याराना का तीसरा दौर-3

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जब विक्रम ने अपने बड़े भाई को बताया कि उनकी पत्नी रीना ही विक्रम की गर्लफ्रेंड रह चुकी है तो राजवीर चौंक पड़ा. रीना जो विक्रम की भाभी थी, वो राजवीर से पहले विक्रम की गर्लफ्रेंड रह चुकी थी. अब आगे:

मैं आश्चर्यचकित होते हुए- क्या? क्या कह रहे हो विक्रम? विक्रम- हां भैया हां। किस्मत का ये अजीब खेल था। जब शादी में आने से पहले मेरी माँ से बात हुई थी तो उन्होंने बताया था कि आपकी सगाई किसी रीना से हुई है। तब मेरे दिमाग में ये बात नहीं आई थी। फिर मैंने लड़की वालों से पूछताछ की तो पता चला कि भाभी का नाम कॉलेज और स्कूल में रीनल है। किंतु घर में उनको सब रीना ही बुलाते हैं।

राजवीर- जब तुमने ये कहानी शुरू की थी तब मैंने भी यही सोचा भी कि ये कोई और रीनल होगी। अच्छा फिर क्या हुआ? विक्रम- रीनल यानी रीना ने भी मुझे शादी में ही देखा। वह भी मेरी तरह ही आश्चर्यचकित थी कि मैं इस घर में कैसे? उन्हें भी नहीं पता था कि मैं आपका भाई हूं। एक पल तो वह काफी डर गई थी। फिर एक दिन हमारी अकेले में बात हुई. उन्होंने मुझे बताया कि अगर उन्हें पता होता कि मैं इस घर में रहता हूं तो मैं तुम्हारे भैया से शादी कभी नहीं करती। इस पर मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि मेरी वजह से उनके वैवाहिक जीवन पर कभी कोई आपत्ति नहीं आएगी। भाभी ने मुझे बताया कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी लेकिन तुमने मेरा विश्वास तोड़ दिया, इस वजह से मैं तुमसे दूर हो गई. लेकिन अब मैं केवल राज से प्यार करती हूं और मेरे मन में तुम्हारे प्रति कोई गलत विचार नहीं है। इस पर मैंने भाभी को बोला कि आप जैसी ईमानदार लड़की को भाभी के रूप में पाकर मुझे खुशी हुई। जितना हमारे बीच होटल के कमरे में हुआ था कोई उसके बाद भी संभल जाए ये बड़ी बात है। आज के बाद हम भाभी-देवर की तरह ही रहेंगे और बाकी हमारे बीच पुराना जो भी था उसे भूल जाएंगे. हमने अपने वादे को ईमानदारी से निभाया भैया! हमारे बीच में फिर कोई गलत बात नहीं हुई।

मेरे यानि राजवीर के शब्दों में-  तो मेरे प्यारे याराना के पाठको, अभी विक्रम की कहानी पूरी नहीं हुई है। उसमें काफी कुछ ऐसा बाकी है जो आपको उत्तेजना के चरम पर ले जाएगा। दोस्तो, याराना का पहला भाग तो आपने पढ़ा ही होगा जिसमें कि रीना ने स्वीकार किया था कि उसका पहले कोई बॉयफ्रेंड था जिसके साथ उसने चुदाई तो नहीं की थी किन्तु चूमना-चाटना और स्तनपान करवाने जैसे फॉरप्ले को अंजाम दिया था। जब विक्रम ने मुझे उसके कॉलेज की रीनल यानि मेरी बीवी रीना और उसके संबंध की कहानी सुनी तो मुझे विश्वास हो गया था कि विक्रम सच बोल रहा है। जब रीना ने खुद मुझे उस वक्त यह बात बताई थी तो मुझे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में कुछ नहीं पता था. मगर आज पता चल गया कि वो बॉयफ्रेंड मेरा भाई ही था।

विक्रम- तो क्या मेरी अभी तक की कहानी ने आपको हैरान किया भाई?  राजवीर- हां विक्रम, मैं सचमुच हैरान हूं। एक स्त्री अपने मन में कितना कुछ दबाए हुए रह सकती है। मुझे तो लगता था मैं रीना को अच्छी तरह जानता हूं। विक्रम- आगे आपके लिए और भी सरप्राइज़ है मगर मैं चाहता हूं आगे की कहानी आपको मैं अकेला नहीं अपितु वीणा और मैं साथ में सुनाएं क्योंकि वह कहानी वीणा और मेरे जीवन की सम्मिलित कथा है।

हम दोनों भाइयों ने अपने लैपटॉप बैग समेटे और घर की तरफ चल दिए। खाना खाने के बाद हम तीनों यानि कि मैं, विक्रम और वीणा फ्लैट की बैठक में बैठ गए।

विक्रम- मेरी प्यारी वीणा, अब जैसा कि तुम्हें पता ही है कि यहाँ भैया-भाभी का जीवन कैसे भोग विलास से भरा हुआ है. इन्होंने अपनी बीवियां बदल-बदल कर महीनों तक चुदाई की है, हो सकता है हम भी कल को इस मण्डली में शामिल हो कर जीवन का मजा लें जैसा कि तुम भी चाहती हो. तो आज ही उसकी शुरूआत करते हैं। बिना किसी लाज-शर्म के वो कहानी भैया को सुनाओ जिससे कि राज भैया अनजान हैं। मेरी प्यारी वीणा इस कहानी में कृपया लिंग शब्द के स्थान पर ‘वो’ या योनि के स्थान पर ‘भाभी की वो’ कहकर कहानी का मजा किरकिरा नहीं करना। लंड चूत जैसे शब्दों का इस्तेमाल वैसे ही करना जैसे उनकी जरूरत हो।

मेरी इस बात पर वीणा थोड़ी मुस्कराई और कहानी बताने लगी: राज भैया, जैसा कि आपको पता है कि माँ की मौत के बाद मैं आपके ही घर पर रही। वैसे तो घर में सब अच्छे हैं और सबने मेरा बहुत ख्याल रखा। लेकिन मुझे सबसे प्यारे आप लगते थे। आप ने मुझे बहुत प्यार दिया। इनमें बहुत छोटी-छोटी बातें शामिल थी। जैसे कि मेरे लिए टॉफी लाना। पैसे दे देना। मेरे पसंदीदा कपड़े लाना। आप मेरे टीवी सीरियल के लिए अपने क्रिकेट मैच तक को छोड़ देते थे। हमारे बीच की उम्र में 7 साल का अंतर था। फिर मेरे कॉलेज में जाने की बारी आई। उम्र के इस पड़ाव पर मैं यौन सम्बन्धों के बारे में समझने और जानने लगी थी। बायोलॉजी विषय होने के कारण सहेलियों में कभी कभी अश्लील मजाक भी हो जाया करती थी। राज भैया से मुझे काफी लगाव था लेकिन मैंने कभी राजवीर भैया के बारे में ग़लत नहीं सोचा था।

फिर राज भैया की शादी रीना भाभी से हुई। सब बहुत अच्छे से चल रहा था। फिर राज भैया की शादी के साल भर बाद विक्रम बैंगलोर से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर आए. चूंकि मैं विक्रम भैया के कमरे में रहती थी इसलिए मुझे विक्रम के आने के बाद दूसरा कमरा मिला जो कि राज भैया के कमरे से सटा हुआ था।

देर रात में जब मैं पढ़ाई करके लाइट बन्द करके सोई तो थोड़ी देर बाद तक मुझे नींद नहीं आई थी। तभी अचानक से मुझे किसी की सिसकारियां और आह-आह की आवाज़ आई। ध्यान दिया तो मालूम हुआ कि ये रीना भाभी की आवाज़ है जो कि आपके कमरे के रोशनदान से आ रही थी। यह रोशनदान मेरे कमरे के ऊपर की बुखारी में खुलता था। इतना तो मैं समझ गयी थी कि ये सेक्स में मजे के कारण आयी हुई सिसकारियां हैं। भाभी की आवाज़ काफी देर तक आती रही जो कि मेरे हृदय की धड़कनों को बढ़ाये जा रही थी। जब आवाज़ आना बन्द हुई तो जैसे-तैसे मुझे नींद आयी।

लेकिन पहली बार ऐसी आवाज़ सुनने के बाद ये बात मेरे दिमाग से नहीं निकल रही थी। मैं क्या करती, मेरी भी तो चढ़ती जवानी थी। मैं उस वक्त 19 साल की थी। दिन भर मेरे दिमाग में वो आवाज चलती रही सो मैंने फैसला किया कि आज मैं आप दोनों को चुदाई करते हुए देखूंगी। मैंने दिन में ही कमरे के रोशनदान वाली बुखारी से सामान इधर उधर इस तरह व्यवस्थित किया कि रात में बिना शोर करे मैं रोशनदान से आपके कमरे में आपकी चुदाई देख सकूं।

जैसे तैसे रात के 12 बजे और रीना भाभी की सिसकारियां सुनाई देने लगीं और मैं टेबल पर स्टूल लगाकर अपने कमरे की लाइट बन्द कर आपको देखने लगी। मेरे कमरे की लाइट बन्द होने के कारण आप दोनों मुझे नहीं देख सकते थे किंतु मैं आपके क्रियाकलाप कम रोशनी वाली लाइट में आसानी से देख सकती थी। मेरी आंखों के सामने आप का पलंग था। जैसे ही मेरी नजर आपके कमरे के पलंग पर पड़ी मेरा कलेजा जोर-जोर से धड़कने लगा. सांसें तेज हो गईं।

मैंने देखा कि रीना भाभी और आप पूर्ण रूप से नग्न होकर एक दूसरे के साथ 69 की पोजीशन में एक दूसरे के गुप्तांगों को बड़ी शिद्दत से चूस चाट रहे हैं। आप दोनों ही अपने आप में इस तरह खोए थे कि आपको दुनिया की कोई खबर नहीं थी। यह पहला क्षण था जब मैंने किसी भी जोड़े को सेक्स करते हुए देखा था। उसके बाद जब रीना भाभी ने आप की तरफ अपनी टांगें चौड़ी कीं और आप सीधे हुए तब मैंने आपका लंड देखा। वाह ! क्या नजारा था आपके लंड का. वह दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे मेरे गले में अटक गया हो। रीना भाभी ने आपके लंड को अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी और उसके थोड़ी देर बाद आपने रीना भाभी की चूत में अपना लंड पेल कर उनकी चूत में जोरदार धक्के देना शुरू कर दिए। रीना भाभी के बड़े स्तन आपके लंड के झटकों से ऊपर नीचे हो रहे थे। करीब 15-20 मिनट की जोरदार घमासान चुदाई के बाद आप दोनों निढाल होकर एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

आप दोनों तो सो गए लेकिन आपके इस दृश्य ने मेरी चूत में एक अजीब सी आग लगा दी थी। मैंने खड़े-खड़े कब अपनी उंगलियां अपनी चूत में डाल दीं थी मुझे पता ही नहीं चला और इस तरह मैंने अपनी चूत की आग को अपनी उंगलियों से शांत किया. यह मेरा पहला हस्तमैथुन था। उस दिन के बाद मुझे आपको देखने का नजरिया बदल गया. आप में मुझे बस केवल वासना नजर आती थी राज भैया। रीना भाभी खुशनसीब थी कि उसे आप जैसा पति मिला। मैं हर रोज आप दोनों के चुदाई घमासान को देखती और अपने आप को उंगलियों से शांत करती।

फिर एक दिन पिताजी द्वारा घर का जरूरी सामान उस बुखारी में रख दिया गया और मेरा आप लोगों को देखने का जरिया बंद हो गया। लेकिन तब तक मेरे सीने में एक आग जल गई थी जिसने दिन रात मुझे वासना में डुबा दिया था।

आप लोगों को तो देख नहीं सकती थी तो फिर मैंने अपनी एक सहेली से अपनी वासना मिटाने का एक जरिया सीखा। मैंने फेसबुक पर नकली नाम से एक खाता बनाया और उस खाते से मैंने अपने कई पुरुष मित्र बनाए और उनसे गंदी-गंदी चैट करने लगी। मेरे कहने पर लड़के अपने नग्न चित्र और वीडियो मुझे मैसेज में भेज देते थे। जिससे कि मैं अपनी पूर्ण उत्तेजना में होकर खुद को उंगली से शांत कर लिया करती थी।

विक्रम- फिर एक दिन मुझे इंटरनेट पर कुछ देखना था। मेरे फोन में रिचार्ज नहीं होने पर मैंने वीणा से उसका फोन लिया। वीणा अपने फोन से हिस्ट्री मिटाना भूल गई थी और उसने अपनी फेसबुक आईडी भी लॉगआउट नहीं की थी क्योंकि वैसे भी उसका फोन कोई नहीं छेड़ता था। जब मेरी नजर उसके नकली नाम वाली आईडी पर पड़ी तो मैंने उसके इनबॉक्स को चेक किया और जो देखा वह देखकर दंग रह गया। हमारी वीणा एक नकली नाम से प्रोफाइल बनाकर लड़कों से इस प्रकार की चैट करती है।

एक पल तो मुझे उस पर गुस्सा आया और मन किया कि उससे जाकर लडूं। फिर शांति से सोचा कि क्यों न इसके बिगड़ने का फायदा मैं ही उठा लूं। कॉलेज में तो काफी लड़कियां पटाई थीं लेकिन यहां गांव में आकर मेरा सेक्स जीवन सूखा था। मेरे मन में वीणा के प्रति वासना घर कर गई और उसे देखने का नजरिया बदल गया। मैंने भी फेसबुक पर एक नकली नाम से एक प्रोफाइल बनाई तथा वीणा को रिक्वेस्ट भेज कर खुद ही उसे स्वीकार कर लिया था. मैं उसकी मित्र सूचि में सम्मिलित हो गया और जैसा कि वीणा की मित्र लिस्ट में काफी सारे लोग थे तो मुझे विश्वास था कि उसे यह भी याद नहीं रहेगा कि ये मेरा मित्र कब बना। मैंने वीणा को उसका फोन लौटा दिया।

अगले दिन वीणा जब ऑनलाइन आई तो मैंने उसे मैसेज किया। फिर उसका मुझे जवाब आया. हमने थोड़ी देर इधर-उधर की बातें कीं और उसके बाद हम सेक्स चैट में लिप्त हो गए। मैंने अपनी सेक्सी चैट से उसे पूर्ण रूप से उत्तेजित कर दिया था और उसे यह नहीं पता था कि मैं उसके बगल वाले कमरे से ही उसके साथ गुफ्तगू कर रहा हूं। उसने काफी उत्तेजित होकर मुझसे मेरा गुप्तांग अर्थात मेरे लंड का फोटो मांगा जो कि मैंने भेज दिया और वह इस फोटो को देखकर काफी मग्न हो गई।

हम एक दूसरे को बिना देखे एक दूसरे से सेक्सी चैट करते थे और हमारी दोस्ती दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही थी।

एक दिन जब मैंने उससे पूछा कि क्या तुमने कभी किसी को चुदाई करते हुए देखा है तब उसने चैट में ही बताया कि मैंने अपने घर में भैया-भाभी को चुदाई करते हुए देखा है मैंने उससे पूछा कि अपने भाई-भाभी के बारे में तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो? तब वीणा ने मुझसे चैट में कहा कि वो मेरे सगे भाई नहीं हैं। वीणा ने कहा कि जब से मैंने उन दोनों (राजवीर और रीना) को चुदाई करते देखा है मैं भाई की फैन हो गयी हूं। मन करता है कि कैसे न कैसे एक बार मुझे वो चोद दें और वैसा ही हाल कर दें जैसा कि वो भाभी का करते हैं।

वैसे तो मेरी असली पहचान से अनजान वीणा यह चैट मुझसे ही कर रही थी और उसके लिए मैं एक अजनबी था. लेकिन यह बात हो मुझे मालूम हो गयी थी कि वीणा में ऐसा बदलाव क्यों आया है। वह राजवीर भैया! यानि कि आपसे चुदाई करवाना चाहती थी. एक बार देर रात वीणा और मैं फेसबुक पर चैटिंग कर रहे थे। हम इतनी उत्तेजित बातें कर चुके थे कि उस समय हमारी उत्तेजना चरम पर थी। वीणा ने मुझसे मेरे लिंग का फोटो मांगा जो कि मैंने उसे भेज दिया। उस फोटो से वह बहुत सम्मोहित हुई. उसके बाद मैंने उससे उसके स्तनों का फोटो मांगा।

वीणा ने भी मेरी बात मान कर बिना चेहरे के मुझे अपने स्तनों का फोटो भेजा। उसके अति उत्तम आकार वाले गोरे स्तनों को देखकर मेरा हाल बुरा हो गया। उत्तेजना की आग दोनों तरफ लगी थी। तब वीणा ने मुझसे कहा कि अब मुझे चैट बन्द करनी होगी क्योंकि उसे हस्तमैथुन करना है।

तब मैंने उससे कहा कि अगर अपनी उंगलियों की जगह तुम्हें अभी कोई असली लिंग मिल जाए तो? इस पर वीणा ने कहा कि ऐसी मेरी किस्मत कहां। अगर मिल जाए तो क्या बात हो, मैं उस लिंग को खुद में निचोड़ लूंगी। मगर ऐसा नहीं हो सकता यार, हस्तमैथुन ही करना होगा।

इस पर मैंने कहा- अच्छा चलो, जब दरवाज़ा बजे तो चुपचाप उसे खोल देना। जो भी हो उसे अंदर आने देना ताकि कोई और न जग जाए। जो बात करनी है अंदर ही करना। वीणा का चैट में जवाब आया कि क्यों मज़ाक़ करते हो यार?

इतने में मैं अपने कमरे से निकल कर वीणा के कमरे की तरफ गया. रात के करीब डेढ़ बजे थे। इसीलिए सब सो चुके थे। जैसे ही मैंने गेट बजाया, वीणा ने दरवाजा खोला। मैंने बिना कोई बात किए उसे कमरे के अंदर धकेल कर कमरे का दरवाजा लगा लिया और वीणा से कहा- लो वीणा, आ गया असली लंड लेकर … कर लो अपने मन की।

वीणा- ओह माय गॉड … ये कैसे सम्भव है। मैं विक्रम तुमसे ये सब बातें कर रही थी? और तुम्हें कैसे पता चला कि वो मैं ही हूं। विक्रम- वीणा, अब मौका मिला है तो क्या ये बातें करने में समय निकाल दोगी। राजवीर भैया का तो तुम्हें शायद ही मिले। आज मेरा ही लन्ड ले लो।

अब वीणा के लिए शर्म और नखरे करने की कोई गुंजाइश तो रह नहीं गयी थी। हमने करीब 1 महीने तक सेक्स संबंधी क्या क्या बातें की थी यह हम ही जानते हैं। हम दोनों ने तो एक-दूसरे से अपनी सेक्स संबंधी कल्पना भी जाहिर की थी कि कैसे मैं अपने साथी के स्तन और चूत को चूसूंगा और चुदाई करूंगा। वीणा ने भी ऐसी कई बातें की थीं कि वह कैसे अपने साथी के लन्ड को चाट-चाट कर मजे देगी।

अतः हमने आव देखा न ताव एक दूसरे को कसकर चूमने चाटने लगे। जब चुम्बनों कि बरसात खत्म हुई तो हमने एक दूसरे के सारे वस्त्र उतारने में जरा भी समय बर्बाद नहीं किया। उस वक्त मैंने अपने सामने वीणा को खड़ा किया और उसे अच्छे से ऊपर से नीचे तक निहारा। उस समय वीणा के 32 के स्तन और 26 की कमर और गांड का आकार भी 32 का ही था। गोरे रंग के जिस्म पर ये छरहरी काया। क्या खुशबू थी वीणा के जिस्म की।

वीणा और विक्रम राजवीर को यानि मुझे उस वक़्त की कहानी सुना रहे हैं.

वीणा- मैंने भी जब विक्रम का लंड देखा तो इसकी कायल हो गई। फ़ोटो में इसका वो आकार नजर नहीं आया था जो वास्तव में था। ये फोटो से ज्यादा आकर्षक था। करीब साढ़े 7 इंच का लन्ड खड़ा-खड़ा मेरी चूत के लिए चिकना पानी छोड़ रहा था। मुझे तो विक्रम के साथ वो सब करना था जो कि मैंने इतने दिनों तक आपको रीना भाभी के साथ करते देखा था। मुझमें सेक्स की भूख भरी पड़ी थी। मेरा बदन यह सोच-सोच कर सिहर उठा था कि आज उंगलियों की जगह असली का लिंग मेरी चूत में धक्के देगा। मैंने विक्रम से मेरी सबसे पसंदीदा चुदाई के आसन में आने को कहा। विक्रम जानता था कि मैं 69 की बात कर रही हूं। अतः मेरे बिस्तर पर हम दोनों 69 के आसन में आकर एक दूसरे के गुप्तांगों को चूसने लगे।

विक्रम- वीणा की चूत के पानी ने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया था और तभी वीणा मेरे मुंह में अपनी लाल चूत को दबाती रही। उसने मेरा लन्ड अपने मुंह में पूरा अंदर ले लिया और बड़ी बेदर्दी से चूस चूस के ऊपर नीचे करती रही। मैंने वीणा के स्तनों को चूसने की इच्छा जताई तो वीणा ने सीधे होकर अपना एक स्तन मेरे मुंह में दे दिया और अपने हाथ से मेरे सिर को उसके स्तनों में दबाने लगी। मैंने उसके दूसरे स्तन को हाथ में लेकर अपने हाथों से मसलना शुरू किया। करीब 20 मिनट के इस फोरप्ले के बाद वीणा ने अपनी गीली चूत मेरे सामने करके अपनी टांगें चौड़ी कर दीं।

मैंने उसके ऊपर आते हुए अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया जो कि एक बार में गुप्प से अंदर चला गया क्योंकि उत्तेजना में चिकनाई ही इतनी थी। मैंने अपनी पूरी जान लगाकर वीणा की चूत में धक्के दिए जिसे वीणा बड़ी ही शिद्दत से ग्रहण कर रही थी। कोई नहीं कह सकता था कि यह वीणा की पहली चुदाई है। लेकिन राजवीर और रीना भाभी की चुदाई देख देख कर वीणा इतनी परिपक्व हो गयी थी। वीणा स्वयं अपने आपको मेरे लन्ड में रगड़ दिलवा रही थी. उसकी इस अदा ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। करीब 20 मिनट की घमासान चूत चुदाई के बाद हम दोनों साथ में स्खलित हुए और एक दूसरे से कसकर लिपट गए।

10 मिनट बाद वीणा ने फिर से मेरा लिंग चूसना शुरू किया और खड़ा करके फिर से उस पर बैठ गयी और अपनी चूत में मेरा लन्ड ले कर अपनी गांड को ऊपर नीचे करके लेने लगी। उसके उचकते हुए स्तनों को मैंने अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया। जब वह गांड हिलाते हिलाते थक गई तो मैंने उसे पेट के बल लेटाकर उसके ऊपर आकर उसकी गदराई गांड के नीचे चूत में लन्ड ठेल कर पीछे से उसकी चूत चुदाई शुरु की और फिर से दोनों झड़ गए।

अब हम दोनों का हाल बुरा था। करीब 3 बजने वाले थे इसलिए कपड़े पहन कर मैं अपने कमरे में आ गया। इस तरह की चुदाई का मजा मैंने अपने जीवन में कभी नहीं लिया था। कॉलेज के समय में चुदाइयाँ तो बहुत की थीं मगर वीणा ने जिस तरह से अपनी चूत चुदवाई मैं उसका कायल हो गया था.

दोस्तो, कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. यह काम की वासना से लिप्त दास्तां आपको कैसी लग रही है इसके बारे में अपनी राय देते रहें. [email protected]

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