फ़ोन करके सब बताया, तो वो बहुत ज़ोर से हंसी. विनीता बोली- मतलब तुम्हारी पत्नी की भी मेरी वाली हालत है.
जब मैं अगले दिन ऑफिस गया, तो मेरा एक दोस्त बोला कि उसे ऑफिस के काम से कुछ दिनों के लिये बाहर जाना है और 3 दिन बाद उसके माता पिता आने वाले हैं, तो वो घर बंद करके नहीं जा सकता.
दोस्त मुझसे बोला- मेरे घर की चाबी तुम अपने पास रख लो और 3 दिन बाद उसके माता पिता को स्टेशन से लेकर घर पर छोड़ देना. उनके आने से एक दिन पहले जा कर कुछ जरूरी सामान ला कर भी रख देना. मैंने उसे बोला- बिल्कुल भाई तू चिन्ता मत कर, मैं सब सैट कर दूंगा, तू आराम से जा और बाकी मेरे ऊपर छोड़ दे.
मैंने मन ही मन कहा कि भगवान के घर देर है … अन्धेर नहीं है. उसी दिन शाम को जब मेरा दोस्त निकल गया और मुझे चाबी दे गया, तो मैंने विनीता को फ़ोन करके खुशखबरी सुनाई.
वो भी बहुत खुश हो गयी और बोली- अगर तुम अभी मेरे सामने होते, तो मैं तुम्हे पप्पियों से नहला देती.
हमने एक दिन छोड़ कर मिलने का सोचा कि घर पर भी कुछ बोलना है और ऑफिस में भी. क्योंकि हम पूरे दिन के लिये मिलने कर प्लान कर रहे थे. सब कुछ सैट कर के हम एक दिन छोड़ कर मिलने के लिये अपने घरों से सुबह निकले. पहले एक जगह पर मिलेंगे कि एक साथ जाएंगे, तो कोई शक नहीं करेगा.
करीब सुबह के दस बज़े हम मेरे दोस्त के घर पहुंचे और साथ में कुछ सब्जियां और दूध भी ले गए कि अगर किसी ने पूछा तो बता देंगे कि मेरे दोस्त ने ये बोला है.
शुक्र था कि हमें कोई नहीं मिला और हम बे-रोक टोक घर में घुस गए. अन्दर जाते ही एक दूसरे से पागलों की तरह लिपट गए और एक दूसरे को चूमने लगे.
एक दूसरे को चूमते चूमते हम अन्दर सोफ़े तक पहुंचे, तो पता चला कि हम दोनों के ऊपर एक धागा भी नहीं बचा था. मतलब कब हम दोनों के कपड़े उतर गए और किसने किसका क्या उतारा, ये भी याद नहीं. बस चूमते चूमते हम दोनों वहीं सोफ़े पर लुढ़क गए और एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे. मैं लगातार चूमते हुए विनीता की चुचियां दबा रहा था और वो मेरे लंड से खेल रही थी.
फ़िर उसने मेरे लंड को अपनी चुत पर घिसना शुरू कर दिया और बोली- अजय अब नहीं रहा जाता, पहले एक बार जल्दी से चोद दो. मेरा भी हाल तो यही था, तो मैंने कुछ बोलने के बजाये एक धक्का मार दिया और मेरा लंड उसकी फ़ुद्दी में घुस गया. हम दोनों ने एक लम्बी सी ‘आआअह …’ की और एक दूसरे से कस कर लिपट गए. फ़िर धीरे धीरे आगे पीछे होने लगे. थोड़ी ही देर में जोश आने लगा और हम दोनों ने ही ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैं ऊपर से नीचे होता, तो वो नीचे से अपनी गांड उठा कर लंड को ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेने की कोशिश करती.
हम दोनों इतने गर्म थे कि जल्द ही हम दोनों का पानी आपस में मिल गया. तब जाकर हमने सांस ली और 5 मिनट के बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए.
चुदने के बाद विनीता मुझसे आंखें नहीं मिला रही थी, वो अपने कपड़े उठा कर अपने नंगे शरीर को ढकने लगी. मैंने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए उससे बोला- मैं फ़्रेश हो कर आता हूँ … फ़िर तुम फ़्रेश हो लेना.
अब हम दोनों फ़्रेश हो चुके थे और अपने कपड़े पहन लिये थे. मैंने बात शुरू करने और माहौल को हल्का करने के लिये बोला कि चाय या कॉफ़ी? वो बोली- कॉफ़ी. मैं उठ कर किचन में जाने लगा तो वो बोली- रुको … मैं भी आती हूँ तुम्हारी मदद के लिए.
फ़िर हम दोनों ने कॉफ़ी पी और हल्की फुल्की बातें करते रहे. बाद में हम दोनों फ़िर एक ही सोफ़े पर पास पास बैठ गए और एक दूसरे की आंखों में देखने लगे. धीरे धीरे हमारे होंठ फ़िर से आपस में जुड़ गए.
कुछ देर किस करने के बाद वो बोली- चलो अन्दर कमरे में पलंग पर चलते हैं.
फ़िर हम एक दूसरे से लिपटे हुए कमरे में पहुंच गए. वहां पर हमने आराम से पूरे मज़े लेते हुए चुदाई का दूसरा राउन्ड पूरा किया. हाँ इस बार हमने पूरे होश में सब किया, तो हमारी शर्म भी खत्म हो गयी. इस बार सब आराम से किया था, तो मज़ा भी बहुत आया और राउन्ड भी खूब लम्बा चला.
फ़िर शाम तक हमने और दो बार सेक्स किया और फ़िर हम अपने घर चले गए.
इसके बाद विनीता और मैं कई बार मिले, बस जगह का इंतजाम होने में दिक्कत होती थी. फिर जैसे ही जगह की सहूलियत मिलती, हम दोनों चुदाई का मजा लेने पहुंच जाते.
उसके साथ बिताए और भी मजेदार किस्से हैं, जो मैं आपके साथ आगे शेयर करना चाहता हूँ. ये सब मैं आपके विचार जानने के बाद ही लिखूंगा.
आपको ये कहानी कैसी लगी, आप नीचे लिखे पते पर लिख कर बता सकते हैं. यह मेरी पहली कहानी है इसलिये अपनी राय जरूर भेजें. मेरी ईमेल आईडी है. [email protected]
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